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जानिए पीएम मोदी के हर अच्छे प्रोजेक्ट और जनहित के कार्यों को रोकने के लिए विपक्ष क्या-क्या तरीके अपनाता है

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जनता ने मोदी सरकार को वे सारे फैसले लेने का जनादेश दिया है जो उसे राष्ट्रहित और जनहित में लगता है। बीते 6 वर्षों के दौरान ऐसा कई बार देखा गया है, जब मोदी सरकार ने जनता के व्यापक हित में बड़े फैसले लिए और विपक्ष ने अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनका विरोध किया। विपक्ष ने राफेल, तीन तलाक, सीएए, अनुच्छेद 370 हटाने, कृषि कानून से लेकर सेन्ट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट तक, इन तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने और कार्य में बाधा पहुंचाने की कोशिश की। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि विपक्ष की ओर से जनहित के नाम पर जनहित की अनदेखी की जाती है और खामियाजा देश तथा जनता को भुगतना पड़ता है। 

सेन्ट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का विरोध 

सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है। साथ ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि इसके लिए क्लियरेंस देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। साथ ही पर्यावरण को लेकर जो क्लियरेंस दिया गया था, उसे भी बरकरार रखा गया है। 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाये जाने वाले संसद भवन का ‘भूमि पूजन’ किया था। इस प्रोजेक्ट के तहत भविष्य की जरूरतों के मद्देनजर एक नया और विशाल संसद भवन, एक केंद्रीय सचिवालय के अलावा कई इमारतें बनाई जानी हैं। इसके साथ ही राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक की तीन किलोमीटर के इलाके का नए सिरे से विकास होना है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

प्रोजेक्ट को रोकने की झूठी दलीलें

  1. बिना उचित कानून पारित किए इस परियोजना को शुरू किया गया।
  2. प्रोजोक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं।
  3. हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है।
  4. संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका है।

किसानों के लिए 3 नए कृषि कानून का विरोध

मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए तीन नए कृषि कानून बनाए। ये तीन कानून हैं-

  1. कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक, 2020 
  2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020
  3. आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020

किसानों को इन कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेचने की आजादी मिली है। किसान अब निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे। किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा। उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा। किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध होगा, जिससे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित हो सकेगा। किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातक, संगठित रिटेलर सीधा जुड़ सकेंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। लेन-देन की लागत में कमी आएगी। उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिलेगी।सरकरा ने बार-बार भरोसा दिलाया है कि एमएसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। लेकिन किसान हित में लागू किए गए इन कानूनों का विरोध किया जा रहा है। इसके लिए झूठी दलीलें दी जा रही हैं। अफवाह फैला कर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। 

कृषि कानूनों के खिलाफ झूठी दलीलें

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की ख़रीद बंद हो जाएगा।
  • मंडियों के बाहर उपज बेचने से मंडियां समाप्त हो जाएंगी।
  • अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे।
  • छोटे किसान कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं।
  • नई व्यवस्था से किसानों को परेशानी होगी। विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
  • कॉन्‍ट्रैक्‍ट के नाम पर बड़ी कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी। किसानों की जमीन पूंजीपतियों को दी जाएगी।

अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने का विरोध

जो काम पिछले 70 साल में नहीं हुआ, दूसरी बार केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद 70 दिन के भीतर-भीतर अनुच्‍छेद 370 और 35-ए को हटाकर किया गया। संसद के दोनों सदनों ने दो-तिहाई बहुमत से इस काम को अंजाम दिया। मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर एकसाथ चार बड़े फैसले लेकर सभी अनुमानों को ध्वस्त कर सबको हैरान कर दिया।

फैसला नंबर 1- जम्मू-कश्मीर राज्य से संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाना
फैसला नंबर 2- राज्य का विभाजन कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित क्षेत्र बनाना
फैसला नंबर 3- जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र के लिए विधायिका का प्रावधान करना
फैसला नंबर 4- लद्दाख को बिना विधायिका वाला केंद्र शासित क्षेत्र बनाना

मोदी सरकार ने इन फैसलों के माध्यम से एक देश, एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का सपना साकार कर दिया। जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू हो गया। लेकिन विपक्ष को ये फैसले भी रास नहीं आए। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और वामदलों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल का जमकर विरोध किया। लोकसभा में विपक्षी दलों ने नारेबाजी और ताली बजाकर कार्यवाही में व्यावधान डालने की कोशिश की। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस फैसले को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि राज्य की एकता और इंटिग्रिटी के साथ खिलवाड़ किया गया है। यह देश के साथ बहुत बड़ी गद्दारी है। 24 अगस्त, 2019 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में 11 नेता श्रीनगर एयरपोर्ट पर पहुंचे। इन नेताओं ने वहां पर जमकर हंगामा किया।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध

नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर, 2019 को लोकसभा ने पारित किया। राज्य सभा में यह विधेयक 11 दिसंबर, 2019 को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर, 2019 को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी गई है। इस संशोधित कानून से मुख्य रूप से छह धर्मोंं हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को फायदा होगा। इससे अवैध दस्तावेजों के बाद भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो गया है।

कांग्रेस, तृणमूल, सीपीआई (एम) जैसे दलोंं ने सीएए का विरोध किया। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सीएए का विरोध करते हुए  लोगों को भड़काया। सीएए के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में सोनिया गांधी ने कहा था कि हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने घरों से बाहर निकलें और आंदोलन करें। उनके बेटे राहुल गांधी ने कहा था कि डरो मत, आपके साथ कांग्रेस पार्टी खड़ी है और उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने कहा था कि अब हमें चुप नहीं रहना, डरना नहीं है। इसके बाद दिल्ली के शाहीन बाग में धरना शुरू हुआ, जिसकी आग पूरे देश में पहुंची। लोगों को भड़काने के लिए झूठी दलीलें दी गईं और दिल्ली को दंगों की आग में झोंक दिया गया।

सीएए के विरोध में झूठी दलीलें

  • कानून मुस्लिमों के हितों के खिलाफ है।
  • मुसलमानों की नागरिकता खतरे में पड़ जाएगी। 
  • सीएए अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
  • पूरे देश में एनआरसी लागू कर मुसलमानों को बाहर निकाला जाएगा। 

तीन तलाक की कुप्रथा से आजादी दिलाने का विरोध

प्रधानमंत्री मोदी सत्ता में आने के बाद से ही सदियों से चली आ रही तीन तलाक की कुप्रथा से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाने के प्रयास में लगे हुए थे। इस दिशा में कामयाबी 31 जुलाई, 2019 को मिली, जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद से पारित विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी और इसे 1 अगस्त, 2019 को लागू कर दिया गया। इस कानून के तहत तीन तलाक को दंडनीय अपराध बना दिया गया। लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल जहां संसद में तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने में बाधाएं खड़ी कीं, वहीं मुस्लिम समाज को भी भड़काने का काम किया। यहां तक कि तीन तलाक कानून पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई। 

कानून के खिलाफ झूठी दलीलें

  • यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
  • एक विधिवत मुस्लिम पारिवारिक कानून होना चाहिए और वो कानून क़ुरान आधारित होना चाहिए।
  • सरकार का मकसद मुस्लिम पुरुषों को किसी न किसी तरह जेल में पहुंचाना है।
  • तीन तलाक को फौजदारी का मामला बनाना उचित नहीं है।
  • यह विधेयक मुसलमानों की बर्बादी के लिए लाया गया है।
  • जब मुस्लिम पुरुष जेल में होगा तो पीड़ित महिला को गुजारा भत्ता कौन देगा?

राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर विरोध

भारत में फ्रांस से 8 राफेल लड़ाकू विमान आ चुके हैं। इनका आगमन ऐसे समय में हुआ है, जब भारत-चीन सीमा पर टकराव जारी है। इस समय राफेल आने से भारत की वायु सेना को काफी मजबूती मिली है। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ एक इंटर-गर्वनमेंट समझौते को साइन किया था। इसके तहत 36 राफेल डील खरीदने का सौदा हुआ। देश की रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह बेहद आवश्यक डील थी, जिसे इंडियन एयरफोर्स हर हाल में चाहती थी। मौजूदा हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर इस डील में कोई बाधा आयी होती तो यह देश की सुरक्षा के लिए गंभीर स्थिति पैदा होती। 

देश के सुरक्षा हित में किए गए इस सौदे पर भी विपक्ष ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर ग्रहण लगा दिया था। विपक्ष ने सौदे का विरोध करते हुए जमकर हंगामा किया। इस सौदे के खिलाफ जहां सरकार पर हमले किए गए, वहीं  सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दाखिल की गई। कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट के लिए हुई 58,000 करोड़ की डील पर देश को अंधेरे में रखा। उनका कहना था कि सरकार इस डील से जुड़ी जानकारियों को साझा नहीं कर रही है। राफेल डील पर राहुल गांधी ने झूठे दलीलों का सहारा लिया। 

राफेल विमान के खिलाफ झूठी दलीलें

  • ज्यादा कीमत पर विमान खरीदे गए।
  • बिचौलियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
  • एफडीआई में पक्षपात किया गया।
  • मेक इन इंडिया को नजरअंदाज किया गया।
  • इन्फ्लेशन का लाभ नहीं मिलेगा।
  • वारंटी को लेकर डील में कन्फ्यूजन है।
  • अनुभवहीन कंपनी को काम दिया गया।
  • HAL की अनदेखी की गई।
  • सौदा भारत के रक्षा मानक के अनुरूप नहीं है।
  • फ्रांस टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर नहीं कर रहा है।

इस तरह विपक्ष ने मोदी सरकार के हर फैसले के खिलाफ झूठे तर्कों और अफवाहों के द्वारा देश की जनता को गमुराह करने की कोशिश की। यहां तक की कोर्ट में फैसलों को चुनौती दी गई। इसका एक ही मकसद था, मोदी सरकार को देश और जनता के हित में लिए गए फैसलों का श्रेय लेने से रोकना। लेकिन हर फैसले पर कोर्ट की हरी झंडी मिली, जिससे मोदी सरकार की विश्वसनीयता और मजबूत हुई है। वहीं इससे विपक्ष को करारा झटका लगा है और उनके झूठ का पर्दाफाश हुआ है। 

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