Home तीन साल बेमिसाल मोदी राज में बढ़ा आदिवासियों का सम्मान

मोदी राज में बढ़ा आदिवासियों का सम्मान

SHARE

जनजातीय समाज के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक के बाद एक कई काम किए हैं। पिछले तीन साल में साठ साल के बराबर काम हुए हैं। केंद्र सरकार ने जनजातीय लोगों के विकास के साथ ही उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्वायत्तता की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। मोदी सरकार की तत्परता के कारण सरकारी योजनाओं का फायदा दूर-दराज के जनजातीय लोगों को मिलने लगा है। अब वे देश के अन्य लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगे हैं।

आइए नजर डालते हैं मोदी सरकार की ओर से जनजातीय लोगों के लिए पिछले साल किए गए कार्यों पर-

जनजातीय शिक्षा
सरकार अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा के लिए विभिन्‍न योजनाओं का कार्यान्‍वयन कर रही है और छात्रवृत्तियां प्रदान कर रही है –

  • पिछले दो वर्षों 2014-15 और 2015-16 के दौरान अनुसूचित जनजाति होस्‍टलों और आश्रम विद्यालयों में 13,340 नई सीटे बनाई गई हैं।
  • पिछले दो वर्षों 2014-15 और 2015-16 के दौरान, प्रति स्‍कूल 480 छात्र की दर पर अनुसूचित जनजाति के 30,240 छात्रों की कुल क्षमता वाले 63 नए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) को मंजूरी दी गई है।
  • पिछले ढाई वर्षों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में पढ़ने वाले लगभग 50,000 छात्रों के लिए प्रति वर्ष 42000 रुपये प्रति छात्र की दर पर 630 करोड़ रुपये की आवर्ती निधियां उपलब्‍ध कराई गई हैं।
  • नौंवी और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले अनुसूचित जनजाति के लगभग 10 लाख छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष प्री- मैट्रिक छात्रवृत्तियों के रूप में लगभग 200 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
  • अनुसूचित जनजाति के लगभग 20 लाख छात्रों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष पोस्‍ट- मैट्रिक छात्रवृत्तियों के रूप में लगभग 750 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

विशेष प्रशिक्षण
रोजगार महानिदेशालय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को व्यावसायिक मार्गदर्शन, परामर्श सेवाएं व कंप्यूटर कोर्स के प्रशिक्षण के लिए 24 नेशनल कॅरियर सर्विस सेंटर चलाता है।

  • पिछले 2 सालों में लगभग 3.8 लाख एससी/एसटी उम्मीदवारों व्यावसायिक मार्गदर्शन व परामर्श प्रदान किया जा चुका है।
  • 33 हजार उम्मीदवार सचिवीय प्रैक्टिस आशुलिपि/टंकन का अभ्यास कर चुके हैं, 4300 उम्मीदवार विशेष कोचिंग योजना कर चुके है और 7800 उम्मीदवारों ने कंप्यूटर प्रशिक्षण कोर्स किया है।
  • इसके साथ ही 24 अनुसूचित जाति/जनजाति नेशनल कॅरियर सेंटर एनसीएस पोर्टल के साथ एकीकृत हैं। इसके अतिरिक्त 21 नेशनल कॅरियर सर्विस सेंटर निशःक्तजनों के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • पिछले 2 सालों में लगभग 69 हजार निशःक्तजनों की सहायता की गई और 24 हजार का विभिन्न संगठनों पुनर्वास किया गया है।

सिकल सेल एनेमिया
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस रोग को फैलने से रोकने की दिशा में पहल की है, ताकि सिकल सेल से पीडि़तों की देखभाल की जा सके और भावी पीढि़यों को इस बीमारी से बचाया जा सके। सिकल सेल प्रबंधन के लिए मार्च 2015 में एक प्रोटोकॉल जारी किया गया था, जिसका उद्देश्‍य इस रोग को फैलने को नियंत्रित करना था। देश भर में राज्‍य सरकारों के माध्‍यम से सिकल सेल के लक्षणों और जनजातीय लोगों में इसका पता लगाने के लिए में राज्‍यों में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। लगभग 1.1 करोड़ बच्‍चों और युवाओं की अब तक जांच की जा चुकी है।

राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवाल, 2016
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 25-28 अक्‍टूबर, 2016 को प्रथम राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवाल का सफल आयोजन किया। प्रधानमंत्री ने मुख्‍य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा में चार चांद लगाए और 25 अक्‍टूबर, 2016 को इंदिरा गांधी इनडोर स्‍टेडियम, नई दिल्‍ली में कार्निवाल का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह के दौरान देश भर से आई सैंकड़ों जनजातीय कलाकारों की मंडलियों ने परंपरागत वेशभूषा में कार्निवाल परेड में भाग लिया। देश भर के लगभग 20,000 प्रतिनिधियों ने भी इस समारोह में शिरकत की।

आजकल दलित-आदिवासियों के नाम पर वोटों की राजनीति करके टिकटों को बेचना और धन-उगाही करना उनका व्यवसाय बन गया है। अभी तक आदिवासी-दलितों के नाम पर सिर्फ दौलत बटोरने का ही काम किया है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में देश के लोगों को एक ऐसा मसीहा मिला है जो सही मायने में गांव, गरीब, दलित और किसानों के लिए काम कर रहे हैं।

Leave a Reply