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मोदी सरकार ने ऑटो सेक्टर को दिया 26000 करोड़ रुपये का पैकेज, देश में मैन्‍युफैक्‍चरिंग को मिलेगा बढ़ावा, 7.5 लाख नौकरियां होंगी सृजित

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मोदी सरकार कोरोना संकट से परेशान उद्योगों को राहत देने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लगातार बड़े-बड़े फैसले कर रही है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने बुधवार (15 सितंबर, 2021) को ऑटो सेक्टर को 26,000 करोड़ रुपये की नई उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी। इससे उन कंपनियों को फायदा होगा जो कार, ऑटो पार्ट और दूसरे उत्‍पाद बनाती हैं। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक व्‍हीकल की मैन्‍युफैक्‍चरिंग को देश में ही बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय कैबिनेट की ब्रीफिंग में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार भारत की ऑटो कंपोनेंट ग्लोबल मार्केट में 2 प्रतिशत शेयर बढ़ाना चाहती है। इसके लिए ऑटो सेक्टर में आयात को कम करके कंपोनेंट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पीएलआई योजना के तहत पांच वर्षों में 42,500 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश होगा और 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वृद्धिशील उत्पादन होगा। इससे भारत की विनिर्माण क्षमता मजबूत होगी। पर्यावरण दुरुस्‍त होगा। इलेक्ट्रिक वाहन बाजार को बूस्‍ट मिलेगा। साथ ही ऑटो सेक्टर में 7.5 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे। गौरतलब है कि पीएलआई योजना के तहत सरकार कंपनियों को अतिरिक्त उत्पादन करने और ज्यादा निर्यात करने के लिए प्रोत्साहन देगी। इस योजना का उद्देश्य देश में प्रतियोगी माहौल बनाने के लिए निवेशकों को आकर्षित करना है।

ऑटो सेक्टर लिखेगा तरक्की की नई इबारत

ऑटो कंपनियों के संगठन SIAM ने मोदी सरकार की इस पीएलआई योजना का स्वागत करते हुए कहा कि इससे ऑटो सेक्टर तरक्की की नई इबारत लिखेगा। राहत पैकेज के तहत ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन, ऑटोमेटिक ब्रेकिंग,इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग सिस्टम जैसे ऑटो कम्पोनेंट सेक्टर को भी प्रोत्साहन मिलेगा। पीएलआई योजना को मंजूरी मिलने के बाद ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं के शेयरों में तेजी देखने को मिली। इसका असर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर भी पड़ा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, निफ्टी ऑटो इंडेक्स पर ऑटो शेयरों में 0.5 प्रतिशत बढ़त देखी गई।

दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा भारत

मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत अभ‍ियान के तहत देश में ही मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई स्कीम के तहत विभ‍िन्न सेक्टर को राहत दे रही है। सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य यह है कि चीन की तरह भारत भी दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बने। इसका असर भी दिखने लगा है। भारत ने अमेरिका को मैन्युफैक्चरिंग के मामले में तीसरे नंबर पर पीछे धकेल दिया है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे पसंदीदा मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। मैन्युफैक्चरर्स अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के मुकाबले भारत में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।

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