प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा अब एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गई है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 02 सितंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी को भारत में बने पहले सेमीकंडक्टर चिप्स का सेट भेंट किया। यह चिप्स मोहाली की पायलट लाइन से तैयार किए गए हैं और यही पल देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया में एक नई पहचान देता है।
दिसंबर 2021 में शुरू हुए भारत सेमीकंडक्टर मिशन ने महज साढ़े तीन सालों में मंजूरी से लेकर उत्पादन तक का सफर पूरा कर लिया है। इस अवसर को अश्विनी वैष्णव ने गर्व का क्षण बताया और प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता, मजबूत इच्छाशक्ति और निर्णायक कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि 7.8% की जीडीपी वृद्धि से लेकर पहले मेड-इन-इंडिया चिप्स तक, भारत आज स्थिरता और तेज गति से प्रगति का प्रतीक बन चुका है।
From 7.8% GDP growth to a growing semiconductor ecosystem with 1st ‘Made in India’ chips — Bharat stands as a lighthouse of stability. pic.twitter.com/bIUz5cCZUH
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) September 2, 2025
सेमीकॉन इंडिया 2025 के दौरान 12 अहम समझौता ज्ञापन पर दस्तखत किए गए। इनका उद्देश्य भारत में सेमीकंडक्टर डिजाइन, पैकेजिंग और निर्माण को मजबूत बनाना है। इनमें स्वदेशी कैमरा मॉड्यूल, MEMS माइक्रोफोन, सिक्योर डिजिटल चिप, IoT इवोल्यूशन बोर्ड और उन्नत पैकेजिंग तकनीक जैसे उत्पाद शामिल हैं। इन पहलों के पीछे मकसद घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा देना और भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में मजबूत बनाना है। इस दौरान टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, मर्क, एलएंडटी सेमीकंडक्टर, IISc बैंगलोर, आईआईटी मद्रास, Arizona State University और सी-डैक जैसे संस्थान और कंपनियां साझेदारी के रूप में सामने आईं।
इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री ने एक बड़ी घोषणा करते हुए डीप टेक अलायंस का गठन किया, जिसके लिए पहले ही एक अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई जा चुकी है। इसकी शुरुआत सेमीकंडक्टर सेक्टर से होगी, लेकिन आने वाले वर्षों में यह पहल स्वच्छ ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम टेक्नोलॉजी और स्पेस जैसे अग्रणी क्षेत्रों तक फैलेगी। वैष्णव ने कहा कि इस एलायंस से उभरते हुए डीप-टेक उद्योगों को मजबूत उद्यम पूंजी मदद मिलेगी।
भारत अब India Semiconductor Mission (ISM) 2.0 लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। पहले चरण में दो फैब्स और कई OSAT यूनिट्स स्थापित हो चुके हैं। अब ISM 2.0 का मकसद भारत को एक Product Nation बनाना है, जहां न सिर्फ चिप्स का निर्माण हो बल्कि घरेलू डिजाइन और इनोवेशन पर आधारित वैश्विक स्तर के उत्पाद भी तैयार किए जाए।
सेमीकॉन इंडिया 2025 का एक और खास पहलू रहा छात्रों और स्टार्टअप्स की भूमिका। देशभर के छात्रों द्वारा डिजाइन किए गए 20 चिप्स प्रधानमंत्री को भेंट किए गए। इस समय भारत के 78 से अधिक विश्वविद्यालय एडवांस्ड ईडीए टूल्स के साथ काम कर रहे हैं और धीरे-धीरे भारत एक गहन प्रतिभा पूल तैयार कर रहा है। आज भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर कार्यबल का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है। इसी तरह 28 से ज्यादा स्टार्टअप्स चिप डिजाइन और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आईआईटी मद्रास और सी-डैक भी पहले ही स्वदेशी माइक्रोकंट्रोलर और प्रोसेसर लॉन्च कर चुके हैं।