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विपक्षी नेताओं ने फिलिस्तीनी दूतावास पहुंच कर हमास की बर्बरता का किया मौन समर्थन, भारत के आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की उड़ाई धज्जियां

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भारत करीब चार दशकों से आतंकवाद से जूझ रहा है। जहां जम्मू-कश्मीर, मणिपुर सहित पूरा पूर्वोत्तर आतंकवाद की विभीषिक झेल रहा है, वहीं यूपीए शासन में देश के अंदरूनी भागों में बम विस्फोट और मुंबई आतंकी हमले हो चुके हैं। आतंकवाद की वजह से सेना के जवान और आम लोग अपनी जान की आहुति देते आ रहे हैं। अब तक हजारों लोग अपनी जान गांवा चुके हैं। इसके अलावा भारत नक्सलवाद से भी पीड़ित है। लेकिन भारत के विपक्षी दलों को अपने देश की जगह फिलिस्तीन की चिंता सता रही है। अपनी आजादी और अखंडता को पाकिस्तान और चीन से लगातार चुनौती मिल रही है, लेकिन विपक्षी नेताओं को फिलीस्तीन की अखंडता और आजादी की ज्यादा परवाह है। मणिशंकर अय्यर, दानिश अली,मनोज झा और केसी त्यागी जैसे सेकुलर नेता आज मानवता और अहिंसा के पुजारी नजर आ रहे हैं। भारत स्थित फिलिस्तीन के दूतावास जाकर अपनी एकजुटता दिखा रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की जगह ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की नीति को प्राथमिकता देकर आतंकी संगठन हमास की बर्बरता का समर्थन कर रहे हैं। 

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए फिलिस्तीनी दूतावास पहुंचे थे विपक्षी नेता

विपक्षी नेताओं का एक दल सोमवार (16 अक्टूबर, 2023) को फिलिस्तीन के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए नई दिल्ली स्थित उसके दूतावास पहुंचे और फिलिस्तीन के राजदूत अदनान मोहम्मद जाबेर अबुलहैजा से मुलाकात की। इस दल में पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर, बीएसपी सांसद दानिश अली जेडीयू नेता केसी त्यागी, सीपीआई (एमएल) के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य और आरजेडी सांसद मनोज झा सहित कई नेता शामिल थे। नेताओं ने कहा कि हम गाजा में चल रहे संकट और फिलिस्तीनी लोगों की पीड़ा के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। हम फ़िलिस्तीनियों पर अंधाधुंध बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं, यह नरसंहार का प्रयास है। नेताओं ने अंतराराष्ट्रीय समुदाय को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और उनका सम्मान करने के लिए फैसला लेने के लिए कहा। विपक्षी नेताओं के दल ने फिलिस्तीन के राजदूत को एक पत्र सौंपा जिसमें फिलिस्तीन का समर्थन किया गया था। 

विपक्षी प्रस्ताव में हमास की बर्बरता का जिक्र नहीं, दिया मौन समर्थन

फिलिस्तीनी राजदूत से मुलाकात के बाद एक संयुक्त प्रस्ताव पेश किया गया, जिस पर विपक्ष के 16 नेताओं के हस्ताक्षर है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों और पहचान का सम्मान करने के लिए दबाव डालना चाहिए। हम क्षेत्र में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए गहन राजनयिक प्रयासों और बहुपक्षीय पहल की अपील करते हैं। हम गाजा में चल रहे संकट और फिलिस्तीन की पीड़ा को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। फिलिस्तीन पर इजरायल के अंधाधुंध बमबारी की कड़ी निंदा करते हैं, जो नरसंहार के समान है। इस प्रस्ताव का सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें कहीं भी इजरायल पर बर्बर हमले की निंदा नहीं की गई है और ना ही हमास के आतंकियों से बर्बरता रोकने की अपील की गई है। यह प्रस्ताव पूरी तरह हमास आतंकियों की हैवानियत का समर्थन करता है। इससे पहले कांग्रेस कार्यसमिति ने भी हमास के समर्थन में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें हमास के आतंक का जिक्र नहीं था।

भारत में अशांति पैदा करने वाले गाजा में शांति की अपील कर रहे हैं

शांति की बात करने गए ये नेता भारत में अशांति की बात ही भूल गए। खुद देश में नक्सलवाद और जातीय संघर्ष को बढ़ावा देने वाले सीपीआई (एमएल) के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य शांति की बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे गाजा पर युद्ध और मानवीय संकट के मद्देनजर फिलिस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए दूतावास गए थे। शांति के लिए आवाज अब और तेज होनी चाहिए, क्योंकि गाजा में अभी जो हो रहा है वह सिर्फ वहां के लोगों की अंधाधुंध हत्या नहीं है बल्कि दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की ओर धकेल रहा है। गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में होने वाली हिंसा को ये अर्बन नक्सल खाद-पानी मुहैया कराते हैं। नक्सली जब सुरक्षा बलों पर हमला करते हैं और जवान मारे जाते हैं, तो उसका जश्न मनाते हैं। आज उनकी प्राथमिकता में भारत नहीं गाजा है,क्योंकि अर्बन नक्सलियों को भी भारत में जिंदा रहने, अस्तित्व बचाने और अपनी गतिविधियों के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण की जरूरत है। मुस्लिम कट्टरपंथी और वामपंथी दोनोंं एक-दूसरे के पूरक है। एएमयू और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों के प्रदर्शन में वामपंथियों की मौजूदगी इसका प्रमाण है।

सेकुलरिज्म का मुखौटा लगाकर मुस्लिमों का रहनुमा बनने की कोशिश

जब तक हमास इजरायल पर हमले कर रहा था, तब तक सभी मुस्लिम सांसद मौन थे, जैसे ही इजरायल ने पलटवार किया इन सांसदोंं को परेशानी होने लगी। बीएसपी सांसद दानिश अली इसे अवसर के रूप में देख रहा है और मुस्लिमों का सबसे बड़ा नेता बनने के लिए लगातार फिलिस्तीन के समर्थन में और इजरायल के खिलाफ बयान दे रहा है। इसी क्रम में सेकुलरिज्म का मुखौटा लगाकर विपक्षी नेताओं के दल में शामिल होकर फिलिस्तीनी दूतावास पहुंचा था। फिलिस्तीनी राजदूत से मुलाकात के बाद दानिश ने अपने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट किया, जिसमें उसने लिखा, “आज, कई दोलों के सांसदों और राजनेताओं ने फिलिस्तीनी राजदूत से मुलाकात की और इजरायली फोर्स द्वारा गाजा में मारे गए बच्चों सहित फिलिस्तीनी लोगों के लिए गहरी चिंता व्यक्त की। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप करने और इस पागलपन को रोकने की मांग करते हैं।”

आतंकवाद का हर रूप समूची मानवता के विरूद्ध-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल पर फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के हमले की निंदा की थी। उन्होंने जी-20 के संसद अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए याद दिलाया था कि बीस साल पहले आतंकियों ने हमारी संसद को उस समय निशाना बनाया था, जब संसद का सत्र चल रहा था। आतंकियों की तैयारी सासंदों को बंधक बनाने की थी। उन्हें खत्म करने की थी। भारत ऐसी अनेकों वारदातों से निपटते हुए यहां पहुंचा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी और किसी भी रूप में आतंकवाद हो, वो मानवता के खिलाफ है और संघर्षों से किसी को फायदा नहीं होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने संदेश दिया कि यह समय शांति और भाईचारे का है, क्योंकि एक विभाजित दुनिया बड़ी वैश्विक चुनौतियों का समाधान नहीं दे सकती है। अब दुनिया को एहसास हो रहा है कि आतंकवाद कितनी बड़ी चुनौती है। आतंकवाद को लेकर हमें शक्ति बरतनी होगी।

भारत की संसद पर आतंकी हमला, इजरायल पर हमास की बर्बरता भूल गए सांसद

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की संसद पर बीस साल पहले हुए हमले की याद दिलाई थी। हर जगह और हर रूप में आतंकवाद का विरोध किया था। प्रधानमंत्री मोदी के स्पष्ट संदेश के बावजूद विपक्षी दोलों के नेताओं ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए अपने राष्ट्रीय हितों की तिलांजलि दे दी। 1990 के दशक में कश्मीर में मारे गए मासूम बच्चों के चेहरे याद नहीं आए। हमास की बर्बरता की अनदेखी कर दी। हमास के आतंकियों ने इजरायल में मासूम बच्चों को जिंदा जला दिया। गर्भवती महिला के भ्रूण को नष्ट कर दिया। सड़कों पर लाशें बिछा दी्ं। 1500 से ज्यादा आम लोग मौत के घाट उतार दिए गए। लेकिन विपक्षी नेताओं ने अपने प्रस्ताव में इसका जिक्र तक नहीं किया। इससे स्पष्ट है कि मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में विपक्षी नेताओं ने फिलिस्तीनी दूतावास जाकर भारत की धर्मनिरपेक्षता के साथ खिलवाड़ किया है। बीजेपी नेता तरूण चुघ ने भी आतंकवाद का महिमामंडन करने के लिए विपक्ष को घेरा है। 

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