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कालेधन पर रोक के लिए मोदी सरकार के कदम, बाहर आएंगे काले धनकुबेरों के नाम

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कालेधन पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार एक साथ कई मोर्चों पर काम कर रही है। इसके लिए ही सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय लिए। अब विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन का पता लगाने के लिए सरकार ने स्विट्जरलैंड के साथ एक करार किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार इस करार से एक जनवरी से दोनों देशों के बीच कर संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान हो सकेगा। स्विट्जरलैंड में संसदीय प्रक्रिया पूरी होने के साथ और आपसी सहमति के करार पर दस्तखत के बाद भारत और स्विट्जरलैंड 1 जनवरी, 2018 से कर सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान कर सकेंगे।

स्विटजरलैंड के साथ सहयोग बढ़ाने के साथ मोदी सरकार लगातार कालेधन को खंगालने में जुटी हुई है। सरकार देश के भीतर और बाहर कालेधन के मामले पर पूरी तरह से सक्रिय है। इस सिलसिले में ताजा हमला बेनामी संपत्ति पर किया गया है। आयकर विभाग क्लीन मनी अभियान के अंतर्गत नोटबंदी के दौरान बैंक खातों में जमा बेनामी संपत्ति को खंगालने में जुटा हुआ है। इसके साथ ही आयकर विभाग अब 8 नवंबर के पहले और वित्त वर्ष 2010-11 के बाद के संदिग्ध कैश डिपॉजिट और लेनदेन की जानकारी जुटाने में लगा हुआ है। जिन लोगों ने नोटबंदी के पहले भी बड़ी मात्रा में बैंक खातों में नकदी जमा की थी सरकार उन खातों की भी छानबीन कर रही है। साथ ही इस अवधि के दौरान मकान खरीदने वालों को नोटिस भेजकर उनसे इस बारे में जवाब मांगा जा रहा है। आयकर विभाग उन लोगों को नोटिस भेज रहा है, जिनकी खरीदी गई संपत्ति के लेनदेन में खामी पायी गई है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति में विभाग इन संपत्तियों के रिअसेस्मेंट के आदेश देगा।

पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कालेधन की घोषणा
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) दिसंबर 2016 में लॉन्च की गई, जिसमें कालाधन रखने वालों को टैक्स और 50 प्रतिशत जुर्माना देकर पाक-साफ होने का मौका दिया गया। साथ ही कुल अघोषित आय का 25 प्रतिशत ऐसे खाते में चार साल तक रखना होता है, जिसमें कोई ब्याज नहीं मिलता। नोटबंदी के बाद अघोषित आय के खुलासे मे तेजी आयी है। अभी तक 21,000 लोगों ने 4900 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा की है।

नोटबंदी से पहले सरकार के कदम
सरकार ने कालेधन पर नियंत्रण करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही सभी कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपना काला धन घोषित करने का ऑफर दिया था। जिसमें वे अपना सारा कालाधन सार्वजनिक करके 25 प्रतिशत टैक्स और जुर्माने का भुगतान करके कार्रवाई से बच सकते थे। इसके तहत 65,000 करोड़ रुपये का कालाधन उजागर हुआ था।

नोटबंदी से कालेधन पर प्रहार
8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की। इस क्रांतिकारी फैसले से कालेधन, नकली नोटों के कारोबार और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने में बड़ी मदद मिली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने देश को बताया कि 99 प्रतिशत पुरानी मुद्रा बैंकों में वापस आ गई। नोटबंदी के निर्णय को देंखे तो इसका स्पष्ट उद्देश्य कालेधन, नकली नोटों और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना था। इससे बाजार में घूम रही आवारा पूंजी यानि काला धन बैंकिंग प्रणाली में लाना संभव हो सका है।

बेनामी लेनदेन संशोधन अधिनियम 2016
बेनामी लेनदेन अधिनियम 1988 को संशोधित करके मोदी सरकार ने इसे नया स्वरूप प्रदान किया। संशोधित अधिनियम को पिछले साल 1 नवंबर से लागू कर दिया गया है। इस अधिनियम में दोषियों पर जुर्माना लगाने और अधिकतम 7 साल की कैद जैसे प्रावधान हैं। इस कानून के अनुसार जमाकर्ता और अपने खातों में दूसरों के काले धन को जमा करने देने वाले दोनों पर मुकदमा चलाया जा सकता है। आयकर विभाग ने दूसरों के बैंक खाते में कालाधन जमा करने वालों को कई बार चेतावनी दी थी। अब दोषियों के खिलाफ बेनामी लेनदेन अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा। बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून, जिसे सालों से कांग्रेस ने लटकाये रखा था, उसे लागू करके इन संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। सरकार की इस कवायद का नतीजा ये है कि पहले 10 महीनों की कार्रवाई में ही 1350 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त की जा चुकी है। 650 से अधिक संदिग्ध बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई की जा चुकी है। 

डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट 
‘डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट’, की व्यवस्था देश या देश से बाहर निवेश करने वाले व्यापारियों और निवेशकों को प्रभावित करती है। सरकार ने सिंगापुर, मॉरीशस और पनामा देशों के साथ डबल टैक्स अवोइडेन्स एग्रीमेंट की शुरुआत कर टैक्स चोरी पर कड़े कदम उठाए हैं।

आधार को पैनकार्ड और बैंक खातों से जोड़ना
कालेधन पर लगाम लगाने के लिए पैन कार्ड और दूसरी कई योजनाओं से आधार को लिंक करना एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों पर भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है। गैस सब्सिडी को सीधे आधार से जुड़े बैंक खातों में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी सीधे खाते में देकर हर साल लगभग 50 हजार करोड़ रुपये से ऊपर की बचत की जा रही है। मनरेगा के तहत जॉब कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करने से भी करोड़ों रुपये की बचत हुई है।

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा
सरकार ने देश में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। सरकार ने डिजिटल क्रांति और डिजिटल भुगतान के स्वाइप मशीनें, पीओसी मशीनें, पेटीएम और भीम ऐप जैसे सरल उपायों को अपनाया है। जनता भी सहजता के साथ इसे अपना रही है। इससे देश मे डिजिटल और इलेक्ट्रानिक लेनदेन बढ़ा है। डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के फलस्वरूप इससे शासन-प्रशासन, नौकरशाही में पारदर्शिता आयी और नागरिकों में भी जागरुकता बढ़ी है।

करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद से करदाताओं की संख्या में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 5 अगस्त तक भरे गए 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में इस साल यह संख्या बढ़कर 2.79 करोड़ हो गयी है। यानी इस अवधि के दौरान कुल 57 लाख रिटर्न ज्यादा भरे गये। इसका सीधा अर्थ है कि कर की चोरी पर लगाम लगी है।

कैश में राजनीतिक चंदा सिर्फ 2000 रु तक 
राजनीतिक दल किसी भी व्यक्ति से कैश में बड़ा चंदा नहीं ले सकते। मौजूदा वित्त वर्ष के बजट में ये प्रावधान किया गया कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक व्यक्ति से कैश में सिर्फ 2000 रुपये तक ही चंदा ले सकती हैं। इस राशि से अधिक चंदा ऑनलाइन या चेक के तौर पर ही लिया जा सकता है। इससे पहले राजनीतिक दलों को अपनी आय में से 20 हजार से कम के चंदे को घोषित करने से छूट मिली हुई थी।

फर्जी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई
नोटबंदी के बाद सरकार ने काला धन जमा करने के लिए बनाई गई तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों का पता लगाया। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करने में लगी थीं। सरकार की कार्रवाई में ऐसी दो लाख से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। नोटबंदी के दौरान इन फर्जी कंपनियों में जमा 65 अरब रुपये की पड़ताल की जा रही है। कार्रवाई के दौरान ऐसी कंपनियों का भी पता लगा जहां एक पते पर ही 400 फर्जी कंपनियां चलाई जा रहीं थी।

रियल एस्टेट में 20 हजार रु तक ही कैश लेनदेन
रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थी। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी
मोदी सरकार सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का इतना खजाना लूट लिया गया था कि देश के सात आठ शहरों के लिए बुलेट ट्रेन चलवाई जा सकती थी।

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