Home नोटबंदी भ्रष्टाचार पर नोटबंदी के प्रहार से मजबूत हुआ अर्थव्यवस्था का आधार

भ्रष्टाचार पर नोटबंदी के प्रहार से मजबूत हुआ अर्थव्यवस्था का आधार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवंबर को हिमाचल प्रदेश की एक जनसभा में कहा कि इंदिरा जी ने वक्त रहते नोटबंदी को लागू किया होता तो हमें इसे करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। दरअसल नोटबंदी का निर्णय समय से चालीस साल पीछे चल रहा है। नोटबंदी का निर्णय देश के लिए नितांत आवश्यक था, क्योंकि देश में कैश का ढेर लग गया था, कालेधन का अंबार था, भ्रष्टाचारियों ने हजारों करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति इकट्ठा कर रखी थी, जाली नोट सर्कुलेशन में बढ़ते जा रहे थे। ऐसे में देश को पारदर्शिता के साथ सही दिशा में ले जाने के लिए नोटबंदी कितना आवश्यक था ये अब समझ आ रहा है। 

अर्थव्यवस्था की सफाई हो रही लगातार
नोटबंदी के बाद करीब 18 लाख संदिग्ध खातों की पहचान हो चुकी है। 2.89 लाख करोड़ रुपए जांच के दायरे में हैं और एडवांस्ड डेटा ऐनालिटिक्स के जरिए 5.56 लाख नए केसों की जांच की जा रही है। साथ ही साढ़े चार लाख से ज्यादा संदिग्ध ट्रांजेक्शन पकड़े गए हैं। नोटबंदी के बाद करेंसी सर्कुलेशन में 21 फीसदी तक की कमी आई है। नोटबंदी के बाद 23.22 लाख बैंक खातों में लगभग 3.68 लाख करोड़ रुपये के संदिग्ध कैश जमा हुए, जिसका पता सरकार को लग गया। नोटबंदी के बाद तीन लाख करोड़ से अधिक रकम बैंकों में जमा कराई गई। 1833 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति की भी जब्ती और कुर्की की गई।

फर्जी कंपनियों पर जोरदार कार्रवाई
नोटबंदी के बाद तीन लाख से अधिक शेल यानी मुखौटा कंपनियों का पता लगाया जा सका है। इनमें से 2.24 लाख कंपनियों को बंद कर दिया गया है। अब ये कंपनिया सरकार की अनुमति के बिना अपने ऐसेट्स को बेच या ट्रांसफर नहीं कर सकती हैं। इसके साथ ही नोटबंदी के दौरान 35 हजार संदिग्ध फर्जी कंपनियों ने 17 हजार करोड़ डिपॉजिट किए, जो सरकार की नजर में आ गए। बैंकों ने 35 हजार कंपनियों और 58 हजार बैंक खातों की जानकारी वित्त मंत्रालय को दी, जिसके बाद इनपर एक्शन लिया गया है।

फर्जी डायरेक्टर्स पर सख्त एक्शन
नोटबंदी के बाद फर्जी कंपनियों के डायरेक्टर्स का भी पता लगा। इसके तहत पिछले तीन वित्तीय वर्षों से वित्तीय विवरण न भरने वाले 3.09 लाख कंपनी बोर्ड डायरेक्टर्स को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। दरअसल नोटबंदी के बाद पता लगा कि 3000 डायरेक्टर्स 20 से ज्यादा कंपनियों के बोर्ड डायरेक्टर थे, जो कानूनी सीमा से ज्यादा है।

संदिग्ध लेन-देन पर आयकर की नजर
नोटबंदी के बाद तीन से चार खरब डॉलर के ट्रांजेक्शन्स संदिग्ध लग रहे हैं, इसके लिए 1.8 लाख नोटिस भेजे गए हैं और इनपर कार्रवाई होने ही वाली है। नोटबंदी का ही असर है कि 400 से ज्यादा बेनामी लेनदेन की पहचान की जा चुकी है। 

बैंकिंग प्रणाली में शामिल हुआ कालाधन
नोटबंदी के बाद 16.6 खरब बैन नोट सिस्टम में वापस आ गए। 16 हजार करोड़ रुपये को छोड़कर सभी कैश बैंक में जमा हो जाने से बिना हिसाब वाले पैसों का पता चला। अधिकतर कैश के बैंकिंग सिस्टम आने से इस पैसे को कानूनी दर्जा मिला और नोटबंदी अवैध धन रखने वालों के खिलाफ एक्शन लेने का एक जरिया बना है। कासा यानी चालू खाता, बचत खाता जमाओं में कम से कम 2.50-3.00 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मुद्रा बाजार की ब्याज दरों में गिरावट हुई और म्युचुअल फंडों के साथ बीमा क्षेत्र में धन का प्रवाह बढ़ा।

डिजिटल लेनदेन को मिली रफ्तार
नोटबंदी के बाद भारत एक लेस कैश सोसाइटी की दिशा में डिजिटल ट्रांजेक्शन्स 300 प्रतिशत तक बढ़े। कैशलेस लेनदेन लोगों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ हर लेनदेन से काले धन को हटाते हुए क्लीन इकोनॉमी बनाने में भी मददगार साबित हुआ है। चलन में रहने वाली नकदी में भारी गिरावट हुई और कैश 17.77 लाख करोड़ रुपये से कम होकर 4 अगस्त 2017 को 14.75 लाख करोड़ पर आ गया। यानी अब महज 83 प्रतिशत ही प्रभावी नकदी है। नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन काफी तेजी से बढ़ा है। अगस्त 2016 में 87 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए थे, जबकि 2017 में यह संख्या 138 करोड़ हो गई यानी 58 प्रतिशत की वृद्धि। वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह रकम कुल मिलाकर 1800 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

आयकर रिटर्न में जबरदस्त वृद्धि
नोटबंदी के बाद देश के टैक्स सिस्टम से 56 लाख नए करदाता जुड़े हैं। वहीं, पिछले साल के मुकाबले टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 9.9 प्रतिशत से 26.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2015-16 में 66.53 लाख थी, जो 2016-17 में बढ़कर 84.21 लाख हो गई। पर्सनल इनकम टैक्स के एडवांस्‍ड टैक्स कलेक्शन में पिछले साल के मुकाबले 41.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

पैनकार्ड धारकों की संख्या बढ़ी
नोटबंदी के बाद 17.73 लाख संदिग्ध पैन कार्ड धारकों का पता चला पाया है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 4.7 लाख से अधिक संदिग्ध लेनदेन की जानकारी इकट्ठा की। जांच, जब्ती और छापों में 29,213 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला। नोटबंदी के बाद 813 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त कर ली गई है। नोटबंदी के बाद 400 से अधिक बेनामी लेन-देन की पहचान हुई और 29 हजार 200 करोड़ से अधिक अघोषित आय का पता चला।

आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम
नोटबंदी के चलते आतंकवादियों और नक्सलवादियों की कमर टूट गई। पत्थरबाजों को पैसे देने के लिए अलगाववादियों के पास धन की कमी हो गई। पत्थरबाजी की घटनाएं पिछले वर्ष की तुलना में घटकर मात्र एक-चौथाई रह गईं। नोटबंदी के बाद नवंबर 2015 से अक्टूबर 2016 की तुलना में पत्थरबाजी की घटनाएं नवंबर 2016 से जुलाई 2017 के बीच महज 639 घटनाएं हुईं। पत्थरबाजी में पहले 500 से 600 लोग होते थे, अब 20-25 की संख्या भी नहीं होती है। नोटबंदी के बाद नक्सली घटनाओं में 20% से ज्यादा की कमी आई। अक्टूबर 2015 से नवंबर 2016 में 1071 नक्सली घटनाएं हुईं। वहीं 2016 के अक्टूबर से अब तक मात्र 831 रह गई।

जाली नोटों का पता लगाया जा सका
नोटबंदी के बाद से जुलाई तक 11.23 करोड़ रुपये मूल्य के जाली नोट पकड़े गए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार इस अवधि में 29 राज्यों से 1,57,797 जाली नोट पकड़े गए। 2016-17 में कुल 762 हजार जाली नोट पकड़े गए। जाली नोट पकड़े जाने में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 20% की वृद्धि हुई। इसके अलावा नोटबंदी के बाद ही ये पता लग पाया कि पांच सौ के हर 10 लाख नोट में औसत 7 और 1000 के हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

ब्याज दरों में आ रही गिरावट
जीडीपी औसत नकदी में पिछले वर्ष नवंबर से पहले 11.3 प्रतिशत की तुलना में 9.7 प्रतिशत हो गया है। नोटबंदी से EMI दरों में कमी से लेकर किफायती आवास तक, वित्तीय साधनों में बचत बढ़ने से लेकर शहरी निकायों के राजस्व में वृद्धि हुई है। इसके अलावा ऋण दरों में लगभग 100 बेसिस पॉइंट्स की गिरावट आई है और ऋण चुकाने पर लगने वाला ब्याज घटने के साथ EMI कम हुई है। नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट की कीमतें घटीं और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज पर छूट मिली। 

भारत को महामंदी से बचा गया
04 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। 6 लाख करोड़ रुपये के हाई वैल्यू नोट्स प्रभावी रूप से कम हुए, जो इस समय सर्कुलेशन में आए नोटों का 50 प्रतिशत है। जाहिर है नोटबंदी के कारण ‘कैश बब्बल’ यानी नकदी के ढेर से भारत बच गया। इतना ही नहीं चलनिधि यानी Liquidity की कमी से उत्पन्न हुई समस्या से भी मुक्ति मिली और नोटबंदी के निर्णय ने भारत को अमेरिका की 2008 जैसी महामंदी बचा लिया।

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