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बुलेट ट्रेन पर कैसे झूठ फैला रहे हैं लालू यादव, मनमोहन सिंह और प्रशांत भूषण, देखिये सबूत-

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जाने अनजाने अक्सर लोग सोशल मीडिया पर अफवाहें या झूठ फैलाते रहते हैं, लेकिन जब जिम्मेदार पदों को सुशोभित कर चुके लोग भी ऐसे ही झूठ फैलाते पकड़े जाएं तो देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है। 17 नवंबर, 2017 को पूर्व रेल मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने ट्वीट किया कि केंद्र सरकार भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन सौदे के बारे में झूठ बोल रही है।

आरजेडी प्रमुख ने एक फोटो ट्वीट कर लिखा, “झूठे कहीं के, जुमलेबाज कहीं के! बुलेट ट्रेन को लेकर कोई एमओयू साइन ही नहीं हुआ…।” दरअसल, ट्वीट फोटो में यह दावा किया गया है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की भारत यात्रा के दौरान बुलेट ट्रेन पर 14 सितंबर को कोई एमओयू साइन नहीं हुआ।

भाजपा से खुन्नस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में लालू प्रसाद यादव कुछ इस तरह से ‘अंधे’ हो चुके हैं कि उन्हें सच और झूठ का फर्क भी नहीं मालूम दे रहा है। लालू प्रसाद यादव ने जो ट्वीट किया है वो उन्हें सिर्फ नासमझ ही साबित नहीं करता है, बल्कि गैर जिम्मेदार भी ठहराता है।

दरअसल लालू यादव बुलेट ट्रेन परियोजना को गरीब विरोधी और भारत के लिए गैर जरूरी कह रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किए गए आरटीआई से प्राप्त डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल सिर्फ दुष्प्रचार के लिए कर रहे हैं। दरअसल लालू यादव का ट्वीट बिल्कुल ही गलत दिशा में और गलत आधार पर किया हुआ है।

वास्तविक तथ्य यह है कि भारत और जापान के बीच बुलेट ट्रेन पर समझौता  (MoU)  दिसंबर 2015 में जापान के पीएम शिंजो आबे के दौरे के दौरान ही हो चुका था। जाहिर है सितंबर 2017 में फिर से किसी MoU पर हस्ताक्षर करने का कोई सवाल ही नहीं था।

दरअसल सितंबर 2017 में किसी MoU पर हस्ताक्षर नहीं किए जाने का झूठ सिर्फ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार के लिए डाला गया था। इस बात का खुलासा लालू प्रसाद के ट्वीट से एक दिन पहले ही अनुज गुप्ता नाम के एक व्यक्ति ने कर दिया था।

ऊपर के दो ट्वीट्स की तारीखों को देखकर स्पष्ट हो जाता है कि अनुज गुप्ता द्वारा सच्चाई सामने लाये जाने के बावजूद पूर्व रेल मंत्री अभी भी गलत सूचनाएं फैला रहे हैं।

नीचे एमओयू और एमओसी पर दिसंबर 2015 में हस्ताक्षरित प्रेस विज्ञप्ति का लिंक है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि भारत और जापान ने 12 दिसंबर, 2015 को मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना में सहयोग और सहायता पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण और उन्नयन के लिए दोनों देशों ने 11 दिसंबर, 2015 को दो व्यापक तकनीकी सहयोग समझौते भी किए थे। ये समझौते 11 – 13 दिसंबर, 2015 के दौरान जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के आधिकारिक दौरे के दौरान किए गए थे।
http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=133138

बहरहाल इतने तथ्यों के रहते हुए भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा बुलेट ट्रेन का विरोध किया जाना आश्चर्य में डालने वाला है।

आज वे  बुलेट ट्रेन का विरोध कर रहे हैं और मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि उनके प्रधानमंत्रित्व काल में वे खुद ही बुलेट ट्रेन के लिए इच्छुक रहे थे।

सबूत के लिए डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल के रेल बजट 2009-10 का वह अंश आपके सामने है जिसमें कहा गया था कि वह हाई स्पीड ट्रेन देश में लाना चाहते हैं। इसमें दिल्ली और पटना के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की योजना की बात स्पष्ट रूप से कही थी।

बहरहाल लालू यादव चाहें तो 2009 के कुछ डॉक्यूमेंट उठा के देख लें, जब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी रेल मंत्री हुआ करती थीं। विजन डॉक्यूमेंट के पेज नंबर दस के अनुसार देश के अंदर 6 कॉरिडोर को हाईस्पीड ट्रेन कॉरिडोर के रिसर्च के लिए चुना गया था। इनमें पुणे-मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर शामिल था। मनमोहन सिंह सरकार का यह विजन 2020 डॉक्यूमेंट था, जिसमें साफ-साफ लिखा था कि बुलेट ट्रेन के बराबर यानी 250 से 350 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने की संभावनाओं पर अध्ययन होगा। 

वर्ष 2012 में यूपीए सरकार के दौरान रेलवे एक्सपर्ट ग्रुप की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें रेलवे को आधुनिक बनाने की योजना पर काफी कुछ कहा गया। 25 पन्नों की इस रिपोर्ट में पेज नंबर आठ में देखा जा सकता है कि अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन की योजना के बारे में कहा जा रहा है। इसकी रफ्तार 350 किमी प्रति घंटा होने की बात भी बताई गई। सिर्फ इतना ही नहीं 6 और कॉरिडोर को चिन्हित करने की बात कही गई, जहां हाई स्पीड ट्रेन चलनी है।

यही नहीं वर्ष 2013 में तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की जापान यात्रा के दौरान जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ एक संयुक्त रिलीज जारी हुई, इसमें 34 बातों का उल्लेख था।  15 और 16 नंबर की लाइन में कहा गया कि जापान भारत में हाई स्पीड ट्रेन की मदद के लिए तैयार है। इसमें दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर का भी जिक्र है।

इसके बाद अक्टूबर 2013 में भारत और जापान के बीच एक एमओयू साइन हुआ, जिसमें भी हाई स्पीड रेलवे सिस्टम की संभावना के अध्ययन की ही बात थी।

इसके बाद 2015 में भारत और जापान ने 12 दिसंबर को ही एमओयू पर साइन कर लिए थे। ये देखिये सबूत…

दरअसल लालू यादव बिना तथ्यों और सबूतों के काफी कुछ कहते रहते हैं, लेकिन जिम्मेदार पदों पर अपनी सेवा दे चुके लोगों को आधी-अधूरी सूचना के आधार पर ट्वीट करना कतई सही नहीं है। बहरहाल सूचना के अधिकार के तहत जो सूचना मिली वो भी सही है, लेकिन सच यह है कि जो सूचनाएं मांगी जाती हैं, उतनी ही मुहैया कराई जाती हैं। इसलिए विभाग ने ये नहीं बताया कि दो साल पहले यानी 2015 में ही करार हो चुका है। अब सवाल ये कि क्या लालू यादव इस कृत्य के लिए माफी मांगेंगे?

दरअसल मोदी सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार केवल लालू यादव या मनमोहन सिंह ही नहीं करते हैं बल्कि इसके कई लेवेल हैं। पूरा एक ब्रिगेड है जो मोदी विरोध के नाम पर झूठ और अफवाह फैलाने का काम करता है। हाल में ही प्रसिद्ध वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने NDTV की एक रिपोर्ट शेयर करते हुए कहा कि चीन द्वारा थाईलैंड में एक 3000 KM (बैंकाक से चीन तक) की बुलेट ट्रेन परियोजना मात्र 5.5 बिलियन डॉलर में बन रही है और भारत में मात्र 500 KM बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 17 बिलियन डॉलर खर्च किये जा रहे हैं।

लेकिन सच्चाई इससे अलग थी। थाईलैंड के अखबार DIPLOMACY & DEFENCE में छपी एक रिपोर्ट  ”Thailand approves long-delayed US$5.2b rail link to China” से साफ हो जाता है कि प्रथम चरण में सिर्फ 250 km के निर्माण के लिए 5.2 बिलियन यूएस डॉलर दिए हैं।

हालांकि बाद में हकीकत जानने के बाद प्रशांत भूषण ने 2 अक्टूबर को एक और tweet करके अपनी पिछली tweet के लिए माफी मांग ली, लेकिन यह तो साफ हो गया है कि किस तरह संगठित तरीके से अफवाहें फैलाई जा रही हैं और मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। आवश्यक है कि ऐसी अफवाह फैलाने वालों की हकीकत जनता जाने और इनकी बातों पर भरोसा न करे। 

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