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महिला सशक्तिकरण: नीना सिंह बनीं CISF की पहली महिला महानिदेशक

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हर स्तर पर महिलाओं के सम्पूर्ण विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। मोदी सरकार महिलाओं के हाथों में एक के बाद एक क्षेत्र में कमान सौंप रही है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा महिलाओं को उचित मौका देने और उन पर भरोसा जताने से न केवल महिलाओं में आत्मविश्वास जगा है, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी हो रही हैं। अब सीनियर आईपीएस अधिकारी नीना सिंह पुरुषों के दबदबे वाले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की पहली महिला महानिदेशक (DG) बनाई गई हैं। मूलरूप से बिहार के पटना की रहने वाली नीना सिंह राजस्थान कैडर की आईपीएस अधिकारी हैं। नीना सिंह पहले सीआईएसएफ की एडिशनल डायरेक्टर जनरल (ADG) थी। वो पहले राजस्थान की पहली महिला डीजी भी रही हैं। नीना सिंह केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में संयुक्त निदेशक के रूप में भी काम कर चुकी हैं। साल 2005 में उन्हें पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।

पीएम मोदी की प्रेरणा से सुरक्षा बलों में नारीशक्ति का जलवा
प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। खेल का मैदान हो या जंग का मैदान या फिर सरहद की सुरक्षा, हर मोर्चे पर देश की बेटियां देश का सिर ऊंचा कर रही हैं। मोदी सरकार ने दूरगामी योजना के तहत सैन्य सेवाओं में महिलाओ के बड़े स्तर पर प्रवेश और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। इनमें एक महत्वपूर्ण निर्णय यह लिया गया कि भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को भी कमांडर की भूमिका मिले जिससे वे अपनी टीम को लीड कर सकें। इसी का नतीजा है कि साल 2023 में महिला अफसरों ने ऐसे पदों को संभाल कर इतिहास रच दिया जिन पदों को अब तक पुरुष ही संभालते रहे थे।

साल 2023 में 10 महिला अफसरों ने उन पदों को संभाला जिन पर अब तक पुरुषों का वर्चस्व था। आइए डालते हैं इस पर एक नजर –

1. प्रेरणा देवस्थलीः भारतीय नौसेना के युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी
नौसेना ने लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा देवस्थली को 2 दिसंबर 2023 को युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी नियुक्त किया। उन्हें भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में वॉटरजेट एफएसी आईएनएस ट्रिंकट के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में चुना गया है। लेफ्टिनेंट कमांडर प्रेरणा को एक अन्य टोही विमान, पी8आई पर अपनी सेवा के बाद, समुद्री टोही विमान टुपोलेव टीयू-142 पर पहली महिला पर्यवेक्षक होने का गौरव प्राप्त हुआ है। नौसेना की यह घोषणा महिला कर्मियों के लिए ‘सभी भूमिकाएं-सभी रैंक’ दर्शन के प्रति भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। 2009 में भारतीय नौसेना में शामिल हुईं प्रेरणा एक नौसैनिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

2. मनीषा पाढ़ीः देश की पहली महिला एडीसी बनी, रचा इतिहास
वायु सेना की एक महिला अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर मनीषा पाढ़ी को 29 नवंबर 2023 को भारतीय सशस्त्र बल में भारत की पहली महिला सहायक-डी-कैंप (एडीसी) के रूप में नियुक्त किया गया। इसी के साथ मनीषा पाढ़ी देश की पहली महिला एडीसी बन गईं। मिजोरम के राज्यपाल डॉ हरि बाबू कुंभपति ने साल 2015 बैच की वायु सेना अधिकारी रहीं मनीषा पाढ़ी को पहली महिला एडीसी के रूप में नियुक्त किया। भारत में एड-डी-कैंप एक ऐसे सम्मान की उपाधि है, जिसे पोस्ट-नॉमिनल लेटर एडीसी से सम्मानित किया जाता है। भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख सहित सेवा प्रमुखों के पास आमतौर पर तीन सहायक डे-कैंप होते हैं और राष्ट्रपति के पास पांच सहायक डे-कैंप होते हैं।

3. सुनीता बीएसः दिल्ली कैंट की पहली महिला कमांडिग अफसर बनी
सेना मेडिकल कोर की अधिकारी कर्नल सुनीता बीएस ने 21 नवंबर 2023 को सशस्त्र बल रक्त-संचार केन्द्र, दिल्ली कैंट की पहली महिला कमांडिग आफीसर बनकर इतिहास रच दिया। इससे पहले उन्होंने अरूणाचल प्रदेश में रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण फील्ड हास्पिटल में कमांडिग आफीसर की चुनौतीपूर्ण भूमिका को बखूबी निभाया जहां उन्होंने युद्ध क्षेत्र की सबसे बेहतर संभावित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराईं। रोहतक के स्नातकोत्तर चिकित्सा विज्ञान संस्थान से स्नातक, कर्नल सुनीता रोग विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमडी और डीएनबी) डिग्री धारक हैं।

4. शुचिता शेखरः मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बटालियन की कमांड संभालने वाली पहली महिला अधिकारी
लेडी कमांडर कर्नल शुचिता शेखर ऐसी पहली वुमेन आर्मी अफसर हैं, जिन्हें कम्युनिकेशन जोन मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बटालियन की कमांड 5 जून 2023 को सौंपी गई। कर्नल शुचिता शेखर सेना सेवा कोर की पहली महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने पूरी तरह से परिचालन उत्तरी कमान की आपूर्ति श्रृंखला के रखरखाव के लिए जिम्मेदार कम्युनिकेशन जोन मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बटालियन की कमान संभाली है। पठानकोट स्थित ‘कम्युनिकेशन जोन मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट बटालियन’ का प्रभार कर्नल शेखर ने कर्नल एनपीएस संधू से ग्रहण किया है।

5. पांच महिला अधिकारीः पहली बार लड़ाकू रेजिमेंट में किया गया शामिल
भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में पहली बार 29 अप्रैल 2023 में महिलाओं को मौका मिला। आर्टिलरी रेजिमेंट में पांच महिला अधिकारियों को कमीशन किया गया। ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्नई में सफल प्रशिक्षण के बाद ये महिला अधिकारी आर्टिलरी रेजिमेंट का हिस्सा बन गईं।रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी में शामिल होने वाली महिला अधिकारियों में लेफ्टिनेंट महक सैनी, लेफ्टिनेंट साक्षी दुबे, लेफ्टिनेंट अदिति यादव और लेफ्टिनेंट पवित्र मुदगिल शामिल हैं। पांच महिला अधिकारियों में से तीन को चीन की सीमा पर तैनात इकाइयों में तैनात किया गया है और अन्य दो को पाकिस्तान से लगती सीमा के पास “चुनौतीपूर्ण स्थानों” पर तैनात किया गया है।

6. दीपिका मिश्राः वीरता पुरस्कार पाने वाली वायुसेना की पहली महिला अधिकारी बनीं
विंग कमांडर दीपिका मिश्रा 20 अप्रैल 2023 को भारतीय वायुसेना का गैलेंटरी अवॉर्ड (वीरता पुरस्कार) पाने वाली पहली महिला अधिकारी बन गईं। राजस्थान की कोटा की रहने वाली हेलीकॉप्टर पायलट मिश्रा को मध्य प्रदेश में बाढ़ राहत अभियान के दौरान ‘अदम्य साहस’ का प्रदर्शन करने के लिए वायुसेना मेडल (गैलेंटरी) से अलंकृत किया गया है। दीपिका ने मध्य प्रदेश में बाढ़ राहत अभियान के दौरान 47 से ज्यादा लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। दीपिका मिश्रा साल 2006 में भारतीय वायुसेना की कोटा से पहली महिला फ्लाइंग अफसर बनी थी। दीपिका सारंग टीम की भी पहली महिला अफसर रही हैं।

7. गीता राणाः लद्दाख में फील्ड वर्कशॉप को कमांड करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी
भारतीय सेना के कॉर्प्स ऑफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड मकैनिकल इंजीनियर्स की कर्नल गीता राणा ने इतिहास रच दिया। वह 9 मार्च 2023 को पूर्वी लद्दाख के अग्रिम मोर्चे पर फील्ड वर्कशॉप को कमांड करने वाली भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी बन गईं। भारतीय सेना ने महिला अधिकारियों को भी कमांडर की भूमिका में लेने की मंजूरी दी है। जिसके बाद कर्नल गीता यह उपलब्धि पाने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं।

8. शालिजा धामीः वायुसेना में लड़ाकू इकाई की पहली महिला कमांडर बनी
भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन शालिजा धामी को 8 मार्च 2023 को पश्चिमी सेक्टर में अग्रिम लड़ाकू इकाई का कमांडर नियुक्त किया गया। वह वायुसेना में लड़ाकू इकाई की पहली महिला कमांडर हैं। ग्रुप कैप्टन धामी 2003 में हेलीकाप्टर पायलट के रूप में वायुसेना में भर्ती हुई थीं और उन्हें 2,800 घंटों से ज्यादा का उड़ान अनुभव है। वह क्वालीफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं और पश्चिमी सेक्टर में हेलीकाप्टर यूनिट की फ्लाइट कमांडर रह चुकी हैं। वह वर्तमान में एक अग्रिम कमान मुख्यालय की आपरेशंस ब्रांच में पदस्थ हैं।

9. सुरभि जाखमोलाः पहली बार भारत की बेटी विदेश में संभालेगी BRO का असाइनमेंट
सुरभि पहली महिला अधिकारी हैं जिनकी सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के किसी विदेशी प्रोजेक्ट पर तैनाती की गई है। भारतीय सेना अधिकारी कैप्टन सुरभि जाखमोला को 11 जनवरी 2023 को भूटान में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के प्रोजेक्ट दंतक में तैनात किया गया है। वह बीआरओ में विदेशी असाइनमेंट पर तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। बीआरओ भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क को तैयार और उसका रखरखाव करता है। ये भारतीय सेना के साथ करीबी में रहते हुए सड़कों का निर्माण करता है। इसके लिए भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर्स, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, मिलिट्री पुलिस के जवानों और अधिकारियों द्वारा काम किया जाता है।

10. शिवा चौहानः सियाचिन में तैनात होने वाली पहली महिला कैप्टन
कैप्टन शिवा चौहान 2 जनवरी 2023 को दुनिया की सबसे ऊंची युद्धक्षेत्र सियाचिन में सक्रिय रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं हैं। सियाचिन बैटल स्कूल में कैप्टन शिवा चौहान को कठोर प्रशिक्षण दिया गया था, जिसमें बर्फ की दीवार पर चढ़ना, हिमस्खलन और हिमस्खलन बचाव के अभ्यास शामिल थे। कैप्टन शिव चौहान इस साल 2 जनवरी को एक कठिन चढ़ाई के बाद सियाचिन ग्लेशियर में शामिल हुई थीं। फायर एंड फ्यूरी सैपर्स की कैप्टन शिवा चौहान दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद कुमार पोस्ट में ऑपरेशनल रूप से तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। उन्होंने कहा कि आजकल नौकरी के सभी क्षेत्रों में महिला अधिकारियों को पर्याप्त अवसर दिए जाते हैं और वे अपने पुरुष समकक्ष के बराबर समान रूप से कार्यरत हैं। पीएम मोदी ने 3 जनवरी को उनकी तैनाती पर सराहना कहा कि थी। उन्होंने ट्वीट किया, “यह भारत की नारी शक्ति की भावना को दर्शाते हुए हर भारतीय को गौरवान्वित करेगा।”

 हर सेक्टर में आगे बढ़ रही नारी शक्ति

आइए देखते हैं कि मोदी सरकार से मिल रहे प्रोत्साहन के कारण महिलाएं किस तरह बुलंदियों को हासिल कर रही हैं…

महिला सशक्तिकरण के सबसे सशक्त समर्थक और पैरोकार हैं प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी ने महिला सशक्तिकरण के सबसे सशक्त समर्थक और पैरोकार प्रधानमंत्री के रूप में पहचान बनाई है। देश में माताओं-बहनों और बेटियों के उत्थान के लिए पीएम मोदी इस कदर समर्पित हैं, उनकी ज्यादातर योजनाओं के मूल में इन्हीं का उत्थान समाहित होता है। वे हमेशा बेटियों को आगे बढ़ने, देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। यही वजह है कि खेलों से लेकर सेना तक, स्टार्टअप्स से लेकर उद्यमिता तक में महिलाओं ने देश का नाम रोशन किया है। प्रधानमंत्री मोदी खुद भी महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के प्रति हमेशा सजग रहे हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स और डेफलंपिक खेलों में भारतीय महिला खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम दुनियाभर में रोशन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी युवाओं और खिलाड़ियों की खूब हौंसला-अफ्जाई करते हैं। देश का नाम रोशन करने वाली युवा खिलाड़ी इस सम्मान से अभिभूत होती हैं।

कई कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की भागीदारी आधी से ज्यादा
महिलाओं को सशक्त करने की इसी कड़ी में देश सबसे ज्यादा नामी कंपनियों में महिलाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। कई कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। दर्जनों कंपनियों के बोर्ड में लगातार इस भागीदारी को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। टॉप 500 में से 22 कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से भी अधिक हैं। विदेश से तुलना करें तो अमरीका के एसएंडपी 500 कंपनियों के बोर्ड में 35 प्रतिशत महिलाएं हैं। कंपनीज एक्ट में बदलाव के बाद अब भारत की किसी भी कंपनी में 5 बोर्ड सदस्यों में एक महिला निदेशक का होना जरूरी है। यही वजह है कि 10 वर्षों में महिलाएं शीर्ष पदों पर बड़ी संख्या में दिखने लगी हैं।

कंपनियों में शीर्ष पदों पर बैठी महिलाएं पूरा कर रहीं पीएम मोदी का विजन
देश की टॉप 500 यानी निफ्टी 500 की कंपनियों के निदेशक मंडल में अब महिलाओं का भागीदारी 20% हो गई है जो मोदी सरकार से पहले यानी 2013 में महज 5 प्रतिशत थी। यानी हर 5 बोर्ड सदस्य में अब एक महिला शामिल हैं। यह देश खासकर कॉरपोरेट सेक्टर में बढ़ती नारी शक्ति को दर्शाता है। कई कंपनियां तो ऐसी हैं जिनके बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी 50% से ज्यादा है। दर्जनों ऐसी कंपनियां भी हैं, जिनके बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास निरंतर जारी हैं। 500 कंपनियों में से 223 कंपनियों के निदेशक मंडल में एक महिला डायरेक्टर को शामिल कर लिया गया है। 885 महिला डायरेक्टर देश की टॉप 500 कंपनियों में, इनमें कुल बोर्ड सदस्यों की संख्या 4,783 है। देश की बड़ी 22 कंपनियों के बोर्ड में 40प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। ओपोलो हॉस्पिटल के बोर्ड में पुरुषों से अधिक महिलाएं हैं।

पीएम मोदी की लगातार हौसला अफ्जाई, महिला खिलाड़ियों के भी काम आई
राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों से बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि जब आप सभी वहां मुकाबला कर रहे थे, यहां करोड़ों भारतीय रतजगा कर रहे थे। देर रात तक आपके हर एक्शन, हर मूव पर देशवासियों की नजर थी।  61 मेडल के साथ पदक तालिका में चौथा स्थान के प्रदर्शन से देश में खेलों के प्रति युवाओं का रुझान बहुत बढ़ने वाला है। डेफलंपिक खेलों में इतिहास रचने वाले भारतीय खिलाड़ियों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं उन चैंपियन खिलाड़ियों से की गई बातचीत को कभी नहीं भूलूंगा, जिन्होंने डेफलंपिक्स में भारत के लिए गौरव के क्षण दिए और देश का गौरव बढ़ाने का काम किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये हमारे चैंपियन खिलाड़ियों के ही कारण संभव हुआ है कि इस बार का डेफलंपिक्स भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ रहा है। भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 17 मेडल जीते हैं, जो अब तक सबसे ज्यादा हैं।

पहली बार गोल्ड मेडल जीतकर भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने रचा इतिहास
इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने नया इतिहास रच दिया। भारतीय महिला टीम ने इस खेल में भारत को पहला कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडल जिताया। सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को करारी मात देने के बाद भारतीय महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम करके देश का नाम रोशन किया। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला लॉन बॉल्स फाइनल इवेंट में भारतीय महिला टीम ने दक्षिण अफ्रीकी महिला लॉन बॉल्स टीम के खिलाफ 17-10 से विशाल जीत दर्ज करते हुए ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता। चार महिला खिलाड़ियों की इस टीम को लवली चौबे लीड कर रही थीं। वहीं पिंकी, नयनमोनी सेकिया और रूपा रानी तिर्की टीम का हिस्सा रहीं। रूपा रानी तिर्की और लवली चौबे का झारखंड से गहरा नाता है।
महिला और पुरुष खिलाड़ियों को समान मैच फीस, क्रिकेट में लैंगिक समानता के नए युग में प्रवेश
पीएम मोदी की भावनाओं के अनुरूप भारतीय क्रिकेट में लैंगिक असमानता से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला किया गया। अब महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भी पुरुषों के बराबर मैच फीस मिलेगी। बीसीसीआई की अपेक्स काउंसिल ने यह बड़ा फैसला किया। गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र और बोर्ड के सचिव जय शाह ने इस बारे में घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है भेदभाव मिटाने की दिशा में बीसीसीआई ने पहला कदम उठाया है। हम बोर्ड से अनुबंधित महिला क्रिकेटर के लिए समान वेतन की पॉलिसी लागू कर रहे हैं। अब महिला और पुरुष दोनों क्रिकेट खिलाड़ियों को एक जैसी मैच फीस मिलेगी। इसके जरिए हम क्रिकेट में लैंगिक समानता के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं।महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए सातवीं बार एशिया कप के खिताब जीता
इस साल भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रचते हुए सातवीं बार एशिया कप के खिताब पर कब्जा किया। एशिया कप के फाइनल में भारतीय टीम ने श्रीलंका को 8 विकेट से हराया। भारत के ओर से स्मृति मंधाना ने शानदार 51 रनों की पारी खेली। फाइनल मुकाबले में भारतीय गेंदबाजों के सामने श्रीलंकाई टीम पूरी तरह से फेल नजर आई और पूरी टीम 20 ओवर्स में 9 विकेट खोकर सिर्फ 65 रन ही बना सकी। भारत के ओर से रेनुका सिंह ने सबसे अधिक 3 विकेट लिए। इस जीत के साथ ही भारतीय टीम ने सातवीं बार एशिया कप का खिताब अपने नाम कर लिया। फाइनल मुकाबले में भारत की गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया।

कर्नल अर्चना सूद के हाथ में अब बॉर्डर रोड टास्क फोर्स की कमान
बीआरओ प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने 17 फरवरी 2023 को कर्नल अर्चना सूद को 756 टास्क फोर्स का बैटन सौंपा। कर्नल सूद बॉर्डर रोड टास्क फोर्स की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं और अरुणाचल के चुनौतीपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्रों में रणनीतिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जिम्मेदार होंगी। इससे पहले वह 7 इंजीनियर रेजिमेंट, मद्रास सैपर्स में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी, 2004 में सीडीएसी पुणे में ए ग्रेडिंग, कोर पुलिस ऑफ मिलिट्री पुलिस में तैनात होने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं।

पीएम मोद ने 2018 में कहा था- सेना में महिलाओं को बराबरी का हक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने भाषण में सेना में काम रही महिलाओं को तोहफा दिया है. पीएम मोदी ने 2018 में 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने भाषण में सेना में काम रही महिलाओं को तोहफा दिया। पीएम मोदी ने महिलाओं के लिए स्थाई कमीशन की घोषणा की, जिसके माध्यम से महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही देश के लिए सेवा कर रही हैं।

सैन्य स्कूलों में लड़कियों का प्रवेश
मोदी सरकार ने सैनिक स्कूलो में लड़कियों के प्रवेश को प्रोत्साहन देने के लिए दो स्तरीय नीति अपनाई। इसके पहले चरण में सैनिक स्कूलों के द्वार लड़कियों के लिए खोलना था। जबकि दूसरे चरण में 18 नए मंजूरी प्राप्त सैनिक स्कूलों को अनुमति देना था। मोदी सरकार ने वर्ष 2018-19 में इस योजना की शुरूआत की और पहले वर्ष 6 लड़कियों को सैनिक स्कूल में प्रवेश मिला। मोदी सरकार की इस योजना को स्तर पर आम जनता का समर्थन मिला और यह इस वर्ष सैनिक स्कूलों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में बड़े स्तर पर लड़कियों के सम्मिलित होने से भी प्रदर्शित हुआ। इस वर्ष 8 जनवरी को 33 सैनिक स्कूल और 18 नए मंजूरी प्राप्त सैनिक स्कूल के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में 37,698 ल़ड़कियां प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुईं और कुल 25,837 लडकियों ने प्रवेश परीक्षा पास की। देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) के इतिहास में पहली बार जुलाई 2022 में 2 छात्राओं को प्रवेश मिला था।

ऑल-वुमन नेवी क्रू ने समुद्री निगरानी मिशन पूरा कर इतिहास रचा
पीएम मोदी के प्रोत्साहन का ही कमाल है कि महिलाएं बदलाव लाने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ कर रही हैं। इन जीतों ने परिभाषित किया कि महिलाएं वे अब नहीं रुकेंगी और देश का नाम रोशन करने के पथ पर लगातार आगे बढ़ती रहेंगी। यही वजह है कि इस वर्ष नौसेना के एक पूर्ण-महिला दल ने अरब सागर निगरानी मिशन को पूरा करके इतिहास रचा। 3 अगस्त 2022 को, नेवल एयर एन्क्लेव, पोरबंदर में स्थित भारतीय नौसेना के आईएनएएस 314 के पांच अधिकारियों ने डोर्नियर 228 विमान पर सवार होकर उत्तरी अरब सागर में पहला सर्व-महिला स्वतंत्र समुद्री टोही और निगरानी मिशन पूरा किया। विमान की कप्तानी मिशन कमांडर, लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा ने की थी, जिनकी टीम में पायलट, लेफ्टिनेंट शिवांगी और लेफ्टिनेंट अपूर्वा गीते, और सामरिक और सेंसर अधिकारी, लेफ्टिनेंट पूजा पांडा और एसएलटी पूजा शेखावत थे।
भारतीय नौसेना में अग्निवीर योजना में पहली बार महिला नाविकों को जगह मिली
इस साल पहली बार मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी अग्निवीर योजना के तहत भारतीय नौसेना में महिला नाविकों को जगह मिली है। चीफ एडमिरल आर हरि कुमार के मुताबिक लगभग 3 हजार अग्निवीरों को नौसेना में शामिल किया गया है, इनमें से 341 महिला नाविक यानी ‘वुमन-सेलर’ हैं। नौसेना में महिला अग्निवीरों को इसी नाम से जाना जाएगा। सेना में इन्हें ‘महिला जवान’ और एयरफोर्स में ‘एयर-वुमन’ के नाम से नियुक्ति होगी। नौसेना प्रमुख ने कहा है कि आने वाले सालों में इंडियन नेवी की बाकी ब्रांच में भी महिलाओं को शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। बता दें कि भारतीय सेना के तीनों अंगों में से सबसे ज्यादा नौसेना में ही महिलाओं को जगह मिली है। तीनों सेनाओं ने भरोसा दिलाया है कि इनमें अग्निवीरों के जरिए महिलाओं को भी मौका दिया जाएगा।
‘सेरांग संध्या’ भारत की बेटी जिसने संभाल ली है फेरी की कमान
केरल की 44 साल की संध्‍या पहली महिला बनीं जिन्‍हें सेरांग या बोट मास्‍टर की उपाधि मिली है। यह उपाधि मिलने के बाद वह ‘सेरांग संध्या’ के नाम से फेमस हो गई हैं। उन्हें 11 नवंबर 2022 को यह लाइसेंस मिला। उनकी सेरांग बनने की ज्‍यादातर ट्रेनिंग अलप्‍पुझा, कोट्टायम और एरनाकुल के वेम्‍बनाड में हुई। अब उनके पास 226एचपी तक की क्षमता वाले नावों और समुद्री जहाजों को चलाने का सरकारी लाइसेंस है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेरांग संध्या के बारे में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय की ओर से किए गए एक ट्वीट के जवाब में कहा, “नारीशक्ति को नमन! जल-थल और नभ में महिलाओं के नित-नए कीर्तिमान विकसित भारत के निर्माण में मील के पत्थर साबित होंगे।”

अमेरिका से ज्यादा महिला पायलट भारत में
बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा महिला पायलट भारतीय हैं और खास बात यह है कि भारत में जितनी महिला पायलट हैं, इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ विमिन एयरलाइन पायलट्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह संख्या वैश्विक औसत से ढाई गुना ज्यादा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में कुल पायलटों में से 5 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि भारत में महिला पायलटों का अनुपात 12.4 प्रतिशत है, जो विश्व में सबसे अधिक है। दुनिया में सबसे बड़े विमानन बाजार अमेरिका में महिला पायलटों की संख्या 5.5 प्रतिशत और ब्रिटेन में 4.7 प्रतिशत है। महिला पायलट अब भारत में दुर्लभ नहीं हैं, जब एयरलाइन उद्योग में विविधता की बात आती है तो देश एक सफलता की कहानी बन जाता है। देश में रीनजल एयरलाइंस में सबसे अधिक महिलाएं हैं। भारत में महिला पायलट का प्रतिशत अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत पश्चिमी देशों की तुलना में दोगुना है।

Air india की महिला पायलटों ने रचा इतिहास, पूरी की दुनिया की सबसे लंबी उड़ान
एअर इंडिया की महिला पायलटों की एक टीम ने हाल ही में दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग नॉर्थ पोल पर उड़ान भरने का कीर्तिमान रच दिया। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर से उड़ान भरने के बाद यह टीम नॉर्थ पोल से होते हुए बेंगलुरु पहुंची। इस दौरान चार महिला पायलटों ने करीब 16,000 किलोमीटर की दूरी तय की। कैप्टन जोया अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक उड़ान का नेतृत्व किया। उनके साथ को-पायलट के रूप में कैप्टन पापागरी तनमई, कैप्टन शिवानी और कैप्टन आकांक्षा सोनवरे भी शामिल रहीं। बेंगलूरु पहुंचने पर केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इन महिला पायलटों को जोरदार स्वागत किया गया।

काशी की शिवांगी सिंह बनीं राफेल की पहली महिला पायलट
उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह दुनिया की सबसे बेहतरीन युद्धक विमानों में से एक राफेल की पहली महिला पायलट बन गई हैं। साल 2015 में शिवांगी का सेलेक्शन वायुसेना में फ्लाइंग अफसर के रूप में हुआ था। शिवांगी सिंह महिला पायलटों के दूसरे बैच की हिस्सा हैं जिनकी कमिशनिंग 2017 में हुई। साल 2017 में वायु सेना में फाइटर विमान उड़ाने वाली पांच महिला पायलटों में एक शिवांगी सिंह भी थीं। अब तीसरे साल ही एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए राफेल के गोल्डन एरो स्क्वाड्रन में शामिल हो गई हैं। एक महीने के तकनीकी प्रशिक्षण में क्वालीफाई करने के बाद अब वह राफेल की टीम का हिस्सा बन गई हैं।

विंग कमांडर शालिजा धामी बनीं देश की पहली महिला फ्लाइट कमांडर
भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर शालिजा धामी फ्लाइंग यूनिट की फ्लाइट कमांडर बनने वाली देश की पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। हाल ही में उन्होंने हिंडन वायुसैनिक अड्डे में चेतक हेलीकॉप्टर के फ्लाइट कमांडर का प्रभार ग्रहण किया है। 15 साल से वायुसेना में रहते हुए देश के सेवा करने वाली शालिजा धामी चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के लिए भारतीय वायुसेना की पहली महिला योग्य फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी हैं। शालिजा धामी वायुसेना में फ्लाइंग ब्रांच की स्थायी कमीशन अधिकारी हैं।

हॉक विमान उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनीं मोहना सिंह
एयरफोर्स की फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह ने 30 मई, 2019 को एक नया इतिहास रच दिया। वह दिन में हॉक एडवांस्ड जेट में मिशन को अंजाम देने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बन गईं। वायुसेना के अनुसार फ्लाइट लेफ्टिनेंट मोहना सिंह पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा स्थित वायसेना अड्डे पर लड़ाकू विमान 4 एयरक्राफ्ट की सैन्य उड़ान पूरी कर विमान से उतारने के बाद दिन में पूरी तरह हॉफ एडवांस्ड जेट विमान संचालित करने वाली पहली महिला लड़ाकू पायलट बन गईं। मोहना सिंह को दो महिलाओं भावना कंठ और अवनी चतुर्वेदी के साथ जून 2016 में लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के लिए लड़ाकू शाखा में चुना गया था।

तीन महिला वायुसैनिकों ने MI-17 उड़ाकर रचा इतिहास
हाल ही में वायुसेना की तीन महिला अधिकारियों ने एमआई-17 हेलीकॉप्टर उड़ाकर इतिहास रच दिया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज, फ्लाइंग ऑफिसर अमन निधि और फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल मिडियम लिफ्ट हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली पहली ऑल-वीमेन टीम की सदस्य बन गईं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज एमआई 17 हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली पहिला महिला पायलट भी हैं, जबकि हिना जायसवाल देश की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर हैं।

वायु सेना की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बनीं हिना जायसवाल
वायु सेना में फ्लाइट लेेफ्टिनेंट हिना जायसवाल ने येलाहांका वायु सेना स्टेशन में कोर्स पूरा करने के बाद पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बनकर इतिहास रच दिया। चंडीगढ़ की रहने वाली हिना वायु सेना की इंजीनियरिंग शाखा में 5 जनवरी 2015 को सैनिक के रूप में भर्ती हुईं। हिना का फ्लाइट इंजीनियरिंग का कोर्स 15 फरवरी को पूरा हुआ।

लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बनी अवनी
इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। अवनी ने अकेले मिग-21 उड़ाकर एक नया इतिहास रच दिया। 19 फरवरी, 2018 को अवनी चतुर्वेदी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से अकेले ही फाइटर एयरक्राफ्ट मिग-21 से उड़ान भरी। अवनि चतुर्वेदी भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों में से एक है। अवनी के साथ मोहना सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इससे पहले देश की वायु सेना में फाइटर पायलट के रूप में तीन महिलाओं की नियुक्ति ने पूरे देश को गर्व से भर दिया था। अवनी चतुर्वेदी, भावना कंठ और मोहना सिंह भारतीय वायु सेना के उस लड़ाकू बेड़े में शामिल की गई थीं। यह अपने-आप में बहुत बड़ी उपलब्धि भी है और बहुत बड़ी मिसाल भी।

राजपथ पर महिला कमांडो का हैरतअंगेज करतब
गणतंत्र दिवस परेड, 2018 में पहली बार बाइक पर हैरतअंगेज करतब दिखाने के लिए महिला कमांडो के दस्ते को शामिल किया गया। अब तक ऐसा सेना के जवान करते रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि बुलेट पर महिला कमांडो पिरामिड, उल्टे-सीधे खड़े होकर अखबार पढ़ते और चाय पीते नजर आईं। महिला दस्ता में शामिल 106 महिला कमांडो ने 26 बाइक पर विजय चौक से इंडिया गेट तक (तीन किलोमीटर) अलग-अलग हैरतअंगेज करतब का प्रदर्शन किया। दस्ते में शामिल महिला कमांडो नेपाल, म्यांमार, भूटान, बांग्लादेश सीमा पर तैनात हैं। साहस और जोखिम उठाने के मामले में ये किसी से कम नहीं हैं। इस दस्ते का नाम सीमा भवानी रखा गया है। बीएसएफ की देशभर की यूनिट में से चयनित 106 महिला कमांडो को 15 महीने का विशेष प्रशिक्षण सीमा सुरक्षा बल अकादमी, टेकनपुर स्थित केंद्रीय मोटर गाड़ी प्रशिक्षण में दिया गया।

राजपथ पर पहली बार महिला सशक्तीकरण का प्रदर्शन
इसके पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महिला सामर्थ्य पर अटल विश्वास की झलक उसी समय दिख गई थी, जब राजपथ पर देश के 66वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पहली बार तीनों सेनाओं के एक विशेष महिला दस्ते ने मार्च करके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया। इस अवसर पर अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

नाविक सागर परिक्रमा पर निकली महिला अधिकारी
नौसेना की 6 साहस से भरी महिला अधिकारियों ने नाविक सागर परिक्रमा नामक मिशन आईएलएसवी नौका तारिणी के जरिए पूरा किया। सभी महिला सदस्यों के इस दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने किया।

राजस्थान का गांधी नगर बना ‘ऑल वुमेन रेलवे स्टेशन’
जयपुर का गांधीनगर रेलवे स्टेशन देश का पहला ऐसा रेलवे स्टेशन है, जिसे केवल महिलाएं ही संभाल रही हैं। इससे पहले मुम्बई के माटुंगा को ‘ऑल वुमेन स्टेशन’ बनाया गया था, लेकिन वह सब-अर्बन रेलवे स्टेशन है। गांधी नगर रेलवे स्टेशन को स्टेशन मास्टर से लेकर गेटमैन तक कुल 40 महिलाओं की टीम संभाल रही हैं।

 

माटुंगा रेलवे स्टेशन का संचालन कर बनाया रिकॉर्ड
मुंबई के माटुंगा रेलवे स्टेशन का संपूर्ण प्रभार महिला कर्मचारियों पर है। यहां स्टेशन मास्टर से लेकर टिकट कलेक्टर तक महिलाएं हैं। माटुंगा देश का पहला ऐसा सब-अर्बन रेलवे स्टेशन है, जिसकी कमान पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है। इसी खासियत ने इस स्टेशन को 2018 के लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल करा दिया है। महिलाओं की क्षमता पर हमेशा भरोसा जताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार मध्य रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने माटुंगा रेलवे स्टेशन पर सिर्फ महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने का फैसला किया था। इसके बाद वहां स्टेशन मैनेजर, बुकिंग स्टॉफ, टिकट चेकर, आरपीएफ जवान, सफाई कर्मचारी समेत सभी पदों पर महिला कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी और 12 जुलाई, 2017 को स्टेशन का संचालन उन्हें सौंप दिया गया था।

सरकार महिलाओं पर विश्वास जताए तो महिलाएं कोई भी मुश्किल कार्य का सफलता से संचालन कर सकती है। यही वजह है कि इस स्टेशन को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह मिली है।

अब बच्चे का Surname मां कर सकती है तय, महिला को सुरक्षित गर्भपात का भी अधिकार
पीएम मोदी मुस्लिम महिलाओं के हित में तीन तलाक को खत्म करके नया कानून लाए थे। इस साल सुप्रीम कोर्ट ने भी महिलाओं के हित में ऐतिहासिक फैसले लिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर में घोषणा की कि प्रत्येक महिला को गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह के बीच कानूनी और सुरक्षित गर्भपात का अधिकार है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि महिला विवाहित है या नहीं, उसे यह अधिकार है कि वह गर्भावस्था को अवधि तक ले जाए या नहीं। वहीं सर्वोच्च अदालत ने कहा कि चूंकि महिला के शरीर के अंदर एक भ्रूण विकसित होता है, इसलिए उसे निर्णय लेने की पूरी स्वायत्तता है। इससे पहले जुलाई सुप्रीम कोर्ट ने माताओं को अपने बच्चों का उपनाम तय करने का अधिकार दिया। फैसले में कहा गया, “बच्चे की एकमात्र प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते मां को बच्चे का Surname तय करने का अधिकार है।”

बेटियों के भविष्य को सुरक्षित और सशक्त बनाए सुकन्या समृद्धि योजना
मोदी सरकार ने बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए 22 जनवरी, 2015 को सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की थी। योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाएंगे। वर्तमान में इन खातों में जमा राशि पर 7.6 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज दिया जा रहा है। बेटियों के भविष्य के लिए पैसा जोड़ने को यह एक बेहतरीन योजना है। कोई भी व्यक्ति अपनी 10 साल तक की बेटी के लिए यह खाता खुलवा सकता है। बेटी के 21 साल के होने पर अकाउंट मैच्योर हो जाता है। बालिकाओं के सुनहरे और सुरक्षित भविष्य के लिए बनाई गई इस योजना के तहत उन्हें पूरी शिक्षा और 18 साल की होने पर शादी के खर्च की व्यवस्था सुनिश्चित होती है। सुकन्या समृद्धि योजना में सालाना कम से कम 250 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये जमा किया जा सकता है। इसमें जमा की जाने वाली राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कटौती का लाभ मिलता है।

आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को पूरा कर रहीं महिलाएं
आज महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर अपने सपनों को पूरा कर रहीं हैं। देश के आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब लोगों का सपना होता है कि अपनी जमीन और अपना घर हो। प्रधानमंत्री मोदी उनको वित्तीय सहायता देकर उनके सपने को पूरा कर रहे हैं। मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की, जो गरीबों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। इन योजनाओं का लाभ लेकर आर्थिक रूप से कमजोर लोग जमीन और घर का मालिक बन रहे हैं। इन योजनाओं के लाभार्थियों में ज्यादातर महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना या स्वामित्व योजना से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। इन योजनाओं के तहत महिलाएं होम लोन लेने में पहली बार बड़ी तादाद में आगे आई हैं। आंकड़ों के मुताबिक ऐसा पहली बार हुआ है कि 16 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है। यहीं नहीं देश के कुछ जिलों में तो होम लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या 80 प्रतिशत को पार कर गई है।

पीएम मोदी की पहल से महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू हुईं
पीएम मोदी की पहल से उज्जवला योजना, नल जल योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, मातृत्व वंदना योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना आदि योजनाएं शुरू की गई जिससे महिलाएं लाभान्वित हुई। मोदी सरकार ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया, वर्क प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों पर फांसी जैसी सजा का प्रावधान किया। सैनिक स्कूलों में बेटियों के दाखिले की शुरुआत हुई। पीएम मोदी की पहल से पहली बार देश को महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिली है।

 महिला सम्‍मान बचत पत्र में मिलेगा 7.5 प्रतिशत ब्याज
मोदी सरकार ने बजट 2023 में महिलाओं के लिए नई बचत योजना का ऐलान किया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि आजादी के अमृत मोहत्सव के अवसर पर सरकार महिलाओं के सम्मान में एक नई सेविंग स्कीम महिला सम्मान बचत पत्र पेश कर रही है। इसके तहत महिला या लड़की के नाम पर दो लाख रुपये तक का निवेश किया जा सकेगा और इस बचत पर 7.5 प्रतिशत का निश्चित ब्याज मिलेगा। ये योजना मार्च 2025 तक लागू रहेगी। यह एक वन टाइम न्यू सेविंग स्कीम है। कोई भी महिला या लड़की 31 मार्च 2025 तक इसका अकाउंट खुलवा सकती है और ज्यादा ब्याज दर का फायदा उठा सकती है। सर्टिफिकेट की मेच्योरिटी अवधि पूरी होने पर, आपकी कुल जमा और ब्याज को मिलाकर, पूरा पैसा वापस मिल जाएगा। कोई जरूरत पड़ने पर इस अकाउंट से कुछ पैसे निकालने की भी छूट रहेगी। सुकन्या समृद्धि खाता सिर्फ 10 साल से कम उम्र की बच्चियों के लिए खुलवाया जा सकता है। जबकि महिला सम्मान बचत पत्र का फायदा किसी भी उम्र की महिला को मिल सकता है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
भारत में आजादी के बाद से महिलाओं के कल्याण को लेकर सैकड़ों स्कीमें बनीं लेकिन इसके बावजूद देश के हजारों गांवों में अभी भी ऐसी महिलाएं थी जिन्हें दिन के तीन पहर चूल्हे के सामने बैठकर खाना पकाना पड़ता था। लेकिन नए भारत में सब कुछ बदल चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल का तीसरा बरस शुरू होने से पहले 1 मई 2016 को देश में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई। इस योजना ने जहां महिलाओं को चूल्हे के धुएं से ​मुक्ति प्रदान की वही उज्ज्वला स्कीम मोदी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में शुमार की गई। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश की 18 वर्ष से अधिक उम्र की एपीएल, बीपीएल तथा राशन कार्ड धारक महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध करवाई जाती है। इसके तहत महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर के साथ फ्री गैस चूल्हा दिया जाता है जिसके अंतर्गत लाभार्थियों को रिफिल एवं हॉट प्लेट, एलपीजी गैस कनेक्शन के साथ निशुल्क प्रदान की जाती है। लाभार्थियों को गैस स्टोव खरीदने के लिए ब्याज मुक्त लोन भी मुहैया करवाया जाता है। आज बड़ी संख्या में महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
वर्ष 2011 की जनगणना में कन्या लिंगानुपात में कमी को ध्यान में रखते हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 22 जनवरी 2015 को की गई थी। केंद्र सरकार का उद्देश्य इस योजना द्वारा बेटियों के प्रति समाज में होने वाले नकारात्मक रवैये के प्रति जागरूकता फैलाना और विभिन्न योजनाओं के जरिए उनका कल्याण करना है। इसके अलावा बच्चियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित कर महिला सशक्तिकरण की ओर अग्रसर करना भी इस योजना का मकसद है। यह योजना उन महिलाओं की काफी मदद करती है, जो घरेलू या किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित हैं। इसमें महिलाओं को यह सुविधा दी गई है कि मदद के समय वे कभी भी पुलिस, कानून और चिकित्सा जैसी सुविधाएं ले सकती हैं। इसके लिए महिलाओं को टोल फ्री नंबर 181 पर फोन करना होगा। जिसके बाद उन्हें सभी तरह की मदद प्रदान कराई जाएगी।

फ्री सिलाई मशीन योजना
फ्री सिलाई मशीन योजना का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देश की महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए किया गया है। देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और उनके इरादों को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार ने मुफ्त सिलाई मशीन योजना चलाई है जिसके तहत महिलाओं को मुफ्त सिलाई मशीन दी जा रही है। सरकार का यह प्रयास है कि देश की महिलाओं को सशक्त बनाया जाए। प्रधानमंत्री ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुफ्त सिलाई मशीन परियोजना शुरू की है। जिन महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई के काम में रुचि है और इसको अपना प्रोफेशन बनाना चाहती हैं। उनके लिए यह योजना काफी फायदेमंद है। इस फ्री सिलाई मशीन योजना से महिलाएं सिलाई मशीन प्राप्त करके घर बैठे अपना काम शुरू कर सकती हैं और अच्छी आमदनी अर्जित कर सकती हैं। इस योजना का लाभ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रो की आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं उठा सकती हैं। 20 साल से 40 साल तक की महिलाएं इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। मोदी सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश में भी 50 हजार से ज्यादा महिलाओं को फ्री में सिलाई मशीनें दी जा रही हैं।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
देश भर में गर्भवती महिलाओं को व्‍यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिये ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को 2016 में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित नौ तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के चार महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा। इसके तहत चिकित्सकों व विशेषज्ञों द्वारा दूसरी या तीसरी तिमाही की सभी गर्भवती महिलाओं को कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना को केंद्र सरकार द्वारा 10 अक्टूबर 2019 को आरंभ किया गया था। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती महिला तथा उनके शिशु को विभिन्न प्रकार की निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती है जिससे कि गर्भवती महिलाएं एवं उनके बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट लाई जा सके। सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना के तहत वह परिवार जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने परिवार की गर्भवती महिला की सही से देखभाल नहीं कर पाते या जिनके परिवार वाले हॉस्पिटल्स का खर्चा तक नहीं उठा पाते हैं उन महिलाओं को इस योजना के अंतर्गत पूरी देखभाल की जाएगी, जिसमे महिला के गर्भवती होने के 6 महीने से लेकर बच्चे के जन्म के 6 महीने तक मुफ्त इलाज, दवाइयां और स्वास्थ्य से सम्बंधित अन्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाएंगी और इसके अलावा महिला की डिलीवरी के समय घर से हॉस्पिटल तक ले जाने का खर्चा भी मुफ्त में होगा। इस योजना के तहत प्रसव से पहले गर्भवती महिला चार बार अपना फ्री में चेकअप करवा सकती हैं जिससे उन्हें अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पता चलता रहेगा। योजना का लाभ देश की सभी गर्भवती महिला ले सकेंगी इसके लिए उन्हें ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर आवेदन फॉर्म व इससे सम्बंधित जानकारी प्राप्त करनी होगी।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना
प्रधानमंत्री गर्भावस्था सहायता योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा 6000 रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। गर्भवस्था सहायता योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 1 जनवरी 2017 को की गयी थी। प्रधानमंत्री गर्भावस्था सहायता योजना 2021 के अंतर्गत पहली बार गर्भधारण करने वाली तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओ को यह आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। गर्भावस्था सहायता योजना को Matritva Vandana Yojana 2022 के नाम से भी जाना जाता है। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के अंतर्गत महिलाओं को बच्चे का जन्म होने पर 6000 रुपए की राशि प्रदान की जाती है। यदि परिवार में दूसरी बेटी जन्म लेती है तो उस स्थिति में भी अब सरकार 6000 रुपए की राशि प्रदान करेगी। सरकार द्वारा पहले यह राशि 3 किस्तों में प्रदान की जाती थी अब इसे 2 किस्तों में प्रदान की जाएगी। यह योजना देश की महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने में कारगर साबित हो रही है, इसके अलावा महिलाओं के जीवन स्तर में भी सुधार आया है।

मातृत्व अवकाश, मातृत्व लाभ
वर्तमान सरकार ने नया मातृत्व लाभ संशोधित कानून एक अप्रैल 2017 से लागू कर दिया है। संशोधित कानून के तहत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ा कर 26 सप्ताह कर दी है। इसके तहत 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थान में एक तय दूरी पर क्रेच सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य है। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट है। मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी 2017 से लागू है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति
प्रधानमंत्री मोदी आधी आबादी के हक की लड़ाई में हमेशा सबसे आगे रहे हैं। 2014 में जब पीएम मोदी ने पहली बार देश की बागडोर संभाली थी, तभी से महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को समाज में सम्मान दिलाना, महिलाओं की आर्थिक उन्नति, महिलाओं की शिक्षा उनके एजेंडे की प्राथमिकता में रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के कारण देश के करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को 1400 साल पुरानी तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति मिली है। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के दलदल से निकालने वाले बिल को लेकर हर बार राज्यसभा में हार का सामना करना पड़ता था, लेकिन पीएम मोदी ने कभी हार नहीं मानी। मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए पीएम मोदी हमेशा आगे रहे और इस बार आखिर उन्हें कामयाबी मिल ही गई। आज देशभर की करोड़ों मुस्लिम महिलाएं खुशी में झूम रही हैं, उन्हें तीन तलाक की बेड़ियों से आजादी मिल चुकी है।

हज के लिए ‘महरम’ की अनिवार्यता खत्म
पीएम मोदी के प्रयास से भारतीय मुस्लिम महिलाएं बिना ‘महरम’ के हज यात्रा पर जा सकती हैं। गौरतलब है कि आजादी के 70 वर्षों बाद प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर भारत की मुस्लिम महिलाओं को अकेले भी हज यात्रा पर जाने का हक मिला है।

51 हजार रुपये का ‘शादी शगुन’
केंद्र सरकार उन अल्पसंख्यक लड़कियों को 51,000 रूपये की राशि बतौर ‘शादी शगुन’ दे रही है जो स्नातक की पढ़ाई पूरी करेंगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था ‘मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ (एमएईएफ) ने मुस्लिम लड़कियों की मदद के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया।

बालिका शिक्षा की योजनाएं
उड़ान (UDAAN) योजना बालिका शिक्षा के प्रति समर्पित है, ताकि छात्राओं के प्रवेश को बढ़ावा दिया जा सके। इसका मकसद पूर्वोत्तर राज्यों के चुनिंदा स्कूली विद्यार्थियों और इंजीनियरिंग छात्रों को उनकी छुट्टियों के दौरान आईआईटी,एनआईटी और आईआईएसईआर से जोड़ना है। यूएसटीटीएडी ने परंपरागत कला और शिल्पकारी में कौशल और प्रशिक्षण को बेहतर बनाने की मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य परंपरागत कारीगरों की क्षमता को बढ़ाना, परंपरागत कला और शिल्प का मानकीकरण, उनका दस्तावेजीकरण और उन्हें बाजार से जोड़ना है। प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी पोर्टल से सरकारी छात्रवृत्ति व बैंकों द्वारा दिए जाने वाले शिक्षा ऋण के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है। इससे छात्राओं को विशेष लाभ मिला है।

महिला हेल्पलाइन
यह योजना हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए 24 घंटे तत्काल और आपातकालीन सहायता प्रदान करने के लिए है। ये योजना विशेष रूप से परिवार, समुदाय, कार्यस्थल निजी और सार्वजनिक दोनों स्थानों पर हिंसा की शिकार सभी महिलाओं के लिए है।

मोबाइल फोन में पैनिक बटन और जीपीएस
केंद्र सरकार की ओर से सभी फीचर और स्मार्ट मोबाइल फोन में पैनिक बटन की सुविधा सुनिश्चित की गई है। मोबाइल फोन में 5 और 9 नंबर का बटन इसके लिए निर्धारित है, स्मार्ट फोन में ऑन-ऑफ बटन को तीन बार हल्के से प्रेस करना होता है। सरकार ने यह तय कर दिया है कि 1 जनवरी 2018 से सभी मोबाइल फोन में जीपीएस की सुविधा देना अनिवार्य होगा। पैनिक बटन सीधे 112 नंबर से जुड़कर सहायता उपलब्ध कराएगा।

महिला शक्ति केंद्र
महिला शक्ति केंद्र अलग-अलग स्तर पर काम कर रही है। इसके तहत केंद्रीय स्तर पर नॉलेज सपोर्ट  और राज्य स्तर पर महिलाओं को संसाधन सहयोग मुहैया किया जा रहा है। इसके तहत राज्य सरकार, जिले और ब्लॉक स्तर पर भी महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर महिला शक्ति केंद्र को सहयोग दिए जाने का प्रावधान है।  महिला शक्ति केंद्र को दूरदूराज के इलाकों में बढ़ावा देने के लिए छात्रों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। महिला शक्ति केंद्र और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता फैलाने वाले छात्रों को समाज सेवा के लिए प्रमाणपत्र भी दिए जाने की व्यवस्था की गई है।

कामकाजी महिला छात्रावास
कामकाजी महिलाओं को जरूरी सहयोग मुहैया करने के लिए कामकाजी महिलाओं के होस्टेल खोले जा रहे हैं। इन होस्टल में 19 हजार से ज्यादा महिलाएं रह सकेंगी। इसके अलावा कई और सुधार गृह भी बनाए जा रहे हैं। इन सुधार गृहों में 26000 लाभार्थ‍िंयों को फायदा मिलेगा।

वन स्टॉप सेंटर
हिंसा की श‍िकार हुई महिलाओं के लिए ‘वन स्टॉप सेंटर्स’ भी खोले जा रहे हैं। 150 से भी ज्यादा जिलों में इनकी स्थापना किया जाना है। इन केंद्रों को महिला हेल्पलाइन के साथ जोड़ा जाएगा और ये 24 घंटे आपातकालीन सेवा मुहैया कराएंगे। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की तरफ से महिला पुलिस स्वयंसेवियों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी।

महिलाओं के लिए पुलिस फ़ोर्स में 33% आरक्षण
महिला सशक्तिकरण की दिशा में पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का एक बड़ा निर्णय किया गया है। यह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में अभी से ही अलग-अलग स्तर पर पुलिस बालों में महला आरक्षण लागू कर दिया गया है।

नारी शक्ति पुरस्कार
विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए महिलाओं और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। सम्मानित की जाने वाली महिलाएं समाज सुधार, विज्ञान, बिजनेस, खेल, मनोरंजन और कला जगत जैसे अलग-अलग क्षेत्रों से संबंध रखती हैं।

ऑनलाइन शिकायत की सुविधा- She Box
कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने और ऐसी महिलाओं की मदद के लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा प्रदान की गई है। अब चाहे सरकारी क्षेत्र की महिला कर्मचारी हों या निजी क्षेत्र की, वह बिना की डर के ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

एसिड अटैक की पीड़िताओं को दिव्यांगों जैसी मदद
देश में एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं के लिए कोई योजना नहीं थी, पहले की किसी भी सरकार ने इसके बारे में नहीं सोचा। मोदी सरकार ने एसिट अटैक से पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए The Rights of Persons with Disabilities Act, 2016 में परिवर्तन कर एसिड अटैक को दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया है। अब एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं को दिव्यांगों को मिलने वाली आर्थिक और दूसरी मदद जी जा सकती है।

मृत्यु प्रमाणपत्र में विधवा का नाम दर्ज करना जरूरी
पति की मृत्यु होने पर पत्नी का नाम विधवा के रूप में मृत्यु प्रमाण पत्र पर लिखना अनिवार्य कर दिया गया है। देखने में यह बहुत छोटी सी बात लगती है, लेकिन महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए इससे बहुत मदद मिलेगी। अक्सर देखा जाता है कि पति की मृत्यु होने के बाद महिलाओं को अपने अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, इस बदलाव के बाद महिलाओं को मदद मिलेगी। इसके अलावा समाजिक और आर्थिक सहयोग नहीं मिलने से परेशानी में रहने वाली महिलाओं को आश्रय, भोजन, कपड़ा, चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए देश भर में स्वाधार गृह स्थापित किए गए हैं। उत्तर प्रदेश के वृंदावन में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से एक Widow Home का निर्माण कराया गया है, जिसकी क्षमता एक हजार महिलाओं को आश्रय देने की है।

महिलाओं के लिए पासपोर्ट नियमों में बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस हमेशा महिलाओं को दैनिक जीवन में आने वाली दिक्कतों को दूर करने और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करने पर रहा है। पिछले वर्ष मोदी सरकार ने महिलाओं पासपोर्ट में शादी के पूर्व का उपनाम रखने की छूट प्रदान की। यानी अब महिलाओं को शादी के बाद पासपोर्ट में अपना सरनेम नहीं बदलना पड़ता है। इसके साथ ही एकल महिलाओं के लिए भी पासपोर्ट के नियम में बदलाव किया गया है। अब पासपोर्ट फार्म में या तो मां या फिर पिता का नाम लिखना जरूरी है। इसके साथ ही पासपोर्ट आवेदन के समय मैरिज सर्टिफिकेट या फिर तलाक का प्रमाण देने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। इससे महिलाओं को सम्मानजनक पहचान मिली है।

 

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