Home समाचार कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार में फसलों की MSP हुई...

कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार में फसलों की MSP हुई दोगुनी

SHARE

मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों को उनकी फसलों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में पहले की तुलना में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। साल 2006 में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को मोदी सरकार ने 2018 में लागू किया। इसके तहत किसानों को उनके उत्पादन खर्च का 1.5 गुना MSP मिलना सुनिश्चित हुआ। MSP लागू करने से किसानों को सामान्य समय में या जब बाजार में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिले, तब उन्हें उनकी फसल की सही कीमत सुनिश्चित होता है। पीएम किसान योजना के माध्यम से किसानों के लिए सीधी आय सहायता सुनिश्चित की गई, जिसके माध्यम से पैसा अब सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचता है। कोल्ड चेन, मेगा फूड पार्क और इस तरह के एग्रो-प्रोसेसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर स्थापित किया गया है। किसानों की खेती के अलावा दूसरी गतिविधियों को आय के स्रोत के रूप में कभी नहीं देखा गया था। मोदी सरकार इस दिशा में भी काम कर रही है।

मोदी सरकार ने 2018 में लागू किया स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुरूप MSP
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया एवं वर्ष 2018-19 के बजट में उत्‍पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने की घोषणा की। तब से केंद्र सरकार एमएसपी की घोषणा अखिल भारतीय भारित औसत उत्‍पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर लगातार कर रही है, जो कि किसानों की आय को बढ़ाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री पीएम मोदी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय है। केंद्र सरकार, कृषि लागत और मूल्‍य आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर तथा राज्‍य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के तर्कों पर विचार करके 22 कृषि फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है।

किसानों को 23 फसलों पर दी जा रही MSP
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफ़ारिशों के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से सरकारी ख़रीद के लिए फ़सलों की न्यूनतम क़ीमत तय होती है। वर्तमान में भी केंद्र सरकार 22 फ़सलों के लिए एमएसपी का निर्धारण करती है. गन्ना के Fair and remunerative price या’नी उचित एवं लाभकारी मूल्य को मिला दें, तो फ़सलों की संख्या 23 हो जाती है। गन्ना को छोड़कर इनमें 16 ख़रीफ़, 6 रबी और 2 नकदी या’नी कमर्शियल फ़सल हैं।

गेहूं किसानों को 4.52 लाख करोड़ रुपये का भुगतान
गेहूं किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान कांग्रेस के शासनकाल में 2006 से 2014 के बीच 2.39 लाख करोड़ रुपये किया गया था जबकि मोदी सरकार में 2014 से 2022 के बीच 4.52 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इस तरह कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने गेहूं किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में लगभग दोगुना भुगतान किया है।

चावल किसानों को तीन गुना से ज्यादा भुगतान
चावल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान कांग्रेस सरकार में 2006 से 2014 के बीच 3.09 लाख करोड़ रुपये किया गया था जबकि मोदी सरकार में 2014 से 2022 के बीच 10.64 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इस तरह चावल किसानों को कांग्रेस सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने तीन गुना से ज्यादा भुगतान किया है।

चावल के निर्यात में 109 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार के 9 वर्षों में चावल के निर्यात में 109 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कांग्रेस सरकार में 2013-14 में 29.25 करोड़ डॉलर हुआ था वहीं मोदी सरकार में 61.15 करोड़ डॉलर का निर्यात किया गया। इस तरह चावल किसानों को इससे भरपूर फायदा मिला।

कृषि बजट में 300 प्रतिशत की वृद्धि
मोदी सरकार में कृषि बजट में 300 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। कांग्रेस सरकार में 2013-14 में कृषि बजट 30,224 करोड़ रुपये था जबकि मोदी सरकार में 2023-24 में कृषि बजट लगभग चार गुना बढ़कर 1.31 लाख करोड़ रुपये हो गया।

खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी अभूतपूर्व वृद्धि
मोदी सरकार में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी अभूतपूर्व वृद्धि की गई है। धान (कॉमन) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1360 रुपये था जो कि 2023-24 में यह बढ़कर 2183 रुपये हो गया। धान (ग्रेड-ए) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1400 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 2203 रुपये हो गया। ज्वार- हाइब्रिड का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1530 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 3180 रुपये हो गया। ज्वार-मलडांडी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1550 रुपये था जबकि 2023-24 में 3225 रुपये हो गया।

बाजरा, रागी, मक्के के MSP में लगभग दोगुनी वृद्धि
बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1250 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 2500 रुपये हो गया। रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1550 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 3846 रुपये हो गया। मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 1310 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 2090 हो गया। अरहर (तूर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-15 में 4350 था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 7,000 रुपये हो गया।

मूंग, ऊड़द, मूंगफली के MSP में भारी वृद्धि
मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 4600 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 8558 रुपये हो गया। ऊड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 4350 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 6950 रुपये हो गया। मूंगफली का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 4000 रुपये था जबकि 2023-24 यह बढ़कर 6377 रुपये हो गया। सूरजमुखी के बीज का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2014-15 में 3750 रुपये था जबकि 2023-24 में यह बढ़कर 6760 रुपये हो गया।

कांग्रेस की सरकारों ने किसानों का हित नहीं किया
दशकों से किसानों के लिए खेती को लाभदायक बनाने के मुद्दे पर चर्चा और बहस हुई है। कई समितियों, परामर्श और हितधारकों ने समीक्षा की। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने इन परामर्शों के आधार पर निर्णायक कार्रवाई नहीं की। हालांकि किसान अपनी मेहनत के दम पर ज्यादा उत्पादन करते रहे हैं, लेकिन फायदे में कभी नहीं रहे, क्योंकि कृषि और कृषि बाजारों में सुधार को कभी प्राथमिकता दी ही नहीं गई। अब मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधारों को प्राथमिकता दे रही है जिससे किसानों के जीवन में बेहतरी आ रही है।

अब किसानों को लोन से लेकर सब्सिडी, ​इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ
मोदी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाएं खेती-किसानी से लेकर उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोन से लेकर सब्सिडी, ​इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ देती हैं। मोदी सरकार कई योजनाओं और कार्यक्रमों से देश के किसानों की दिशा व दशा बदल रही है। पिछले सालों में कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि कर किसानों को लाभ पहुंचाया गया वहीं एमएसपी पर गेहूं, धान सहित अन्य फसलों की खरीद कर बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ पहुंचा।

मोदी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। यही वजह है कि 2023 में मानसून से पहले ही सरकार ने विभिन्न फसलों की एमएसपी बढ़ाने को मंजूरी दी। इस पर एक नजर-

मोदी राज में तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 70 प्रतिशत बढ़ा
तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2014-15 में 4600 रुपये थी जोकि वर्ष 2022-23 में 7830 रूपये हो गया, इस तरह 2014 की तुलना में यह 70 प्रतिशत वृद्धि है। इससे किसानों को उनकी फसल का अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है और उनकी समृद्धि सुनिश्चित हो रही है।

मोदी सरकार ने MSP पर 830 लाख मीट्रिक टन धान खरीदे, किसानों को मिले 1,71,000 करोड़ रुपये
देश में खरीफ सीजन 2022-23 में 19 जून 2023 तक 830 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान की खरीद की गई है। इस खरीद का सबसे अधिक लाभ देश के किसानों को मिल रहा है। मोदी सरकार ने हाल ही में विभिन्न फसलों पर MSP बढ़ाई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 19 जून तक 1,71,000 करोड़ रुपये से अधिक का एमएसपी से भुगतान हुआ है और इससे 1.22 करोड़ से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। धान खरीद का फायदा किसानों को सीधा मिल रहा है क्योंकि उनकी उपज का पैसा सरकार उनके खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करती है। उल्लेखनीय है कि गेहूं और धान की संयुक्त खरीद के लिए एमएसपी भुगतान पिछले साल के लिए कुल भुगतान 2,05,896 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,26,829 करोड़ रुपये किया गया है।

गेहूं खरीद से करीब 21.29 लाख किसान लाभान्वित
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद भी सुचारू रूप से चल रही है। 19.06.2023 तक गेहूं की प्रोग्रेसिव खरीद 262 एलएमटी रही जो पिछले साल की कुल खरीद 188 एलएमटी से 74 एलएमटी अधिक है। पहले ही चल रहे गेहूं खरीद कार्यों से एमएसपी आउट फ्लो लगभग रु. 55,680 करोड़ रुपये के साथ लगभग 21.29 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं। खरीद में प्रमुख योगदान तीन खरीददार राज्यों पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा से क्रमशः 121.27 एलएमटी, 70.98 एलएमटी और 63.17 एलएमटी की खरीद के साथ आया है।

मानसून से पहले मोदी सरकार ने खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई 

मोदी सरकार ने 2023 में तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विटल की बढ़ोतरी की, जबकि धान, मक्के और मूंगफली की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई। इससे देश में बड़े स्तरों पर किसानों को लाभ हुआ और नई फसल के लिए अच्छे दाम मिले। सरकार ने खेती की बढ़ती हुई लागत को देखते हुए किसानों की हित में ये फैसला लिया। इसके साथ ही एमएसपी पर दालों के खरीद के सरकार के आश्वासन के बाद किसान खरीफ रबी सीजन में अरहर, उड़द और मूंग दाल की ज्यादा क्षेत्र में बुआई कर सकेंगे।

धान, मूंग, उड़द, मक्का की एमएसपी बढ़ी
कैबिनेट ने 2023-24 के लिए उड़द दाल की एमएसपी को 350 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वहीं, मक्के की एमएसपी को 128 रुपये प्रति क्विंटल और धान की एमएसपी 143 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी है। मोदी कैबिनेट की ओर से मूंग की एमएसपी में सर्वाधिक 803 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है और इसके मूंग पर एमएसपी 8,558 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

वर्ष 2023 में सबसे अधिक बढ़ी एमएसपी
कैबिनेट हुए फैसलों के बारे में बताते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि में हम समय-समय पर सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करते रहे हैं। इस साल खरीफ की फसलों के लिए MSP में की गई बढ़ोतरी पिछले कुछ सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है।

सबसे ज्यादा बाजरा किसानों को लाभ होने का अनुमान
मोदी सरकार के इन फैसलों से किसानों को अधिक लाभ होने का अनुमान जताया गया है। इसमें सबसे ज्यादा लाभ बाजरा पर करीब 82 प्रतिशत होने का अनुमान है। उसके बाद तुअर, सोयाबीन और उड़द का नंबर आता है। बाजरा (82 प्रतिशत) के बाद तुअर (58 प्रतिशत), सोयाबीन (52 प्रतिशत) और उड़द (51 प्रतिशत) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन सबसे अधिक होने का अनुमान है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन कम से कम 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।

उड़द, तुअर की खेती कर रहे किसानों के लिए खुशखबरी
उड़द, तुअर समेत अन्य खरीफ फसलों की खेती कर रहे किसानों के लिए यह खुशखबरी है। सरकार की तरफ से मूंग दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। सरकार की तरफ से इस फैसले के बारे में मीडिया से बात करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि महंगाई कम होने के बाद भी किसानों के हित में सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है।

पीएम मोदी की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करना
गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करना रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में महंगाई के मुकाबले देश में यह काफी कम समय के लिए बढ़ी और फिर नियंत्रण में आ गई। पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी मिली।

मूंग की एमएसपी में सबसे ज्यादा वृद्धि
धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2183 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसके साथ ही ए ग्रेड धान के लिए एमएसपी 2203 रुपए तय की गई है। वहीं ज्वार के लिए 3180 रुपए प्रति क्विंटल की दर तय किए गए हैं। सरकार की तरफ से किसानों के फायदे के लिए फैसला लिया गया है। ए ग्रेड धान की एमएसपी 163 रुपए बढ़ाई गई है। वहीं सबसे ज्यादा एमएसपी में वृद्धि मूंग की कीमत में की गई है। इसे 10.4 प्रतिशत बढ़ाया गया है। मूंग की एमएसपी 8,558 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। यह पिछले साल 7755 रुपए था।

मोदी सरकार का देश में दालों के उत्पादन पर जोर
देश में दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम (Price Support Scheme) के तहत अरहर, उड़द और मसूर दाल खरीदने की 40 फीसदी सीमा को 2023-24 वर्ष के लिए खत्म कर दिया है। अब किसान जितना चाहे उतनी दाल सरकार को प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत बेच सकते हैं। सरकार के इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस खरीफ सीजन और आने वाले रबी सीजन में इन दालों की बुआई में बढ़ोतरी आएगी।

दालों की एमएसपी पर होगी खरीद, किसानों में जगेगा भरोसा
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दालों के उत्पादन को बढ़ाने देने के लिए इस दिशा में निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्राइस सपोर्ट सिस्टम के तहत अरहर, उड़द और मूंग की खरीद सीमा को 2023-24 सीजन के लिए खत्म कर दिया गया है। इससे किसानों को ये भरोसा हो सकेगा कि उनकी उपज बगैर किसी लिमिट के एमएसपी यानि न्यूनत्तम समर्थम मुल्य (MSP) पर खरीदी जाएगी।

एमएसपी पर दालों की खरीद से किसान ज्यादा बुआई करेंगे
एमएसपी पर दालों के खरीद के सरकार के इस आश्वासन के बाद किसान खरीफ रबी सीजन में अरहर, उड़द और मूंग दाल की ज्यादा क्षेत्र में बुआई करने के प्रेरित होंगे। इससे पहले सरकार ने 2 जून 2023 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत एक आदेश जारी कर दालों की होर्डिंग पर रोक लगाने और दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला किया था। ये स्टॉक लिमिट, होलसेलर, रिटेलर्स, बड़े चेन रिटेलर्स, मिलर्स और इंपोटर्स सभी पर लागू होगा।

दाल इंपोर्टर 30 दिन से ज्यादा स्टॉक अपने पास नहीं रख सकेंगे
सरकार ने मई 2023 में दाल आयात करने वाले इंपोर्टरों को कस्टम क्लीरेंस मिलने के बाद 30 दिनों के भीतर बाजार में दाल उतारने की हिदायत दी है। दाल इंपोर्ट करने वाली कंपनियों के एसोसिएशन को लिखे पत्र में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सभी सदस्यों को एडवाइजरी का पालन करने को कहा था। एडवाइजरी में मंत्रालय ने इन इंपोर्टरों से कहा है कि कस्टम क्लीरेंस मिलने के बाद 30 दिनों से ज्यादा स्टॉक को अपने पास होल्ड कर ना करें। साथ ही हर शुक्रवार को सभी इंपोर्टरों को विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर अरहर और उड़द दाल के होल्डिंग स्टॉक की जानकारी देने को कहा गया है।

Leave a Reply