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पीएम मोदी के विजन से यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर हो रहा भारत, 2014 के बाद 4 खाद कारखाने चालू

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भारत को अब यूरिया खाद के लिए किसी दूसरे देश का मुंह ताकना नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से आज देश कई सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। इनमें से एक सेक्टर यूरिया है। कांग्रेस की सरकारों ने अपने कार्यकाल के समय कई खाद कारखानों को घाटे में बताकर बंद कर दिया और यूरिया के लिए देश के किसानों को दूसरे देशों से आयात के भरोसे छोड़ दिया। इसकी वजह से यूरिया के आयात में कमीशनखोरी भी की जाती थी। इस तरह भी कांग्रेस ने देश में लूट मचा रखी थी। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता संभालने वाद उन्होंने यूरिया के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया। इसके लिए तेजी से योजनाएं बनाई गईं और खाद कारखानों का शिलान्यास किया गया और आज बंद पड़े चार खाद कारखाने शुरू हो चुके हैं जिसका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। मोदी सरकार ने बीते 10 सालों में रामागुंडम, गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी फर्टिलाइजर प्लांट को दोबारा शुरू कराए हैं। वहीं तालचेर फर्टिलाइजर प्लांट पर तेजी से काम हो रहा है वहां भी उत्पादन एक डेढ़ साल में शुरू होने वाला है। 

2014 तक देश में होता था 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार कार्यभार संभालने के बाद से उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। वर्ष 2014 तक भारत में 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। किसानों की आवश्यकता को पूर्ण करने के लिए देश को बड़ी मात्रा में यूरिया का आयात करना पड़ता था। इस पर भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करने के साथ ही किसानों को भी इसकी कमी के चलते फसलों के उत्पादन में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता था। इसके बाद पीएम मोदी ने यूरिया उत्पादन बढ़ाने का संकल्प लिया और इस पर तेजी से काम शुरू करवाया। 

यूरिया का उत्पादन बढ़कर 310 लाख मीट्रिक टन हो गया
2014 में देश में 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आज मोदी सरकार के प्रयासों से बीते 10 वर्षों में यूरिया का उत्पादन बढ़कर 310 लाख मीट्रिक टन हो गया है। पिछले साल कुल 318.52 लाख टन यूरिया की खपत हुई थी जो इस साल 317.51 लाख टन है। वहीं साल 2022-23 में कुल 524.64 लाख टन उवर्रकों की बिक्री हुई थी जो 2023-24 में बढ़कर 539.79 लाख टन हो गई है।  

यूरिया के आयात में 12 फीसदी की गिरावट
सरकार द्वारा नियंत्रित यूरिया का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों के दौरान 64.33 लाख टन दर्ज किया गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 73.07 लाख टन था। यानी यूरिया के आयात में 12 फीसदी की गिरावट आई है। 

उर्वरकों का आयात 11.2 फीसदी कम हुआ
भारत में रासायनिक उर्वरकों का आयात पिछले एक साल की अवधि में 11.2 फीसदी कम हो गया है। कुल उर्वरकों का आयात अप्रैल-जनवरी के दौरान पिछले साल के 173.29 लाख टन के मुकाबले घटकर 153.86 लाख टन रह गया है। डीएपी का आयात सबसे ज्यादा 20.2 प्रतिशत घटकर पिछले साल 63.8 लाख टन के मुकाबले घटकर सिर्फ 50.91 लाख टन रह गया है। कॉम्प्लेक्स उर्वरकों  का आयात 18.5 प्रतिशत घटकर पिछले साल के 22.49 लाख टन के मुकाबले 18.34 लाख टन रह गया है।

80 लाख टन यूरिया की फैक्ट्री बन रही
फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के अध्यक्ष सुरेश कृष्णन ने बताया कि इस समय हर साल करीब 80 लाख टन यूरिया की प्रोडक्शन कैपिसिटी क्रिएशन किया जा रहा है। इसमें हर साल करीब 20 लाख टन यूरिया की प्रोडक्शन कैपिसिटी निजी क्षेत्र में जबकि 60 लाख टन यूरिया की प्रोडक्शन कैपिसिटी पब्लिक सेक्टर के तहत विकसित की जा रही है। ये सभी प्रोडक्शन प्लांट गैस बेस्ड हैं। इसके अगले दो साल के अंदर चालू हो जाने की उम्मीद है।

नैनो यूरिया के 3 प्लांट से 17 करोड़ बोतल का उत्पादन
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने 19 दिसंबर 2023 को संसद में सवाल के लिखित जवाब में कहा कि देश में 3 नैनो यूरिया प्लांट स्थापित किए हैं। उन्होंने बताया कि इफको ने गुजरात के कलोल और उत्तर प्रदेश के फूलपुर और आंवला में 3 नैनो यूरिया प्लांट लगाए गए हैं। इन तीनों नैनो यूरिया प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता 17 करोड़ बोतल (500 मिलीलीटर) प्रति वर्ष है। उन्होंने कहा कि नैनो साइंस एंड रिसर्च सेंटर ने गुजरात के आनंद में 4.5 करोड़ बोतल प्रति वर्ष की क्षमता वाले अपने नैनो यूरिया प्लांट के कमर्शियल प्रोडक्शन की भी घोषणा की है। 

कृषि लागत घटाने में मददगार नैनो यूरिया
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसंधान संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के जरिए विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में धान, गेहूं, सरसों, मक्का, टमाटर, गोभी, ककड़ी, शिमला मिर्च और प्याज जैसी फसलों पर नैनो यूरिया परीक्षणों का जिक्र करते हुए कहा कि नैनो यूरिया का उपयोग सामान्य यूरिया के स्थान पर स्प्रे के रूप में किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में विदेश से उर्वरक आयात बंद हो जाएगा और किसानों पर महंगे उर्वरक का बोझ घट जाएगा।  

मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए खाद कारखानों पर एक नजर- 

31 साल बाद फिर शुरू हुआ गोरखपुर खाद कारखाना, 20 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
बंदः 1990
शिलान्यासः 22 जुलाई, 2016
चालूः 7 दिसंबर 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई, 2016 को गोरखपुर में 26 वर्षों से बंद पड़े फर्टिलाइजर प्लांट को दोबारा शुरू करने का एलान किया और 7 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी ने गोरखपुर खाद कारखाने का शुभारंभ किया। 8,603 करोड़ रुपये की लागत से करीब 600 एकड़ क्षेत्रफल में गोरखपुर खाद कारखाने का निर्माण हुआ। पूरी तरह से प्राकृतिक गैस पर आधारित इस खाद कारखाने की अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3,850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन की है। गोरखपुर के खाद कारखाने में उच्च गुणवत्ता की नीम कोटेड यूरिया बन रही है। यहां बने प्रिलिंग टॉवर की ऊंचाई 149.2 मीटर है जो दुनिया में बने सभी खाद कारखानों के प्रीलिंग टॉवर में सबसे ऊंचा है। इसकी ऊंचाई, कुतुब मीनार से भी दोगुनी है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। प्रीलिंग टावर की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे व गुणवत्ता युक्त बनते हैं। यही वजह है कि यहां की यूरिया की अलग पहचान बन रही है। दाने छोटे होने की वजह से यह खेतों की मिट्टी में तेजी से घुल जाएगी और जल्द असर करेगी। गोरखपुर का यह खाद कारखाना 20 अप्रैल 1968 को शुरू किया गया था। इसकी स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। यह 1990 तक चला। 10 जून 1990 को कारखाने में अचानक अमोनिया गैस का रिसाव हुआ। इस घटना में एक इंजिनियर की मौत हो गई थी। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।

15 साल से बंद सिंदरी खाद कारखाने से उत्पादन शुरू
बंदः 31 दिसंबर 2002
शिलान्यासः 25 मई, 2018
चालूः 1 मार्च 2024
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च 2024 को सिंदरी खाद कारखाने का उद्घाटन किया। 25 मई, 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी ने 7500 करोड़ रुपए की सिंदरी खाद कारखाना परियोजना की आधारशिला रखी थी। दो साल में प्लांट तैयार कर 25 नवंबर, 2020 से उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, कोरोना महामारी और अन्य वजहों से कारखाना समय पर तैयार नहीं हो सका। सिंदरी कारखाने में करीब 350 स्थायी तकनीकी और अन्य कर्मियों को तैनात किया जाएगा। साथ ही, अनुबंध पर भी 1800 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी। परोक्ष रूप से भी 30-40 हजार लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे। सिंदरी खाद कारखाने से रोजाना 3850 टन यूरिया और 2200 टन अमोनिया के उत्पादन का लक्ष्य है। हर्ल प्रबंधन जल्द ही धनबाद के साथ-साथ रांची, हजारीबाग, देवघर, गिरिडीह व अन्य जिलों में बिक्री केंद्र खोलेगा। पड़ोसी राज्यों ओडिशा, पश्चिम बंगाल के किसानों को भी सिंदरी में तैयार खाद मिल सकेगी। सिंदरी का खाद कारखाना 31 दिसंबर 2002 में बंद हो गया। तब प्लांट में काम कर रहे कर्मचारियों को वीएसएस के तहत सेवानिवृत्त कर दिया गया था, जिनकी संख्या 2000 से भी भी ज्यादा थी। इसका कारण ये दिया गया कि प्लांट से खास लाभ नहीं हो पा रहा है।

23 साल बाद रामागुंडम (तेलंगाना) खाद कारखाना शुरू, नीम-कोटेड यूरिया का 12.7 एलएमटी उत्पादन होगा
बंदः 1999
शिलान्यासः 7 अगस्त 2016
चालूः 12 नवंबर 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नवंबर 2022 में रामागुंडम खाद कारखाना राष्ट्र को समर्पित किया। इस परियोजना की आधारशिला 7 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रखी गई थी। इस कारखाना को 1999 में बंद कर दिया गया था। इस उर्वरक संयंत्र के पुनरुद्धार के पीछे की प्रेरक शक्ति दरअसल प्रधानमंत्री का विजन है कि यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करनी है। रामागुंडम संयंत्र स्वदेशी नीम-कोटेड यूरिया का 12.7 एलएमटी उत्पादन प्रति वर्ष उपलब्ध कराएगा। ये परियोजना रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (आरएफसीएल) के तत्वावधान में स्थापित की गई है, जो कि नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल), इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) और फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। आरएफसीएल को 6300 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से नया अमोनिया-यूरिया संयंत्र स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आरएफसीएल संयंत्र को गैस की आपूर्ति जगदीशपुर-फूलपुर-हल्दिया पाइपलाइन के माध्यम से की जाएगी। ये संयंत्र तेलंगाना राज्य के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में किसानों को यूरिया उर्वरक की पर्याप्त और समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। ये संयंत्र न सिर्फ उर्वरक की उपलब्धता में सुधार करेगा बल्कि इससे इस क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा जिसमें सड़क, रेलवे, सहायक उद्योगों जैसे बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। आरएफसीएल का ‘भारत यूरिया’ न केवल आयात को कम करेगा बल्कि उर्वरकों और विस्तार सेवाओं की समय पर आपूर्ति के जरिए स्थानीय किसानों को प्रोत्साहन देकर अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा देगा।

बरौनी खाद कारखाने में 22 साल बाद शुरू हुआ उत्पादन, 2017 में पीएम मोदी ने किया था शिलान्यास
बंदः 1999
शिलान्यासः 17 फरवरी 2019
चालूः अक्टूबर 2022
बिहार का गौरव रहा बरौनी खाद कारखाना आखिरकार 22 साल बाद फिर शुरू हो गया। अक्टूबर 2022 में यहां उत्पादित 56 टन नीम कोटेड यूरिया पहली बार बिक्री के लिए बाजार में भेजा गया। जनवरी 1999 में बरौनी खाद कारखाना बंद हो गया था। 17 फरवरी 2019 को इसका शिलान्यास किया गया था। इसके चालू होने से आस-पास के हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेगा। बरौनी फर्टिलाइजर कारखाने के शुरू होने के बाद से लोगों में खुशी की लहर दिखाई दे रही है। इससे पहले यह कारखाना नेफ्ता के उत्पाद के कारण घाटे में चल रहा था। इसके बाद इसे बंद करवा दिया गया था। हालांकि साल 2017 में फिर से इस कारखाने को शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदेश दिया था। उसी दौरान इसका शिलान्यास किया गया था। इस कारखाने के निर्माण के बाद से नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू हो गया है। बरौनी खाद कारखाना से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल के किसानों को नीम कोटेड यूरिया आसानी से और प्रचुर मात्रा में मिल सकेगा। बरौनी फर्टिलाइजर कारखाने का निर्माण 8387 करोड़ की लागत से किया गया है। जिसमें 3850 टन प्रतिदिन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। कारखाने में 400 स्थाई कर्मचारियों के अलावा 2 से 5 हजार तक लोग काम करेंगे। पूरे देश में वन नेशन वन फर्टिलाइजर स्कीम के तहत फिलहाल अपना यूरिया के नाम से यहां उत्पादन हो रहा है।

मोदी सरकार ने किसानों के लिए क्रांतिकारी निर्णय
मोदी सरकार की किसानों के सर्वहित कल्याण के लिए इन क्रांतिकारी नीतियों के प्रयोग ने उन्हें आर्थिक रुप से सशक्त करने के साथ देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती देने के साथ यूरिया के आयात पर होने वाले व्यय को कम कर देश को आर्थिक शक्ति बनने की दिशा में अहम योगदान दिया है। 

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