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मोदी सरकार के 4 वर्ष: देश की युवाशक्ति में नई उम्मीदों का हुआ प्रवाह

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आज से चार वर्ष पूर्व देश में युवाओं की स्थिति याद कीजिए। कांग्रेस की कमजोर नीतियों के साथ घोटाले और भ्रष्टाचार के दौर ने युवाओं को हर तरह से निराश और हताश करके रख दिया था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बनी सरकार ने युवाओं पर विशेष फोकस किया। देश के लिए युवाशक्ति की भूमिका को प्रधानमंत्री ने पहचाना और राष्ट्रनिर्माण के लिए इस शक्ति को प्रेरित करने का काम किया। युवाओं को केंद्रित कर ना सिर्फ कई योजनाओं को तैयार किया गया, बल्कि उन्हें जमीन पर लागू भी किया गया। इन प्रयासों का नतीजा ये रहा है कि देश की युवाशक्ति ने एक ऐसी गति पकड़ी है जिससे न्यू इंडिया की राह आसान बनती दिख रही है।

स्टैंड अप इंडिया से वंचित वर्गों के युवाओं को नया बल

स्टैंड अप इंडिया योजना अनुसूचित जाति-जनजाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता और रोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से लॉन्च की गई थी। यानि यह मूल रूप से समाज के वंचित वर्गों को मदद देने वाली लोन स्कीम है। दो साल पहले लॉन्च हुई इस योजना के तहत 54,733 लोन मंजूर किए जा चुके हैं। स्टैंड अप इंडिया के तहत मंजूर किए गए 58,592 आवेदनों के आधार पर 12,709 करोड़ रुपये के लोन मंजूर किए जा चुके हैं। खास बात यह है कि इस योजना के तहत व्यापार शुरू करने पर पहले तीन साल तक इनकम टैक्स से छूट का भी प्रावधान है।

स्टार्ट अप इंडिया के लिए 10,000 करोड़ का फंड

युवाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए 16 जनवरी 2016 को लॉन्च की गई इस योजना के तहत अब तक 9,036 स्टार्ट अप को मान्यता दी जा चुकी है। स्टार्ट अप अभियान की शुरुआत करते हुए ही प्रधानमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया था कि वे जॉब सीकर नहीं, बल्कि जॉब क्रिएटर बनें। इस योजना के तहत 2025 तक 10,000 करोड़ रुपये का स्टार्ट अप फंड जारी  किया जाएगा। स्टार्ट अप के तहत लोन की व्यवस्था के तहत यह एक विशेष निर्देश है कि बैंक शाखाएं कम से एक दलित या आदिवासी और एक महिला उद्यमी को ऋण प्रदान करके प्रोत्साहित करेंगी। स्टार्ट अप इंडिया के तहत भी टैक्स छूट का प्रावधान है और सात आकलन वर्षों में से तीन वर्षों तक इनकम टैक्स से राहत रहेगी।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के करीब 12 करोड़ लाभार्थी

अपना कारोबार शुरू करने या कारोबार को बढ़ावा देने के मकसद से इस योजना की शुरुआत की गई थी। इस लोन के तहत शिशु, किशोर और तरुण तीन अलग-अलग-कैटेगरी में 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपये तक का लोन देने का प्रावधान है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है बिना गारंटी के लोन मुहैया होना। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान मुद्रा योजना के तहत 2,20,596 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण वितरित किए गए। 2015-16 और 2016-17 को मिलाकर 3,08,266 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए थे। इस योजना का लाभ अब तक करीब 12 करोड़ लोग उठा चुके हैं। 2018-19 में मुद्रा योजना के तहत बजट आवंटन को 20 प्रतिशत बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपये किया जा चुका है। मुद्रा योजना ने स्वरोजगार के साथ रोजगार के भी ढेर सारे अवसरों का निर्माण किया है।

स्किल इंडिया-हुनर को ट्रेनिंग से रोजगार के अवसर

इस योजना के अंतर्गत देश के युवाओं को उनके हुनर के अनुसार विविध कार्यक्षेत्रों में ट्रेनिंग देने  की व्यवस्था है जिससे रोजगार की भी प्राप्ति हो और आत्मविश्वास का भी निर्माण हो। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत देश भर में 13,000 ट्रेनिंग सेंटर खोले गए जहां 375 ट्रेड का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना के तहत नई ट्रेनिंग के लाभार्थियों में 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। इसके साथ ही देश के हर जिले में मॉडल ट्रेनिंग सेंटर प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (PMKK) खोले जा रहे हैं। अब तक 27 राज्यों के 484 जिले और 406 संसदीय क्षेत्रों में 526 कौशल केंद्रों को मंजूरी दी जा चुकी है जिनमें से 415 स्थापित भी किए जा चुके हैं।  स्किल इंडिया मिशन के तहत तीन साल में 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी गई।

शिक्षा की क्वालिटी के साथ अवसरों को बढ़ाने पर जोर

मोदी सरकार का Quality of Education और Quantity of Opportunities दोनों पर जोर है। केंद्र सरकार ने उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों की सभी परीक्षाओं को संचालित करने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी बनाई है। देश में एजुकेशन सिस्टम को मजबूती देने के लिए एचआरडी मंत्रालय की ओर से कई स्तर पर काम चल रहे हैं। GIAN (Global Initiative of Academic Networks), SWAYAM (Study Webs of Active–Learning for Young Aspiring Minds), Smart India Hackathon, Quality Education, रिसर्च और इनोवेशन इन सब को तेज करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही देश में 20 Institute of Eminence स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत कुछ चिन्हित Public Sector Institutions को 10 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। केंद्र सरकार ने सभी Indian Institute of Management को स्वायत्तता देने के लिए कानून बनाया है। इसके साथ ही कुछ महीने पहले ही यूजीसी ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए शिक्षा के उच्च मानकों को पूरा करने वाले 60 उच्च शिक्षा संस्थानों को भी स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है।

रिसर्च को प्राथमिकता

मोदी सरकार में रिसर्च पर भी विशेष बल है। Atal Innovation Mission के तहत देश भर में 2,400 से भी अधिक Atal Tinkering Lab को मान्यता दी गई है। सरकार ने स्वास्थ्य संस्थानों के साथ-साथ सभी तरह के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में जनरल और रिसर्च इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए निवेश को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार Revitalising of Infrastructure and Systems in Education यानि RISE के तहत 1 लाख करोड़ के निवेश की योजना पर काम कर रही है।

छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि से टैलेंट को बढ़ावा

केंद्र सरकार की National Means-cum-Merit Scholarship Scheme (NMMSS) के अंतर्गत 2014-15 से 2016-17 तक 3.81 लाख छात्रवृत्तियों को मंजूरी दी गई। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 4.13 लाख से अधिक छात्रवृत्तियों को मंजूर किया गया। वहीं National Scheme of incentive to Girls for Secondary Scholarship (NSIGSE) के तहत 2014-15 में 9.71 लाख छात्राओं को प्रोत्साहन राशि दी गई, जबकि 2017-18 में 9.73 लाख से अधिक छात्राओं को इसका लाभ मिला। AICTE के आंकड़ों के मुताबिक एमटेक के GATE क्वालिफाइड 11,862 स्टूडेंट्स के लिए करीब 292.50 करोड़ रुपये जारी किए गए। पिछले तीन वर्षों को जोड़ें तो यह रकम 1,076 करोड़ रुपये की है।

प्रधानमंत्री युवा योजना से भी उद्यमशीलता को बढ़ावा

इस योजना के तहत युवाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है जिसमें ई-लर्निंग और क्लास रूम टीचिंग पर फोकस है। ई-सेल वास्तविक जीवन में आने वाली परिस्थितियों से निपटने की क्षमता का विकास करने के लिए युवाओं की मदद करने को बनाया गया है। इस योजना में जितने भी संस्थान और स्टूडेंट शामिल होते हैं उनके लिए  भर में  55 रीजनल/नोडल हब के नेटवर्क के सहारे मदद की व्यवस्था है।

खेलो इंडिया कार्यक्रम की पुनर्संरचना

पुनर्संरचना की इस कवायद के तहत देश में स्पोर्ट्स कल्चर को नए सिरे से जमीनी स्तर पर विकसित किया जा रहा है। खेलों की दुनिया में भारत एक ताकत बने, इसके लिए अपने देश में खेले जाने वाले सभी खेलों के लिए एक मजबूत फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। खिलाड़ियों के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कमी ना रहे इसके लिए विभिन्न स्तरों पर प्राथमिक खेल विधाओं में चिन्हित किए गए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को 8 वर्षों तक 5 लाख रुपये सालाना की वित्तीय सहायता का भी प्रावधान किया गया है। 2017-18 से 2019-20 तक के लिए लगभग 1,756 करोड़ रुपये की वित्तीय राशि को मंजूरी दी जा चुकी है।

देश में खेलों के लिए पहली बार एक सकारात्मक और उत्साहजनक माहौल तैयार हो रहा है, इसका अंदाजा इसी वर्ष गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में भारत के प्रदर्शन से लगता है। यहां भारत 26 गोल्ड, 20 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज के साथ कुल 66 पदक जीतकर पदक तालिका में तीसरे स्थान पर रहा।  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं: ‘’ ‘खेलो इंडिया’ सिर्फ पदक जीतने का मसला नहीं है, यह खेल को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन है।’’

खेलों को बढ़ावा देने के लिए अन्य बड़ी गतिविधियां:

नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी (मणिपुर) – स्पोर्ट्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए यह अपनी तरह की पहली यूनिवर्सिटी है। यहां स्पोर्ट्स साइंस, स्पोर्ट्स टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और स्पोर्ट्स कोचिंग से संबंधित शिक्षा की व्यवस्था तो होगी ही, यह चुनिंदा ट्रेनिंग सेंटरों के लिए नेशनल ट्रेनिंग सेंटर के रूप में भी कार्य करेगी। 

पैरा एथलीट के लिए ट्रेनिंग सेंटर – पिछले वर्ष गांधीनगर, गुजरात में विश्वस्तरीय सुविधाओं वाला ट्रेनिंग सेंटर खोला गया जो पैरा एथलीटों को समर्पित है। देश में यह अपनी तरह का पहला ट्रेनिंग सेंटर है।

स्पोर्ट्स टैलेंट सर्च पोर्टल का लॉन्च – यह पोर्टल प्रतिभाशाली युवाओं के लिए एक ऐसा पारदर्शी मंच है जहां वे अपनी उपलब्धियों को अपलोड करते हैं। इसके आधार पर उनके लिए कई आगे बढ़ने के कई अवसरों की संभावनाएं बन रही हैं।

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