देश के श्रम इतिहास में 21 नवंबर का दिन एक नए अध्याय की शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को गति देते हुए देश में केंद्र सरकार ने श्रम क्षेत्र में बड़े बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाते हुए चार नई श्रम संहिताओं- वेतन संहिता (2019), औद्योगिक संबंध संहिता (2020), सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य व कार्य शर्त संहिता (2020) को लागू करने की घोषणा की है। इन संहिताओं से देश में लागू 29 पुराने श्रम कानूनों को एकीकृत और सरल बनाया जा रहा है। यह कदम न केवल श्रम कानूनों को आधुनिक रूप देगा, बल्कि मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा, उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता और भारत की आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के निर्माण को भी सशक्त करेगा। अब पुराने अलग-अलग कानूनों की जगह एक सिंगल और मजबूत कानून काम करेगा। यह महज एक कानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि संगठित से लेकर असंगठित और गिग वर्कर्स तक- हर कामगार के जीवन को सुरक्षित और सम्मानित बनाने की गारंटी है। इसका सीधा मकसद है हर वर्कर को सम्मान, सुरक्षा और समय पर पैसा मिले।

प्रधानमंत्री मोदी ने चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन का स्वागत किया है और इसे देश की स्वतंत्रता के बाद से सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधारों में से एक बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सुधार श्रमिकों के अत्यधिक सशक्तिकरण के साथ ही नियमों का अनुपालन सरल बनाएंगे और व्यापार सुगमता को बढ़ावा देंगे।
श्रमेव जयते!
आज मेरे श्रमिक भाई-बहनों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। हमारी सरकार ने चार लेबर कोड लागू कर दिए हैं। आजादी के बाद यह श्रमिकों के हित में किया गया सबसे बड़ा रिफॉर्म है। यह देश के कामगारों को बहुत सशक्त बनाने वाला है। इससे जहां नियमों का पालन करना बहुत आसान होगा, वहीं ‘ईज…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 21, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये चारों श्रम संहिताएं सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर वेतन भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और विशेषकर नारी शक्ति और युवा शक्ति सहित लोगों के लिए लाभकारी अवसर प्रदान करने के मज़बूत आधार बनेंगे।
ये कोड श्रमिक भाई-बहनों के लिए सामाजिक सुरक्षा, समय पर वेतन और सुरक्षित कार्यस्थल की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, ये बेहतर और लाभकारी अवसरों के लिए एक सशक्त नींव भी बनाएंगे। हमारी माताएं-बहनें और युवा साथी इनसे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 21, 2025
श्री मोदी ने कहा कि ये सुधार भविष्योन्मुखी पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करेंगे जिससे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा होगी और भारत का आर्थिक विकास सुदृढ़ होगा। उन्होंने कहा कि ये सुधार रोज़गार सृजन को बढ़ावा देंगे, उत्पादकता बढ़ाएंगे और विकसित भारत की ओर अग्रसर देश की यात्रा को गतिमान बनाएंगे।
इन सुधारों के जरिए एक ऐसा मजबूत इकोसिस्टम तैयार होगा, जो भविष्य में हमारे कामगारों के अधिकारों की रक्षा करेगा और भारत की आर्थिक वृद्धि को नई शक्ति देगा। इससे नौकरियों के नए-नए अवसर तो बनेंगे ही, प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी। इसके साथ ही विकसित भारत की हमारी यात्रा को भी तेज गति…
— Narendra Modi (@narendramodi) November 21, 2025
मोदी सरकार ने जो नए लेबर कोड बनाए हैं, उनका सीधा मकसद है—काम करने वालों की ज़िंदगी बेहतर बनाना और कंपनियों के लिए काम करना आसान करना। आइए, विस्तार से जानते हैं कि इस कानून का हर एक पहलू क्या कहता है:

1. कर्मचारियों के लिए सीधी ‘गारंटी’ और फायदे
सरकार ने कर्मचारियों के हितों को सबसे ऊपर रखा है। इसमें वेतन से लेकर रिटायरमेंट तक के नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं:
• पक्के कर्मचारी जैसा हक: अब अगर आप कॉन्ट्रैक्ट पर हैं या फिक्स्ड टाइम के लिए काम कर रहे हैं, तो आपको भी परमानेंट एम्प्लॉयी जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
• 1 साल में ग्रेच्युटी: शायद सबसे बड़ी राहत ‘फिक्स टर्म एम्प्लॉईस’ यानी अनुबंध कर्मियों के लिए है। संहिता की धारा 53 के तहत, अब ग्रेच्युटी के लिए 5 साल का इंतजार नहीं करना होगा। अगर आपने किसी कंपनी में लगातार 1 साल काम किया है, तो आप ग्रेच्युटी के हकदार होंगे।
• वेतन की नई परिभाषा: अब सभी कानूनों में ‘वेतन’ का मतलब एक ही होगा। अगर आपका भत्ता (Allowances) कुल वेतन के 50 प्रतिशत से ज्यादा है, तो बाकी रकम को वेतन में जोड़ दिया जाएगा। इसका सीधा असर यह होगा कि आपका पीएफ और ग्रेच्युटी का पैसा ज्यादा जमा होगा, जिससे रिटायरमेंट सुरक्षित होगा।
• अपॉइंटमेंट लेटर जरूरी: नौकरी शुरू करते ही आपको लिखित में ‘अपॉइंटमेंट लेटर’ देना जरूरी कर दिया गया है। इससे धोखेधड़ी नहीं होगी।
• सैलरी टाइम पर: हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी मिलनी तय कर दी गई है, चाहे आप किसी भी सेक्टर में हों।
• न्यूनतम मजदूरी: सरकार एक ‘फ्लोर वेज’ तय करेगी, उससे कम सैलरी कोई नहीं दे पाएगा।
• ओवरटाइम पर डबल पैसा: अगर कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो उसे सामान्य वेतन से दुगना भुगतान करने की गारंटी दी गई है।
• परिवार का दायरा बढ़ा: अब ‘परिवार’ की परिभाषा में कर्मचारी के आश्रित सास-ससुर को भी शामिल किया गया है। साथ ही, माता-पिता न होने पर आश्रित नाबालिग भाई-बहन भी इसमें शामिल होंगे। इससे ESIC के लाभ ज्यादा लोगों को मिल सकेंगे।
2. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार मिली कानूनी पहचान
जोमैटो, स्विगी, उबर जैसे प्लेटफॉर्म्स और असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों के लिए यह कानून ऐतिहासिक है:
• कानूनी हक: संहिता की धारा 113 और 114 के तहत पहली बार ‘गिग’ और ‘प्लेटफॉर्म’ वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। ‘एग्रीगेटर’ की परिभाषा तय की गई है ताकि वे अपनी जिम्मेदारी से बच न सकें।
• सोशल सिक्योरिटी फंड: इनके लिए एक विशेष ‘सामाजिक सुरक्षा कोष’ बनाया जाएगा। इसमें केंद्र-राज्य सरकार, सीएसआर (CSR) और एग्रीगेटर्स से पैसा आएगा, जिसका इस्तेमाल इन वर्करों के लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ और मैटरनिटी लाभ के लिए होगा।
• नेशनल डेटाबेस और UID: सरकार एक नेशनल पोर्टल बनाएगी जिस पर सभी असंगठित श्रमिकों को रजिस्टर करना होगा। उन्हें आधार से जुड़ी एक विशिष्ट पहचान संख्या (UID) मिलेगी, जिससे वे देश के किसी भी कोने में अपना लाभ ले सकेंगे।

3. अलग-अलग सेक्टर्स के लिए खास बातें
• मीडिया और फिल्म लाइन: पत्रकारों, डबिंग आर्टिस्ट और स्टंट करने वालों को भी अब अपॉइंटमेंट लेटर और समय पर सैलरी की गारंटी मिलेगी।
• खदान और फैक्ट्री: काम के घंटे फिक्स होंगे (हफ्ते में 48 घंटे)। अगर इससे ज्यादा काम कराया, तो डबल पैसा (Overtime) देना होगा। खतरनाक कामों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होंगे।

4. स्वास्थ्य सुरक्षा और ESIC का विस्तार
स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं:
• पूरे देश में ESIC: अब कर्मचारी राज्य बीमा निगम- ESIC का कवरेज सिर्फ कुछ जिलों तक नहीं, बल्कि पूरे भारत में लागू होगा।
• आने-जाने का रिस्क कवर: पहले घर से ऑफिस आते-जाते वक्त हुए एक्सीडेंट पर क्लेम नहीं मिलता था। अब इसे ‘रोजगार के दौरान हुई दुर्घटना’ माना जाएगा और कर्मचारी या उसके परिवार को मुआवजा मिलेगा।
• जोखिम भरे काम: अगर काम खतरनाक श्रेणी का है, तो वहां एक अकेला कर्मचारी होने पर भी ESIC कवरेज देना अनिवार्य है।
• मुफ्त हेल्थ चेकअप: 40 साल से अधिक उम्र के श्रमिकों को सालाना मुफ्त हेल्थ चेक-अप की गारंटी दी गई है।

5. नारी शक्ति: कामकाजी महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान
महिलाओं को सम्मान और सुविधा देने के लिए कई नियम बदले गए हैं:
• बराबर सैलरी: महिला और पुरुष में अब कोई भेदभाव नहीं होगा। एक जैसे काम के लिए एक जैसी सैलरी मिलेगी।
• नाईट शिफ्ट: महिलाएं अगर चाहें तो अब रात की शिफ्ट में भी काम कर सकती हैं। इसके लिए कंपनी को उनकी सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना होगा।
• 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव: प्रसव के लिए अधिकतम 26 सप्ताह का सवेतन अवकाश मिलेगा। गोद लेने वाली माताओं को 12 सप्ताह का लाभ मिलेगा।
• वर्क फ्रॉम होम: मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद, आपसी सहमति से महिलाएं घर से काम जारी रख सकती हैं।

• क्रेच की सुविधा: 50 या उससे ज्यादा कर्मचारी वाले हर दफ्तर में क्रेच होना जरूरी है। अगर क्रेच नहीं है, तो एम्प्लॉयर को 500 रुपये प्रति माह/प्रति बच्चा भत्ता देना होगा। महिलाएं दिन में 4 बार क्रेच जा सकेंगी।
• मेडिकल बोनस: अगर कंपनी प्री-नेटल/पोस्ट-नेटल केयर नहीं देती, तो महिला को 3,500 रुपये का मेडिकल बोनस मिलेगा।
• स्तनपान अवकाश: बच्चे के 15 महीने का होने तक मां को दिन में दो बार नर्सिंग ब्रेक मिलेगा।

6. बिजनेस करना हुआ आसान
व्यापारियों और कंपनियों को भी पुराने कानूनों के जंजाल से मुक्ति दी गई है:
• इंस्पेक्टर राज का खात्मा: अब इंस्पेक्टर को ‘निरीक्षक-सह-सुविधादाता’ (Inspector-cum-Facilitator) कहा जाएगा। उनका काम डराना नहीं, बल्कि कानून पालन में मदद करना होगा। निरीक्षण वेब-आधारित और रैंडम होंगे।
• जेल नहीं, सुधार का मौका: छोटी-मोटी गलतियों को अब अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। उल्लंघन पर पहले 30 दिन का नोटिस दिया जाएगा ताकि गलती सुधारी जा सके। अब 13 तरह के अपराधों में जेल की सजा हटाकर सिर्फ जुर्माना लगाया गया है।
• रिकॉर्ड रखना आसान: अब रजिस्टर और रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जा सकेंगे।
• जांच की समय सीमा: अब PF से जुड़ी जांच 5 साल से पुराने मामलों पर नहीं खोली जा सकेगी और जांच को 2 साल के भीतर पूरा करना होगा।
• अपील सस्ती: एम्प्लॉयर अब विवाद होने पर 25 प्रतिशत राशि जमा करके अपील कर सकते हैं, पहले यह 40-75 प्रतिशत थी।

7. रोजगार के नए अवसर
• करिअर सेंटर: पुराने एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज अब आधुनिक ‘करिअर सेंटर’ में बदलेंगे। ये ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से काम करेंगे। नियोक्ताओं को अपनी रिक्तियां यहां रिपोर्ट करनी होंगी, जिससे युवाओं को नौकरी ढूंढना आसान होगा।
सरकार ने कोशिश की है कि मजदूरों का शोषण बंद हो, उन्हें समय पर पैसा मिले और काम की जगह सुरक्षित हो। साथ ही, कंपनियों को बेवजह की कानूनी उलझनों से भी आजादी दी गई है ताकि वे अपना बिजनेस आसानी से बढ़ा सकें। यह एक आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत की नई शुरुआत है।










