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केजरीवाल की कारिस्तानी दिल्लीवालों पर पड़ी भारी, 24 घंटे में 500 नए कोरोना मरीज के साथ 10,554 पहुंची संख्या

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दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कारिस्तानियां अब दिल्ली की जनता पर भारी पड़ रही हैं। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में कोरोना से जंग में शुरू से ही लापरवाही बरती। सीएम केजरीवाल कोरोना के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने के बजाए, अपनी वाहवाही में जुटे रहे। इसी लापरवाही का नतीजा है कि दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है। दिल्ली में पिछले चौबिस घंटे में कोरोना के 500 नए मामले आए हैं। अब दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 10,554 हो चुकी है। जबकि 166 लोग कोरोना की वजह से मारे जा चुके हैं।

इतना सब होने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने सबक नहीं सीखा है। केजरीवाल को बस यह पड़ी है कि दिल्ली से लॉकडाउन को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। लॉकडाउन 4 में राज्यों को अधिकार दिए जाने के बाद से ही दिल्ली सरकार ने पूरे शहर में बाजारों, दफ्तरों को खोलने के आदेश दे दिए हैं। दिल्ली में बसों, टैक्सी, ऑटो को चलाने की अनुमति दे दी है। केजरीवाल सरकार द्वारा दो दिनों पहले दी गई इसी अनुमति का नतीजा है कि यहां कोरोना का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

सीएम अरविंद केजरीवाल की यही अदूरदर्शिता सवाल उठा रही है, किया दिल्ली की सरकार राजधानी दिल्ली के कोरोना कैपिटल बनाना चाहती है। आइए डालते हैं नजर-

क्या दिल्ली को वुहान बनाना चाहते हैं सीएम केजरीवाल?
दिल्ली में कोरोना संक्रमण की हालत भयावह हो चुकी है। देश की राजधानी में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 10 हजार के पार पहुंच चुका है, पिछले चौबीस घंटे में ही दिल्ली में 500 कोरोना के केस आए हैं। ऐसे में कोई भी सरकार सबसे पहले संक्रमण को रोकेगी, मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराएगी। लेकिन दिल्ली में उल्टी गंगा बह रही है। यहां के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बाजर, मार्केट कॉम्प्लेक्स, दफ्तर, मॉल, मेट्रो, बस सब कुछ खोलने पर आमादा हो गए हैं।

केंद्र सरकार पर बाजार खोलने के लिए दबाब बनाया
अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन-4 के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया और इसमें बाजारों को खोलने, सार्वजनिक परिवहन को सड़क पर उतारने व मजदूरों की आवाजाही पूरी दिल्ली में सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने केंद्र को यह प्रस्ताव भेजकर दबाब बनाया था कि17 मई के बाद बाजारों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल में दुकानों को ऑड-ईवन आधार पर खोलने की अनुमति दी जाए। इसके अलावा बसों, मेट्रो, ऑटो, टैक्सियों को पूरे शहर में चलाया जाए। आपको बता दें कि दिल्ली में निर्माण कार्यों और सरकारी दफ्तर खोलने की अनुमति पहले से है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने केंद्र पर दबाब बनाने के लिए कहा है कि उसने इन सबके के लिए 5 लाख से अधिक दिल्लीवालों की राय मांगी थी और उसी के आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया था।

दिल्ली में तेजी से पैर पसारता कोरोना
केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन की वजह से दिल्ली कोरोना कैपिटल में तब्दील होती जा रही है। बीते चार दिनों की बात करें तो दिल्ली में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। महज पिछले एक हफ्ते में ही करीब चार सौ रोजाना की औसत से कोरोना के साढ़े तीन हजार से ज्यादा नए संक्रमित मरीज पाए गए हैं। पिछले 24 घंटे में तो स्थिति और भी भयावह हो गई, जब  पांच सौ लोग कोरोना महामारी के संक्रमण के शिकार पाए गए। कुल संक्रमितों की संख्या 10554 हो गई है।

दिल्ली में कोरोना 166 की मौत, आंकड़े छिपाने में लगे केजरीवाल
दिल्ली में कोरोना से मरने वालों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। दिल्ली में 20 मई तक सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से मरने वालों की संख्या 166 हो चुकी है। लेकिन बताया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार कोरोना से मरने वालों के सही आंकड़े सामने नहीं आने दे रही है। कई अस्पतालों में कोरोना से मरने वालों की संख्या 30 से पचास तक पहुंच चुकी है, लेकिन केजरीवाल सरकार की तरफ से दबाब बनाया जा रहा है कि सही आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाएं। इतना ही नहीं दिल्ली में हॉटस्पॉट की संख्या भी सौ से ज्यादा हो चुकी है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।

शराब की दुकानों पर नहीं किया गया सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
पिछले दिनों जब केजरीवाल सरकार के कहने पर ही शराब की दुकाने खोलने का आदेश दिया गया था, तब भी दिल्ली प्रशासन की नाकामी सामने आई थी। दिल्ली में हर जगह शराब के ठेकों के बाहर हजारों लोग की भीड़ जमा हो गई थी। वहां सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का कोई पालन नहीं किया गया। पूरे देश ने उन तस्वीरों को देखा था कि केजरीवाल सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और कोरोना का प्रसार रोकने के लिए उसने कुछ नहीं किया।

मजदूरों के पलायन पर भी चुप है केजरीवाल सरकार
दिल्ली से लाखों की संख्या में मजदूर यूपी और बिहार के लिए पलायन कर चुके हैं। पलायन का यह सिलसिला आज भी जारी है, लेकिन केजरीवाल अपने गाल बजाने के सिवा और कुछ नहीं कर रहे हैं। जब भी केजरीवाल मीडिया के सामने आते हैं तो मजदूरों को राहत देने के तामम दावे करते हैं, लेकिन धरातर पर ये दावे झूठे साबित होते हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार की तरफ से मजदूरों के लिए जो राशन और आर्थिक मदद दी जा रही है, उसे भी वे उन तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। मजदूरों का पलायन कोरोना संक्रमण को बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।

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