नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रति जनता का रवैया सकारात्मक है। कामकाज से जनता संतुष्ट है और लोकप्रियता में नरेंद्र मोदी के सामने देश का कोई दूसरा नेता नहीं ठहरता। तीन साल बाद भी नरेंद्र मोदी सरकार में एंटी इनकम्बेन्सी नहीं दिखती। ये बातें उन सभी सर्वे का लब्बोलुआब है जो हाल के दिनों में हुए हैं। मोदी की लोकप्रियता से जलने वाले उन तथ्यों की अनदेखी करते हैं और कहते हैं कि यह पैकेजिंग और मार्केटिंग की सरकार है। वे मोदी सरकार को तस्वीरें खिंचाने वाली सरकार भी बताते हैं। सच क्या है?
‘सेल्फी विद द डॉटर’ से भावनात्मक तौर पर जुड़ी जनता
डिजिधन योजना से कैशलेस की ओर बढ़ा समाज
उज्ज्वला योजना ने पोंछे गरीब महिलाओं के आंसू
उज्ज्वला योजना ने करोड़ों माताओं की आंखों के आंसू पोंछे। मुफ्त में सिलेंडर और कनेक्शन गरीब परिवार की महिलाओं को दिए गये। 5 करोड़ लोगों को ये गैस दिए जा रहे हैं। अब इस योजना की अहमियत लोगों को बताना, इस योजना के लिए लोगों का आकर्षण दूसरों को बताना क्या गुनाह है? जब हम खूबियां बताएंगे तभी तो लोग हमारी ओर आकर्षित होंगे। अगर यह पैकेजिंग है, मार्केटिंग है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
किसानों की खाद की समस्या खत्म
किसानों के बीच खाद की कमी दूर हो गयी। इतना बड़ा संकट हल हो गया सिर्फ प्रधानमंत्री के एक कदम से। वह कदम था उर्वरक की नीम कोटिंग। इस एक कदम से उर्वरक का कालाबाजार बंद हो गया और नतीजा ये हुआ कि खाद की कमी खत्म हो गयी। इस बारे में लोगों को आगाह करना, नीम कोटिंग का नफा-नुकसान बताना क्या मार्केटिंग है?
करोड़ों का अकाउन्ट खोलवाना क्या मार्किटिंग थी?
करोड़ों लोगों का जनधन अकाउन्ट खोलवाना, बेरोजगार युवकों को लोन देने के लिए मुद्रा योजना चलाना, गर्भवती महिलाओं के लिए छुट्टियां 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर देना क्या सिर्फ मार्केटिंग है, पैकेजिंग है? अगर है, तो भी इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
अब किसी सैलरी पर नहीं पड़ता है डाका
अब अकाउन्ट में सैलरी आती है। कोई भी व्यक्ति कामगारों को कम सैलरी नहीं दे सकता। ये समस्या ही दूर हो गयी है। क्या ये छोटी उपलब्धि है? इस बारे में लोगों को आगाह करना क्या मार्किटेंग है?
योग से भारत को दुनिया में मिली नयी पहचान
भारतीय प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने योग दिवस मनाना शुरू किया। दुनिया भर में इसका प्रचार-प्रसार हुआ। भारत में भी उत्सव का माहौल बना। हर साल यह परंपरा अब और बढ़ रही है। लोग योग से जुड़ रहे हैं। अब विरोधी दलों को योग का प्रचार-प्रसार भी मार्केटिंग लगता है लेकिन यह जरूरत है।
पड़ोसी देशों को सैटेलाइट का उपहार
नोटबंदी के दौरान भी नहीं भड़के लोग, दिया खुलकर समर्थन
नोटबंदी के बाद विरोधी दलों ने सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का कोई मौका नहीं छोड़ा। बावजूद इसके लोग भड़के नहीं। तकलीफ सहकर भी भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ़ लड़ाई में सहयोग देते रहे। इस दौरान मोदी सरकार ने भी आम लोगों को जागरूक करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। पर, आप इसे मार्केटिंग नहीं कह सकते।
अगर सिर्फ मार्केटिंग होती, तो चुनाव दर चुनाव नहीं जीतते मोदी
अगर जनता ने मोदी सरकार के क्रियाकलापों को मार्केटिंग या पैकेजिंग का नतीजा माना होता, तो नोटबंदी के बाद हुए सभी चुनावों में जनता बीजेपी की जीत सुनिश्चित नहीं कर रही होती। जनता को मोदी सरकार विश्वसनीय लगी है, उसके कामकाज से जनता खुश है। यही वजह है कि जनता ने मोदी सरकार को मार्केटिंग और पैकेजिंग की सरकार बताने वालों को समय-समय पर करारा जवाब दिया है और ऐसी साजिश को बेनकाब किया है।