Home विशेष क्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा है जामिया हिंसा?

क्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा है जामिया हिंसा?

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दिल्ली के जामिया में हुई हिंसा से संबंधित एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इसमें दो लड़कियां एक लड़के को पुलिस से बचाने की कोशिश कर रही हैं। लड़कियां पुलिस वालों के सामने आ जाती हैं और फिर पुलिस वाले चले जाते हैं। इस वीडियो में पुलिस को ‘गो बैक गो बैक’ कहकर सबसे आगे रहने वाली लड़की आयशा रेन्ना है। आयशा रेन्ना के साथ वीडियो में दूसरी लड़की लेदीदा शखलून है और वीडियो में जो छात्र पुलिस की लाठियों से पीट रहा है उसका नाम है शाहीन अब्दुल्लाह।

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो की हकीकत धीरे-धीरे सामने आने लगी है। सोशल मीडिया पर आयशा रेन्ना और लेदीदा शखलून के हिजाब पहने कई फोटो और वीडियो सामने आए हैं।

जिस आयशा को बहादुर और साहसी युवती की तरह पेश किया जा रहा है, वो मुंबई बम धमाकों के आतंकी याकूब मेमन की समर्थक है। 1993 में हुए मुंबई बम धमाकों में 317 लोगों की हत्या के इस गुनहगार को जब 30 जुलाई 2015 को फांसी पर लटकाया गया तो आयशा ने लिखा कि माफ करना याकूब, हम तुम्हें बचा नहीं पाए।

लेदीदा पढ़ाई के साथ इस्लाम और कुरान को लेकर वीडियो बनाती है। लेदीदा अपने फेसबुक वॉल पर बद्र, उहद और कर्बला का जिक्र करती है। जिहाद की बात करती है। वो ‘ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मद रसूल अल्लाह’ का नारा लगाते हुए दिखती है।

लेदीदा और आयशा दोनों केरल की रहने वाली हैं और हाल ही में केरल से पढ़ाई के लिए जामिया आई है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लेदीदा और आयशा जिस लड़के शाहीन अब्दुल्लाह को पुलिस से बचाती हैं वो भी केरल का ही रहने वाला है।

शाहीन अब्दुल्लाह जामिया के कन्वर्जेंस जर्नलिज्म का छात्र है और केरल के मख्तुब मीडिया के लिए काम करता है। हिंसक भीड़ के साथ पुलिस जब शाहीन को खदेड़ती है तो वह बचने के लिए वहीं जाता है जहां लेदीदा और आयशा होती है। और फिर वीडियो को वायरल करके पुलिस की अमानवीय छवि को देश के सामने पेश किया जाता है। 

आपको यहां पर सिर्फ शाहीन के पुलिस से मार खाने की वीडियो दिखाई जाती है जो काफी क्लियर है, लेकिन इसके पहले क्या घटना हुई, यह नहीं दिखाई देता है। आपको यह नहीं दिखाया जाता कि शाहीन ने पुलिस को कैसे भड़काया, पुलिस ने क्यों खदेड़ा या फिर वहां पहले से तैयारी की गई थी।

घटना के अगले दिन 16 दिसंबर को सुबह 8.17 पर FirstPost में लेदीदा के नाम से एक ऑर्टिकल प्रकाशित होती है- I am a Muslim women protesting CAA, those taht support my cause value India’s constitution इसके एक घंटे बाद उसका वीडियो आ जाता है और 9.08 पर पुलिस के अमानवीय चेहरा दिखाने और लेदीदा- आयशा को आगे बढ़ाने के लिए FirstPost पर ही एक खबर प्रकाशित होती है – Watch: Jamia Millia Islamia students Ladeeda Sakhaloon, Ayesha Renna save journalist from baton-wielding cops

इसके बाद एंट्री होती है बरखा दत्त और अरफा खानम जैसे कथित सेकुलर पत्रकारों की। जो आयशा और लेदीदा को नायिका के तौर पर पेश करती है।

एनडीटीवी पर इन्हें ‘हिम्मत वाली लड़कियां’ बताया जाता है।

यहां आपको यह जानकर एक और हैरानी होगी कि आयशा का पति ए. रहमान भी एक पत्रकार है और वह अपनी पत्नी तो एक आंदोलनकारी के रूप में पेश करता रहा है।

ये सब महज संयोग है या साजिश?

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