Home विशेष मोदी सरकार की मानवीय पहल, रोहिंग्या के लिए म्यांमार में बनायगी घर

मोदी सरकार की मानवीय पहल, रोहिंग्या के लिए म्यांमार में बनायगी घर

SHARE

आज पूरा संसार इस बात को जानता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जहां भारत की छवि दिन पर दिन और अधिक सशक्त होती जा रही है, वहीं उसकी विनम्रता और मानवीय उदारता का भी कहीं कोई सानी नहीं है। आज भारत उन सभी की मदद के लिए तैयार है, जो दोस्ती का हाथ बढ़ाता है या फिर मदद की गुहार करता है। इस फेहरिस्त में म्यांमार और रोहिंग्या मुसलमानों का भी नाम जुड़ गया है। 

रोहिंग्या मुसलमानों के घर बनाने के लिए भारत और म्यांमार में समझौता
मोदी सरकार देश की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। इसके लिए वो हर मुमकीन कोशिश में लगी है, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़े। पड़ोसी देश म्यांमार में चीन की बढ़ती दखल और देश में रोहिंग्या शरणार्थियों से उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए सरकार ने मानवता को अपना हथियार बनाया है। भारत ने रोहिंग्या मुस्लिमों की घर वापसी के लिए म्यांमार सरकार को मदद देने के लिए हाथ बढ़ाया है। भारत और म्यांमार के बीच एक समझौता हुआ है जिसके तहत रखाईन प्रांत में शांति स्थापित करने और रोहिंग्या मुसलमानों को फिर से बसाने लिए भारत आवास का भी निर्माण करेगा।

भारत में पहले से रह रहे लगभग 40 हजार रोहिंग्याई मुस्लिमों का मामला राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील बना हुआ है। कट्टरपंथी समूहों की तरफ से इन्हें बरगलाने की कोशिश हो रही है। यही वजह है कि सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रोहिंग्याई निवासियों का वहां वापस लौटना ही भारत के हित में है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा अपने पड़ोसी देशों के लिए उदारता बरती गई हो। इसके उदाहरण और भी है।

मानवीय समस्या का मानवीय समाधान
मानवीय आधार को हर कूटनीति और कड़वाहट से ऊपर रखते हुए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के ऐसे अधिकांश मामलों में संवेदनशीलता दिखाई है, जिसमें चिकित्सीय आधार पर मदद मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में लिवर से संबंधित किसी भी बीमारी के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इस कारण वहां से इस बीमारी से पीड़ित लोग इलाज के लिए बड़ी संख्या में भारत आते हैं, क्योंकि भारत में इस रोग के उपचार की बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रभावी चिकित्सा व्यवस्था के अतिरिक्त यहां इसके उपचार पर आने वाला खर्च भी काफी कम होता है।

मासूम को भारत में मिला नया जीवन
चार महीने के बच्चे के पिता काशिफ की मांगी गई मदद का जवाब काफी तत्परता से दिया गया, ताकि उस मासूम के इलाज में जरा भी देरी न हो, क्योंकि उस बच्चे की दवा तक खत्म हो रही थी। इस मामले में जरा सी भी देरी से उस बच्चे का जीवन संकट में पड़ सकता था। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मोदी सरकार की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ममता से वशीभूत होकर इस बच्चे को सर्जरी के बाद उसे देखने स्वयं अस्पताल जा पहुंची। उनके इस कदम से यह पाकिस्तानी दंपति इतना अधिक द्रवित हो गया कि अपने को यह कहने से नहीं रोक पाया कि आज अगर हमारे बच्चे का दिल धड़क रहा है तो यह सिर्फ आप के कारण ही मुमकिन हुआ है।

जरूरतमंदों को मेडिकल वीजा
मोदी सरकार के विदेश मंत्रालय ने कई मौके पर जरूरतमंदों के लिए मेडिकल वीजा की घोषणा की और उन्हें उपलब्ध भी कराया। यह उन पाकिस्तानी नागरिकों के लिए एक अनमोल सौगात थी, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं और जिन्हें पल-पल तकलीफ से तड़पते देखकर उनके घरवाले भी तिल-तिल कर मरते हैं। पाकिस्तान की फितरत है कि वो हर मौके पर भारत का विरोध करते रहता है। मेडिकल वीजा के मानवीय पहल को भी उसने संदेह से देखा और उसकी आलोचना की।

बेटियों के लिए नहीं है कोई सरहद
मानव और मानवता का दर्जा भारत की नजर में सबसे ऊंचा है। इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण पूरे विश्व ने उस समय देखा था, जब चंडीगढ़ में आयोजित ‘ग्लोबल यूथ फेस्टिवल’ में भाग लेने के लिए 19 लड़कियां भारत आई थीं। उसी दौरान पाकिस्तान की नापाक हरकतों का जवाब देते हुए भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई की गई थी। इतने तनावपूर्ण माहौल में भी भारत ने उन बच्चियों की सुरक्षा पर जरा भी आंच तक नहीं आने दी। उन्हें न केवल अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध कराई गई, बल्कि उनकी सकुशल घर-वापसी भी सुनिश्चित की गई। उनके साथ ही भारत सरकार की विदेश मंत्री का यह संदेश भी सरहद पार पहुंचा कि ‘बेटियों के लिए कोई सरहद नहीं होता। बेटियों का ताल्लुक सब से होता है।‘

हर मौके पर बढ़ाया दोस्ती का हाथ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाने के प्रति हमेशा से कितने प्रयत्नशील रहे हैं, इस बात को समझने के लिए उनके कार्यों की संक्षिप्त समीक्षा ही काफी है। अपने शपथ ग्रहण समारोह में अनेक पड़ोसी राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भी आमंत्रित करके नरेन्द्र मोदी ने दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया था। यहां तक कि अफगानिस्तान से भारत लौटते हुए बीच में ही नवाज शरीफ के घर पहुंचकर उन्होंने पूरे विश्व को घोर आश्चर्य में डाल दिया था। यह न केवल एक सद्भावनापूर्ण दौरा था, बल्कि एक अत्यंत साहसिक कदम भी था।

अपनों का हमेशा थामा है हाथ
इन सभी मामलों के अलावा भी उजमा मामले में भी भारत का यही चेहरा सामने आया था। उजमा की पाकिस्तान यात्रा के दौरान वहां बंदूक की नोंक पर एक व्यक्ति ने उस से जबर्दस्ती शादी कर ली थी। पेशे से डॉक्टर इस भारतीय नागरिक ने अपनी स्थिति बताते हुए पाकिस्तान में स्थित भारतीय उच्चायोग से मदद की गुहार की थी। अथक प्रयासों द्वारा उजमा को देश वापस लाया गया। उजमा की स्थिति देख कर यह साफ पता चल रहा था कि उसके साथ जो कुछ हुआ, वह किसी भयानक सपने से कम नहीं था। उसकी जिंदगी आज अगर सही-सलामत उसे वापस मिली है तो यह केवल भारत सरकार के प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया।

भारतीय परंपरा का गौरव बढ़ाने वाले और इस विरासत को निरंतर आगे बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत की मानवीयता का वह चेहरा हैं, जो प्यार और प्रहार दोनों का जवाब उसी ढंग से देने में सक्षम हैं। यह और बात है कि वे दुश्मन को भी गले लगाने का हुनर जानते हैं।

Leave a Reply Cancel reply