Home नरेंद्र मोदी विशेष अयोध्या में ‘अपने घर’ में पधारे राम लला, कर्नाटक के योगीराज की...

अयोध्या में ‘अपने घर’ में पधारे राम लला, कर्नाटक के योगीराज की बनाई मूर्ति 18 को गर्भगृह में पहुंचेंगी, 22 को PM Modi करेंगे प्राण-प्रतिष्ठा, इसी दिन देशभर में घर-घर में जलेगी रामज्योति

SHARE

भारतवर्ष कहें या आर्यावर्त करीब पांच शताब्दियों के कई संघर्ष और लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वह क्षण आ ही गया, जब राम लला की जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा का पवित्र अनुष्ठान आरंभ हुआ है। अयोध्या के साथ-साथ देशभर के राम भक्तों का उल्लास एक विराट स्वप्न के साकार होने पर अतुलनीय और अविस्मरणीय बन गया है। पीढ़ियों के संघर्ष और बलिदान का प्रतिफल अपने सम्मुख देख देशवासियों, संतों-महंतों और राम भक्तों की आंखों में खुशी के आंसू हैं। उनकी प्रसन्नता का कोई पारावार नहीं है। अयोध्या के मंदिरों-भवनों, घरों-प्रतिष्ठानों पर केसरिया पताकाएं फहरा रही हैं। कोई कोना नहीं है, जहां राम नाम का जाप और वैदिक मंत्रों की स्वरलहरियां गुंजायमान न हो रही हों। आखिरकार राम लला के मंदिर का यह शुभ कार्य अंततः पूरा होने जा रहा है। देशभर के करोड़ों लोगों की वर्षों के जीवन की साध पूरी हुई है। पीएम मोदी 22 जनवरी तो प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे तो उधर देशभर में उन्हीं के आह्वान पर घर-घर, द्वार-द्वार और ऊंची अट्टालिकाओं पर जगमग रामज्योति भी जलेगी।

ऐसा पहली बार हुआ: तटीय व मैदानी क्षेत्र, वन, पहाड़ के आदिवासी भी निमंत्रित
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में 150 परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा होंगे। पहली बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासी एक जगह किसी समारोह में जुटेंगे। प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान भारतीय परंपरा के सभी तरह के वाद्ययंत्र बजेंगे, ऐसा भी पहली बार होगा। इसके अलावा 121 आचार्यों की देखरेख में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान होगा। पंचांग एवं अन्य घटकों को ध्यान में रखते हुए रामलला की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा देने के लिए 22 जनवरी’ 2024 पौस माह के द्वादशी तिथि को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश को चुना गया है, जो दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक अर्थात 84 सेकंड का होगा। इसी समय में प्रभु श्रीराम की मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा दी जाएगी।

सीधा प्रसारण: 136 देशों के भारतवंशी और रामभक्त इसे लाइव देखेंगे
अयोध्या में सबसे पहले कल (16जनवरी) प्रायश्चित पूजन हुआ। इसके बाद 17 जनवरी (बुधवार) को मूर्ति के मंदिर परिसर में प्रवेश के संस्कार हुए। इस मूर्ति को कर्नाटक के योगीराज द्वारा कड़ी मेहनत और अगाध आस्था से तैयार किया है। 18 जनवरी की शाम को तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास, गंधाधिवास। 19 जनवरी (सुबह) को औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास। 19 जनवरी (शाम) को धान्याधिवास। 20 जनवरी (सुबह) को शर्कराधिवास, फलाधिवास और इस दिन शाम को पुष्पाधिवास होगा। 21 जनवरी (सुबह) को मध्याधिवास और शाम को शय्याधिवास होगा। 22 जनवरी को राम लला मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी। अयोध्या में 22 जनवरी दोपहर 12:20 बजे से दूरदर्शन के राष्ट्रीय और सभी क्षेत्रीय चैनलों सहित देश के तमाम टीवी चैनलों, ट्रस्ट, विहिप व आरएसएस से जुड़े सहयोगी संगठनों के यूट्यूब चैनल, सोशल मीडिया से लाइव स्ट्रीमिंग होगी। इस कार्यक्रम से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से करीब 90 करोड़ जुड़ेंगे। 136 देशों के भारतवंशी और रामभक्त भी इसे लाइव देखेंगे।

प्राण-प्रतिष्ठा से पहले क्यों हुआ प्रायश्चित पूजन, क्या है इसका विधान
पहले जानते हैं कि क्यों की जाती है ये प्रायश्चित पूजा और क्या है इससे जुड़े नियम। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व की जाने वाली इस पूजा का नाम प्रायश्चित पूजा है। इस प्रायश्चित पूजा को 121 ब्राह्मणों ने सम्पन्न कराया। इस प्रायश्चित पूजन से ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत हुई। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व की जाने वाली प्रायश्चित पूजा पूजन की वह विधि है, जिसमें शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य इन तीनों तरीके का प्रायश्चित किया जाता है। बाह्य प्रायश्चित के लिए यजमान को 10 विधि स्नान करना होता हैं। इस स्नान में पंच द्रव्य और कई अन्य सामग्रियां सम्मिलित होती हैं। इसके साथ ही गोदान प्रायश्चित भी होता है जिसका संकल्प लिया जाता है। इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है। इसमें कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित किया जाता है, इस दान में स्वर्ण दान भी शामिल है। इस पूजन के पीछे की मूलभावना यह है कि जाने-अनजाने में जितने भी तरीके के पाप हुए हैं, उनका प्रायश्चित किया जाए। यह एक प्रकार का शुद्धिकरण होता है जो किसी भी प्रकार की गलतियों की क्षमा मांगने के लिए प्रायश्चित के रूप में किया जाता है। प्रायश्चित पूजन के समाप्त होने के बाद कर्मकुटी पूजन किया गया। इस पूजन का मतलब यज्ञशाला पूजन है।त्रुटियों के लिए क्षमा याचना के बाद देवताओं का अयोध्या आने का आह्वान
प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का प्रथम दिन मुख्य रूप से प्रायश्चित संकल्प के लिए था। वैदिक विधान के अनुसार, इस स्थान पर मंदिर निर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया में पत्थरों को तराशते हुए, नींव, द्वार-दीवार, छत इत्यादि के निर्माण के समय ज्ञात- अज्ञात जीवों को हुई पीड़ा के लिए प्रायश्चित का संकल्प किया गया। यह प्रकृति के प्रति मनुष्य के सह अस्तित्व के सूत्र हैं, जिन्हें ऐसे किसी भी कार्य में स्मरण का अनिवार्य विधान ऋषियों ने किया है। इसके साथ ही जड़-चेतन और जल के प्रति समस्त त्रुटियों के लिए देवताओं से क्षमा याचना की गई। इसके उपरांत देवताओं का आह्वान किया गया कि वे अयोध्या में आएं। इस मंगल अवसर को अपनी उपस्थिति से पवित्र करें, क्योंकि प्रभु श्रीराम अपने स्थान पर प्रतिष्ठित होने के लिए पधार रहे हैं। प्रातः निर्धारित समय पर जन्मभूमि स्थान पर अनुष्ठान के संयोजक गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और प्रमुख आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित पहुंचे। पूरे अयोध्या क्षेत्र में जो, जहां भी था, सबका ध्यान यहां था। आखिरकार यह शुभ कार्य अंततः पूरा होने जा रहा है। सरयू के तटों पर पंडे-पुरोहितों के लिए जैसे जीवन की साध पूरी हुई। मंदिर निर्माण के संघर्ष में सहभागी रहे अवध के लाखों परिवारों में जैसे जीवन का सबसे बड़ा शुभ समाचार आया।गर्भगृह की परिक्रमा के बाद राम लला की मूर्ति संस्कार मंडप में विराजित
बुधवार का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन रामलला के मूर्ति संस्कार शुरू किए गए। गर्भगृह की परिक्रमा के बाद मूर्ति को संस्कार मंडप में विराजित किया गया। मूर्ति संस्कार का उद्देश्य यह है कि मूर्ति निर्माण के समय मूर्तिकार उसे छैनी हथौड़ी से तराशते हैं। इस संस्कार से मूर्ति को होने वाले कष्ट को खत्म किया जाए‌गा। श्रीराम जहां भी बसते हैं, वहां मुनिजनों को कोई उद्वेग नहीं होना चाहिए और जहां सब सहअस्तित्व में स्थिर होकर रहते हों। अयोध्या में यह अनुष्ठान सह अस्तित्व की इसी मंगलकामना के साथ आरंभ किया गया है। काशी और देश भर के 121 आचार्यों के दल ने उस कुटीर का भी पूजन किया, जिसमें अगले पांच दिन तक हर दिन 8-8 घंटे पूजन होगा।

रामज्योति को देश के घर-घर में और हर मंदिर में जलाएं: पीएम मोदी
दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को केरल से देशवासियों का एक बार फिर आवाह्न किया कि 22 जनवरी को घर-घर में रामज्योति जलानी है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन है। ये कोटि-कोटि लोगों के लिए आस्था और भक्ति से भरे पल हैं। बीते दिनों मुझे अनेक मंदिरों में दर्शन और वहां सफाई करने का सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि केरल के सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह है कि वे अपने-अपने गांव, शहर, बूथ पर मंदिरों में स्वच्छता अभियान चलाएं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में होगी, लेकिन श्री रामज्योति देश के घर-घर में जलेगी, हर मंदिर में जलेगी। केरल तो वो राज्य है जो अपना एक पूरा एक महीना रामायण को समर्पित करता है…यहां ‘रामायण मासम्’ मनाया जाता है। इसलिए पूरे देश के साथ यहां केरल में भी पूरे सद्भाव के साथ श्रीराम ज्योति जले, ये संदेश आपको अपने-अपने क्षेत्रों में पहुंचाना है।

 

 

Leave a Reply