




नीतिगत सुधारों के माध्यम से भारत ने खुद को बदला
रेटिंग एजेंसी मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में पिछले 10 वर्षों में भारत के विकास की मैपिंग की गई है। रिपोर्ट ने परिभाषित किया है कि कैसे भारत ने पिछले दशक में अपने कई नीतिगत सुधारों के माध्यम से खुद को बदल दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो भारत 2013 में था, आज का भारत उससे अलग है। रिपोर्ट में बताया गया है कि मैक्रो मार्केट आउटलुक के लिए पॉजिटीव रिजल्ट दिए हैं। जिसकी वजह से भारत ने विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी जगह बनाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की इक्विटी वैल्यूएशन बहुत समृद्ध हैं और पिछले 10 वर्षों में भारत में हुए 10 महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि 2014 के बाद से भारत ने कई नीतिगत बदलाव किए हैं, जिसका पॉजिटीव रिस्पांस मिला है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कंट्रोल करने के मोदी सरकार के फैसले की सराहना
रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत निरपेक्ष और सापेक्ष कमाई में भी भारत आगे है। इसके लिए सरकार के सुधार कार्यक्रम, निवेश में बढ़ोतरी और जीडीपी को समर्थन देने वाले क्रेडिट में बढ़ोतरी को गिनाया गया है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक चालू खाते में विदेशी पोर्टफोलियो कम होने से शेयर बाजार में भी नकारात्मकता कम हुई है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों को कंट्रोल करने के मोदी सरकार के फैसले को भी एजेंसी ने सराहा है।
2032 तक प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 5200 डॉलर होगी
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक भारत के निर्यात में हिस्सेदारी दोगुनी होगी और ये 2031 तक बढ़कर 4.5 फीसदी होगा। ये 2021 के स्तर से लगभग दोगुना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी भारत में प्रति व्यक्ति आय करीब 2200 अमेरिकी डॉलर है। जो 2032 तक बढ़कर 5200 डॉलर होगी। इससे लोगों के हाथ में चीजों को खरीदने के लिए काफी रकम आएगी। मॉर्गन स्टेनली ने भारत के भविष्य के बारे में कहा है कि वो मुद्रास्फीति कम होने और इक्विटी बाजार में भी अच्छे की उम्मीद करता है।
बदलावों का क्या पड़ने वाला है प्रभाव
1. जीडीपी प्रतिशत के तौर पर विनिर्माण और कैपेक्स में लगातार वृद्धि।
2. निर्यात बाजार में हिस्सेदारी दोगुनी होगी।
3. खपत बास्केट में बड़े बदलाव होंगे।
4. मुद्रास्फीति में अस्थिरता कम होगी कम ब्याज दर साइकल।
5. चालू खाता घाटे में आसान ट्रेंड।
6. बढ़े जीडीपी की वजह से मुनाफे में उछाल होगा।
7. तेल की कीमतों में कमी होगी।
8. यूएस में मंदी का कम प्रभाव पड़ेगा।
9. वैल्यूएशन में री-रेटिंग होगी।
10. EM के लिए भारत का बीटा 0.6 तक गिरेगा।
यूपीआई से लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपए हुआ
वित्त वर्ष 2023 के आखिरी महीने यानी मार्च में यूपीआई लेन-देन ने नया रिकॉर्ड बनाया। यूपीआई से हुआ लेन-देन 14 लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर पहुंच गया। इस दौरान यूपीआई सौदों की संख्या भी 865 करोड़ के नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई। फरवरी महीने के मुकाबले में यूपीआई लेन-देन 13 फीसदी और सौदों की संख्या 18 फीसदी बढ़ी है। अगर पिछले साल मार्च की बात करें तो उसकी तुलना में इस बार सौदों की संख्या 60 फीसदी और मूल्य के मामले में 45 फीसदी तेजी आई है। वहीं जनवरी में सौदों की संख्या 8 अरब थी जो कि फरवरी 7.5 अरब थी। मूल्य के हिसाब से देखा जाए तो जनवरी में यूपीआई सौदों का कुल मूल्य 12.9 लाख करोड़ था वहीं फरवरी में 12.3 लाख करोड़ था।
मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 से बढ़कर 692 हुई
पीएम मोदी के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में आए बदलाव के आंकड़ों पर नजर डालते हैं। वर्ष 2014 में देश के अंदर मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, जो अब बढ़कर 692 हो चुकी है। 2023 में एम्स की संख्या बढ़कर 24 हो चुकी है, जो 2014 में केवल 6 थी। 2014 तक देश में 723 यूनिवर्सिटी थीं, जो 2023 में बढ़कर 1472 हो चुकी हैं। 2014 तक देश में 16 आईआईटी संस्थान थे, जो 2023 में बढ़कर 23 हो चुके हैं। 2014 तक देश में 13 आईआईएम थे, जो अब 20 हो चुके हैं।
एयरपोर्ट की संख्या 74 से बढ़कर 148 हो गई
2014 में भारत की बिजली उत्पादन क्षमता 2.34 लाख मेगावाट थी, जो 2023 में बढ़कर 4.17 लाख मेगावाट हो गई। 2014 तक देश में 13 करोड़ गैस कनेक्शन थे, जो 2023 में बढ़कर 31 करोड़ हो गए। 2014 तक देश में नेशनल हाईवे की पहुंच 91,287 किमी तक थी, जो 2023 में 1.44 लाख से ज्यादा हो गई। 2014 तक देश में एयरपोर्ट की संख्या 74 थी, जो 2023 में बढ़कर 148 हो गई। 2014 तक देश में रेल मार्गों का 21,614 किमी हिस्सा ही इलेक्ट्रिक लाइन से जुड़ा था, 2023 में ये बढ़कर 58,812 किमी तक पहुंच गया।
जीडीपी में भारत 10वें स्थान से अब पांचवें स्थान पर
2014 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 20 खरब डॉलर के बराबर था, जो अब 37.3 खरब डॉलर है। प्रति व्यक्ति आय जो 2014 में 1,573.9 डॉलर थी, अब 2023 में 2,601 डॉलर है। रुपयों में मौजूदा कीमतों पर यह जीडीपी 2013-14 में 104.73 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 272.04 लाख करोड़ रुपये हो गई है। जीडीपी के मामले में भारत 2014 में 10वें स्थान पर था और अब यह पांचवें स्थान पर है। 2014 में भारत दुनिया की दसवीं अर्थव्यवस्था था अब पांचवें स्थान पर आ गया है। भारत अब विश्व का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है जबकि एक साल पहले 9वें नंबर पर था। यह सब मोदी विजन से ही संभव हो पाया है।
49 करोड़ बैंक खाते, 12 करोड़ शौचालय और 9.59 करोड़ घरों में एलपीजी कनेक्शन
पीएम मोदी के कार्यकाल में जनता के स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों और शहरों में 12 करोड़ शौचालय बने। मोदी सरकार की जनधन योजना के तहत देशभर में 48.93 करोड़ लोगों ने अपने बैंक खाते खुलवाए। ये खाता जीरो बैलेंस के साथ शुरू होता है। पीएम मोदी की मुद्रा योजना में लोगों को बिना गारंटी के सस्ता ऋण दिया गया। इस योजना के तहत अब तक 40.82 करोड़ लोगों को 23.2 लाख करोड़ का कर्ज दिया गया। पीएम आवास योजना के तहत पात्र लाभार्थियों के लिए 3.45 करोड़ घर बनाए गए। मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 9.59 करोड़ घरों में एलपीजी कनेक्शन की पहुंच बनी। केंद्र सरकार की जन आरोग्य योजना के तहत 4.44 करोड़ लोगों का इलाज हुआ। मोदी सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत देशभर के 12 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। मोदी सरकार की हर घर जल योजना के तहत अब तक 11.66 करोड़ परिवारों को पीने का साफ पानी मुहैया कराया जा चुका है।वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी हुआ
जब 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी पर रहा था। आज इसे देखें तो ये बढ़कर 3.5 फीसदी पर आ चुका है। आजादी के 75वें साल में ये आंकड़ा देश का हौसला बढ़ाने का काम करता है। 2014 से लेकर अब तक देश के गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) कलेक्शन में 22 फीसदी का इजाफा देखा गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था को लेकर भारत सरकार का जो आर्थिक संकल्प है, ये आंकड़े उसकी बानगी हैं।
भारत की जीडीपी में वृद्धि के कारक
- अनुकूल घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों के प्रभाव की वजह से भारतीय जीडीपी विकास के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ेगी।
- भारत ने निवेश व रोजगार बढ़ाने के लिए घरेलू नीतियों में व्यापक बदलाव किए हैं। इससे विनिर्माण निर्यात बढ़ेगा।
- जीएसटी की शुरुआत से भारत को एक एकीकृत घरेलू बाजार बनाने में मदद मिली।
- निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती हुई। पीएलआई योजना शुरू की गई। इससे भारत की सीमाओं के भीतर और बाहर से निवेश पाने में मदद मिल रही है।
- भारत एक बहुध्रुवीय दुनिया के रूप में उभरा है। यह विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा निवेश गंतव्य बन रहा है, जहां कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता ला रही हैं।
- भारत में कामकाजी उम्र के युवाओं की आबादी लगातार बढ़ रही है। डिजिटलीकरण तीव्र गति से बढ़ रहा है।
- आगामी दशक में भारत की वास्तविक वृद्धि दर औसतन 6.5% होगी। इस दौरान चीन की जीडीपी 3.6% की दर से आगे बढ़ेगी।
- भारत सरकार पिछले कुछ सालों से सड़कों और रेलवे सहित इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी फोकस कर रही है। भारतीय इकोनॉमी को इससे भी फायदा मिल सकता है।
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बना भारत
देश की तरक्की में इसके ऑटोमोबाइल सेक्टर का भी बड़ा हाथ है और साल 2022 में देश के नाम एक ऐसी कामयाबी लगी है जो इसको साफ तरह से साबित करती है। दरअसल 2022 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया। भारत में साल 2022 में कुल 42.5 लाख नई गाड़ियां बिकीं जबकि जापान में 2022 के दौरान कुल 42 लाख यूनिट्स गाड़ियों की बिक्री हुई। वैश्विक ऑटो बाजार में भारत ने जापान के दबदबे को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट होने का रुतबा भी हासिल किया है।
भारत के भविष्य को प्रोजेक्ट करती है यह रिपोर्ट
मॉर्गन स्टेनली की एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट भारत के भविष्य पॉजिटीव तरीके से प्रोजेक्ट करती है। विनिर्माण, निर्यात, खपत और मुद्रास्फीति की संख्या का दृढ़ रखरखाव कुछ ऐसे क्षेत्र जिनमें मॉर्गन स्टैनली का निष्कर्ष है कि भारत मजबूत सफलता प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक तरक्की का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। रिसर्च एजेंसी मॉर्गन स्टेनली ने भविष्यवाणी की है कि 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होगी। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अगले 10 वर्षों में भारत का जीडीपी मौजूदा 3.4 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर दोगुनी 8.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत हर वर्ष अपनी जीडीपी (GDP) में 400 अरब डॉलर जोड़ेगा। इससे ज्यादा जीडीपी केवल अमेरिका और चीन की रहने वाली है।
2032 तक बाजार का पूंजीकरण बढ़कर होगा 11 लाख करोड़ डॉलर
मॉर्गन स्टैनली के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया) चेतन अह्या ने एक लेख में कहा कि अवसरों और आकार के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था में अपार संभावनाएं हैं। अगले सात सालों यानि 2030 से पहले तक भारत का जीडीपी करीब 3 लाख करोड़ डॉलर बढ़कर 6.5 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। वहीं 2032 तक भारतीय बाजार का पूंजीकरण 3.4 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 11 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगा और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार होगा। भारत ऐसे चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां आय चक्रवृद्धि दर से तेजी से बढ़ेगी। 1991 के बाद भारत को अपना जीडीपी 3 लाख करोड़ डॉलर तक लाने में 31 साल लग गए। अब अतिरिक्त 3 लाख करोड़ डॉलर जोड़ने में सिर्फ 7 साल लगेंगे। वैश्विक निवेशकों के लिए यह दर महत्वपूर्ण होगी। अगले दशक में भी अमेरिका और चीन वैश्विक निवेशकों के लिए उतने ही महत्वपूर्ण रहेंगे। मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक भारत ग्लोबल ग्रोथ को ड्राइव करने वाला है ऐसे में मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ वैश्विक निवेशकों के लिए निवेश का यहां बेहतरीन अवसर है।
सस्ती मैन्युफैक्चरिंग लागत के मामले में 100 प्रतिशत स्कोर
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर है। सबसे कम मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट वाले देशों की लिस्ट में भारत दुनिया में नंबर वन हो गया है। चीन और वियतनाम भारत से पीछे दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। जबकि भारत का पड़ोसी बांग्लादेश छठे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे सस्ते और कम लागत से सामान बनाने वाले देशों में भारत को 100 में से 100 अंक मिला है। इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जहां बुस्ट मिलेगा, वहीं विदेशी कंपनियां भी भारत का रूख कर सकती है। दरअसल यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया है, जिसमें 85 देशों में से भारत समग्र सर्वश्रेष्ठ देशों की रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। इसके अलावा, सूची ने भारत को ‘ओपन फॉर बिजनेस’ श्रेणी में 37 वें स्थान पर रखा गया है।