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राजस्थान के अलवर में दलित की मॉब लिंचिंग, सेक्युलरिज्म के ठेकेदार मौन, भीम-मीम की दुहाई देने वाले भी नदारद

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राजस्थान के अलवर में एक दलित युवक की मॉब लिंचिंग कर दी गई। लेकिन मॉब लिंचिंग शब्द को लेकर देश और दुनिया में तूफान खड़ा करने वाले सभी मौन है, क्योंकि मरने वाले का नाम योगेश जाटव, मारने वाले मुस्लिम और राज्य में कांग्रेस की सरकार है। इस मामले को लेकर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर आरोप लगाया है कि दलित की मौत पर सेक्युलरिज्म और दलितों के ठेकेदार सभी चुप है। 

मालवीय ने ट्वीट कर लिखा है, “अलवर में पहलू खां के मामले के बाद एक बार फिर मॉबलिंचिंग का मामला सामने आया है। इस बार मृतक 17 वर्षीय दलित युवक योगेश है। लेकिन हिंदुस्तान में सेक्युलरिज़म के ठेकेदार चुप हैं क्योंकि मारने वाले समुदाय विशेष से हैं, और मरने वाला दलित। भीम-मीम की दुहाई देने वाले भी नदारत हैं।”

दरअसल घटना अलवर जिले में बड़ौदामेव पुलिस थाना क्षेत्र के मीना का बास गांव की है। यहां 15 सितंबर को 17 वर्षीय दलित नाबालिग योगेश जाटव बाइक पर अपने घर जा रहा था। रास्ते में टूटी सड़क से बचाते समय उसकी बाइक मेव समाज की 10 वर्षीय बच्ची से टकरा गई। इस पर बच्ची के साथ जा रही महिलाओं ने नाबालिग के साथ मारपीट करना शुरू कर दी। कुछ ही देर में समुदाय विशेष के लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई और नाबालिग के साथ बेरहमी से मारपीट की। मारपीट में नाबालिग बुरी तरह से घायल हो गया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने रसीद, मुबीना, साजेत पठान और तीन अन्य के खिलाफ मारपीट एवं हत्या का मुकदमा दर्ज कराया।

रविवार दोपहर बाद मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने शव अलवर-भरतपुर मार्ग पर रखकर विरोध जताया। मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता एवं आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग की। हैरानी की बात यह है कि इस मामले में पुलिस ने मॉब लिंचिंग वाली धारा भी नहीं लगाई थी। विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने SC/ST एक्ट के अलावा अब मॉब लिंचिंग की धारा भी लगा दी है। मृतक के परिजनों ने बड़ौदा मेव के पुलिस थाना अधिकारी इलियास पर आरोपितों को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने थाना अधिकारी को निलंबित करने की मांग भी की।

राजस्थान भाजपा के पूर्व प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा, “राजस्थान के अलवर में शांतिदूतों की भीड़ ने मासूम युवक योगेश को पीट पीट कर मार डाला। सेक्यूलर बिछुओं के कानों तक आवाज़ नहीं पहुँचेगी। क्योंकि मरने वाला योगेश और मारने वाले रशिद, साजित पठान, मूबिना और उसके साथी हैं।’ उनकी बात बिलकुल सही है। आजकल हंगामा मृतकों और आरोपितों का मजहब देख कर होता है।

अलवर की सड़कों पर हजारों की भीड़ इंसाफ की मांग कर रही थी, लेकिन सेक्युलर और वामपंथी मीडिया के कानों तक पीड़ितों की आवाज नहीं पहुंची। मॉब लिंचिंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले ओवैसी भी चुप है, क्योंकि मारने वाले उनके समुदाय से हैं। कांग्रेस और अन्य सेक्युलर पार्टियों के नेता अलवर का रास्ता भूल गए हैं, क्योंकि उन्हें सेक्युलर पार्टी का दर्ज खत्म होने और पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों के नाराज होने का डर सता रहा है। 

इस घटना ने चंद्रशेखर, उदित राज, दिलीप मंडल, हंसराज मीणा जैसे दलित ठेकेदारों की भी पोल खोलकर रख दी है। ये सभी इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे हुए है। उनका दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है। वे कांग्रेस और अन्य तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के प्यादे हैं, जो उनके इशारे पर सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में दलितों के मामले में घड़ियाली आंसू बहाते हैं। ये दलित ठेकेदार सेक्युलर पार्टियों के पैसे पर पलते हैं और मुस्लिमों का वोट पाने के लिए अपने ही समाज के लोगों के साथ गद्दारी करते हैं। 

 

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