Home समाचार स्टार्ट-अप कंपनियों को बड़ी राहत, बदली परिभाषा और बढ़ी निवेश की सीमा

स्टार्ट-अप कंपनियों को बड़ी राहत, बदली परिभाषा और बढ़ी निवेश की सीमा

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देश के युवाओं के सपनों को बल देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्टार्ट-अप इंडिया की शुरुआत की थी। जिंदगी में कुछ नया करने वाले युवाओं के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। सरकार भी स्टार्ट-अप कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए काफी तत्पर है। इन कंपनियों के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने के साथ ही सरकार कई तरह की सुविधाएं दे रही हैं। नए पहल के तहत सरकार ने स्टार्ट-अप में निवेश की सीमा बढ़ाने के साथ ही एंजल कर के नियमों में ढील और स्टार्टअप की परिभाषा बदलने का फैसला किया है। 25 करोड़ रुपये तक निवेश को मिली टैक्स छूट

सरकार ने स्टार्टअप कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए एंजल कर के नियमों में ढील दी है। एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने स्टार्टअप को आयकर छूट के लिए निवेश सीमा को बढ़ाकर 25 करोड़ रुपये कर दिया है। अब 25 करोड़ रुपये तक के निवेश पर स्टार्टअप कंपनियों को आय कर से छूट मिलेगी। मौजूदा समय में स्टार्टअप को 10 करोड़ रुपये तक के निवेश पर कर से छूट की इजाजत है। इस निवेश में एंजल निवेशकों द्वारा लगाया गया पैसा भी शामिल है।एंजल टैक्स के नियमों में ढील

आयकर अधिनियम की धारा 56(2) (सात-बी) के तहत स्टार्टअप कंपनियों में निवेश पर छूट पाने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए जल्द अधिसचूना जारी की जाएगी। अगर किसी लिस्टेड कंपनी जिसका नेटवर्थ 100 करोड़ है या फिर उसका टर्नओवर 250 करोड़ से उपर है, उसके द्वारा किए गए निवेश को आयकर अधिनियम की धारा की 56(2) (सात-बी) के तहत टैक्स में छूट मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा की 56(2) (सात-बी) के तहत वे स्टार्टअप छूट पाने के लिए पात्र होंगे जिन्होंने, अचल संपत्ति में निवेश नहीं किया हो। इसके अलावा 10 लाख रुपये से अधिक के वाहन और अन्य इकाइयों को कर्ज और पूंजी समर्थन नहीं दिया हो। यदि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मान्यता दी जाती है तो वह स्टार्टअप भी धारा की 56(2) (सात-बी) के तहत छूट के लिए हकदार होगी। अब पात्र स्टार्टअप में निवेश पर छूट के लिए शेयरों का मूल्यांकन कोई मापदंड नहीं रह जाएगा।स्टार्ट-अप की परिभाषा में भी बदलाव

मोदी सरकार ने स्टार्टअप की परिभाषा में भी बदलाव किया है। उन इकाइयों को स्टार्टअप माना जाएगा जो अपने पंजीकरण या स्थापना के बाद 10 साल तक परिचालन कर रही हैं। पहले यह समयसीमा सात साल थी। अधिकारियों ने बताया कि किसी भी इकाई को स्टार्टअप तभी माना जाएगा यदि उसका कारोबार पंजीकरण से लेकर अब तक किसी भी वित्त वर्ष में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं हो। मौजूदा समय में यह 25 करोड़ रुपये था।

स्टार्ट-अप फंड की कमी को मोदी सरकार ने किया दूर
स्टार्ट-अप सेक्टर में आगे बढ़ने के लिए लोगों से पर्याप्त पूंजी और लोगों से जुड़ना बेहद जरूरी है। इसके लिए आगे बढ़ने में फंड की कमी एक बड़ी समस्या थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या को खत्म कर दिया। युवाओं को इनोवेशन्स की सुविधा प्रदान करने के लिए मोदी सरकार ने कोष बनाया है। इसमें 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यही नहीं एक वक्त वह भी था जब स्टार्ट-अप सिर्फ डिजिटल और टेक इनोवेशन के लिए बना था। अब हालात बदल चुके हैं और कई कृषि, सामाजिक क्षेत्र, मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप आ गए हैं।

मोदी सरकार के प्रयासों से गांवों तक फैला स्टार्ट-अप
मोदी सरकार ने जहां स्टार्ट-अप के लिए फंड की व्यवस्था की, वहीं इसका दायरा भी बढ़ाया। स्टार्ट-अप अब केवल बड़े शहरों में नहीं हैं। छोटे शहर और गांव वाइब्रेंट स्टार्ट-अप केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। गौरतलब है कि पहले ज्यादातर स्टार्ट अप टायर-1 सिटी में केंद्रित रहते थे, लेकिन अब यह टायर-2 टायर-3 जैसे शहरों में भी शुरू हो गए हैं। स्टार्ट-अप कार्यक्रम के तहत 28 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 419 जिलों में स्टार्टअप्स फाइल हुए हैं। लगभग आधे स्टार्ट-अप मध्यम शहरों और गांवों में विकसित हो रहे हैं।स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में भारत का अहम स्थान
स्टार्ट-अप के क्षेत्र में मेक इन इंडिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है। दरअसल मेक इन इंडिया एक ऐसा ब्रांड बन गया है, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में है। गौरतलब है कि चार साल पहले भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्ट्रियां थीं, आज 120 से अधिक फैक्ट्रियां हैं। तथ्य यह भी है कि 45 प्रतिशत स्टार्ट-अप्स महिलाओँ द्वारा शुरू किए गए हैं। आज एक स्टार्ट-अप औसतन 12 लोगों को रोजगार देता है। इसी का परिणाम है कि आज भारत दुनिया में एक बहुत बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है।

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