कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश जूझ रहा है। कहीं ऑक्सीजन की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड कम पड़ने लगे हैं। हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है और देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिससे अफरा-तफरी दिखाई दे रही है। ऐसे में हालात ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि किरोना ने इतना खतरनाक रूप धारण कर लिया और पिछले साल से भी इस साल की स्थिति ज्यादा खराब हो गई।
जब पिछले कुछ महीनों पर नजर डालते हैं तो पता चलत है कि कोरोना संक्रमण के मामले कम आने से कई राज्यों ने मान लिया था कि अब कोरोना जा चुका है। कोरोना के मरीज न होने के कारण राज्य सरकारों ने जो कोविड सेंटर पिछली बार तैयार किए थे उसे बंद कर दिया। वहां लगे वेंटिलेटर और मशीनों को पैक कर दिया गया। जब जनवरी में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तो इसको कोरोना पर अंतिम प्रहार माना गया। लेकिन इसके साथ ही शुरू हुई लापरवाही और सियासत।
कांग्रेस शासित राज्यों ने वैक्सीन को लेकर सियासत शुरू की। केंद्र सरकार पर हमले होने लगे। जहां महाराष्ट्र की उद्धव सरकार वसूली और अन्य मामलों पर ध्यान देने लगी, तो वहीं दिल्ली की कजेरीवाल सरकार को पंजाब और उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नजर आने लगा। इस सियासी बिसात पर किसान नेताओं को आगे किया गया और दिल्ली को बंधक बना लिया गया। कृषि कानूनों के विऱोध के नाम पर सियासत को प्राथमिकता दी गई और कोरोना को नजरअंदाज किया जाने लगा। इसका नतीजा हुआ कि कोरोना ने फिर वापसी की।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है। यहां की गतिविधियों का असर पूरे देश पर पड़ता है। कोरोना की दूसरी लहर ने सबसे पहले इन दो शहरों को अपने आगोश में लिया। इसके बाद छत्तसीगढ़ में हालता बिड़ने लगे। राजस्थान और अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने लगे। 1 अप्रैल, 2021 के बाद से इतनी तेजी से संक्रमण हुआ कि पूरे देश में हाहाकर मच गया। लेकिन कांग्रेस शासित महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हालात काफी बिगड़ गए। पूरे देश के कोरोना संक्रमण के कुल मामलों में आधे से अधिक कांग्रेस शासित पांच राज्यों में है। आइए अब जानते हैं कि दिल्ली और कांग्रेस शासित राज्यों ने कोरोना को इतना विकराल रूप धारण करने में कैसे मदद की और किनकी लापरावही आज जनता पर भारी पड़ रही है।
महाराष्ट्र में लापरवाही किसने की ?
पीएम मोदी | उद्धव ठाकरे |
चिट्ठी लिखकर और मिटिंग करके राज्य सरकार को चेताया
सबसे ज्यादा वैक्सीन महाराष्ट्र को दिया सबसे ज्यादा ऑक्सीजन महाराष्ट्र को दिया सबसे ज्यादा रेमडेसिविर महाराष्ट्र को दी |
कंगना और अर्नब से बदला ले रहे थे
ये कोरोना-कोरोना क्या है कह रहे थे 100 करोड़ की वसूली करवा रहे थे फ्री वैक्सीन का श्रेय लेने के लिए आपस में लड़ रहे हैं |
दिल्ली में लापरवाही किसने की ?
पीएम मोदी | अरविंद केजरीवाल |
आने वाले कोरोना वेब के लिए चेताया
कोरोना को नियंत्रित करने के लिए टीम भेज रहे थे ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी को पूरा करने पर जोर दे रहे थे Track, Test और Treat पर जोर दे रहे थे |
केजरीवाल ने कहा कि चौथा वेब खतरनाक नहीं है किसान आंदोलन को बल दिया कोरोना का यूके स्ट्रेन पंजाब से दिल्ली पहुंचाया ऑक्सीजन टैंकर और दवाइयों पर राजनीति कर रहे थे |
छत्तीसगढ़ में लापरवाही किसने की ?
पीएम मोदी | भूपेश बघेल |
देश भर में वैक्सीन अभियान चला रहे थे
वेंटिलेटर्स और दवाइयों का इंतजाम कर रहे थे हर जिले में PSA ऑक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त अन्न की व्यवस्था कर रहे थे |
लोगों के बीच वैक्सीन पर भ्रम फैला रहे थे
प्रधानमंत्री की मीटिंग से गायब थे असम के विधायकों और प्रत्याशियों के साथ पार्टी कर रहे थे लाशों में कीड़े लग रहे थे, वो चुनाव प्रचार में व्यस्त थे |
राजस्थान में लापरवाही किसने की ?
पीएम मोदी | अशोक गहलोत |
सबसे ज्यादा वैक्सीन प्राप्त करने वाले राज्यों में से एक है राजस्थान
265 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रति दिन उपलब्ध करा रहे है 50,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए ग्लोबल टेंडर दे रहे थे ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक और दाम निर्धारित कर रहे थे |
वैक्सीन की कमी का झूठा रोना रो रहे थे
जिनके स्वास्थ्य मंत्री सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा से गप लड़ा रहे थे 2000 कॉन्सेंट्रेटर का टेंडर रद्द कर रहे थे लचर प्रशासन की वजह से वैक्सीन ही चोरी हो गई |
मोदी सरकार ने कोविड-19 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर अपना पक्ष रखा है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार ने 200 पेज का हलफनामा दायर किया है। जिसमें कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 162 संयंत्र लगाने की प्रक्रिया में है। सरकार ने ऑक्सीजन को जुटाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। हलफनामे में कुछ प्रदेशों में ऑक्सीजन की मांग और उत्पादन की स्थिति का भी जिक्र किया है।
कोविड महामारी के दौरान जनता को हुई परेशानियां को हल्के में लेने के आरोप को केंद्र ने नकार दिया है। सरकार ने कहा कि मुश्किलें दूर करने और जान के नुकसान को कम करने के लिए त्वरित, ठोस और समग्र कदम उठाए जा रहे हैं। संक्रमण के अप्रत्याशित केस के बावजूद युद्ध स्तर पर इससे निपटने के लिए तमाम प्रयत्न किए जा रहे हैं।
मोदी सरकार ने महामारी के मामले में जरूरी चीजों से लैस करने के लिए पेशेवर तरीके से कदम उठाए हैं। महामारी की दूसरी लहर के नागरिकों की दिक्कतों और कष्टों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। केंद्र ने कहा, रेमडेसिविर की मांग बढ़ने पर सेंट्रल औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने सात मैन्यूफैक्चर्स की 22 मैन्यूफैक्चरिंग साइट को अनुमति दी। साथ ही 12 अप्रैल को तत्काल अतिरिक्त मैन्यूफैक्चरिंग साइट को मंजूरी दी है। सरकार ने कहा कि हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
आइए जानते हैं मोदी सरकार ऑक्सीजन के लिए क्या कर रही है ?
- 7 अप्रैल, 2020 को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए 24 घंटे में लाइसेंस देने का इंतजाम किया।
- अप्रैल-मई 2020 में 1,02,400 ऑक्सीजन सिलेंडर राज्यों को दिए गए।
- 20 सितंबर, 2020 को लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के दाम निर्धारित किए गए।
- 5 जनवरी, 2021 को 162 PSA प्लांट लगाने के लिए 201 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
- 16 अप्रैल, 2021 को 50, 000 एमटी ऑक्सीजन के लिए ग्लोबल टेंडर दिए गए।
- 18 अप्रैल, 2021 को ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाई गई और ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत की गई।
- 22 अप्रैल, 2021 को ‘ऑपरेशन ऑक्सीजन’ की शुरुआत की गई।
- 25 अप्रैल, 2021 को हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला लिया गया।