क्या आपको पता है कि भारत में एक राज्य ऐसा भी है जहां आप पाकिस्तानी आतंकी हमले, कश्मीर में घुसपैठ सहित उसके दूसरे हथकंडों का विरोध नहीं कर सकते। जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के बारे में। यहां अगर आप पाक की करतूतों के बारे में कोई विरोध प्रदर्शन, सभा, सेमिनार या रैली करना चाहेंगे तो आपको उसकी इजाजत नहीं मिलेगी। इसकी जगह किसी पाकिस्तानी जिसका विरोध सारा देश कर रहा हो, यहां स्वागत किया जाता है। पाक आतंकी हमले में बाद जब देश भर में गुलाम अली का कार्यक्रम विरोध हो रहा था तो ममता बनर्जी ने उन्हें कोलकाता बुलाकर कार्यक्रम करने की इजाजत दी। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यहां कश्मीर और बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाक विरोधी सेमिनार करने की इजाजत नहीं दी। पाकिस्तानी मूल के तारिक फतेह कोलकाता में पाक विरोधी सेमिनार करने जा रहे थे।
तारिक फतेह पाकिस्तानी मूल के लेखक, चिंतक और विश्लेषक हैं। वे सात जनवरी को कलकत्ता क्लब में ‘द सागा ऑफ बलूचिस्तान’ नाम से एक कार्यक्रम करने जा रहे थे। लेकिन कलकत्ता क्लब ने हाथ खड़े करते हुए कार्यक्रम को रद्द कर दिया।
– @KolkataPolice on urging of CM @MamataOfficial forces @TheCalcuttaClub to shut talk on #Kashmir #Balochistan. @GeneralBakshi @neelakantha pic.twitter.com/ZQYnR9Cwsr
— Tarek तारिक Fatah (@TarekFatah) January 4, 2017
क्लब की ओर से चार जनवरी को कार्यक्रम रद्द करने के बारे में तारिक फतेह को एक मेल किया गया। मेल में कहा गया है कि एक निजी सामाजिक क्लब होने के नाते हम क्लब में सौहर्दपूर्ण माहौल चाहते हैं। जबकि तारिक फतेह ने ट्वीट कर कहा है कि पुलिस और पश्चिम बंगाल सरकार के दबाव के चलते क्लब ने कार्यक्रम को रद्द किया है। तारिफ फतेह ने आरोप लगाया है कि ममता सरकार ने पहले कार्यक्रम के पोस्टर ने कश्मीर शब्द हटाने को कहा था। जिसके ना करने पर कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया।
West Bengal Govt puts pressure on @TheCalcuttaClub to cancel my talk on #Balochistan. @htTweets @TOIIndiaNews @IndianExpress @JagranNews pic.twitter.com/XTRebHSjwU
— Tarek तारिक Fatah (@TarekFatah) January 4, 2017
कार्यक्रम स्वाधिकार बांग्ला फाउंडेशन की ओर से आयोजित होना था। यह कार्यक्रम बलूचिस्तान और कश्मीर आधारित एक टॉक शो था। इस कार्यक्रम में तारिक फतेह के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान, पूर्व सैन्य अधिकारी जीडी बख्शी, कश्मीरी मूल के सुशील पंडित शामिल होने वाले थे।
Oh Calcutta!
Capital of the Islamic Republic of West Bengal under Her Holiness, Khalifa @MamataOfficial Banerjee. pic.twitter.com/jKMM7ATqHC— Tarek तारिक Fatah (@TarekFatah) January 5, 2017
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का पूरी तरह से इस्लामीकरण कर दिया है। यहां अगर आप किसी दंगे का शिकार हुए हैं और हिंदू हैं तो आपको ना तो मुआवजा मिलेगा ना राहत और ना पुलिस सुरक्षा। यहां वोटबैंक के लिए बांग्लादेशी मुसलमानों का स्वागत किया जाता है और वही मुसलमान यहां आकर स्थानीय हिंदूओं पर जुल्म करता है। ताजा उदाहरण धूलागढ़ का है। कोलकाता से सिर्फ 36 किलोमीटर दूर है। यहां मुस्लिमों ने हिंदुओं के घर, दुकान और धार्मिक प्रतिष्ठानों को जमकर निशाना बनाया। आगजनी और लूटपाट की लेकिन पुलिस दर्शक बनी खड़ी रही।
राजनीतिक हताशा की शिकार ममता
सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीतिक हताशा की शिकार हो गई हैं? इसके पहले नोटबंदी के दौरान पटना से कोलकाता आते वक्त प्लेन लैंडिग में जरा सी देरी होने पर भड़क उठीं और हत्या की साजिश करने का आरोप लगा बैठीं। उसके बाद कोलकाता में राज्य सचिवालय के पास और कई और जगहों पर सेना की तैनाती पर खफा हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि सेना की तैनाती तख्ता पलट के लिए की गई। लेकिन सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा भर थी।
पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाने की साजिश
पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय इस समय दहशत की जिदंगी जी रहे है। ममता बनर्जी के खुले समर्थन के चलते अल्पसंख्यक समुदाय पूरी तरह से बेकाबू हो चुका है। पुलिस भी मूकदर्शक की भूमिका निभा रही है।
हर किसी को बस हर पल यही डर समा रहा है कि ना जाने कब उनके घर को जला दिया और सबकुछ लूट लिया जाए। इस डर के साए में जीने की मुख्य वजह है पश्चिम बंगाल में योजनाबद्ध तरीके से हो रहे दंगे, जिसे ममता बनर्जी का पूरा समर्थन प्राप्त है।
ममता के शासन में दंगे जिन्हें ममता दबा नहीं पाई
- 13 दिसंबर 2016 में मालदा जिले में मिलाद-उन-नबी के अगले दिन कुछ मुस्लिम युवकों ने हिन्दुओं के घरों और दुकानों में आग लगा दी।
- 12 अक्टूबर 2016 को हिंसा की शुरुआत पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना ज़िले से हुई, जहां कथित तौर पर मुहर्रम के जुलूस के दौरान भड़की हिंसा में हिंदुओं के घरों को जला दिया और इस हिंसे की आग 5 ज़िलों में फैल गई।
- 3 जनवरी 2016 को बंगाल की एनएच 34 पर तकरीबन 2.5 लाख मुस्लिम इकट्ठा हुए। जिन्होंने कालियाचक पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और पूरे इलाके में दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।
- पश्चिम बंगाल के कैनिंग जिला में 19 फरवरी, 2013 में दंगा भड़का क्योंकि ये लोग अलग इस्लामी राज्य की मांग कर रहे थे। इस दंगे में 200 से ज्यादा हिंदुओं के घरों को सुनियोजित तरीके लूटा गया और बड़ी संख्या में मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया। यहां तक पुलिस ने हिंदुओं की मदद के लिए फोन नही उठाए
- कोलकाता उपनगर के उस्ती बाजार को भी 2013 में मुस्लिमों द्वारा निशाना बनाया गया जिसमें 50 से ज्यादा हिंदू दुकानों को लूट लिया गया। उल्टा पुलिस ने पीड़ित हिंदुओं को ही हिरासत में ले लिया और दंगाई मुस्लिम खुले-आम घुमते रहे
- 14 मई 2012 को दक्षिण 24 परगना जिले के तारनगर और रूपनगर दो गांवों में जमकर हिंसा हुई और हिंदू परिवारों के घरों को मुस्लिम दंगाईयों ने आग के हवाले कर दिया।
एक नजर बंगाल की आबादी के बिगड़ते समीकरण पर!
- 1947 में हिंदुस्तान का विभाजन हुआ, बांग्ला बोलने वाले मुस्लिमों में कुछ भारत के हिस्से में रह गए और बाकी आज के बांग्लादेश के हिस्से में आए।
- 1947 में पश्चिम बंगाल में 12 फीसदी मुस्लिम आबादी थी।
- 50 हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश की सीमा पर डेरा डाले हुए है।
- आज पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की संख्या 27 फीसदी के पार पहुंच गई है।
- 1947 में आज के बांग्लादेश में 27 फीसदी हिंदुओं की संख्या थी।
- आज बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घटकर 8 फीसदी रह गई है।
जिस तरह से पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसे देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाने की पूरी तैयारी ममता बनर्जी ने कर ली है और देश ने हिंदुओं के साथ हो रही बर्बरता पर चुप्पी साध ली है।