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विपक्ष को नहीं मिल रहा राष्ट्रपति पद के लिए योग्य उम्मीदवार, कई नेताओं ने ठुकराया प्रस्ताव, यशवंत सिन्हा के नाम पर सोशल मीडिया में भड़के लोग

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महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चल रही सरगर्मी ने लोगों की दिलचस्पी बढ़ा दी है। जहां मोदी सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के पत्ते नहीं खोले हैं, वहीं विपक्ष को एक साझा उम्मीदवार खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। विपक्ष ने अब तक जिन दिग्गज नेताओं को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने का प्रस्ताव दिया, उन सभी ने प्रस्ताव ठुकरा कर विपक्ष को तगड़ा झटका दिया है। 

दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री  फारूक अब्दुल्ला के इनकार के बाद सोमवार (20-06-2022) को पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल और महात्मा गांधी के परपोते गोपालकृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद पूर्व टीएमसी नेता यशंवत सिन्हा को उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा चल रही है। 

गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 15 जून को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर मंथन किया था। इसमें फारूक अब्दुल्ला और महात्मा गांधी के पोते गोपाल गांधी का नाम आगे बढ़ाया था। इसमें फारूक अब्दुल्ला का नाम ममता बनर्जी ने खुद आगे किया था। इस बैठक में कांग्रेस, शिवसेना सहित कुल 16 पार्टियां शामिल हुई थीं। राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव का नामांकन 29 जून 2022 तक होना है, जबकि 18 जुलाई को मतदान होना है। 21 जुलाई को परिणाम की घोषणा की जाएगी। 

विपक्ष के ‘राष्ट्रपति उम्मीदवार खोजो’ अभियान को मिली नाकामी को लेकर सोशल मीडिया में लोग खूब मजे ले रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर कोई नेता तैयार नहीं हो रहा है तो विपक्ष बेकार में अपनी भद्द पिटवा रहा है। वे उम्मीदवार बनने के लिए तैयार है। विपक्ष उनके नाम की घोषणा कर दें, वे मना नहीं करेंगे। वहीं कई लोगों ने यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा पर आपत्ति जतायी है। लोगों ने यशवंत सिन्हा के पुराने ट्वीट और बयान शेयर कर विपक्ष का जमकर मजाक उड़ा रहे हैं।विपक्षी दलों पर आरोप लग रहे हैं कि योग्य उम्मीदवार नहीं मिल रहा था तो मजबूरी में यशवंत सिन्हा के नाम को आगे बढ़ाया है, जिसका आचरण राष्ट्रपति पद की गरिमा के खिलाफ है।

 

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