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भारत का बढ़ता कद, प्रधानमंत्री मोदी, चार केन्द्रीय मंत्रियों और ‘सुपर 30’ ने लिखी ‘ऑपरेशन गंगा’ की सफलता की कहानी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल और दमदार नेतृत्व से वैश्विक स्तर पर भारत का कद काफी बढ़ा है। आज भारत अपने देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए बिना संकोच अपनी बात रखने में सक्षम है। इसका फिर प्रमाण रूस-यूक्रेन युद्ध में मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बात की और उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराया। इससे दोनों देशों ने भारतीयों की सुरक्षित निकासी का आश्वासन दिया, जिसका नतीजा है कि ‘ऑपरेशन गंगा’ सफल रहा। इस सफलता के पीछे वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव, प्रधानमंत्री मोदी, चार केंद्रीय मंत्रियों और सुपर 30 का प्रमुख योगदान रहा है।

भारत के बढ़ते प्रभाव से सफल हुआ ‘ऑपरेशन गंगा’ 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने युद्ध प्रभावित यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने के लिए चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन गंगा’ की सफलता का श्रेय खुद न लेकर वैश्विक पटल पर भारत के बढ़ते प्रभाव को दिया है। उन्होंने कहा कि हम ऑपरेशन गंगा के माध्यम से युद्ध क्षेत्र से हजारों भारतीयों को सुरक्षित निकाल रहे हैं। यह भारत का बढ़ता प्रभाव ही है, जिसकी वजह से वह यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र से हजारों विद्यार्थियों को स्वदेश वापस ला पाया है। उन्होंने कहा कि कई बड़े देश अपने नागरिकों को वहां से निकालने में मुश्किलों से जूझ रहे हैं।

पीएम मोदी ने दूर की ‘ऑपरेशन गंगा’ की बाधाएं

‘ऑपरेशन गंगा’को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के काम को पूरी गंभीरता से लिया और तत्काल फैसले लेकर अधिकारियों और मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी। खुद ‘ऑपरेशन गंगा’ की मॉनीटरिंग के साथ हाई लेवल मीटिंग्स कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से टेलीफोन से सीधे बातकर ऑपरेशन के मार्ग में आ रही बाधाओं को दूर कर रहे हैं। दोनों देशों को भारत की चिंताओं से अवगत करा रहे हैं। साथ ही उन्हें बातचीत से समस्या के समाधान की सालह भी दे रहे हैं।

4 केंद्रीय मंत्रियों ने यूक्रेन के 5 पड़ोसी देशों में संभाला मोर्चा

चार केंद्रीय मंत्रियों ने विदेशी धरती पर मोर्चा संभालकर ‘ऑपरेशन गंगा’ को कामयाब बनाया है। चार केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीके सिंह, हरदीप सिंह पुरी और किरण रिजिजू खुद ‘ऑपरेशन गंगा’ की निगरानी के लिए पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी और मोल्डोवा पहुंचे। चारों मंत्रियों ने प्रधानमंत्री द्वारा सौंपे गए दायित्व को बखूबी निभाया। भारत इकलौता ऐसा देश है, जिसने युद्धग्रस्त यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए चार मंत्रियों के साथ भारी-भरकम अमला लगाया है। पोलैंड के मार्शल ने भी भारत के निकासी अभियान की तारीफ की है। 

सुपर 30 के हाथों में कंट्रोल रूम की कमान

युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के लिए हंगरी स्थिति भारतीय दूतावास ने बुडापेस्ट में एक कंट्रोल रूम बनाया है। इसकी कमान भारतीय विदेश सेवा (आइएफएस) के 30 युवा अधिकारियों के हाथों में है। बुडापेस्ट में होटल के एक छोटे कमरे में स्थापित इस कंट्रोल रूम से आइएफएस अफसर लगभग 150 से ज्यादा स्वयंसेवक और टेक्निकल टीम के साथ दिन रात काम कर रहे हैं। युवा अधिकारियों में कई ऐसे हैं जिन्हें दूसरे देशों में स्थित भारतीय दूतावासों से बुलाया गया है।

विशेष ड्यूटी पर अधिकारियों की तैनाती

ऑपरेशन गंगा की पूरी कवायद की निगरानी के लिए विशेष ड्यूटी पर लाए गए पूर्व राजदूत कुमार तुहिन समेत करीब 30 लोगों की एक कोर टीम गठित की गई है। कम से कम छह सदस्य कमांड सेंटर में कोर टीम का हिस्सा हैं और 10-15 की टीम के साथ समन्वय के लिए जिम्मेदार हैं जो स्वयंसेवी टीमों का नेतृत्व करते हैं। इजराइल में भारतीय दूतावास के उप प्रमुख राजीव बोडवाडे बुडापेस्ट में स्पेशल ड्यूटी पर लगाए गए है। 

छात्रों से संपर्क, ठहरने, भोजन और विमान से स्वदेश भेजने की व्यवस्था

ऑपरेशन गंगा की सुविधा के लिए चार टीमें बनाकर उन्हें अलग-अलग काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक टीम सीमा पर अलग-अलग साधनों से पहुंचने वाले लोगों पर नजर रखती है और उन्हें शहर भेजती है। दूसरी टीम शहर में लोगों के लिए ठहरने की व्यवस्था करती है। इसके लिए 40 स्थानों का चयन किया गया है। तीसरी टीम लोगों के लिए दिन में तीन वक्त के भोजन की व्यवस्था करती है। पिछले कुछ दिनों में हजार से ज्यादा लोगों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था की गई है। चौथी टीम एयरपोर्ट पर तैनात है। वह कमांड सेंटर को बताती है कि वहां कितने विमान उपलब्ध हैं और कितने लोगों को और कब स्वदेश भेजा जा सकता है।

 

 

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