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बीजेपी सरकार को बदनाम करने के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने फैलाई झूठी खबर

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार जिस तरह से कोरोना वायरस संकट से निपट रही है उसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। तमाम देश संकट की इस घड़ी में भारत की ओर नजर लगाए हुए है। लेकिन देश के कुछ एजेंडा पक्षकार बीजेपी सरकार को बदनाम करने की कोशिश में लगे हुए हैं। 15 अप्रैल को इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में कहा गया कि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में धर्म के आधार पर मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं। इस फेक न्यूज में कहा गया कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट गुणवंत एच राठौड़ ने दावा किया है कि सरकार के फैसले के अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वार्ड तैयार किए गए हैं।

अखबार में खबर आने के बाद मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर राठौर ने कहा कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि हमने हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग वार्ड बनवाए। ये रिपोर्ट पूरी तरह झूठी और निराधार है। उन्होंने साफ कहा कि वार्डों को महिला-पुरुष और बच्चों के लिए अलग-अलग किया गया है, वो भी उनकी मेडिकल स्थिति देखकर न कि धार्मिक आधार पर। पीआईबी फैक्ट चेक ने भी इस खबर को गलत पाया।

द कारवां ने छापी झूठी खबर
इसके पहले द कारवां ने एक झूठी खबर प्रकाशित कर लिखा कि मोदी प्रशासन ने प्रमुख निर्णयों से पहले ICMR द्वारा नियुक्त COVID-19 टास्क फोर्स से परामर्श नहीं किया गया। स्टोरी में बताया गया है कि लॉकडाउन करने के पहले ICMR से राय मशविरा नहीं किया गया।

ICMR ने कारवां की इस झूठी खबर का खंडन किया है। ICMR का कहना है कि एक मीडिया रिपोर्ट में COVID-19 टास्क फोर्स के बारे में झूठे दावे किए गए हैं। सच्चाई ये है कि पिछले महीने में 14 बार टास्क फोर्स की बैठक हुई और सभी फैसलों में टास्क फोर्स के सदस्यों को शामिल किया गया।

एक तरफ देश कोरोना संकट से निकलने की कोशिश कर रहा है वहीं कुछ लोग गलत खबरों के जरिए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं। आइए, आपको बताते हैं कि कब-कब किन-किन लोगों ने झूठी खबरें फैलाने की कोशिश की।  

‘पत्रकार’ विनोद कापड़ी ने फैलाई झूठी खबर

टीवी 9 भारतवर्ष के पूर्व पत्रकार विनोद कापड़ी ने उत्तर प्रदेश के आगरा की एक झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। विनोद कापड़ी ने झूठी खबर को फैलाते हुए लिखा कि उत्तरप्रदेश के आगरा के ज़िला अस्पताल के #IsolationWard में पॉलिथीन के सहारे कोरोना से लड़ते डॉक्टर।

इसी खबर को दैनिक जागरण ने प्रकाशित किया है, जिसे विनोद कापड़ी ने ट्वीट किया। आगरा के जिलाधिकारी के ट्विटर हैंडल से इस खबर का खंडन किया गया है। आगरा डीम के ट्विटर हैंडल से कहा गया है कि ICMR के निर्देशानुसार ड्यूटी डॉक्टर/स्टाफ को N95 मास्क/दस्ताने पहनना जरूरी है। प्रचारित फोटो में बालरोग के डॉक्टर(आइसोलेशन वार्ड नही देखते) दोनों चीजें पहने हैं। इसके अलावा बचाव हेतु उपयोग वस्तु, वह उनकी अपनी सूझबूझ है। इस वक्त हर कोई अपने को सुरक्षित रखना चाहते है। #TruthPlease 

 

भदोही की घटना पर फैलाई झूठी खबर 
उत्तर प्रदेश के भदोही में एक महिला द्वारा अपने बच्चों को नदी में फेंकने की खबर को तथाकथिक बुद्धजीवियों ने झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक खबर का सहारा लेकर आजतक के पूर्व पत्रकार पूण्य प्रसून्न वाजयेपी, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, वाम नेता कविता कृष्णन और प्रांजय गुहा ठाकुरता ने एक खबर के जरिए ट्वीट किया कि कोरोना से हो रही परेशाानियों से परेशान होकर एक महिला ने अपने बच्चों को नदी में फेंक दिया। लेकिन बाद में उक्त महिला ने इस खबर का खंडन किया और कहा कि वो घरेलु वजहों से परेशान थी और कोरोना संकट से कोई लेना देना नहीं है।    

महिला मंजू देवी ने खुद इस फेक न्यूज का खंडन किया। 

‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने फैलाई झूठी खबर 
‘द वायर’ के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन ने एक खबर शेयर करते हुए कहा कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है। जबकि होशियारपुर ने ट्वीट कर इस खबर का खंडन किया है।

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की कमी की झूठी खबर  
एक वेबसाइट द्वारा खबर प्रकाशित कर ये कहा गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा, अमेरिका और अन्य देशों के निर्यात से मुबंई में इस दवा की कमी हो गई है। पीआईबी फैक्ट ने इस खबर का खंडन किया है। इस खबर के विपरीत सच्चाई ये है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र को को 34 लाख हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की टैबलेट सप्लाई दी गई है। जो जो डिमांड है उससे ज्यादा महाराष्ट्र के पास स्टॉक है। 

कोरोना महामारी को लेकर न्यूज एजेंसी IANS के साथ NDTV और बिजनेस इनसाइडर की फेक न्यूज 
कोरोना को लेकर न्यूज एजेंसी IANS के साथ NDTV और बिजनेस इनसाइडर ने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत में कोरोना वायरस की भयावह स्थिति अगस्त के मध्य तक रह सकती है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी (CDDEP) की रिपोर्ट का हवाला देकर गया कि करीब 25 करोड़ लोग इस वायरस की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच सकते हैं। लेकिन लेकिन जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने इस खबर या स्टडी से कोई लेना-देना ना होने की बात कह कर फेक न्यूज फैलाने वालों पोल खोल दी।

अब देखिए, वायर न्यूज ने कब-कब फैलाई झूठी खबरें-

फेक न्यूज मामले में ‘द वायर’ के खिलाफ FIR दर्ज
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा संचालित इस पोर्टल ‘द वायर’ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर एक झूठी खबर प्रकाशित की, जिसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
योगी सरकार की चेतवानी के बावजूद जब ‘द वायर’ ने फर्जी खबर नहीं हटायी, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके बारे में योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “हमारी चेतावनी के बावजूद इन्होंने अपने झूठ को ना डिलीट किया ना माफ़ी मांगी। कार्यवाही की बात कही थी, FIR दर्ज हो चुकी है आगे की कार्यवाही की जा रही है। अगर आप भी योगी सरकार के बारे में झूठ फैलाने के की सोच रहे है तो कृपया ऐसे ख़्याल दिमाग़ से निकाल दें।”

इससे पहले योगी सरकार ने ‘दी वायर’ के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन को चेतावनी देते हुए कहा था कि वह अपनी फर्जी खबर को डिलीट करें वरना इस पर कार्रवाई की जाएगी। यूपी सीएम के मीडिया सलाहकार ने कहा था कि झूठ फैलाने का प्रयास ना करे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है। इसे फ़ौरन डिलीट करे अन्यथा इस पर कार्यवाही की जाएगी तथा डिफ़ेमेशन का केस भी लगाया जाएगा। वेबसाईट के साथ-साथ केस लड़ने के लिए भी डोनेशन मांगना पड़ जाएगा।

बता दें कि तबलीगी जमात को बचाने के लिए ‘द वायर’ ने फेक न्यूज़ फैलाते हुए लिखा कि जिस दिन इस इस्लामी संगठन का मजहबी कार्यक्रम हुआ, उसी दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक अयोध्या में प्रस्तावित विशाल रामनवमी मेला का आयोजन नहीं रुकेगा क्योंकि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में सैकड़ों मौलवियों की मौजूदगी और उनसे जुड़े कई लोगों की कोरोना से मौत और संक्रमण के मामले सामने आने के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया। इसी बीच मौलाना साद का एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे मुसलमानों से कहते सुने जा सकते हैं कि मुसलमान डॉक्टरों और सरकार की सलाह न मानें क्योंकि मिलने-जुलने और एक-दूसरे के साथ बैठ कर खाने से कोरोना नहीं होगा। ऐसे में कई मौलानाओं के बयानों को ढकने के लिए ‘द वायर’ ने एक लेख प्रकाशित किया और उसके संपादक वरदराजन ने इस लेख को शेयर भी किया। लेकिन, ‘द वायर’ की झूठी खबर पकड़ी गयी।

कश्मीर को लेकर फैलायी झूठी खबर
अगस्त 2019 में ‘द वायर’ ने कश्मीर पर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की,जिसकी पोल श्रीनगर के डीसी शाहिद चौधरी ने खोली थी। ‘द वायर’ ने कश्मीर को लेकर ‘कश्मीर रनिंग शॉर्ट ऑफ लाइफ सेविंग ड्रग्स एज क्लैम्पडाउन कांटिन्यूज’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें कश्मीर में जीवन रक्षक दवाओं की कमी बताई गई थी। इसमें कहा गया था कि श्रीनगर के दवा की दुकानों में दवाइयों की आपूर्ति कम कर दी गई है,जिससे आम लोगों को परेशानी हो रही है।

श्रीनगर के मजिस्ट्रेट आईएएस अधिकारी शाहिद चौधरी ने इस झूठ का पर्दाफाश कर दिया। उन्होंने लेख के लिंक को शेयर करते हुए ट्वीट कर बताया कि सभी की चिंता का ख्याल रखा जा रहा है। एक दिन के लिए भी दवाइयों की कमी नहीं हुई है। आपूर्ति में कोई व्यावधान नहीं है। यदि कोई व्यक्तिगत मामलों में भी मदद चाहता है, उसके लिए भी प्रशासन तैयार है।

सिर्फ आईएएस चौधरी ही नहीं, बल्कि जम्मू के आईपीएस प्रणव महाजन ने भी इस पोर्टल को आड़े हाथ लिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस नाजुक समय में ऐसे पोर्टल्स को परिपक्वता दिखानी चाहिए। उन्होंने सबसे पहले जमीन पर मौजूद शाहिद चौधरी जैसे अधिकारियों से बात करनी चाहिए, फिर कोई रिपोर्ट करनी चाहिए।

कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ का पर्दाफाश
‘द वायर’ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर झूठी खबरें फैलाना अपना अधिकार समझता है। ‘द वायर’ ने You Tube पर एक वीडियो अपलोड किया। जिसमें कथित वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता, उर्मिलेश और प्रेम शंकर झा यह डिस्कशन करते दिख रहे हैं कि 5 अगस्त, 2019 के बाद एक भी कश्मीरी अखबार छप नहीं रहा है। यह ‘आपातकाल’ से भी बुरा दौर है, जिसमें अखबार तक नहीं छप रहे हैं। उनके इस प्रोपैगंडा को दूरदर्शन के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने अपने डिबेट शो ‘दो टूक’ में एक्सपोज करके रख दिया। उन्होंने इन तथाकथित कश्मीर विशेषज्ञ पत्रकारों के झूठ को बेनकाब करते हुए अपने डिबेट शो में इनके मुंह पर सबूत दे मारे।

विष वमन की पत्रकारिता-1- 1 फरवरी को द वायर ने वेबसाइट पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन करने वाली एक क्लिप है। इस वीडियो को दिखाने के पीछे सिद्धार्थ वरदराजन की मंशा यही थी कि मोदी का राजनीतिक विरोध किया जाए। ‘द वायर’ की इस अमर्यादित और तर्कहीन वीडियो क्लिप की रिपोर्ट-

विष वमन की पत्रकारिता-2- द वायर की प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विष वमन की रिपोर्टिंग का यह उदाहरण बेहद ही शर्मनाक है। ‘द वायर’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के विश्व आर्थिक मंच पर दिए गए भाषण की तर्कहीन निंदा की। दूसरी तरफ विश्व के सभी समाचार पत्रों ने इस भाषण में भारत की वैश्विकरण और जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिबद्धता की सराहना की थी। ‘द वायर’ की वह शर्मनाक रिपोर्ट-

विष वमन की पत्रकारिता-3- ‘द वायर’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें आंकड़ों को तोड़ा मरोड़ा गया और उसे सही साबित करने के लिए उन विशेषज्ञों के कथनों को आधार बनाया जो राजनीतिक रुप से प्रधानमंत्री मोदी के धुर विरोधी हैं। इस रिपोर्ट में सच्चाई को छुपाते हुए विश्लेषण किया गया। इस रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया कि आजादी के बाद से चली आ रही किसानों की समस्याओं के लिए सबसे लंबे समय तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी की लचर नीतियां और क्रियान्वयन जिम्मेदार हैं। इस समस्या को ऐसे पेश किया गया जैसे देश के किसानों की समस्या पिछले तीन-चार सालों में ही पैदा हुई है। इस तथ्य को पूरी तरह से नकारा गया कि किस तरह किसानों की समस्या के मूल कारणों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कदम उठाए हैं, जिसे कांग्रेस की सरकारों को पहले ही लागू कर देना चाहिए था। आप भी द वायर की इस रिपोर्ट को देखिए-

विष वमन की पत्रकारिता-4- जब प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए 2018 के बजट में कई लाभकारी योजनाएं लागू करने की घोषणा की तो ‘द वायर’ ने लिखना शुरू कर दिया कि इन योजनाओं को सरकार लागू नहीं कर पाएगी। ऐसा कहने के लिए कोई पक्के सबूत सिद्दार्थ के पास नहीं थे, सिर्फ और सिर्फ काल्पनिक शंकाओं के आधार पर लिखी गई रिपोर्ट थी। तोड़ मरोड़ कर आंकडों के आधार पर विष वमन करने वाली इस रिपोर्ट को देखिए-

विष वमन की पत्रकारिता-5- ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी के 2018 के बजट पर एक लेख प्रकाशित किया, इसमें सरकार को व्यापार विरोधी बताते हुए कहा गया कि 2018 के बजट को किसानों और गरीबों को ध्यान में रखकर बनाया गया। इस लेख में इस तथ्य को कोई तवज्जो नहीं दी गई कि प्रधानमंत्री मोदी हर बजट के जरिए अर्थव्यवस्था की मूल समस्याओं का समाधान किस तरह से करते आ रहे हैं। ‘द वायर’ की उस रिपोर्ट को देखिए, जिसमें बजट का कैसे एकपक्षीय विरोध किया गया-

विष वमन की पत्रकारिता-6 -4 फरवरी, 2018 को ‘द वायर’ ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गरीबों के लिए 2018 के बजट में घोषित की गई आयुष्मान भारत योजना पर एक लेख प्रकाशित किया। लेख ने 10 करोड़ गरीब परिवारों यानी 50 करोड़ गरीब लोगों को 5 लाख रुपये की मुफ्त स्वास्थ्य योजना पर सवाल उठाते हुए इसे लोकलुभावन घोषित कर दिया। वेबसाइट ने यह भी बताने का प्रयास किया कि इस योजना को सरकार लागू नहीं कर सकती है क्योंकि उसके पास इसे लागू करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है। लेकिन रिपोर्ट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया कि सरकार ने शेयरों की खरीद फरोख्त से होने वाली आमदनी पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाकर इस योजना को लागू करने की सारी तैयारी पहले से ही कर रखी है। इस लेख में यह भी ध्यान नहीं दिया कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन सालों के अंदर गरीबों के लिए शौचालयों, मुफ्त गैस कनेक्शन, जन धन खाते, सड़कें, घर, बिजली आदि की योजनाओं को बहुत मजबूती से लागू कर दिया है। विष वमन करती हुई द वायर की रिपोर्ट-

विष वमन की पत्रकारिता-7- 1 फरवरी, 2018 को राजस्थान उपचुनावों में आए परिणामों को लेकर जिस तरह से एकपक्षीय रिपोर्टिंग ‘द वायर’ ने की, उससे यह समझना कठिन नहीं है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने इन परिणामों को तूल देकर कर राजनीतिक गोलबंदी करने का काम किया। वेबसाइट की हर एक रिपोर्ट में सीधा निशाना प्रधानमंत्री मोदी को बनाने का काम किया। राजस्थान के उपचुनावों पर की गई द वायर की एकपक्षीय और कुतर्क से भरी रिपोर्टस को देखिए-

‘द वायर’ एक ऐसा पोर्टल है, जो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टियों के ‘माउथपीस’ की तरह काम करता है। पत्रकारिता की आड़ में यह पोर्टल अनर्गल मुद्दों को आधार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की प्रदेश सरकारों को निशाना बनाता है, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। यह मोदी विरोध के एजेंडों पर काम करते हुए, देश के खिलाफ भी काम करने से बाज नहीं आता है।

अन्य झूठी खबरें जो तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा फैलाई गई-  

सेना ने किया इमरजेंसी की अफवाहों का खंडन
भारतीय सेना को ट्वीट के जरिये सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही उन अफवाहों का खंडन करना पड़ा, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल के मध्य में इमरजेंसी की घोषणा कर दी जाएगी। सेना ने साफ किया है कि सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा ये वायरल मैसेज पूरी तरह से गलत और दुर्भावनापूर्ण है।

वैष्णों देवी में श्रद्धालुओं के फंसे होने की झूठी खबर
इसी तरह सोशल मीडिया पर ऐसी फैलाई जा रही हैं कि वैष्णो देवी तीर्थ में करीब 400 श्रद्धालु फंसे हुए हैं। जब पीआईपी की फैक्टचेक टीम ने इस खबर की जांच की तो पाया कि यह पूरी तरह झूठी खबर है। पीआईबी ने ट्वीटकर बताया कि कोई भी श्रद्धालु कटरा या वैष्णो देवी तीर्थ में नहीं फंसा हुआ है। यात्रा को लॉकडाउन होने से बहुत पहले, 18 मार्च को ही रोक दिया गया था।

सिर्फ आधिकारिक खबर साझा करने की झूठी खबर
गृहमंत्रालय के हवाले से सोशल मीडिया पर खबर फैलायी गई कि कोरोना वायरस के बारे में केवल सरकारी एजेंसियां खबर पोस्ट कर सकती हैं। जब इस खबर की पड़ताल की गई, तो पता चला कि गृह मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।

‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक ने फैलायी झूठी खबर
इसी तरह कथित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज़’ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने फेक अकाउंट को रीट्वीट कर झूठी खबर फैलाने की कोशिश की। एक ट्विटर अकाउंट जो कई दिनों से बंद पड़ा हुआ था। उस ट्विटर अकाउंट से अचानक से एक वीडियो ट्वीट किया जाता है, जिसमें एक

 

 

 

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