Home झूठ का पर्दाफाश LIES AGAINST MODI : रोजगार का वादा नहीं निभाया

LIES AGAINST MODI : रोजगार का वादा नहीं निभाया

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देश में बेरोजगारी दूर करने के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने कभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे युवाओं के लिए नौकरी पाने का एक स्थायी रास्ता तैयार हो। आज मोदी सरकार उसी स्थायी समाधान के लक्ष्य को पाने की दिशा में बढ़ रही है तो विपक्ष सरकार पर आरोप मढ़ने की कोशिश में जुटी है। विपक्ष का ये आरोप है कि मोदी सरकार वादे के मुताबिक सालाना एक करोड़ रोजगार पैदा करने में नाकाम रही है और सिर्फ योजनाओं के झांसे में लोगों को फंसा रही है। लेकिन रोजगार की दिशा में मोदी सरकार के कदम विरोधियों के तमाम दावों को झुठलाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वो चाहते हैं कि देश के युवा job seeker के बजाय job creator बनें। आइये देखते हैं प्रधानमंत्री की इस सोच के साथ उनकी सरकार रोजगार के मोर्चे पर कौन-कौन से बड़े कदम उठा चुकी है:

स्किल डेवलपमेंट
देश में पहली बार मोदी सरकार ने ही स्किल डेवलपमेंट यानी कौशल विकास को लेकर एक समग्र और राष्ट्रीय नीति तैयार की। इसके लिए 21 मंत्रालयों और 50 विभागों में फैले कौशल विकास के कार्य को विशेष तौर पर गठित हुए कौशल विकास मंत्रालय के अधीन लाया गया है। 12,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चार साल में एक करोड़ युवकों को प्रशिक्षित करना है। कौशल विकास के तहत अब तक 56 लाख से ज्यादा युवा प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जिनमें से करीब 24 लाख अपने हुनर से जुड़े क्षेत्र में रोजगार पा चुके हैं।

स्टार्ट अप
देश में स्टार्ट अप के लिए अपनी तरह की पहली नीति लॉन्च की गई। यह योजना उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है जो अपना खुद का कारोबार शुरू करना चाहते हैं। इसके तहत कारोबार शुरू करने की इच्छा रखने वाले लोगों को आर्थिक मदद दी जाती है, साथ ही पहले तीन साल तक टैक्स में छूट भी मिलती है। इसकी शर्तों में ये भी शामिल किया जा रहा है कि किसी स्टार्ट अप से कितने लोगों को रोजगार मिलेगा।
मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लघु-मंझोले कारोबार के क्षेत्र में अब तक करीब 4.5 करोड़ लोग लाभान्वित हो चुके हैं। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जिन्होंने इस योजना का फायदा उठाते हुए अपने कारोबार की शुरुआत की।  सब्जी विक्रेता, सैलून और खोमचे वालों को भी इस योजना के तहत मामूली ब्याज दरों पर ऋण दिए जाते हैं। रोजगार को गति देने वाली इस योजना का फायदा लेने वालों में 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं। इस योजना के तहत 50 हजार रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं और पहली कैटेगरी के लोन पर किसी गारंटी की भी जरूरत नहीं। इससे रोजगार सृजन करने और देने वालों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।


डिजिटल इंडिया
डिजिटल इंडिया की योजना से युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं। सरकार के हर क्षेत्र में ई- क्रांति के कदम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांवों और गैर महानगरीय शहरों को नये उत्पाद और सेवा देने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है। ऑनलाइन रीसेल के कारोबार में भी भारी तेजी देखी गई है और महिलाओं में घर बैठे इस बिजनेस को अपनाने का चलन बढ़ा है।

सरकार की योजनाओं से रोजगार के नये द्वार
इतना ही नहीं मोदी सरकार की पहल से ऐसे ढेर सारे और काम भी चल रहे हैं, जिनके चलते रोजगार के अवसरों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। सड़क, आवास, रेल, परिवहन, कृषि क्षेत्र की तमाम योजनाओं ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाया ही नहीं है, बल्कि उसे लाभप्रद भी बनाया है। 2016-17 में देश में शुरू होने वाले औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में 29% की बढ़ोतरी हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार के कितने सारे मौके निकल रहे हैं।

युवाओं को भा रहा है नौकरी सृजन का आइडिया  
मोदी सरकार रोजगार को लेकर कांग्रेस शासन में दिखी घिसी-पिटी सोच से अलग और आधुनिक ढर्रे पर काम कर रही है। वो सिर्फ रोजगार के लिए रोजगार पैदा करने की खानापूर्ति पर काम नहीं कर रही, बल्कि एक ऐसा वातावरण बना रही है जिससे रोजगार पाने वाले और रोजगार पैदा करने वाले दोनों का विकास हो। सरकार ने एक करोड़ रोजगार मुहैया कराने का वादा किया था, लेकिन स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप इंडिया जैसे कदम बता रहे हैं कि आने वाले पांच सालों में इस लक्ष्य से भी कहीं ऊपर का आंकड़ा हासिल किया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि सरकार की नई नीतियों के बाद देश में पहली बार ऐसा माहौल बना है कि jobseekers भी job creators बनना चाहते हैं।   

अगले 5 साल में रोजगार की बौछार
युवाओं को रोजगार और उद्योगों को रोजगार सृजन के काबिल बनाने की दिशा में मोदी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, जल्दी ही जमीन पर उसके परिणाम देखने को मिलेंगे। अकेले आईटी सेक्टर में 25 से तीस लाख नौकरियां पैदा होने वाली हैं। सिर्फ 2017 में 1 लाख 70 हजार नौकरियों के अवसर बनते दिख रहे हैं। पिछले तीन साल में आईटी सेक्टर ने 6 लाख नौजवानों को नौकरी दी है। अभी इस सेक्टर में 39 लाख लोग रोजगार से जुड़े हैं।

आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट और रिटेल समेत देश के कम से कम 24 सेक्टरों में आने वाले पांच सालों में करीब 12 करोड़ स्किल्ड कामगारों की आवश्यकता होगी, जहां सरकार की योजनाओं के तहत प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसर होंगे। विपक्ष की नींद ये सोच-सोचकर उड़ी है कि बेरोजगारी की समस्या जैसे जटिल मुद्दे पर भी मोदी सरकार ने सफलता हासिल कर ली..तो फिर वो अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने कहां जाएगा?

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