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राहुल गांधी का ‘मुखपत्र’ उड़ा रहा है हिंदू धर्म का मजाक, भगवान राम के चरित्र पर भी उठाए सवाल

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चुनाव में एक बार फिर राहुल गांधी के इशारे पर कांग्रेस पार्टी हिंदू धर्म, भारतीय संस्कृति और हमारे आदर्श पौराणिक संस्कृति पर कीचड़ उछालने का गंदा खेल खेलने में जुट गई है। कांग्रेस के मुखपत्र ‘नेशनल हेरॉल्ड’ में छपे एक आर्टिकल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, माता सीता, द्रोपदी, और विश्वामित्र जैसे महापुरुषों का चरित्र हनन किया गया है। क्या हमारे महाग्रंथ #Metoo Saga से भरे पड़े हैं? शीर्षक से इस आर्टिकल में लिखा है कि ‘ महिला की सहमति की उपेक्षा और उनसे घृणा हमारी धार्मिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्कृति में रची बसी है।’ 

भगवान राम को हिंदू मर्यादा पुरुषोत्तम मानते हैं। उनका उदात्त चरित्र और उनका सार्वजनिक जीवन पूरी दुनिया के लिए आदर्श है। ऐसे भगवान श्रीराम के चरित्र पर अनर्गल आरोप लगाते हुए इस आर्टिकल में लिखा गया है कि ‘जब राम वनवास जा रहे थे तो सीता को भी उनके साथ जाना पड़ा क्योंकि सीता उनकी ‘अर्धांगिनी’ थी। लेकिन लक्ष्मण को अपनी पत्नी उर्मिला को साथ ले जाने की अनुमति नहीं मिली। इतना ही नहीं, लंका विजय के बाद उन्होंने सीता से सबके सामने कहा कि रावण को उन्होंने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए मारा है, सीता को वापस लाने के लिए नहीं।“ राम के चरित्र को और धूमिल करने के लिए इस लेख में ये भी लिखा है कि ‘’पहले तो राम ने सीता को अपमानित करने के लिए उनकी अग्नि परीक्षा ली और फिर लोगों के कहने पर उन्हें जंगली जानवरों से भरे जंगल में छोड़ दिया। शायद इसी वजह से भी आज कोई अपनी पत्नी को छोड़ देता है तो किसी को बुरा नहीं लगता।‘

हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है। कहा गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमंते तत्र देवता:’ जिसका मतलब होता है कि जहां महिलाओ की पूजा होती है, उनको आदर मिलता है वहीं देवता भी निवास करते हैं। इसी मान्यता के मुताबिक महिलाओं को अपना जीवनसाथी खुद चुनने की छूट थी। स्वयंवर का मतलब ही होता है स्वयं चुनना, लेकिन इस लेख में स्वयंवर को भी महिलाओं के शोषण का तरीका बता दिया गया है। ‘नेशनल हेरॉल्ड’ के मुताबिक ‘स्वयंवर में न तो संबंधित महिला की राय ली जाती थी और न उसकी पसंद पूछी जाती थी’

इस लेख में द्रोपदी के स्वयंवर को महिलाओं की स्थिति का सबसे बड़ा प्रमाण बताया गया है। इसमें कहा गया कि ‘अपने जीवन में द्रोपदी ने हमेशा अपमान सहा, द्रोपदी को अर्जुन ने केवल मरी हुई मछली की आंख पर निशाना लगाकर जीत लिया था लेकिन उनकी सास कुंती ने बिना पूछे द्रोपदी को अपने पांचों बेटों की पत्नी बनने पर मजबूर किया। इतना ही नहीं, युधिष्ठिर ने उन्हें जुएं में हार डाला, दुर्योधन और कर्ण ने उनका सबके सामने अपमान किया। उन्हें वेश्या कहा गया। लेकिन भीष्म और विदुर जैसे विद्वान इसे चुपचाप देखते रहे। और तो और दुर्योधन के इशारे पर जयद्रथ ने उनका बलात्कार करने की भी कोशिश की। लेकिन भारतीय संस्कृति की विडंबना देखिये कि द्रोपदी का अपमान करने वालों और उनका अपमान देखने के गवाह बने लोगों को समाज में कभी भला बुरा नहीं कहा गया।’

इसके अलावा भी इस लेख में भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को महिलाओं के खिलाफ ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। ये भी कहा गया है कि हमारे धर्म में महिलाएं ही महिलाओं का शोषण करने का जरिया है। 

जाहिर है कांग्रेस के लिए ये सब करतूतें नई नहीं हैं। कांग्रेस हमेशा से हिंदू धर्म और हमारे महापुरुषों को नीचा दिखाने की कोशिश करती रही है। एक बार खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ये विवादास्पद बयान दिया था कि मंदिर में जो लोग लड़कियां छेड़ने के लिए जाते हैं।

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