वर्ष 2022 आदिवासी समाज के उत्थान की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हुआ। इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार देश के सबसे पिछड़े जनजातीय समाज यानि आदिवासियों के कल्याण के लिए समर्पित रही। आदिवासियों के उत्थान के लिए ऐसे अनेक काम हुए जो इससे पहले कभी नहीं हुए थे। मोदी सरकार ने जहां देश को पहला आदिवासी महिला राष्ट्रपति दिया, वहीं नई-नई योजनाएं लाकर और उनका क्रियान्वयन कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया। मोदी सरकार ने जनजातीय लोगों के विकास के साथ ही उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्वायत्तता की सुरक्षा के लिए भी कई कदम उठाए। प्रधानमंत्री मोदी की तत्परता से सरकारी योजनाओं का लाभ तमाम राज्यों के दूर-दराज के इलाकों में बसे जनजातीय लोगों को मिलने लगा है। आइए देखते हैं किस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में भी आदिवासी समाज को सम्मान देकर उनका खोया हुआ गौरव लौटने का काम किया।
15 नवंबर 2022 को धूमधाम से मना जनजातीय गौरव दिवस
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने इस वर्ष 15 नवंबर 2022 को जनजातीय गौरव दिवस समारोहों का नेतृत्व किया। जनजातीय गौरव दिवस पर 15 नवंबर को राष्ट्रपति ने झारखंड के खूंटी जिले में उलिहातु गांव (भगवान बिरसा मुंडा के जन्म स्थान) का दौरा किया और उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। गांवों और सुदूर क्षेत्रों सहित कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक विभिन्न समारोहों और कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी। युवाओं का मार्च एवं राज्यों की राजधानियों में राज्यों के जनजातीय कलाकारों द्वारा प्रदर्शनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, संगोष्ठी/कार्यशालाओं का आयोजन, निबंध, गायन, नृत्य, क्रीड़ा तथा चित्रकारी प्रतियोगिताओं जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था। देश भर में स्वच्छता अभियानों का भी आयोजन किया गया। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 2021 में भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
आदिवासी हस्तशिल्प की विदेशों में मांग, 12 करोड़ डॉलर की कमाई
देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हैंडीक्राफ्ट में ट्राइफेड प्रोडक्ट्स की भी बड़ी हिस्सेदारी है, जिन्हें अब ग्लोबल मार्केट भी मिलने लगा है। यही वजह है कि आज आदिवासी समाज भी देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है और भारत के आदिवासी समाज की अविश्वसनीय हस्तशिल्प एक वैश्विक पहचान बन रही है। नवंबर 2022 में जारी आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 12 करोड़ डॉलर से अधिक की कमाई की। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं। आज दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं। आदिवासी उत्पादों को बेचने में ट्राइफेड इंडिया मंच प्रदान करता है और एक कनेक्टर की भूमिका निभाता है। आज आदिवासी हस्तशिल्प देश में 100 से ज्यादा रिटेल स्टोर पर उपलब्ध हैं।
पीएम मोदी ने मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 01 नवंबर, 2022 को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम पहुंचकर वहां भील स्वतंत्रता सेनानी संत गोविंद गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने धूणी पर पहुंचकर पूजन किया और आरती उतारी। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 1913 में ब्रिटिश सेना की गोलीबारी में जान गंवाने वाले आदिवासियों को भी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिया। इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्री उनके साथ थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि वह सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें एक बार फिर से मानगढ़ धाम में आकर शहीद आदिवासियों के सामने सिर झुकाने का मौका मिला है। गौरतलब है कि 109 साल पहले 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ टेकरी पर अंग्रेजी फौज ने आदिवासी नेता और समाज सेवक गोविंद गुरु के 1500 समर्थकों को गोलियों से भून दिया था। गोविंद गुरु से प्रेरित होकर आदिवासी समाज के लोगों ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ ‘भगत आंदोलन’ चलाया था।
गुमनाम जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों पर सचित्र पुस्तक का प्रकाशन
आदिवासियों की भी आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अब प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर आजादी के अमृत काल में आदिवासी बलिदानियों के इतिहास को रोचक तरीके से संजोया जा रहा है। इसी कड़ी में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा गुमनाम महिला स्वतंत्रता सेनानियों एवं आदिवासी सेनानियों के बलिदान की कहानियों को अमर चित्रकथा के साथ मिलकर सचित्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित कर जारी किया। इसमें उन रानियों की कहानियां हैं जिन्होंने साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ संघर्ष में साम्राज्यवादी शक्तियों से संघर्ष किया और जिन महिलाओं ने मातृभूमि के लिए अपना जीवन समर्पित किया और यहां तक कि बलिदान करने से पीछे नहीं हटीं। इसी तरह गुमनाम जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों पर सचित्र पुस्तक का प्रकाशन किया गया है।
ईएमआरएस छात्रों के एक वर्चुअल ‘संवाद ‘का आयोजन
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 9 अगस्त 2022 को विश्व के देशज लोगों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जन मुंडा और केंद्रीय जनजातीय कार्य तथा जलशक्ति राज्य मंत्री बिश्वेसर टुडु के साथ 378 स्कूलों के ईएमआरएस छात्रों के एक वर्चुअल परस्पर वार्ता ‘संवाद‘ का आयोजन किया। 378 ईएमआरएस वर्चुअल तरीके से परस्पर वार्ता सत्र में शामिल हुए। अर्जुन मुंडा के साथ बातचीत करते हुए ईएमआरएस के विद्यार्थियों ने द्रौपदी मुर्मू को स्वतंत्रता के बाद से हमारे देश की प्रथम जनजातीय राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने पर प्रसन्न्ता व्यक्त की। विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार ने जनजातीय आबादी की शिक्षा की चुनौती को मिशन मोड में लिया है और जनजातीय कार्य मंत्रालय उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है।
भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू
आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण किया। इसके साथ ही वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं। राष्ट्रपति मुर्मू, जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की उम्मीदवार थी, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा के खिलाफ भारी अंतर से जीत हासिल की। 20 जून, 1958 को स्वर्गीय बिरंची नारायण टुडू के घर जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के सबसे दूरस्थ और अविकसित जिलों में से एक से हैं। अपने बचपन में आने वाली प्रतिकूलताओं के बावजूद, मुर्मू ने अपनी शिक्षा पूरी की और 1994-1997 तक बिना वेतन के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में सेवा करके अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। मुर्मू ने 1997 में एक पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2015 में झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ ली और 2021 तक इस पद पर रहीं। झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल में भी, मुर्मू का नाम पहली महिला राज्यपाल के साथ-साथ पहली ओडिया महिला और आदिवासी नेता के रूप में भी जाता है।
जनजातीय पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया गया
भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनने पर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की ऐतिहासिक विजय का समारोह मनाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 23 जुलाई 2022 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान में देश भर के जनजातीय पद्म पुरस्कार विजेताओं तथा अनुसूचित जनजाति के सांसदों की मेजबानी की। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजातीय समुदाय के पद्म पुरस्कार विजेताओं द्वारा आज साझा की गई जीवन यात्रा को सुनना एक शानदार अनुभव रहा है। उन्होंने कहा कि पद्म पुरस्कार विजेताओं और उनकी यात्रा के साथ-साथ उपलब्धियां सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इन पद्म पुरस्कार विजेताओं का समाज में बहुत बड़ा योगदान है। अर्जुन मुंडा ने आग्रह किया कि हमें इन उपलब्धि हासिल करने वालों को सम्मान देना चाहिए जिन्होंने जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। मुंडा ने कहा कि हमें भारत@75 से भारत@100 तक पहुंचने के दौरान जनजातीय लोगों के जीवन और जनजातीय समाज को बदलने के लिए किए गए कार्यों के लिए पुरस्कार विजेताओं से प्रेरणा लेनी चाहिए।
अर्जुन मुंडा ने पालघर में ‘मंथन शिविर‘ का उद्घाटन किया
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने 14 जुलाई 2022 को महाराष्ट्र के पालघर में जनजातीय समुदायों की अधिकारिता, कल्याण और विकास पर एक दो दिवसीय संगोष्ठी ‘मंथन शिविर‘ का उद्घाटन किया। केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री बिश्वेसर टुडु भी इस अवसर पर उपस्थित थे। संगोष्ठी में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों, राज्य शुल्क निर्धारण समिति, अनुदान विभाग तथा जनजातीय संग्रहालयों द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत विभिन्न कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें अनुसूचित जनजाति घटक जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर चर्चा भी शामिल थी। महाराष्ट्र के अतिरिक्त, जम्मू कश्मीर, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गोवा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, गुजरात, दादर एवं नागर हवेली, असम, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु के जनजातीय कल्याण विभागों के प्रतिनिधियों ने भी संगोष्ठी में भाग लिया।
डिजिटल उद्यमिता के माध्यम से जनजातीय समुदायों का उत्थान
जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने 28 जून 2022 को गोईंग ऑनलाइन ऐज लीडर्स (जीओएएल) कार्यक्रम का दूसरा चरण आरंभ किया। यह कार्यक्रम जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा मेटा (फेसबुक) की एक संयुक्त पहल है। जीओएएल 2.0 पहल का लक्ष्य देश के जनजातीय समुदायों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के जरिये 10 लाख युवाओं को डिजिटल रूप से कौशल प्रदान करना है तथा उनके लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए अवसरों को खोलना है। गौरतलब है कि गोल कार्यक्रम के पहले चरण को मई, 2020 में एक प्रमुख परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। इस चरण में प्रशिक्षुओं को तीन पाठ्यक्रम आधारों में 40 घंटे से अधिक का प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। ये पाठ्यक्रम थे- 1. संचार व जीवन कौशल, 2. डिजिटल उपस्थिति को सक्षम बनाना और 3. नेतृत्व व उद्यमिता। गोल कार्यक्रम के पहले चरण के तहत 23 राज्यों के 176 जनजातीय युवाओं को एक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के माध्यम से चयन किया गया। फेसबुक ने प्रशिक्षुओं को एक स्मार्ट फोन व इंटरनेट कनेक्टिविटी भी प्रदान की गई थी।
खूंटी में मेगा स्वास्थ्य शिविर आयोजित, 60,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया
जनजातीय कार्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय एवं स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त रूप से झारखंड में 26 जून, 2022 को मेगा स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया। देश भर के 350 से अधिक चिकित्सक सिकल सेल रोग, रक्तहीनता तथा अन्य रोगों के लिए 60,000 से अधिक जनजातीय लोगों के उपचार के लिए एकत्रित हुए। स्वास्थ्य मेले में, चिकित्सकों ने लोगों की निशुल्क जांच की तथा निशुल्क दवाइयां बांटीं। मेगा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन ‘अबुअ: बुगिन होड़मो’ यानि हमारा बेहतर स्वास्थ्य विषयक विस्तृत कार्यक्रम का हिस्सा था। इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश भर के अनुसूचित जनजातियों के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच सेवा प्रदान करके और मुफ्त चिकित्सा उपकरण वितरित करके उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना है।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव समारोहों के एक हिस्से के रूप में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 7 जून, 2022 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान का उद्घाटन किया। एनटीआरआई एक प्रमुख और सर्वोच्च राष्ट्रीय स्तरीय संस्थान है और इसकी परिकल्पना अकादमिक, कार्यकारी और विधायी क्षेत्रों में जनजातीय विचारों, मुद्दों और मामलों के आधार के रूप में की गई है। यह अन्य विख्यात अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संगठनों तथा अकादमिक निकायों एवं संसाधन केंद्रों के साथ सहयोग और नेटवर्क स्थापित करता है। यह 27 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई), उत्कृष्टता केंद्रों (सीओई), एनएफएसटी के शोध विद्वानों की परियोजनाओं की निगरानी भी करता है। इसने अनुसंधान एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के लिए मानदंड स्थापित कर रखे हैं।
927 करोड़ बढ़ा जनजातीय मंत्रालय का बजट
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए 8451 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय में 927 करोड़ की उल्लेखनीय वृद्धि की गई, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट परिव्यय 7524.87 करोड़ रुपये का रहा था। इस प्रकार, इसमें 12.32 प्रतिशत की बढोततरी की गई। अनुसूचित जनजाति घटक के रूप में 87,584 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई, जबकि इससे पिछले वर्ष यह राशि 78,256 करोड़ रुपये रही थी। अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए 41 केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा यह राशि आवंटित किए जाने की आवश्यकता है। जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने 2022-23 के लिए एक उत्कृष्ट बजट पेश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह बजट समावेशी एवं हर वर्ग को सशक्त बनाने की दृष्टि से बनाया गया बजट है। हमारी सरकार ने अगले 25 वर्षों में समृद्ध अर्थव्यवस्था को चलाने का खाका तैयार किया है। यह एक ऐसा बजट है जो ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा, मांग को बढ़ावा देगा और एक मजबूत, समृद्ध और आत्मविश्वास से भरे भारत के लिए क्षमता का निर्माण करेगा।
डीबीटी के माध्यम से 26.37 लाख छात्रवृत्ति का वितरण
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 1 अप्रैल 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक डीबीटी के माध्यम से 26.37 लाख जनजातीय छात्रों को छात्रवृत्ति का वितरण किया। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 1 अप्रैल 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक 2637669 छात्रों को विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए 2149.70 करोड़ रुपये की एक राशि जारी की। इन योजनाओं में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए मैट्रिक-पश्चात छात्रवृत्ति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए उच्चतर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय अध्येता स्कीम, अनुसूचित जनजाति के छात्रों (टौप क्लास) के लिए उच्चतर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति स्कीम, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को विदेशों में पढ़ने के लिए राष्ट्रीय ओवरसीज छात्रवृत्ति शामिल है।
ईएमआरएस शिलान्यास और उद्घाटन समारोह
वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्रीय एवं राज्य स्तर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 20 ईएमआरएस के लिए आधारशिला रखी गई। इन विद्यालय की स्थापना 6 राज्यों के 14 जिलों में की जा रही है। 20 विद्यालय में से 11 नागालैंड में, 5 ओडिशा में तथा एक-एक गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और मणिपुर में है। ये विद्यालय देश के सबसे सुदूर पहाड़ी एवं वन क्षेत्रों में स्थित हैं। प्रगतिशील भारत तथा इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के 75 वर्षों के गौरवशाली इतिहास का समारोह मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल, आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्रीय एवं राज्य स्तर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 12 ईएमआरएस का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन किए गए 12 विद्यालयों में से 4 विद्यालयों का उद्घाटन आंध्र प्रदेश में, 2-2 विद्यालयों का उद्घाटन अरुणाचल प्रदेश एवं केरल में एवं 1-1 विद्यालय का उद्घाटन गुजरात, सिक्किम, तमिलनाडु तथा तेलंगाना में किया गया।
पीएमएएजीवाई के तहत जनजातीय बहुल गांवों का समग्र विकास
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2021-22 से 2025-26 के दौरान कार्यान्वयन के लिए ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) नामकरण के साथ जनजातीय उप-योजना (एससीए से टीएसएस) के लिए ‘विशेष केंद्रीय सहायता की पिछली योजना का पुनरोद्धार किया, जिसका लक्ष्य लगभग 4.22 करोड़ (कुल जनजातीय आबादी का लगभग 40 प्रतिशत) की जनसंख्या को कवर करते हुए उल्लेखनीय जनजातीय आबादी के साथ गांवों का समेकित विकास करना है। इसमें अधिसूचित एसटी के साथ सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी और 500 एसटी वाले 36,428 गांवों को कवर करने की परिकल्पना की गई है। इस स्कीम का मुख्य उद्वेश्य संयोजन दृष्टिकोण के माध्यम से चयनित गांवों का समेकित सामाजिक- आर्थिक विकास अर्जित करना है। 2021-22 और 2022-23 के दौरान कुल लगभग 16554 गांवों का लिया गया है। अभी तक, 1927.00 करोड़ रुपये की राशि पहले ही राज्यों को जारी की जा चुकी है।