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देश को ‘ऊर्जावान’ बना रहे हैं पीएम मोदी, कुडनकुलम प्लांट के लिए रूस से बिग डील

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में लगातार जुटे हुए हैं। रूस से हुआ परमाणु सहयोग समझौता इसी कड़ी में अगला अध्याय है। तीन साल में मोदी सरकार ने देश को ऊर्जा संकट से उबार कर ऊर्जा निर्यातक की श्रेणी में ला खड़ा किया है। अब प्रधानमंत्री परमाणु सहयोग समझौतों के माध्यम से देश को भविष्य के लिए भी ऊर्जा संकट से मुक्त कराना चाहते हैं। रूस से हुए समझौते के बाद भारत में 2 हजार मेगावॉट अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा के उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है। पीएम मोदी का ये कदम देश में स्वच्छ और सतत ऊर्जा के प्रति उनकी सोच और पर्यावरण की रक्षा के प्रति उनके संकल्प को भी जाहिर करता है।

कुडनकुलम प्लांट के 2 रियेक्टर के लिए करार
ताजा करार के अनुसार रूस, भारत को तमिलनाडु के कुडनकुलम न्यूक्लियर प्लांट की दो नई यूनिट लगाने में मदद देगा। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इस करार को अहम इसलिए माना जा रहा है क्योंकि इस पर कई साल से बातचीत चल रही थी। लेकिन कुछ ऐसी बातें थीं, जिसको लेकर दोनों में एक राय नहीं बन पा रही थी। रूस इसके लिए पिछले 8 महीने से समझौते के इंतजार में था। दो बार इसकी डेडलाइन मिस भी हो गई। आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पहल से अब कुडनकुलम में 5 और 6 रियेक्टर यूनिट के लगने का रास्ता साफ हो गया है। समझौते पर खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे सिविल न्यूक्लियर एनर्जी के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग में और भी मजबूती आएगी। रूस की ओर से कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बाद हुआ ये करार समिट की सबसे बड़ी सफलता है।

2000 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली मिलेगी
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट में दो अतिरिक्त रियेक्टर यूनिट शुरू होने से भारत को हर रियेक्टर से 1000-1000 मेगावॉट अतिरिक्त बिजली मिलेगी। 2015 में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच जो करार हुए थे, मौजूदा करार उसी सिलसिले की एक अगली कड़ी है। रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहा है कि, “दोनों देश एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। बीते 3 साल में पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच अच्छी केमिस्ट्री बन चुकी है।”

10 स्वदेशी रियेक्टर लगाने पर काम
पीएम मोदी की सरकार देश में स्वदेशी तकनीक पर आधारित 10 परमाणु रियेक्टर लगाने की योजना पर भी अलग से काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये संयंत्र pressurised heavy water reactors की तकनीक पर काम करेंगे। इनकी कुल स्थापित क्षमता 7,000 मेगावॉट होगी। ये संयंत्र सरकारी कंपनियां या सरकारी कंपनियों के साथ वाले संयुक्त उपक्रम ही लगा सकेंगे। ये सारे रियेक्टर्स अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मापदंडों के आधार पर काम करेंगे। ये रियेक्टर्स ‘मेक इन इंडिया’ की सोच पर आधारित होंगे। इसके माध्यम से घरेलू उद्योगों को 70 हजार करोड़ के काम मिलेंगे। साथ ही 33 हजार से अधिक नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

2022 तक 6700 मेगावॉट अतिरिक्त परमाणु बिजली 
वर्तमान समय में देश में 22 परमाणु रियेक्टर्स में कुल 6,780 मेगावॉट बिजली उत्पाद की क्षमता है। जबकि 6700 मेगावॉट की क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माणाधीन हैं। 2021-22 तक इन सारे संयंत्रों में बिजली उत्पादन शुरू हो जाने की संभावना है। दुनिया इस समय जलवायु परिवर्तन के खतरों से परेशान है, ऐसे में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देकर सरकार पेरिस समझौते के तहत ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता के हिसाब से ही काम कर रही है।

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