प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आते ही देश का कारोबारी माहौल बेहतर बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया। उनकी सरकार ने तेजी से कारोबार और व्यापार करने के रास्ते में आने वाली रूकावटों को दूर किया। कारोबारियों को काम करने का सुविधाजनक माहौल दिया। आत्मनिर्भर भारत के तहत ढांचागत और प्रक्रियागत सुधारों सहित विभिन्न पहलों से औद्योगिक क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। हर क्षेत्र में भारत की रैंकिंग बेहतर हुई है और दुनियाभर में देश की साख मजबूत हो रही है। इस कड़ी में भारत को एक और उपलब्धि हासिल हुई है। भारत उद्यमशीलता इकोसिस्टम में 12 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
दरअसल ग्लोबल एंटरप्रेन्योरशिप मॉनिटर (जीईएम) की ओर से गुरुवार (16 फरवरी, 2023) को जारी राष्ट्रीय उद्यमशीलता सूचकांक रिपोर्ट में भारत को 51 देशों के बीच चौथे स्थान पर रखा गया है। इस तरह भारत की रैंकिंग में खासा सुधार आया है। वर्ष 2021 में भारत इस सूचकांक में 16वें स्थान पर मौजूद था। भारत को सूचकांक में 6.1 अंक मिले हैं जो पिछले कुछ वर्षों में कारोबारी माहौल सुधारने की दिशा में किए गए प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। 2021 में भारत को सिर्फ पांच अंक मिले थे, जो 2020 के छह अंक की तुलना में कम था।
भारत कोरोना महामारी के झटकों से अब उबर चुका है। जीईएम इंडिया टीम के प्रमुख डा. सुनील शुक्ला के मुताबिक देश के भीतर नवोन्मेषी एवं प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमों के लिए अधिक अनुकूल हालात पैदा हुए हैं। जीईएम ग्लोबल रिपोर्ट के सह-लेखक डा. श्रीवास सहसरानामम का कहना है कि उद्यमशीलता इकोसिस्टम की गुणवत्ता में सुधार भारत सरकार की ओर से इस दिशा में उठाए गए कदमों को दर्शाता है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने पिछले करीब नौ सालों में गैर-जरूरी कानूनों को खत्म किया और कई ऐसे विधायी उपाय भी किए, जिनसे देश में कारोबार करना सुगम हो गया है। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC) और बाद में इसमें किए गए संशोधनों से दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ी कुछ खास परेशानियों को दूर करने में मदद मिली। ई-गवर्नेंस के माध्यम से व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने विभिन्न उपाय किए हैं। उत्पादन पर आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से कारोबार करना और आसान हुआ है। उद्योग जगत ने इन सुधारों का स्वागत किया है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के ‘लगातार और अथक’ प्रयासों को दिया है।
आइए एक नजर डालते हैं किस तरह भारत ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स में अपनी स्थिति में सुधार किया-
भारत की एक्रीडिटेशन सिस्टम दुनिया में 5वें पायदान पर
भारतीय गुणवत्ता परिषद ( Quality Council of India- क्यूसीआई) के तहत आने वाली भारत की राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली (National Accreditation System) को ग्लोबल क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स (जीक्यूआईआई) 2021 में 5वां स्थान हासिल हुआ है। जीक्यूआईआई में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे (Quality Infrastructure- क्यूआई) के आधार पर दुनिया में 184 देशों की सूची तैयार की गई है। मानकीकरण प्रणाली (Standardization System ) में नौवीं और माप संबंधी यानी मेट्रोलॉजी प्रणाली में दुनिया में 21वें पायदान के साथ भारत की समग्र क्यूआई प्रणाली रैंकिंग शीर्ष 10 में 10वें पायदान पर बनी हुई है।
क्यूआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए तकनीकी रीढ़ है। इसमें मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, मान्यता और एक समान मूल्यांकन सेवाएं व्यापारिक भागीदारों के बीच विश्वसनीयता और विश्वास को बढ़ाती हैं। भारत में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत आने वाली राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल-सीएसआईआर) राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी संस्थान है, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) राष्ट्रीय मानक संस्थान है और भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत आने वाले राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड उसके समर्थन से राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के संरक्षक हैं।
कारोबारी भरोसा सूचकांक दो साल के उच्च स्तर पर
इंडिया इंक का बिजनेस कॉन्फिडेंस 2 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा गया है। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) का कारोबारी भरोसा सूचकांक पिछले दो साल के अपने उच्चस्तर 67.6 पर पहुंच गया है। सितंबर तिमाही में यह 62.2 पर था। 15 जनवरी को ताजा आंकड़े जारी करते हुए सीआईआई ने कहा कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के एक ‘बेहतर स्थान’ होने की उम्मीद बनी हुई। यह सूचकांक देश के सभी उद्योग क्षेत्रों और इलाकों में अलग-अलग आकार की 120 से अधिक कंपनियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण पर आधारित है। सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत के बीच ग्रोथ करेगी।
पेटेंट दाखिल कराने में भारत विश्व स्तर पर सातवें स्थान पर
भारत में पिछले 11 साल में पहली बार घरेलू पेटेंट फाइलिंग की संख्या विदेशी फाइलिंग से ज्यादा है। यह भारत की बढ़ती वैज्ञानिक शक्ति को दर्शाता है। पेटेंट दाखिल कराने में भारत की रैंक विश्व स्तर पर सातवीं है जबकि ट्रेडमार्क पंजीकरण में यह पांचवें स्थान पर है। पिछले पांच वर्षों में भारत के पेटेंट पंजीकरण में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आईआईएससी बेंगलूर के नाम 2022 में कुल 145 पेटेंट दर्ज किए गए हैं।
वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक रैंकिंग में भारत ने लगाई छलांग
भारत वैज्ञानिक प्रकाशनों की वैश्विक श्रेणी में 7वें स्थान से छलांग लगा कर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) के विज्ञान और इंजीनियरिंग इंडीकेटर्स 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में 7वें स्थान से सुधर कर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई है। इसके साथ ही भारत के विद्वानों का कार्य 2010 में 60,555 शोध पत्रों से बढ़कर 2020 में 1,49,213 पेपर हो गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत पेटेंट कार्यालय (आईपीओ) में भारतीय वैज्ञानिकों को दिए गए पेटेंट की संख्या भी 2018-19 के 2511 से बढ़कर 2019-20 में 4003 और 2020-21 में 5629 हो गई है।
जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में भारत ने लगाई दो स्थानों की छलांग
जलवायु सुरक्षा के मामले में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है। कॉप 27 में जारी जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक(CCPI -2023) में भारत दो स्थानों की छलांग लगाकर 8वीं रैंक हासिल किया। पिछले साल भारत की 10वीं रैंकिंग थी। वहीं जलवायु परिवर्तन के प्रदर्शन के आधार पर भारत को विश्व के शीर्ष 5 देशों में शामिल किया गया, जबकि G20 देशों में भारत टॉप पर है। सीसीपीआई की इस रिपोर्ट में भारत से ऊपर चार देश है। इनमें डेनमार्क को चौथे, स्वीडन को पांचवें, चिली को छठे और मोरक्को को सातवें स्थान पर रखा गया है। किसी भी देश को पहला, दूसरा और तीसरा स्थान नहीं दिया गया है। मोदी सरकार बनने के समय साल 2014 में CCPI में भारत 31वें स्थान पर था।
सीआरआईआई इंडेक्स में छह रैंक का सुधार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने देश में असमानता दूर करने के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई है, उसके परिणाम भी अब आने लगे हैं। असमानता सूचकांक में भारत की स्थिति में छह स्थान का सुधार हुआ है। सीआरआईआई इंडेक्स-2022 में भारत 129वें स्थान से 123वें स्थान पर पहुंच गया है। इस इंडेक्स में नॉर्वे सबसे आगे है और उसके बाद जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया का स्थान है। सीआरआईआई-2022 में कोविड-19 महामारी के दौरान असमानता कम करने के लिए 161 देशों की सरकारी नीतियों और कार्यों की समीक्षा की गई। असमानता कम करने के लिए प्रगतिशील व्यय के मामले में भारत ने 12 पायदानों का सुधार कर 129वां स्थान प्राप्त किया। प्रगतिशील कर प्रणाली के मामले में भारत ने अपनी स्थिति तीन पायदान मजबूत कर 16वां स्थान प्राप्त किया।
प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत ने लगाई 6 पायदान की छलांग
भारत इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (आइएमडी) के सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 6 अंकों की छलांग लगाकर 43वें से 37वें स्थान पर पहुंच गया है। आइएमडी के अनुसार 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा में महत्त्वपूर्ण सुधार देखा गया और भारत ने एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से वृद्धि की। 63 देशों की सूची में डेनमार्क पहले और स्विट्जरलैंड दूसरे स्थान पर रहा। इस रैंकिंग के बढ़ने से पता चलता है कि देश में लोगों तक सुविधाओं और सेवाओं की पहुंच बेहतर हुई है।
बौद्धिक संपदा रैंकिंग में सुधार,आईपी स्कोर बढ़कर 38.6 प्रतिशत पर
यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था पर जारी एक वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अपने समग्र आईपी स्कोर में 38.4 प्रतिशत से 38.6 प्रतिशत तक सुधार किया और अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक में 55 देशों में से 43 वें स्थान पर पहुंच गया। यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर की रिपोर्ट में कहा गया कि यह संकेतक 32 पर स्कोर वृद्धि को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया कि यह समीक्षा स्वागत योग्य है और भारत के राष्ट्रीय आईपी पर्यावरण की ताकत और कमजोरियों का व्यापक और विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, इनोवेटर्स और क्रिएटर्स बेहतरीन और उज्ज्वल कल देने के लिए लगातार होड़ कर रहे हैं।
हुरून इंडिया ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 : भारत ने चीन को पीछे छोड़ा
हुरून इंडिया ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2022 की सितंबर 2022 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की पहली छमाही में यूनिकॉर्न स्टार्टअप के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, पहली छमाही में पूरी दुनिया में 254 नए यूनिकॉर्न बने। अमेरिका ने कुल 138 नए यूनिकॉर्न जोड़े जो सबसे ज्यादा है। अमेरिका के बाद भारत का नंबर आता है। जनवरी से जून 2022 के बीच भारत में 14 नए यूनिकॉर्न बने जिसके साथ कुल यूनिकॉर्न की संख्या 68 हो गई। चीन ने पहली छमाही में 11 नए यूनिकॉर्न जोड़े और कुल यूनिकॉर्न की संख्या 312 है। कुल संख्या में भारत तीसरे पायदान पर है। चौथे पायदान पर इंग्लैंड है। वहां कुल 46 यूनिकॉर्न हैं।
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 : 40वें स्थान पर पहुंचा भारत
ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में भारत 40वें स्थान पर पहुंच गया है। यह 2015 में 81वें स्थान पर था। सितंबर 2022 में जारी इंडेक्स से पता चलता है कि स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल तैयार करने और नवाचार को बढ़ावा देने में भारत लगातार सुधार कर रहा है। इससे पहले विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की पिछली रिपोर्ट में वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भारत ने दो पायदान की छलांग लगाई थी। 2021 में भारत 46वें स्थान पर था। यह सुधार स्टार्टअप के लिए अनुकूल माहौल बनाने सरकारी व निजी संगठनों की ओर से शोध पर जोर दिए जाने से आया है।
वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स 2022 : भारत की रैकिंग में तीन पायदान का सुधार
वर्ल्ड हैपीनेस इंडेक्स 2022 में भारत की रैकिंग में तीन पायदान का सुधार हुआ। कुल 146 देशों में भारत 136वें पायदान पर रहा। संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सूचकांक में फिनलैंड पांचवें साल भी दुनिया का सबसे खुशहाल देश चुना गया। वहीं, अफगानिस्तान सबसे नाखुश देश माना गया। इसमें खुशी के एहसास, जीडीपी के लेवल, जीवन प्रत्याशा, जीवन विकल्प चुनने की आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे कारकों पर रैंक दी जाती है।
हेनले पासपोर्ट इंडेक्स-2022 में भारतीय पासपोर्ट ने लगाई 7 पायदान की छलांग
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय पासपोर्ट वैश्विक स्तर पर और ज्यादा मजबूत हो गया। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स इंडेक्स में भारतीय पासपोर्ट 7 पायदान ऊपर चढ़कर 83वें स्थान पर पहुंच गया, 2020 में यह 90वें स्थान पर था। अब भारतीय पासपोर्ट आपको 60 देशों में वीजा-मुक्त पहुंच की अनुमति देता है। इसके पहले आप सिर्फ 58 देशों में बिना वीजा के जा सकते थे। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स इंडेक्स के मुताबिक हालिया रिपोर्ट में जापान और सिंगापुर शीर्ष रैंकिंग पर बने हुए हैं।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट, भारत में कम हुआ भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार के प्रति मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति रही है। मोदी सरकार की इस सख्ती का असर भी दिखाई दे रहा है। भारत में भ्रष्टाचार कम हुआ है। जनवरी 2022 में जारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार संवेदन सूचकांक (सीपीआइ 2021) में भारत एक अंक चढ़कर 85वें स्थान पर आ गया। 2020 में भारत 86वें स्थान पर था। इस सूचकांक में 180 देशों और क्षेत्रों को अंक दिए गए। इसमें भारत को 40 अंक मिले। वहीं डेनमार्क, न्यूजीलैंड और फिनलैंड 88-88 अंकों के साथ पहले स्थान पर रहे। जबकि दक्षिण सूडान 11 अंकों के साथ सबसे निचले स्थान पर रहा। उधर अमेरिका दो स्थान लुढ़कर 27वें पायदान पर पहुंच गया। जहां तक भारत के पड़ोसी देशों की बात है तो चीन को छोड़कर सभी उससे पीछे हैं। चीन को 45 अंक मिले हैं। पाकिस्तान 28 अंकों के साथ 16 पायदान और नीचे गिर गया है।
विनिर्माण जोखिम पावर इंडेक्स में दुनिया के भारत चौथा सबसे प्रभावशाली देश
लॉवी इंस्टीट्यूट ने एशिया पावर इंडेक्स में भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में चौथे स्थान पर रहा। भारत को एशिया की मध्य शक्ति के रूप में दर्शाया गया। यह खुलासा ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी स्थित लॉवी इंस्टीट्यूट ने एशिया पावर इंडेक्स 2021 रिपोर्ट में हुआ। इसमें 26 देशों की सूची जारी की गई, जिसमें पहले नंबर पर अमेरिका, दूसरे पर चीन, तीसरे पर जापान और चौथे नंबर पर भारत था।
फ्लाइट कैपिसिटी रिकवरी इंडिकेटर में ऊंची उड़ान
इस कोविड रेसीलियंस रैंकिंग में 12 इंडिकेटर के आधार पर राष्ट्रों का आकलन किया गया। इनमें भारत की रैंकिंग में सबसे अहम योगदान नवंबर में दुनिया के कई देशों से वैक्सीनेटेड नागरिकों के लिए अपनी सीमाओं को फिर खोलने के फैसले को लेकर रहा। इसी माह में फ्लाइट क्षमता को बढ़ाकर फिर से 2019 के स्तर तक पहुंचाने की रही। इससे लोगों को बिजनेस और यात्रा दोबारा से शुरू करने में मदद मिली। इसकी बदौलत भारत फ्लाइट कैपिसिटी रिकवरी इंडिकेटर में टॉप 10 की सूची में शामिल था। भारत में नवंबर-दिसंबर में प्रति व्यक्ति संक्रमण की दर कम रही। इसके अनुसार 1 लाख लोगों में से सिर्फ 23 लोग ही संक्रमित हुए।
भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग हब
अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया। रियल एस्टेट कंसल्टेंट कुशमैन एंड वेकफील्ड के मुताबिक, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स- 2021 में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर पहुंच गया। पिछले साल की रिपोर्ट में अमेरिका दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर था। इस रैंकिंग से पता चलता है कि अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की तुलना में मैन्युफैक्चरर भारत को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यह इंडेक्स यूरोप, अमेरिका और एशिया-पैसेफिक (एपीएसी) के 47 देशों में से ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग के लिए आकर्षक या प्रॉफिटेबल डेस्टिनेशन की रैंकिंग करता है।
व्यापार सुविधा रैंकिंग में 11.83 प्रतिशत अंक की उछाल
मोदी सरकार की व्यापार प्रोत्साहन योजनाओं को असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिला है। इन सुधारों की वजह से भारत की व्यापार सुविधा रैंकिंग बेहतर हुई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा पर संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सर्वेक्षण में भारत की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ। भारत ने 2021 के सर्वेक्षण में 90.32 प्रतिशत अंक हासिल किए, जबकि इससे पहले 2019 में उसे 78.49 प्रतिशत अंक मिले थे। दुनिया भर की 143 अर्थव्यवस्थाओं के मूल्यांकन के बाद 2021 के सर्वेक्षण में भारत की स्थिति पारदर्शिता, संस्थागत व्यवस्था और सहयोग, कागज रहित व्यापार सहित कई लिहाज से बेहतर हुई।
वैश्विक एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स 2020 में 74वें स्थान पर भारत
विश्व आर्थिक मंच ने 13 मई, 2020 को वैश्विक एनर्जी ट्रांजिशन इंडेक्स 2020 जारी किया। इस सूचकांक में भारत को 74 वां स्थान प्राप्त हुआ। भारत की रैंकिंग में दो स्थानों का सुधार हुआ। सूचकांक के मुताबिक मोदी सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा में सुधार की वजह से यह संभव हो सका। इस सूचकांक में स्वीडेन ने लगातार तीसरे वर्ष सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया।
रिसॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स
विश्व बैंक के रिसॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स 2019 में 56 अंकों की छलांग लगाकर भारत 52वें पायदान पर पहुंच गया। यूपीए सरकार के दौरान 2014 में भारत 137वें स्थान पर था। रिसॉल्विंग इन्सॉल्वेंसी इंडेक्स में भारत का यह बेहतर प्रदर्शन मोदी सरकार की ओर से सन 2016 में लागू इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC) के कारण संभव हो सका है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 63वें स्थान पर पहुंचा भारत
विश्वबैंक की कारोबारी सुगमता पर संशोधित रैंकिंग में भारत ने चीन को नीचे धकेल दिया। कारोबारी सुगमता की संशोधित रैंकिंग में भारत 14 पायदान की छलांग लगाकर 63वें स्थान पर पहुंच गया। भारत ने पिछले पांच साल (2014- 2019) में 79 पायदान की छलांग लगायी। विश्वबैंक की संशोधित रिपोर्ट में चीन की रैंकिंग सात अंक गिरकर 85वें स्थान पर पहुंच गई। इसके पहले चीन के साथ कई देशों के गलत आंकड़े पेश करने पर अगस्त 2020 में विश्वबैंक ने अक्टूबर 2020 में आने वाली रैंकिंग लिस्ट पर रोक लगा दी थी।
विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में चार पायदान की छलांग
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धा रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। डिजिटल प्रतिस्पर्धा के मामले में भारत ने चार पायदान की छलांग लगायी। भारत अब 44 वें स्थान पर पहुंच गया है। आईएमडी की विश्व डिजिटल प्रतिस्पर्धात्मकता रैकिंग 2019 के अनुसार, भारत 2018 में 48वें स्थान से आगे बढ़कर 2019 में 44वें पर पहुंच गया। भारत ने सभी कारकों ज्ञान, प्रौद्योगिकी और भविष्य की तैयारी के मामले में काफी सुधार दर्ज किया है। अमेरिका इस लिस्ट में पहले स्थान पर है।
विश्व यात्रा पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में छह पायदान की छलांग
वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक 2019 में छह पायदान की छलांग लगाकर भारत 34वें स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2017 में भारत 40वें स्थान था, जबकि सन 2013 में 65वें स्थान पर था। मोदी सरकार के दौरान रैंकिंग में भारत ने 31 पायदान की छलांग लगाई है। विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट के अनुसार इसकी वजह प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधन के मामले में भारत का समृद्ध होना और कीमत के लिहाज से बेहद प्रतिस्पर्धी होना है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत दक्षिण एशिया में सबसे प्रतिस्पर्धी यात्रा-पर्यटन अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
भारत की ईज ऑफ ट्रैवल रैंकिंग में सुधार
भारत की ईज ऑफ ट्रैवल रैंकिंग में सुधार हुआ है। भारत ने 2019 के लिए जारी की गई हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में 80वां स्थान हासिल किया है। पिछले साल 2018 में भारत 81वें स्थान पर था और 2015 में जब बार इलेक्ट्रॉनिक वीजा या ई-वीजा की शुरुआत की गई थी तब भारत 88वें स्थान पर था। अब भारतीय पासपोर्ट धारक 60 देशों में वीजा-फ्री यात्रा कर सकते हैं।
विश्व के सबसे भरोसेमंद देशों में शामिल हुआ भारत
भारत अब कारोबार, सरकार, एनजीओ और मीडिया के मामले में विश्व के सबसे भरोसेमंद देशों में शामिल हो गया है। ‘एडलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर-2019’ रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक विश्वसनीयता सूचकांक में तीन अंक के सुधार के साथ भारत 52 अंक पर पहुंच गया है। ये रिपोर्ट 27 बाजारों में किये गए ऑनलाइन सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें 33,000 से अधिक लोगों के जवाब शामिल किये गए हैं।
वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक में 26वीं पायदान पर
मोदी राज में वैश्विक आर्थिक स्वतंत्रता सूचकांक (Economic Freedom Of the World Ranking) 2021 के सूचकांक में, भारत 56.5 अंकों के साथ, एशिया-प्रशांत देशों के बीच मध्य स्थान पर; 40 देशों में से 26 वें स्थान पर आया। यद्यपि इसका समग्र स्कोर अपरिवर्तित है, लेकिन व्यावसायिक स्वतंत्रता में सुधार किए गए थे। न्यायिक प्रभावशीलता और अन्य अंकों में गिरावट से इसकी भरपाई हुई।
ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में टॉप पर भारत
मोदी राज में भारत वैश्विक उपभोक्ता विश्वास (ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फिडेंस) 2019 सर्वे में पहले पायदान पर है। नेल्सन के सर्वे के अनुसार भारत में वैश्विक उपभोक्ता विश्वास सबसे ज्यादा है। इस सर्वे के परिणाम दर्शाते हैं कि भारत में उपभोक्ता का विश्वास दो साल के शीर्ष पर है। नेल्सन के इस सर्वे में 64 देशों के 32 हजार उपभोक्ताओं ने हिस्सा लिया। भारत कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) में 133 अंकों के साथ पहले पायदान पर है। सर्वे में 131 अंकों के साथ फिलीपिंस दूसरे और 127 अंकों के साथ इंडोनेशिया तीसरे पायदान पर है।
ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स में 10वें स्थान पर भारत
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दुनियाभर में भारत की साख मजबूत हुई है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की तमाम रैंकिंग में सुधार हुआ है। अब आईटीयू ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स 2020 में 37 स्थान की छलांग लगाकर भारत 10वें स्थान पर पहुंच गया है। ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी इंडेक्स में भारत इससे पहले 47वें स्थान पर था। इंटरनेशनल टेलिकम्युनिकेशन यूनियन की तरफ से जारी GCI 2020 के अनुसार साइबर सिक्योरिटी के मामले में भारत को 100 में से 97.5 अंक मिले हैं। पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत चौथे स्थान पर है, एशिया प्रशांत क्षेत्र में दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, मलेशिया और जापान भारत से आगे है। चीन और पाकिस्तान भारत से काफी पीछे है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से की गई इस स्टडी में चीन 33वें और पाकिस्तान 79वें स्थान पर है।