बोगीबील रेल-रोड पुल असम समेत पूर्वोत्तर में विकास के नए रास्ते खोल रहा है। आज सुशासन दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को सुशासन दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बोगीबील पुल देश का सबसे लंबे और एशिया के सबसे बड़ा रेल-रोड ब्रिज है। असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर बनाया गया यह पुल असम के धीमाजी जिले को डिब्रूगढ़ से जोड़ता है। पुल के निर्माण में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई।
बीते 16 साल में पुल के पूरा होने की कई डेडलाइन चूकीं। इस पुल से पहली मालगाड़ी 3 दिसंबर को गुजरी। बोगीबील पुल को अरुणाचल से सटी चीन सीमा तक विकास परियोजना के तहत बनाया गया है। इस मौके पर एक पीएम मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक ब्रिज नहीं है बल्कि असम अरुणाचल समेत पूरे पूर्वोत्तर की लाइफलाइन है। इस ब्रिज की वजह से ईटानगर और डिब्रूगढ़ के बीच की दूरी 700 किलोमीटर कम हो गई है। अब ये दूरी 200 किमी से भी कम रह गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास की यह गति असम के साथ पूरे नॉर्थ-ईस्ट की तस्वीर बदलने वाली है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद ब्रह्मपुत्र में 70 साल में कुल तीन ब्रिज बने और पिछले चार साल में ही हमने ब्रह्मपुत्र के ऊपर तीन ब्रिज बना दिए हैं, जबकि नए पुलों पर भी काम चल रहा है।
इस पुल से मिलिट्री टैंक गुजर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर लड़ाकू विमान भी पुल पर लैंड कर सकते हैं। चीन की सीमा के नजदीक बने इस पुल का बहुत ज्यादा सामरिक महत्व है। इस डबल-डेकर पुल से ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी। ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क बनाई गई है। नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर दो ट्रैक बनाए गए हैं। पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे मिलिट्री टैंक भी निकल सकेंगे। पूरी तरह स्टील से बना ये ब्रिज देश के इंजीनियरिंग और तकनीकी सामर्थ्य की भी मिसाल है।
बोगीबील एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-रोड ब्रिज है। पुल का जीवनकाल 120 साल बताया गया है। पुल को बनाने में 30 लाख सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल किया गया। इतनी सीमेंट से 41 ओलिंपिक स्वीमिंग पूल बनाए जा सकते हैं। वहीं, पुल को बनाने में 12 हजार 250 मीटर लोहे (माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से दोगुने) का इस्तेमाल किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ब्रिज का सपना अटल बिहारी की सरकार ने देखा था लेकिन 2004 में जब अटल सरकार गई तो कांग्रेस सरकार ने उनके कई प्रोजेक्ट को रोक दिया गया। अगर, अटल जी की सरकार फिर मौका मिलता तो 2007-08 तक बोगीबील पुल का लोकार्पण हो जाता। मोदी ने कहा, ”यहां कुछ लोग ऐसे होंगे,जो 16 साल पहले भी यहां आए होंगे, जब अटलजी ने इसका शिलान्यास किया था। दुर्भाग्यवश 2004 में सरकार जाने के बाद कई प्रोजेक्टों की तरह यह भी अटक गया। अटलजी की सरकार को दोबारा मौका मिलता तो यह ब्रिज 2007-08 में ही बन जाता। 2014 में सरकार बनने के बाद हमने सारी बाधाओं को दूर किया और गति दी। करीब 6 हजार करोड़ की लागत से बना यह पुल आज अटलजी के जन्मदिवस के मौके पर समर्पित किया गया। आज यहां के लोगों के चेहरों पर खुशी देखकर अटलजी की आत्मा को खुशी मिलेगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार देश के विकास को ना केवल अवरुद्ध करता है बल्कि दलितों-वंचितों-शोषितों के साथ साथ मध्यम वर्ग की भी कमर तोड़ डालता है। इसलिए उनकी सरकार लगातार भ्रष्टाचार को खत्म करने पर जोर दे रही है। इससे देश को लाखों करोड़ रुपये की बचत हुई है और देश के धन की लूट बंद हुई है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले कौन सोच सकता था कि भ्रष्टाचारियों के राजदार को भारत सरकार विदेशों से पकड़ कर लाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार में उज्जवला योजना के तहत करीब 24 लाख मुफ्त गैस के कनेक्शन असम गरीब बहनों को दिए जा चुके हैं। जिसका परिणाम है कि असम में साढ़े 4 वर्ष पहले तक जहां करीब 40 प्रतिशत घरों में गैस सिलेंडर था, वहीं आज ये दायरा दोगुना, करीब 80 प्रतिशत हो चुका है। वहीं, सौभाग्य योजना के तहत बीते एक वर्ष में ही असम के 12 लाख से अधिक परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया है। जिससे असम में बिजलीकरण का दायरा करीब 50 प्रतिशत से बढ़कर करीब 90 प्रतिशत हो चुका है।