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चीन की चालबाजी पर भारत का करारा जवाब, विंटर ओलंपिक सेरेमनी का किया बायकॉट, डीडी स्पोर्ट्स नहीं करेगा समारोह का प्रसारण

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चीन की राजधानी बीजिंग में 14 साल बाद 24वे विंटर ओलंपिक गेम्स का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन चीन इस ओलंपिक गेम्स में अपनी चालबाजी देखाने से बाज नहीं आया है। बुधवार (03-02-2022) को इस ओलंपिक गेम्स की मशाल रिले निकाली गई। इसमें खिलाड़ियों के साथ एक मशाल धारक के रूप में गलवान घाटी झड़प में शामिल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के रजिमेंट कमांडर की फाबाओ को पेश किया गया था। इससे नाराज भारत ने चीन को करारा जवाब देते हुए इस ओलंपिक का बहिष्कर किया है।

चीन द्वारा गलवान घाटी हिंसा में शामिल रहे एक सैनिक को मशालवाहक बनाये जाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई। विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि चीन ने ओलंपिक जैसे आयोजन को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है, जो खेदजनक है। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास प्रमुख बीजिंग ओलंपिक के न तो उद्घाटन समारोह में शरीक होंगे और ना ही समापन कार्यक्रम में भाग लेंगे।

विदेश मंत्रालय की घोषणा के बाद प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि शेखर वेम्पति ने कहा कि दूरदर्शन का स्पोर्ट्स चैनल ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह का प्रसारण नहीं करेगा। भारत की यह कदम ऐसे समय में आया है जब दो महीने पहले उसने रूस-भारत-चीन त्रिस्तरीय ढांचे के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन द्वारा बीजिंग ओलंपिक की मेजबानी का समर्थन किया था।

चीन के इस कदम को गलवान हिंसा का वैश्विक स्तर पर प्रचार करने से जोड़कर देखा जा रहा है। इस मामले में भारत ने यूएनएससी में हुए एक बैठक के दौरान अपना पक्ष रखा। भारत ने कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र और इसके बाहर शांति स्थापित करने के लिए भारत शुरू से ही राजनीति और सैन्य स्तर पर बातचीत करता रहा है जिससे दोनों देशों के बीच एक शांतिपूर्ण समाधान निकल सके।

भारत के अलावा अमेरिका ने भी इसकी आलोचना करते हुए चीन पर ओलंपिक का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। दो टॉप अमेरिकी सांसदों मार्को रुबियो और जिम रिश ने चीन की आलोचना की। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने भी आरोप लगाया कि चीन की सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा ओलंपिक का इस्तेमाल किया जा रहा है और चीन में मानवाधिकारों के हनन से दुनिया का ध्यान हटाने की कोशिश की जा रही है।

गौरतलब है कि मशाल रिले ले जाने वाला की फाबाओ साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में शामिल था। उस वक्त फाबाओ जख्मी हुआ था। हालांकि उसकी जान बच गई। इस हिंसक झड़प में कर्नल संतोष बाबू सहित भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। 

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