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मेड इन इंडिया का कमाल, भारत में बने आईफोन की दुनिया भर में बढ़ी मांग, एप्पल के फोन का निर्यात हुआ दोगुना

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू की गई मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया मुहिम अब रंग ला रही है। अब विदेशी कंपनियां भी भारत में प्लांट लगाकर बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं। यही वजह है कि अब मेड इन इंडिया प्रोडक्ट की धमक विदेशों में दिखाई देने लगी है। अब भारत दूसरे देशों में चीन के बाजार पर कब्जा करता जा रहा है। पहले भारत में चीन में निर्मित सस्ते स्मार्ट फोन की बड़ी मांग थी, लेकिन अब भारत में बने आईफोन की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई हैं। वर्ष 2022 में भारत से आईफोन का निर्यात 2021 के मुकाबले डबल हो गया। इसके 2023 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की उम्मीद जतायी जा रही है।

2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट

एप्पल ने 2022-23 के पहले नौ महीने यानी पिछले साल अप्रैल-दिसंबर माह में भारत से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक के आईफोन का एक्सपोर्ट किया, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) में किए गए निर्यात का लगभग दोगुना है। तेजी से बढ़ती संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि कैसे एप्पल अपने उत्पादन को चीन के बाहर स्थानांतरित कर रही है। इस क्षेत्र के जानकारों मुताबिक भारत में आईफोन बनाने वाले फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी समूह और विस्ट्रॉन कॉर्प ने साल 2022-23 के पहले नौ महीने में एक-एक अरब डॉलर से ज्यादा के एप्पल के साजो-सामानों का निर्यात किया है। एप्पल के लिए प्रोडक्शन करने वाली एक और कंपनी पेगाट्रॉन कॉर्प भी इस महीने के अंत तक करीब 50 करोड़ डॉलर के Gadgets निर्यात करने वाली है।

वैश्विक स्तर पर वित्त वर्ष 2023 तक बढ़कर 7-8 प्रतिशत होगा योगदान

भारत ने वत्त वर्ष 2021-2022 में वैश्विक स्तर पर आईफोन निर्माण में 3-4 प्रतिशत का योगदान दिया और काउंटरपॉइंट रिसर्च का मानना है कि यह वित्त वर्ष 2023 तक बढ़कर 7-8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में, एप्पल के तीन सप्लार्स घरेलू बाजार और निर्यात के लिए भारत में आईफोन 11, 12, 13 और 14 बनाते हैं। एप्पल भारत में विनिर्माण क्षमता को बढ़ा रहा है क्योंकि यह लंबे समय में चीन पर निर्भरता कम करना चाहता है। इससे पहले कंपनी भारत में सिर्फ ओल्ड जेनेरेशन के आईफोन मॉडल को असेंबल कर रही थी। उसने सितंबर में आईफोन 14 मॉडल लॉन्च किए और उसके वैश्विक लॉन्च के 10 दिन बाद देश में नए आईफोन 14 को असेंबल करना शुरू कर दिया था।

घरेलू मांग की पूर्ति के साथ विदेशी बाजारों पर कब्जे की तैयारी

गौरतलब है कि आईफोन के निर्माण के मामले में एप्पल का दुनिया में बड़ा नाम है। एप्पल ने पिछले साल से ही भारत में अपने लेटेस्ट मोबाइल फोन की एसेंबलिंग करना शुरू किया। देखा जाए तो यह भारत के पक्ष में एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इससे पहले कंपनी के बड़े प्रोडक्शन प्लांट चीन में ही थे। उन प्लांटों को ताइवानी कंपनियां चलाती थी। इन कंपनियों की सूची में Foxconn का अहम स्थान है। अब यह काम भारत में हो रहा है। इससे भारत की घरेलू मांग की पूर्ति के साथ विदेशी बाजारों में भी एप्पल आईफोन का निर्यात किया जा रहा है।

पीएलआई योजना से मेक इन इंडिया और रोजगार को मिला बुस्ट

मोदी सरकार ने 6 अक्टूबर, 2020 को स्मार्टफोन पीएलआई योजना की घोषणा की, तो उसने अनुमान लगाया था कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में हर नई प्रत्यक्ष नौकरी से लगभग तीन अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। पीएलआई योजना लागू होने के बाद से एप्पल के Contract Manufacturers और Component Suppliers ने मिलकर भारत में लगभग 50,000 डायरेक्ट जॉब्स सृजित किए हैं। इसके अलावा टाटा ग्रुप जिसने होसुर में 500 एकड़ में फैला हुआ एक प्लांट स्थापित किया है, जिसमें आईफोन सहित स्मार्टफोन के पुर्जे बनाए जाते हैं, लगभग 10,000 लोगों को रोजगार देता है। अधिकारियों ने कहा कि टाटा को अगले 18 महीनों में भर्तियों को बढ़ाकर 45,000 करने की उम्मीद है।

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