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मनसुख हिरेन मामले में बढ़ी उद्धव ठाकरे की परेशानी: महाराष्ट्र विधानसभा में गूंजा ‘ये सरकार खूनी है’ का नारा

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मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर मिली जिलेटिन रॉड से भरी कार के मालिक मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत का मामला महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गया है। मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि मनसुख हिरेन से पूछताछ के नाम पर मुंबई पुलिस उन्हें परेशान कर रही थी।

परिवार के आरोप के बाद यह मुद्दा महाराष्ट्र विधानसभा में भी गूंजा। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी की मांग की है। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को 2004 में निलंबित कर दिया गया था लेकिन शिवसेना सरकार आने के बाद उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया। बीच में वे शिवसेना में भी शामिल हो गए थे।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाने वाले वाजे ने ही पत्रकार अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार इन्ही सचिन वाजे पर मनसुख हिरेन की पत्नी विमला हिरेन ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि एंटीलिया के बाहर मिलने वाली उनके पति की उस स्कॉर्पियो कार का इस्तेमाल सचिन वाजे ही कर रहे थे।

विमला ने अपने पति की हत्या की आशंका जताई है और कहा है कि इसमें सचिन वाजे का भी हाथ है। इंडियन एक्सप्रेस ने विमला के इस बयान वाले एफआईआर की कॉपी अपने पास होने का दावा किया है। विमला ने कहा है कि उनके पति तनाव में रहते थे क्योंकि वाजे उन पर गिरफ्तार होने का दबाव बना रहे थे। महाराष्ट्र एटीएस ने इस मामले में उनका बयान दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि मनसुख हिरेन ने मौत से पहले उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा था।

अब इस मामले की जांच एनआईए ने अपने ऊपर ले लिया है। इससे शिवसेना सरकार परेशान है। मीडिया के सामने उद्धव ठाकरे की खीझ दिख भी गई। उन्होंने कहा कि मनसुख हिरेन मामले की जांच एटीएस कर रही थी। हम एटीएस पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं, इसलिए उसकी जांच जारी है लेकिन इसके बावजूद केंद्र अगर मामले को एनआईए को सौंपता है तो इसका मतलब है कि कुछ संदेहास्पद है। हम इसे तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक कि इसका खुलासा नहीं कर देते।

लेकिन हिरेन मौत मामले में रोज जिस तरह से नए-नए खुलासे हो रहे हैं वो आगे महाराष्ट्र सरकार की परेशानी बढ़ा सकती है। देवेन्द्र फड़नवीस ने विधानसभा में इस मामले को उठाया और सदन में ‘ये सरकार खूनी है’ का नारा भी गूंज उठा।

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