मंगलेश डबराल हिन्दी के कवियों में अपना एक विशेष स्थान रखते हैं। वह जनसत्ता और राष्ट्रीय सहारा जैसे बड़े मीडिया हाउसेस के संपादकीय विभाग से भी जुड़े रहे हैं। चर्चित कवि और एक वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते उनसे उम्मीद की जाती है कि वह लोगों के सामने सही और निष्पक्ष खबरें ही रखेंगे। अब अगर उन जैसे सीनियर लोग भी सतही ढंग से किसी खबर की प्रामाणिकता जांचे-समझे बिना, उसे कंफर्म किए बिना, सोशल मीडिया पर शेयर करेंगे तो उनमें और किसी नौसिखिए में क्या फर्क रह जाएगा। इन्हीं मंगलेश डबराल ने आज 29 अगस्त, 2017 को इंडिया संवाद वेबसाइट में प्रकाशित एक साल पुरानी और गलत खबर को फेसबुक पर शेयर किया है।
सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड साल भर पहले ही इस खबर को गलत बता चुकी है।
उनसे ऐसी सड़कछाप पत्रकारिता की उम्मीद तो नहीं ही थी। फिर भी अगर वे इतने निचले स्तर पर उतर ही आए हैं तो ऐसे लोगों के लिए पत्रकारिता जैसे प्रोफेशन में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और गलत जानकारी देकर लोगों को गुमराह करने के लिए उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। वह अपनी विश्वसनीयता के साथ-साथ पत्रकारिता जगत की विश्वसनीयता भी दांव पर लगा रहे हैं।