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प्रधानमंत्री मोदी 25 अप्रैल को करेंगे मन की बात, कार्यक्रम के लिए भेजें अपने विचार एवं सुझाव

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने रविवार, 25 अप्रैल को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से देश को संबोधित करेगें। इस कार्यक्रम के लिए आप भी अपने विचार और सुझाव साझा कर सकते है। प्रधानमंत्री मोदी उनमें से कुछ चयनित विचारों और सुझावों को अपने कार्यक्रम में शामिल करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी हर माह आखिरी रविवार को सुबह 11 बजे रेडियो के माध्यम से देशवासियों से मन की बात करते हैं। प्रधानमंत्री का लोगों के साथ यह संवाद काफी लोकप्रिय है। इस रेडियो कार्यक्रम को तमाम न्यूज चैनल भी प्रसारित करते हैं। इस कार्यक्रम के लिए आप भी अपने विचार एवं सुझाव साझा कर सकते है। पीएम मोदी उनमें से कुछ चयनित विचारों एवं सुझावों को अपने कार्यक्रम में शामिल करेंगे।

आप नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर कमेंट बॉक्स में अपने विचार और सुझाव साझा कर सकते हैं-

मन की बात

आप टोलफ्री नंबर 1800-11-7800 पर फोन कर संदेश रिकॉर्ड करा सकते हैं। फोन लाइन 22 अप्रैल तक खुले रहेंगे। आप 1922 पर मिस्‍ड कॉल देकर एसएमएस में प्राप्त लिंक के जरिए भी सीधे प्रधानमंत्री तक अपने सुझाव पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही नमो एप या माईगॉव पर लिख सकते हैं। आप नीचे दिए गए लिंक को क्लिक कर कमेंट बॉक्स में अपने विचार और सुझाव साझा कर सकते हैं-

मन की बात

प्रधानमंत्री मोदी आम लोगों से मिले सुझावों में से कुछ का चयन कर अपने कार्यक्रम में उसे शामिल करते हैं और लोगों को उस बारे में बताते हैं।

1 COMMENT

  1. आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार,
    महोदय मैं चाहता हूं कि 25 तारीख को मन की बात कार्यक्रम में आप विगत 28 30 वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की चर्चा अवश्य करें। सन 1993 से मध्यप्रदेश में कार्यरत हम संविदा कुष्ठ कर्मचारियों ने 3000-4000 रुपए प्रतिमाह पर 20 वर्षों तक अपनी सेवाएं राज्य शासन को दी फिर क्रमिक बढ़ोतरी के बाद विगत डेढ़ 2 वर्षों से 21000 रुपए प्रतिमाह पर हम अपनी सेवाएं दे रहे हैं इसके अलावा किसी भी तरह का TA,DA हमें नहीं दिया जाता किंतु अधिकारीगण हमसे नियमित कर्मचारी के बराबर ही कार्य लेते हैं।
    महोदय इस सेवाकाल के दौरान हमारे जिन साथियों की असमय मृत्यु हो गई उनके परिवार आज भी दरबदर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं उन्हें किसी तरह की मदद राज्य शासन द्वारा नहीं दी गई। यहां तक की उनकी मृत्यु के उपरांत होने वाले कार्यक्रम भी हम लोगों ने आपस में सहयोग करके पूर्ण किए हैं। क्योंकि हम संख्या में केवल 150 है इसलिए हमें कोई वोट बैंक भी नहीं मानता कोई सरकार हमारे बारे में नहीं सोचती। दूसरी तरफ केंद्रीय कर्मचारियों को बिना मांगे ही समय पर प्रत्येक वेतनमानभत्ते आदि दे दिए जाते हैं।
    महोदय वर्तमान पेंशन प्रणाली को देखकर हमें लगता है कि जैसा हमारा भूत था ,वर्तमान है ,वैसा ही भविष्य भी होने वाला है, हम ना पहले समाज और परिवार में सम्मान पा सके ना भविष्य में पाएंगे। आपका एक प्रयास ही हम सभी को संविदा जैसे कलंक से मुक्ति दिला सकता है।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।।

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