प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस को बदनाम करने के लिए वामपंथी और कांग्रेसी फर्जी खबरें फैलाते रहे हैं। इसके लिए वे मौके की तलाश में रहते हैं। इस बार उन्होंने शहीद भगत सिंह की जयंती पर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दिया। सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप्स तक में कई ग्राफिक पोस्टर्स और ‘फ़ॉर्वर्डेड’ संदेशों में दावा किया कि भगत सिंह को फ़ांसी दिलाने के लिए अंग्रेजों की ओर से जिस ‘ब्राह्मण’ वकील ने मुकदमा लड़ा था, उनका नाम राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा था और वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के घनिष्ट मित्र और आरएसएस के सदस्य भी थे।
‘ब्राह्मण’ राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा के नाम पर ट्विटर पर यह संदेश कई लोगों ने बड़े स्तर पर शेयर किया है। इन संदेशों का पहला मकसद यह साबित करना है कि सरदार भगत सिंह का केस एक ‘मुस्लिम’ वकील ने लड़ा था, जबकि एक ब्राह्मण वकील, आरएसएस से जुड़ा व्यक्ति, कथित तौर पर ब्रिटिश सरकार की ओर से यह केस लड़ रहा था और भगत सिंह को फाँसी दिलाना चाहता था।
क्या है वायरल पोस्ट में?
Question of the day :
Asaf Ali defended Shaheed Bhagat Singh & Batukeshwar Dutt as a lawyer, after they threw a bomb in the Central Legislative AssemblyBut who was Rai Bahadur SuryaNarayan?? https://t.co/mUO90Ihuns pic.twitter.com/ENwgIW17IU
— زماں (@Delhiiite_) September 29, 2020
क्या है वास्तविकता ?
जब इस मामले में पड़ताल की गई तो इंडियन लॉ जर्नल की वेबसाइट पर आर्काइव में पड़ा एक लिंक मिला, जो अदालतों में हुई ऐतिहासिक सुनवाई से जुड़ा हुआ था। ‘The Trial of Bhagat Singh’ शीर्षक से मौजूद ऑनलाइन दस्तावेज में केंद्रीय विधानसभा की कार्यवाही के दौरान 8 अप्रैल 1929 को बम फेंके जाने के मामले में चले ट्रायल का जिक्र है। दस्तावेज के मुताबिक, ‘इस मामले में ट्रायल की शुरुआत 7 मई, 1929 को हुई, जिसमें ब्रिटिश सरकार की तरफ से राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा ने सरकार का पक्ष रखा।’
‘अंडरस्टैंडिंग भगत सिंह’, ‘द भगत सिंह रीडर’ जैसी किताबें लिखने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल ने कहा, ‘जहां तक भगत सिंह के वकील के तौर पर आसफ अली के मुकदमा लड़ने का जिक्र है, वह पूर्णतया सही है। हालांकि, राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा के बारे में वह दावे के साथ कुछ भी नहीं कह सकते।’ राजनीतिक इतिहासकार ए जी नूरानी की लिखी पुस्तक ‘The Trial of Bhagat Singh’ में दिए गए रेफरेंस से इसकी पुष्टि होती है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों और इतिहासकारों के मुताबिक, बमबारी कांड में भगत सिंह का पक्ष आसफ अली ने रखा और अभियोजन पक्ष की तरफ से राय बहादुर सूर्य नारायण शर्मा पेश हुए। हालांकि, कहीं भी सूर्य नारायण के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने का जिक्र नहीं मिला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रांत के प्रवक्ता राजीव तुली ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि जब यह मुकदमा चल रहा था तब संघ विदर्भ प्रांत से बाहर भी नहीं निकला था। उन्होंने कहा, ‘यह कांग्रेस प्रेरित दुष्प्रचार है, जो संघ को बदनाम करने के लिए लगातार चलाई जाती रही हैं।’ तुली ने बताया, ‘1929 में संघ विदर्भ प्रांत तक ही सिमटा हुआ था। 1935 में संघ ने पंजाब और 1939 में दिल्ली में अपना कार्य शुरू किया।’
निष्कर्ष: भगत सिंह के खिलाफ केस लड़ने वाले वकील के नाम पर भ्रामक पोस्ट वायरल हो रहा है। केंद्रीय असेंबली में बम फेंकने के मामले में भगत सिंह का पक्ष वकील आसफ अली ने रखा था और इसी मामले में अभियोजन यानि सरकार की तरफ से मुकदमा राय बहादुर सूर्य नारायण ने रखा था, लेकिन उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई संबंध नहीं था।