प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विजनरी नीतियां क्या कमाल कर सकती हैं, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) इसकी वैश्विक मिसाल बन गया है। पीएम मोदी ने जब जन-धन खातों की शुरूआत कराई थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह पहल दुनियाभर में भारत का डंका बजाएगी। दरअसल, यूपीआई की इस सफलता की नींव वर्षों पहले जन धन योजना से रखी गई। आज भारत तेज डिजिटल भुगतान के मामले में पूरी दुनिया में सबसे आगे निकल गया है। भारत ने फास्ट और सिक्योर डिजिटल पेमेंट सेक्टर में दुनिया में पहला स्थान हासिल किया है। 2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा शुरू किया गया UPI आज देश में पैसे के लेन-देन का सबसे आसान और पॉपुलर तरीका बन चुका है। इतना ही नहीं, UPI का प्रभाव अब भारत की सीमाओं से बाहर भी दिख रहा है। यह सात देशों- संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस में अवेलेबल है। फ्रांस में UPI की शुरुआत इसके यूरोप में पहले कदम का प्रतीक है। अब भारत की कोशिश यूपीआई को ब्रिक्स देशों का साझा डिजिटल पेमेंट सिस्टम बनाने की भी है। अगर ऐसा होता है तो यह विदेशों से पैसे भेजने को आसान बनाएगा, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगा और भारत की डिजिटल लीडरशिप को और मजबूती प्रदान करेगा।यूपीआई से हर माह हो रहे 1800 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की नई रिपोर्ट ‘खुदरा डिजिटल भुगतान का बढ़ता चलन: इंटरऑपरेबिलिटी का महत्व’ के अनुसार, भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) इस क्रांति का मुख्य आधार है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार यूपीआई की बदौलत भारत ने दुनियाभर में डिजिटल ट्रांजैक्शन में पहला स्थान हासिल किया है। NPCI के अनुसार, UPI से हर महीने 1,800 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन होते हैं। जून 2025 में UPI ने 1,839 करोड़ ट्रांजैक्शन के साथ 24.03 लाख करोड़ रुपए का कारोबार किया, जो पिछले साल जून 2024 के 1,388 करोड़ ट्रांजैक्शन की तुलना में 32% की ग्रोथ को दर्शाता है। 2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की तरफ से शुरू किया गया यूपीआई, आज भारत में पैसे भेजने और पाने का सबसे तेज, आसान और भरोसेमंद तरीका बन चुका है। यूपीआई के जरिए एक ही मोबाइल ऐप से कई बैंक खातों को जोड़ा जा सकता है। फिर चाहे किसी को पैसे भेजने हों, दुकान में भुगतान करना हो या दोस्तों को पैसे ट्रांसफर करने हों- सब कुछ कुछ ही क्लिक में हो जाता है।
UPI ने डिजिटल-डॉमिनेटेड इकोनॉमी की ओर देश को बढ़ाया
2016 में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा शुरू किया गया UPI आज देश में पैसे के लेन-देन का सबसे आसान और पॉपुलर तरीका बन चुका है। UPI की मदद से लोग एक ही मोबाइल एप से अपने कई बैंक अकाउंट को जोड़ सकते हैं और कुछ ही सेकेंड में सुरक्षित, कम लागत वाले लेनदेन कर सकते हैं। दरअसल, यूपीआई ने भारत को कैश और कार्ड बेस्ड पेमेंट से दूर ले जाकर डिजिटल-डॉमिनेटेड इकोनॉमी की ओर बढ़ाया है।’ यह मंच न केवल बड़े बिजनेस के लिए, बल्कि छोटे दुकानदारों और आम लोगों के लिए फाइनेंशियल इंक्लूजन का एक मजबूत साधन बन गया है।
भारत में 85 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहे
आज भारत में 85 प्रतिशत डिजिटल पेमेंट यूपीआई के जरिए हो रहे हैं, जिसमें 49.1 करोड़ यूजर्स, 6.5 करोड़ बिजनेसमैन और 675 बैंक एक ही प्लेटफॉर्म पर जुड़े हैं। इतना ही नहीं, UPI अब ग्लोबल लेवल पर भी लगभग 50 प्रतिशत रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट्स को संभाल रहा है। मोदी सरकार के आधिकारिक बयान के मुताबिक ‘यह सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह भारत के डिजिटल फ्रेमवर्क पर बढ़ते भरोसे और कैशलेस इकोनॉमी की ओर तेजी से बढ़ते कदमों को दर्शाता है।’ दरअसल, यूपीआई ने न केवल लेनदेन को आसान बनाया है, बल्कि छोटे व्यापारियों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी डिजिटल इकोनॉमी से जोड़ा है। यूपीआई की यह सफलता भारत को टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन और फाइनेंशियल इंक्लूजन में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित कर रही है।
भारत से बाहर के देशों में भी UPI, अब ब्रिक्स देशों की तैयारी
अब यूपीआई का प्रभाव भारत की सीमाओं से बाहर भी दिख रहा है। यह सात देशों- संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस में भी अवेलेबल है। फ्रांस में UPI की शुरुआत इसके यूरोप में पहले कदम का प्रतीक है, जिससे विदेश में रहने या ट्रैवल करने वाले भारतीयों के लिए पेमेंट करना आसान हो गया है। पीआईबी के अनुसार भारत चाहता है कि यूपीआई को ब्रिक्स देशों का साझा डिजिटल पेमेंट सिस्टम बना दिया जाए। अगर ऐसा होता है, तो यह विदेशों से पैसे भेजने को आसान बनाएगा, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगा और भारत की डिजिटल लीडरशिप को और मजबूत करेगा। बता दें कि यूपीआई की इस सफलता की नींव वर्षों पहले जन धन योजना से रखी गई थी। इस योजना के तहत जुलाई 2025 तक 55.83 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने करोड़ों लोगों को पहली बार बैंकिंग सुविधा दी, सरकारी योजनाओं का पैसा सीधे खाते में मिलने लगा और लोगों को सुरक्षित बचत का विकल्प मिला।
यूपीआई ने लेन-देन, बिल पेमेंट, शॉपिंग का तरीका बदला
यूपीआई सर्विस के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा। इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है। अगर, आपके पास उसका UPI आईडी (ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर या आधार नंबर) है तो आप अपने स्मार्टफोन के जरिए आसानी से पैसा भेज सकते हैं। न सिर्फ पैसा बल्कि यूटिलिटी बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी आदि के लिए नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी जरूरत नहीं होगी। ये सभी काम आप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम से कर सकते हैं।
कोविडकाल में भी रियल टाइम में भारत ने मारी थी बाजी
दुनियाभर में 100 साल बाद आई सबसे बड़ी महामारी कोरोना के समय में भी भारत ने बाजी मारी थी। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 2,547 करोड़ रियल टाइम लेन-देन किया गया। जबकि इसी समय में चीन में 1,574 करोड़ लेन-देन किए गए। दक्षिण कोरिया तीसरे नंबर पर रहा, जहां 601 करोड़ लेन-देन के आंकड़े हुए, जबकि चौथे नंबर पर थाईलैंड रहा। यहां पर 524 करोड़ लेन-देन किए गए। UK 282 करोड़ लेन-देन के साथ पांचवें नंबर पर रहा। जबकि नाइजीरिया इस मामले में 191 करोड़ लेन-देन के साथ छठे नंबर पर रहा। आंकड़े बताते हैं कि सातवें पर जापान रहा। जापान में कुल 167 करोड़ लेन-देन किए गए। आठवें नंबर पर ब्राजील रहा। यहां पर कुल 133 करोड़ लेन-देन 2020 में किए गए। जबकि अमेरिका में केवल 121 करोड़ लेन देन हुए और यह 9वें नंबर पर रहा। दसवें नंबर पर मैक्सिको रहा जहां पर 94 करोड़ लेन-देन के मामले सामने आए।
आंकड़ों से जानिए यूपीआई का आज का कमाल…
- आज भारत में हर महीने 18 अरब से ज्यादा लेन-देन यूपीआई के जरिए हो रहे हैं।
- आज यूपीआई से 491 मिलियन यानी 49.1 करोड़ लोग और 65 लाख व्यापारी जुड़े हैं।
- जून 2025 में यूपीआई ने 18.39 अरब लेनदेन के जरिए 24.03 लाख करोड़ का भुगतान हुआ।
- पिछले साल जून में 13.88 अरब लेन-देन था। यानी एक साल में करीब 32% की बढ़त दर्ज की गई है।
- भारत में जितने भी डिजिटल लेन-देन होते हैं, उनमें से 85 प्रतिशत यूपीआई के माध्यम से होते हैं।
- पूरी दुनिया के 50 प्रतिशत रियल-टाइम डिजिटल भुगतान अकेले भारत के यूपीआई से होते हैं।
- यूपीआई पर 675 बैंक एक साथ काम करते हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक से किसी को भी भुगतान कर सकता है।