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कोरोना से लड़ने के लिए इनोवेशन और रिसर्च हब बना ‘मेक इन इंडिया’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले देश को स्वावलंब बनाने के लिए मेक इन इंडिया का आइडिया दिया था। प्रधानमंत्री की सोच कितनी दूरदर्शी है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उनका ‘मेक इन इंडिया’ आज कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए दुनिया भर में अनुसंधान और इनोवेशन का हब बन गया है। कोरोना वायरस के इस दौर में भारत नए अनुसंधान का हब बन कर उभरा है, जिस पर पूरे विश्व की नजर है। कोविड19 से मुकाबले के लिए भारत अलग-अलग क्षेत्रों में कई अनुसंधान कर रहा है। जिसमें कम कीमत पर टेस्टिंग की नई तकनीक इजाद करने से लेकर सस्ते वेंटिलेटर तक शामिल हैं।

दस गुणा तेजी से जांच करने वाली डायग्नोस्टिक किट

भारत में काफी तेजी से कोविड-19 की जांच के लिए नई डायग्नोस्टिक किट बनाई गई है। इस किट के बारे में जानकारी देते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए देश में कई जगह अलग-अलग अनुसंधान चल रहे हैं। उनमें से हाल ही में श्री चित्रा तिरुनाल आयुर्विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम में एक डायग्नोस्टिक किट बनाई गई। जो दुनिया में एकदम अलग और नए तरीके की है। इस किट का प्रयोग करने की कीमत भी कम होगी और जांच में 10 गुना तेजी आएगी। इससे जब भी हमें बहुत तेज और जल्दी टेस्ट की जरूरत होगी इससे करने में आसानी होगी। आरटी पीसीआर की तुलना में लैंप कई गुना किफायतीआशुतोष शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा कि जिस तरह आरटी-पीसीआर के जरिए टेस्ट करते हैं उसी तरह इस टेस्ट प्रक्रिया का नाम लैंप है। लैंप की कीमत दस गुना कम होगी और सैम्पल टेस्ट करने की संख्या भी पीसीआर की तुलना में ज्यादा होगी। इससे टेस्टिंग में काफी फायदा मिलेगा। सबसे अहम बात है कि इसकी मैन्युफैक्चरिंग भारत में होगी। न केवल बनेगा बल्कि आने वाले दिनों में विश्व में भी सप्लाई कर सकेंगे।

बेहतर गुणवत्ता वाला पोर्टेबल वेंटिलेटर भी बनाए

कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर मरीजों को कई बार आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा जाता है। लेकिन अभी जो वेंटिलेटर का प्रयोग कर रहे हैं वो ज्यादातर विदेशी हैं जिनकी कीमत 6-7 लाख रुपये तक है। हालांकि अब देश वासियों को इतना ज्यादा नहीं खर्च करना पड़ेगा। क्योंकि भारत ने खुद अब अच्छी क्वालिटी के पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाना शुरू कर दिया है। वैसे तो कोविड19 वायरस से संक्रमित केवल 3-4 प्रतिशत मरीजों को ही वैसे वेंटिलेटर की जरूरत होती है। फिर भी भारत में वेंटिलेटर बनाने पर काम शुरू हो चुका है। आईआईटी कानपुर में एक ग्रुप है जिसने कुछ कंपनियों के साथ मिलकर कम कीमत के वेंटिलेटर बनाए हैं। ये वेंटीलेटर कहीं भी हॉस्पिटल में रखे जा सकते हैं। इनकी कीमत 10 हजार रुपए तक है इसे घर पर भी आसानी से रखा जा सकता है। इसके अलावा पुणे में ही बिना लक्षण वाले वायरस से संक्रमितो के लिए एक जांच किट तैयार की गई है।

देश में है 75 हजार वेंटीलेटर्स की मांग

एम्‍पावर्ड ग्रुप-3 के चेयरमैन पीडी वाघेला के अनुसार सरकार ने जून तक 75 हजार वेंटीलेटर्स की डिमांड की है, जबकि वर्तमान में भारत के पास 19,398 वेंटीलेटर हैं। वाघेला ने कहा, “हमने 60,884 वेंटीलेटर्स का ऑर्डर दिया है। इसमें से भी केवल 1000 वेंटीलेटर ही विदेश से निर्यात किए जाएंगे। बाकी के सभी मेक इन इंडिया वेंटीलेटर होंगे।” उन्होंने बताया कि भारत में वेंटीलेटर बनाने वाली कंपनियों में बीईएल और सकैनरे को 30 हजार वेंटीलेटर का ऑर्डर दिया है। वहीं मारुति सुजुकी एवं एगवा को 10 हजार और एएमटीजेड कंपनी को 13,500 वेंटीलेटर बनाने का ऑर्डर दिया है। उम्मीद है सभी ऑर्डर समय पर डिलीवर हो जाएंगे।

वेंटिलेटर में ऑक्सीजन के नए सिस्टम पर काम शुरू

कई बार वेंटिलेटर में ऑक्सीजन की जरूरत होती है। उसके लिए पुणे की एक स्टार्टअप ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है जो हवा से ऑक्सीजन निकाल कर उसे प्रयोग में लाने का काम करता है और इस तरह के सारे अनुसंधान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत हो रहे हैं। डीएसटी सचिव बताते हैं कि डीएसटी सरकार का सबसे बड़ा विभाग है जो देश के सभी रिसर्च, डेपलपमेंट और इनोवेशन को सपोर्ट करता है। चाहे कोई यूनिवर्सिटी हो, एनजीओ हो, आईआईटी, स्टार्टअप हो या कोई कंपनी हो। जो भी स्वदेशी तकनीक का प्रयोग करके कोई रिसर्च या अनुसंधान करते हैं उन्हें साथ लेकर चलता है। ऐसे बहुत सारे अनुसंधान अभी चल रहे हैं।

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