प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ सबका विकास के मूलमंत्र को अपने चार सालों के शासन के दौरान हकीकत में बदला है। समाज के सभी वर्गों के विकास और कल्याण की चिंता करते हुए सभी के लिए विकास योजनाओं को लागू किया। ये योजनाएं केवल लागू ही नहीं हुईं, बल्कि इन्हें समय पर पूरा किया जा रहा है। पूर्ववर्ती सरकारों के 60 सालों की तुलना में प्रधानमंत्री मोदी के चार साल भारी पड़ते हैं। इन चार सालों में प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों के कल्याण के लिए दिल से काम किया है, जिसका परिणाम है दलितों का कल्याण और विकास।
आइये, आंकड़ों के जरिए आपको मोदी सरकार के दौरान दलितों के कल्याण के प्रयासों को बताते हैं-
बजट में दलितों के लिए अधिक धन– प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों के उत्थान के लिए बजट से अधिक धन के लिए 2017-18 से क्रांतिकारी बदलाव किया। पूर्व की सरकारें, दलितों की आबादी के प्रतिशत के अनुपात में बजट से धन नहीं देती थी। लेकिन 2017 -18 से केन्द्र में मोदी सरकार ने जाधव समीति की सिफारिशों को लागू कर दिया। अब दलितों की 2001 की जनगणना की जनसंख्या के अनुपातिक प्रतिशत के अनुसार बजट में धन की व्यवस्था की गई है। 2018-19 में दलित योजनाओं के लिए मोदी सरकार ने बजट में 8, 63, 944 करोड़ रुपये दिए हैं, जो अब तक का सबसे अधिक आवंटन है।
प्री-मैट्रिक दलित विद्यार्थियों की आर्थिक मदद को बढ़या- 19 सिंतबर 2017 से प्रधानमंत्री मोदी ने दलित परिवारों के बच्चों को मिलने वाली आर्थिक मदद का दायरा बढ़ा दिया। पहले यह मदद उन्हीं परिवारों के बच्चों को मिलती थी, जिनकी आमदनी सालाना 2 लाख रुपये थी। इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया। इसके साथ हॉस्टल में रहने वाले बच्चों को मिलने वाले 350 रुपये को बढ़ाकर 525 रुपये कर दिया और घर पर रहकर पढ़ने वाले बच्चों को 150 रुपये बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया। आंकड़े बताते हैं कि कैसे प्रतिवर्ष अधिक से अधिक दलित छात्रों को आर्थिक मदद की गई। आंकड़ें ये भी बताते हैं कि खातों में सीधे धन देने की डीबीटी योजना से कम बजट में अधिक दलित छात्रों को मदद पहुंचायी जा रही है।
वर्ष | रुपये (लाख में) | मदद पाने वालों की संख्या |
2014-15 | 51403.34 | 2513972 |
2015-16 | 52470.31 | 2444760 |
2016-17 | 50614.76 | 3660202 |
पोस्ट मैट्रिक दलित विद्यार्थियों को आर्थिक लाभ- मैट्रिक से आगे पढ़ाई को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही इस योजना के लिए सौ प्रतिशत धन दिया जाता है। इस पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के माध्यम से पुस्तकों से लेकर पढने आदि का खर्चा केन्द्र सरकार वहन करती है। तीन साल के आंकड़े बताते हैं कि इस योजना का लाभ दलित विद्यार्थियों को हर साल अधिक से अधिक संख्या में मिल रहा है-
साल | रुपये (लाख में) | मदद पाने वालों की संख्या |
2014-15 | 196337.63 | 5318123 |
2015-16 | 221388.00 | 5651355 |
2016-17 | 279876.65 | 5862121 |
दलित छात्रों के लिए यूजीसी की फेलोशिप- दलित छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए 2000 जूनियर फेलोशिप और सिनियर फेलोशिप प्रतिवर्ष यूजीसी से दिया जाता है। जूनियर फेलोशिप के लिए हर माह 25,000 रुपये और सिनियर फेलोशिप के लिए हर माह 28,000 रुपये दिया जाता है। आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के चार सालों के दौरान हर साल 2000 फेलोशिप दलित छात्रों को दिया जा रहा है-
साल | रुपये (करोड़) | छात्र | छात्राएं | कुल विद्यार्थी |
2014-15 | 148.84 | 1064 | 966 | 2000 |
2015-16 | 200.55 | 1090 | 910 | 2000 |
2016-17 | 196.00 | 1340 | 660 | 2000 |
2017-18 | 200.00 | 1065 | 935 | 2000 |
दलितों के अन्तरजातीय विवाह करने पर आर्थिक सहायता-मोदी सरकार ने दलितों के अन्तरजातीय विवाह के लिए पूरे देश में एक समान आर्थिक सहायता 2.5 लाख रुपयों की कर दी। इससे पहले राज्यों द्वारा दलितों को अन्तरजातीय विवाह के लिए अलग-अलग राशि दी जाती थी। मोदी सरकार के हर साल इसके लिए आवंटन धन बढ़ा है। 2015-16 में जहां 120 करोड़ रुपये दिये, वहीं 2016-17 में 228.49 करोड़ रुपये और 2017-18 में 31 दिसबंर 2017 तक 300 करोड़ रुपये दिये गये। इसका लाभ लेने वाले दलित युवकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
साल | रुपया(करोड़ में) | मदद पाने वालों की संख्या |
2015-16 | 119.07 | 17065 |
2016-17 | 222.56 | 17218 |
2017-18 | 294.38 | 21079 |
दलितों के लिए प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना-प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत उन गांवों को आदर्शों गांवों में विकसित किया गया, जिनकी आबादी में 50 प्रतिशत जनसंख्या दलितों की है। इन दलित बाहुल्य गांवों में दलित परिवारों के लिए आवास, सड़कें, बिजली, रोजगार और सुरक्षा के लिए मोदी सरकार ने पूरा धन दिया है। देश के 25,000 गांवों में इस केन्द्रीय योजना से दलितों का कल्याण हो रहा है। राज्यों के Scheduled Castes Sub Plan के लिए Special Central Assistance के रूप में केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों द्वारा दलितों के लिए बनाये गये Sub Plan में 100 प्रतिशत का अंशदान करती है। पिछले चार सालों में मोदी सरकार ने का अंशदान कुछ इस प्रकार रहा, जो लगातार बढ़ता रहा है-
साल | रुपये (करोड़ में) | सहायता पाने वालों की संख्या (लाख में) |
2014-15 | 700 | 10.08 |
2015-16 | 800 | 68.33 |
2016-17 | 800 | NA |
2017-18 | 800 | 100.5 |
दलित युवाओं के उद्यम और रोजगार की व्यवस्था की गई-दलित युवाओं को स्वालंबी बनाने के लिए केन्द्र सरकार की तरफ से कई योजनाएं प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के प्रथम वर्ष से ही चलायी जा रही हैं। केन्द्र सरकार State Scheduled Castes Development Corporations (SCDCs) को धन देती है जो दलित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं के तहत लोन देती है। इस समय 23 राज्यों और 4 केन्द्र शासित क्षेत्रों में यह योजना चल रही है, जहां दलित आबादी की उपस्थिति अच्छी खासी है।
साल | रुपये(करोड़ में) | लाभ लेने वालों की संख्या |
2014-15 | 20 | 182039 |
2015-16 | 20 | 138803 |
2016-17 | 20 | NR |
2017-18 | 20 | NR |
देश में दलित युवाओं के लिए पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत हुई– प्रधानमंत्री मोदी ने दलित युवाओं को स्टार्ट अप शुरू करने के लिए देश में पहली बार वेंचर कैपिटल फंड की शुरुआत की। Venture Capital Fund for Scheduled Castes को मोदी सरकार ने 16 जनवरी 2015 को शुरू किया। इस योजना को IFCI Venture Capital Fund Ltd. नियंत्रित करता है। य़ह कोष दलित युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा देता है। यह उन दलित उद्यमियों की सहायता करता है जो नवाचार के जरिए समाज में कुछ नया करना चाहते हैं। इसमें उन कंपनियों को 20 लाख से 15 करोड़ का लोन दिया जाता जिसमें 50 प्रतिशत या उससे अधिक दलित स्वामित्व होता है। 2017 में 31 दिसबंर तक के आंकड़े सरकार के प्रयासों का ठोस सबूत है-
कोष के लिए दिया गया धन | 265.61 करोड़ रुपये |
लोन लेने वाली कंपनियों की संख्या | 71 |
कंपनियों को दिया गया धन | 151.87 करोड़ रुपये |
दलित उद्यमियों के उद्यम को कर्ज लेने के लिए 5 करोड़ रुपये तक की गांरटी देने के लिए भी देश में पहली बार “Credit Enhancement Guarantee Scheme for Scheduled Castes” की शुरुआत हुई। जुलाई , 2014 के अपने पहले बजट में मोदी सरकार ने 200 करोड़ रुपये का कोष इस योजना के लिए दिए। इसके तहत विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के जरिए स्टार्ट अप को ऋण उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया। इस योजना को 6 मई 2015 को लागू किया गया। यह योजना IFCI के माध्यम से चल रही है। IFCI, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को धन देता है जो उन दलित उद्यमियों को 5 करोड़ की गारंटी देते हैं जिन्हें 15 लाख लोन पाने का हक है।
दलितों को उद्योग-धंधे लगाने के लिए सहायता– प्रधानमंत्री मोदी ने दलित समाज को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए कई योजनाओं की तरह मुद्रा योजना की भी शुरुआत की। 31 मार्च 2017 तक दलितों के लिए 2, 25 00, 194 मुद्रा खाते खुले, जो कुल मुद्रा खातों का 57 प्रतिशत है। इस माध्यम से समुदाय के लोगों को 67,943.39 करोड़ का लोन आवंटित किया गया। साथ में ही उद्यमियों को हर संभव मदद देने के लिए अनुसूचित जाति/जनजाति हब की स्थापना की गई। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी नीति बनाई है कि सार्नजनिक उपक्रम अपनी खरीदारी का 4 प्रतिशत सामान अनुसूचित जाति/जनजाति उद्यमियों से खरीदें।
दलित युवाओं के कौशल विकास के लिए धन की व्यवस्था- दलित परिवारों के बच्चों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए National Scheduled Castes Finance And Development Corporation के द्वारा कौशल विकास का पूरा खर्च वहन किया जाता है। यह खर्च गांवों में उन परिवारों को जिनकी सालाना आमदनी 98,000 रुपये और शहरों में उन परिवारों को जिनकी आय 1,20,000 रुपये सालाना है।
साल | रुपये (करोड़ में) | लाभ लेने वाले युवाओं की संख्या |
2015-16 | 378.94 | 71,915 |
2016-17 | 478.98 | 82,105 |
दलित उत्पीड़न कानून को संशोधित करके सख्त बनाया- देश में पहले से चले आ रहे दलित उत्पीड़न कानून 1989 को प्रधानमंत्री मोदी ने संशोधित करके और अधिक सख्त बनाया। इस सख्त कानून को 26 जनवरी 2016 को लागू भी कर दिया गया। इस संशोधन से दलितों को त्वरित न्याय दिलाने की मोदी सरकार की मुहिम को बल मिला। कानून में दलित उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई करने के लिए विशेष अदालतों के गठन और सरकारी वकीलों की उपलब्धता को सुनिश्चित कर दिया गया। नये कानून में यह भी सुनिश्चचित कर दिया गया कि आरोपपत्र दाखिल होने के दो महीने के अंदर न्याय दे दिया जाए। नये कानून के तहत दलितों को मिलने वाली सहायता राशि को स्थिति के अनुसार 85,000 रुपये से 8,25,000 रुपये तक कर दिया गया। NCRB 2016 की रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी ने दलितों को सुरक्षा देने में पूर्ववर्ती सरकारों से काफी अच्छा काम किया है। दलितों के विरुद्ध अपराध करने वालों को सजा दिलाने में भाजपा शासित राज्य, कांग्रेस शासित राज्यों से कहीं आगे है-
कांग्रेस शासित और अन्य दलों द्वारा शासित राज्य इस मामले में काफी पीछे हैं-
यूपीए के शासनकाल में दलितों के विरुद्ध अपराध लगातार बढ़ रहे थे और अपराधियों को सजा नहीं मिल रही थी-
3.5 करोड़ गरीब-दलित परिवारों को गैस का कन्केशन दिया गया- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने जो काम किया है, उसने गरीबों के घर में रौनक ला दी है। 10 अप्रैल 2018 तक देश के 712 जिलों में 3 करोड़ 57 लाख 10 हजार 876 गैस कन्केशन गरीब-दलित परिवारों का दिया जा चुका है।
तीन लाख से अधिक गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिली- तेजी से लागू किये जा रहे स्वच्छता मिशन का परिणाम है कि हर रोज हजारों की संख्या में दलित परिवारों के लिए शौचालयोंं का निर्माण हो रहा है। 10 अप्रैल 2018 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में तीन लाख से अधिक गांवों में 6.5 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है, और आशा है कि इस साल के अंत तक देश के अधिकांश राज्य खुले में शौच से मुक्त हो जायेगें।
देश के सभी दलित गांवों में बिजली पहुंची- दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत देश के लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। देश में 597,464 गांवों में से 597,265 गांवों बिजली रिकार्ड समय में पहुंच चुकी है।
डा. अंबेडकर फाउंडेशन से दलितों का कल्याण- प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन के माध्यम से देश के दलितों में पुर्नजागरण की चेतना को जगाने का भरपूर काम किया और इसके तहत कई काम किये गये-
- बाबा साहेब की 125 वीं जयंती का भव्य आयोजन
- डा. अंबेडकर अंतराष्ट्रीय केन्द्र की स्थापना रिकार्ड दो सालों में 195 करोड़ की लागत से की गयी।
- वर्ष 2015 से 14 अप्रैल को समरसता दिवस के रुप में मनाने का निर्णय ।
- 30 सितंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर डाक टिकट जारी किया ।
- 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में हर वर्ष 26 जनवरी को संविधान दिवस मनाने का निश्चय किया ।
- महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने लंदन 10, किंग हेनरी रोड पर स्थित उस भवन को खरीद लिया जहां अंबेडकर ने रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
- 06 दिसंबर 2015 को 125 वीं जयंती के अवसर पर दस रुपये और 125 रुपये के सिक्के जारी किए गये।
- डां अंबेडकर चिकित्सा सहायता योजना के तहत 2.5 लाख रुपये सालाना की आमदनी वाले परिवारों को मुफ्त मेडिकल सुविधा देने की योजना है जिनकी आय 2.5 लाख रुपये सालाना है।