पीएम नरेन्द्र मोदी पर किसी भी हद तक जाकर हमला बोलने की प्रवृत्ति ने कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा है। बावजूद इसके ये प्रवृत्ति और उनकी सोच बदलती नहीं दिख रही है। कांग्रेस मोदी सरकार को अमानवीय बता रही है क्योंकि पूर्व विदेश राज्य मंत्री और वरिष्ठ नेता ई अहमद की मृत्यु के बाद आम बजट रोका नहीं गया। मोदी सरकार अगले दिन दिवंगत के सम्मान में सदन स्थगित करने जा रही है, लेकिन क्या कांग्रेसी इस बात का जवाब देंगे कि नेहरू और इंदिरा के राज में भी बजट सत्र के दौरान दिवंगत की मौत हुई थी पर सदन को चलाते रहने का फैसला लिया गया था। बोलिए मल्लिकार्जुन खडगे साहब, बोलिए गुलाम नबी आजादजी- क्या नेहरू और इंदिरा भी अमानवीय थे?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद ई अहमद के निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, स्पीकर सुमित्रा महाजन और विपक्ष के तमाम नेता सोनिया-मल्लिकार्जुन ने उन्हें उनके घर जाकर श्रद्धांजलि दी। परिजनों को सांत्वना दी, पूरा सम्मान दिखाया। पूरे सदन ने दिवंगत सांसद के प्रति सम्मान दिखाते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। बावजूद इसके कांग्रेस कह रही है कि बजट पेश करने का फैसला न सिर्फ गलत है, बल्कि अमानवीय भी है !
Paid tributes to late Mr. E Ahamed. pic.twitter.com/DzjQvbaZ15
— Narendra Modi (@narendramodi) February 1, 2017
मौत पर ओछी राजनीति कर रही है कांग्रेस : पूर्व विदेश राज्य मंत्री ई अहमद के निधन पर बजट के बहाने ओछी राजनीति हो रही है। दरअसल यह दिवंगत नेता के प्रति असम्मान है
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-
“ई अहमद के निधन के बाद सदन को एक दिन के लिए स्थगित किया जाना चाहिए था. बजट को एक दिन के लिए टाला जा सकता था. निधन के बावजूद बजट पेश किया जाना अमानवीय है.”
कांग्रेस के साथ-साथ जेडीयू-आरजेडी जैसे दलों ने भी सुर में सुर मिलाया और बजट पेश नहीं करने की वकालत की।
In our opinion,including JDU leaders and former PM Deve Gowda, the budget should be postponed: Mallikarjun Khadge,Congress #EAhamed pic.twitter.com/9KFi4PMDID
— ANI (@ANI_news) February 1, 2017
I offer my condolences; #budget2017 shouldn’t be presented today: Lalu Prasad #EAhamed pic.twitter.com/2XVoZSvhH7
— ANI (@ANI_news) February 1, 2017
अगर दिन संसद की कार्यवाही स्थगित कर देने मात्र से दिवंगत नेता का सम्मान हो जाता है तब ऐसे कई उदाहरण देश में हैं जब कांग्रेस के शासनकाल में ही दिवंगत नेताओं का अपमान होता रहा है।
क्या पंडित नेहरू की सरकार ने किया था दिवंगत सांसद जुझर पाल का अपमान?
19 अप्रैल 1954 को रेल बजट के दिन सांसद जुझर पाल का निधन हो गया, लेकिन सदन ने कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया। तब पंडित जवाहर लाल नेहरू थे देश के पीएम।
क्या इंदिरा सरकार ने किया था दिवंगत सांसद एमबी राणा का अपमान?
31 जुलाई 1974 को बजट के दिन सांसद एमबी राणा का निधन हो गया। तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। शोकसभा हुई, लेकिन बजट नहीं रोका गया।
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा है – “ ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि संसद सदस्य के निधन के बाद सदन की कार्यवाही रोकी जाए। बस एक परंपरा है। सरकार बजट को टालने के लिए बाध्य नहीं है।“
आम बजट देश के लिए अहम होता है। फिर इस बार तीन बाद चुनाव भी हैं। ऐसे में सदन का बजट सत्र रोकने से दूसरी दिक्कतें हो सकती थीं जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ता। दिवंगत नेता ई अहमद के सम्मान में अगले दिन सदन स्थगित करने की व्यवस्था देकर स्पीकर सुमित्रा महाजन ने विवेकपूर्ण कदम उठाया है।
LS not to sit tomorrow as a mark of respect to member & IUML leader #EAhamed who passed away today, says Speaker #SumitraMahajan.
— Press Trust of India (@PTI_News) February 1, 2017
I would have adjourned the house, but today’s sitting has been fixed by President for presentation of #Budget2017 : Sumitra Mahajan in LS
— ANI (@ANI_news) February 1, 2017
तो दिवंगत ई अहमद के प्रति वर्तमान संसद ने सम्मान में कोई कमी की है, ना ही पहले ऐसा हुआ है। नजरिया सिर्फ कांग्रेस का बदला है, विपक्ष का बदला है। हर हाल में मोदी का विरोध, मोदी सरकार का विरोध विपक्ष का मकसद रह गया है। इस वजह से राजनीति ओछी होती चली गयी है। विपक्ष खासकर कांग्रेसी ये भी नहीं देखते कि खुद वे अब तक क्या करते रहे हैं। बस आरोप लगाना, लगाते जाना परम्परा बन गयी है।