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भारत अगले दशक का दमदार हीरो: PM Modi के विजन को साकार करेगी युवा वर्कफोर्स, TOP-10 ताकतों से दुनिया में चमकेगा New India, इन क्षेत्रों में चीन, जापान और जर्मनी को भी पीछे छोड़ेगा भारत

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फाइल फोटो

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस साल केंद्र की सत्ता में नौ साल पूरे करेंगे। प्रधानमंत्री के विजन पर चलते हुए सरकार ने ऐसे मील के पत्थर तय किए हैं, जिनके चलते आने वाला दशक भारत का ही होगा। पीएम मोदी की नीतियों का बड़े आर्थिक बदलाव और भारत की मजबूती के रूप में अभी से दिख रहा है। हम पांचवी आर्थिक शक्ति बन गए हैं, लेकिन आने वाले पांच साल में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति बन सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध की चुनौतियों, कोरोना की फिर से आहट और वैश्विक मंदी के बावजूद इस वर्ष दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर सबसे तेज होगी। आने वाला दशक युवा शक्ति की बदौलत भारतीय इकोनॉमी समेत कई क्षेत्रों में भारत के विकास के लिए सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित होगा।1. देश की युवा-शक्ति के दम पर औसत विकास दर 6.5% होगी, चीन की 3.6% रह जाएगी
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस साल 14 अप्रैल को भारत 1,42,57,75850 की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़कर विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। मोदी सरकार की नीतियों के चलते हमारे पास संसार में सर्वाधिक स्नातक होंगे। इतनी युवा और दक्ष आबादी दुनिया के किसी देश के पास नहीं है। इस साल करीब 40 करोड़ की युवा-शक्ति भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। अभी भारतीयों की औसत उम्र 28 वर्ष है, जो चीन की औसत उम्र 39 से 11 साल की तुलना में काफी कम है। बढ़ती वर्कफोर्स के चलते आने वाले 10 वर्ष में भारत की औसत विकास दर 6.5% व चीन की 3.6% रह सकती है। चीन की आबादी बुजुर्ग हो रही है और उसकी इकोनॉमिक ग्रोथ लगातार घट रही है।
2. हमारी इकोनॉमी की रफ्तार सबसे तेज, भारत पांच साल में तीसरी आर्थिक शक्ति बनेगा
अभी भारत की इकोनॉमी 3.47 ट्रिलियन डॉलर है। चीन 15 साल पहले 2007 में इसी स्तर पर था और आज उसकी जीडीपी 5 गुना बढ़कर 18 ट्रिलियन डॉलर है। 2027 में जापान-जर्मनी को पीछे छोड़ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनेगा। अभी 3.47 ट्रिलियन डॉलर के साथ भारत दुनिया की पांचवी बड़ी इकोनॉमी है। 2027 में भारत की इकोनॉमी 7 ट्रिलियन डॉलर व 2031 तक 8.5 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है। अमेरिका की इकोनॉमी 20.86 ट्रिलियन डॉलर, चीन की 18.31 ट्रिलियन डॉलर, जापान की 5.06 ट्रिलियन डॉलर व जर्मनी की 4.03 ट्रिलियन डॉलर है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2027 में अमेरिकी इकोनॉमी 30.28 ट्रिलियन डॉलर, चीन की 26.43 ट्रिलियन डॉलर, जापान की 5.17 ट्रिलियन डॉलर व जर्मनी की 4.92 ट्रिलियन डॉलर रहेगी।3. पीएम मोदी की नीतियों से ग्लोबल स्लोडाउन का असर सबसे कम भारत पर होगा
यह पीएम मोदी की दूरदृष्टि और सरकार की नीतियों का ही कमाल है कि विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद अगले 10 साल देश की औसत विकास दर 6.5% रहने की उम्मीद है। यह बड़े देशों में सबसे तेज होगी। भारत एशिया की जीडीपी में 28% व ग्लोबल जीडीपी में 22% योगदान देगा। ग्लोबल स्लोडाउन का असर भी भारत पर सबसे कम होगा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा घरेलू बाजार पर ही निर्भर है। करोड़ों की युवा-शक्ति भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। भारत से निर्यात बहुत कम है और आयात भी चुनिंदा उत्पादों तक सीमित है। कम इंटरनेशनल एक्सपोजर की वजह से ही भारत अन्य देशों में उथल-पुथल के दौर में भी सुरक्षित रहेगा।4. देसी लोगों की पर्चेजिंग पावर के दम पर निजी खपत 371.7 लाख करोड़ रुपये होगी
भारतीय उपभोक्ताओं की पर्चेजिंग पावर के दम से देश में निजी खपत 2030 के अंत तक 165 लाख करोड़ से दोगुना बढ़कर 371.7 लाख करोड़ रुपए पहुंच जाएगी। 2023 से भारत हर साल अपनी जीडीपी में औसतन 400 बिलियन डॉलर और 2028 से 500 बिलियन डॉलर जोड़ेगा। अब तक ऐसी सालाना ग्रोथ सिर्फ अमेरिका और चीन ही हासिल कर पाए हैं। भारत में कामकाजी आबादी (18-60 साल) 1970 से बढ़ रही है। ये ट्रेंड 2040 तक जारी रहेगा। इस कामकाजी आबादी की पर्चेजिंग पावर में लगातार बढ़ोत्तरी होगी। भारत वैश्विक कामकाजी उम्र की आबादी में 23% की वृद्धि हासिल करेगा। अगर इस कामकाजी आबादी को पूर्ण रोजगार मिलेगा तो भारत की आजादी के 100वें वर्ष यानी 2047 तक अर्थव्यवस्था 40 ट्रिलियन डॉलर का स्तर छू सकती है।5. वर्क फ्रॉम इंडिया: 2030 तक भारत विदेशी कंपनियों का सबसे बड़ा वर्किंग हब बनेगा
पीएम मोदी की वर्कर-फ्रेंडली नीतियों, विदेशों में कामगार महंगा होने और चीन से असहजता के चलते भारत विदेशी कंपनियों का बड़ा वर्किंग हब बन रहा है। 2020 में वर्क फ्रॉम इंडिया मॉडल से 43 लाख लोगों को रोजगार मिलता था, जो 2022 में बढ़कर 51 लाख हो गया। इसके साथ ही मोर्गन स्टेनली का अनुमान है कि 2030 तक आउटसोर्सिंग पर वैश्विक खर्च 180 बिलियन डॉलर (14 लाख करोड़ रुपये) से बढ़कर 500 बिलियन डॉलर (41.3 लाख करोड़ रु) पहुंच जाएगा। कामकाजी आबादी बढ़ने से इसका सबसे बड़ा लाभ भारत को मिलेगा। देश में इससे 1.1 करोड़ लोगों को काम मिलेगा। इसका असर रियल स्टेट, रिटेल, बैंकिंग और ऐसे ही अन्य सेक्टर्स में मजबूती के रूप में भी सामने आएगा।6. पीएम के विजन ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती को बनाया देश की बड़ी ताकत
प्रधानमंत्री मोदी के विजन ही है, जिसने डिजिटल की ताकत का अंदाजा बहुत पहले ही कर लिया था। उसी का सुपरिणाम है कि देश में डिजिटल इंडिया मिशन जेट स्पीड की रफ्तार से दौड़ रहा है। पीएम मोदी ने बताया कि किसी देश के विकास के लिए सड़क, पोर्ट, रेलवे, एयरपोर्ट जैसे बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना जितना जरूरी है। आज के दौर में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी उतना ही अहम है। भारत आज यूपीआई जैसी सार्वजनिक डिजिटल भुगतान प्रणाली के चलते इस क्षेत्र में ग्लोबल लीडर है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश इस मामले में काफी पीछे हैं। भारत की 140 करोड़ की आबादी में सुगमता से चल रहा यह डिजिटल ट्रांजेक्शन सिस्टम वैश्विक कंपनियों व निवेशकों को सुनहरा मौका उपलब्ध करा रहा है भारत में हर महीने 8.26 लाख करोड़ रुपए मूल्य के करीब 4500 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन होते हैं। ये लेन-देन पूरी दुनिया का 40% है।7. जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 21% होने से ग्लोबल लीडर के तौर पर उभरेगा
वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा वर्किंग हब बनने के पीछे एक बड़ा कारण भारत में सस्ता श्रम भी होगा। दरअसल, सस्ते श्रम के चलते ही चीन ने 15 साल में तेज तरक्की की है। अब भारत उत्पादन लागत के मामले में दुनिया का सबसे किफायती देश है। इससे विदेशी निवेश बढ़ेगा। जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान अभी 15.6% है, जो 2031 तक 21% हो जाएगा। इससे भारत ग्लोबल लीडर के तौर पर उभर सकता है। मैन्युफैक्चरिंग में लेबर कॉस्ट भारत में 0.8 डॉलर/घंटा (67 रुपए) है। जबकि इंडोनेशिया में यह एक डॉलर/घंटा (82.85 रु.), चीन में 7.1 डॉलर/घंटा (588.24 रु.) व द. कोरिया में 22.3 डॉलर/घंटा (1850 रु.) है।8. नए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी
कई पश्चिमी देश चीन से बाहर निकल रहे हैं। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग को लक्ष्य बनाकर 13 क्षेत्रों में बड़े पैकेज घोषित किए हैं। इससे निवेश और रोजगार बढ़ेगा। इसके अलावा 2022 में भारत ने यूएई और ऑस्ट्रेलिया से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है। निश्चित रूप से इसका फायदा आने वाले वर्षों में देखने को मिलेगा। इस साल भी ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन व कनाडा से ऐसे फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होने हैं। नए ट्रेड एग्रीमेंट से वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी। इससे हम वैश्विक शक्ति के तौर पर उभरेंगे।9. अयोध्या 30 हजार करोड़ रुपये से आने वाले दशक में बनेगी वैश्विक आध्यात्मिक राजधानी
पीएम मोदी सरकार का हमारे प्राचीनतम धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार का अभियान अविरल गति से चल रहा है। काशी, केदारनाथ, सोमनाथ, महाकाल लोक का भव्य और दिव्य कायाकल्प हो चुका है। इनसे भी ज्यादा फोकस राम जन्मभूमि अयोध्या पर है। अयोध्या में इसी साल गर्भगृह का निर्माण पूरा होगा। जनवरी 2024 में भव्यतम राममंदिर आम लोगों को दर्शनार्थ खुल जाएगा। अयोध्या को दुनिया की आध्यात्मिक राजधानी बनाने के लिए आने वाले दस साल में 30 हजार करोड़ रूपये यहां पर खर्च होंगे। राम मंदिर बनने के बाद यहां रोज करीब एक लाख लोग आ सकते हैं।10. भारत के बुलंद इरादों का गवाह बनेगा यह साल, दिखेगा दुनियाभर पर असर
भारत की और बुलंदी का दशक इस साल शुरू हो रहा है। मोदी सरकार के स्पीड और स्केल के साथ काम करने का नतीजा है कि देश ने दुनिया में हो रहे बदलावों को तेजी से अपनाना सीख लिया है। पहली बार देश के 56 शहरों में दुनिया के शीर्ष 20 देशों के राष्ट्रप्रमुखों का जी20 शिखर सम्मेलन इस साल होगा। इसमें 200 बैठकें होंगी। इसके अलावा 4जी के दस गुना स्पीड वाला 5जी नेटवर्क इस साल देशभर में उपलब्ध होगा। दुनिया के बड़े-बड़े देशों में भी इतना सस्ता डाटा उपलब्ध नहीं है। 5जी से पढ़ाई में थ्री डी मॉडल से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। मनोरंजन की दुनिया बदल जाएगी। 5जी कनेक्टेड एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचने के पहले ही मरीज का इलाज शुरू हो सकेगा। इसी साल भारत 13वां वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन होगा। पहली बार भारत में सभी 48 मैच होंगे। इन सभी मैचों की व्यूअरशिप 42 प्रतिशत बढ़कर 100 करोड़ के पार पहुंच सकती है।

 

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