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राजस्थान के सैंकड़ों मंदिरों को एडीजी पुलिस ने माना ‘अवैध’, क्या गहलोत सरकार मंदिर तुड़वाएगी ? थानों में धार्मिक स्थल पर भी रोक

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सरकारी ऑफिसों में भी नहीं बना सकेंगे पूजा स्थल
अब मंदिरों से भी राजस्थान सरकार के पेट में दर्द होने लगा है। बरसों के शासन सचिवालय के लेकर पुलिस थानों तक जो सरकारी कर्मचारी मंदिर में दर्शन करने, ढोक देने के बाद अपने दिन की शुरुआत करते थे, उन सैकड़ों मंदिरों पर पुलिस हेडक्वाटर ने ‘अवैध’ का ठप्पा लगा दिया है। हिंदू जनमानस की धार्मिक आस्था पर चोट करने वाला यह शासनादेश अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (पुलिस आवासन) ए. पौन्नूचामी ने निकाला है। इसमें थानों और सरकारी ऑफिसों में नए धार्मिक स्थल के निर्माण पर भी रोक लगाई गई है।

भामाशाह और जन सहभागिता के बने हैं मंदिर
दरअसल, प्रदेश के कई थानों में धार्मिक स्थल का निर्माण करवाया गया है। अधिकांश निर्माण जन सहभागिता या फिर शहर-गांव के भामाशाह के सहयोग से बनाए जाते हैं। शासन सचिवालय से लेकर सरकारी कार्यालयों तक में सैंकड़ों धार्मिक स्थल बने हुए हैं। सरकारी कर्मचारी पूरी आस्था के साथ मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। कई मंदिरों में तो पुजारी ही नित्य पूजा कराते हैं।

 

 

पूजा स्थल का निर्माण नहीं कराया जाए
धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने वाले इस आदेश के राजस्थान में अब पुलिस थानों व ऑफिस में धार्मिक या पूजा स्थल का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय ने  सभी एडीजी, आईजी, एसपी व पुलिस कमिश्नर के नाम से एक पत्र लिखा है। पुलिस आवास विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) ए. पोन्नूचामी ने यह आदेश जारी किया है।एडीजी के आदेश-थानों में सभी मंदिर गैर-कानूनी
एडीजी आदेशों में कहा गया है कि ‘राजस्थान धार्मिक भवन एवं स्थल अधिनियम 1954’ भी सार्वजनिक स्थानों के धार्मिक स्थान बनाने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में इसका हवाला देते हुए कहा कि पिछले कई सालों में पुलिस विभाग के विभिन्न प्रकार के कार्यालय परिसरों व पुलिस थानों में आस्था के नाम पर जन सहभागिता से पूजा स्थलों के निर्माण करवाने में बढ़ोतरी हुई है, जो कि कानून के दायरे में नहीं है।

 

नक्शे में भी नहीं है पूजा स्थलों के निर्माण का प्रावधान
एडीजी ने कहा है कि इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पुलिस थानों के प्रशासनिक भवनों के निर्माण के लिए बनाए गए नक्शों में भी पूजा स्थल के निर्माण करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। सवाल यह उठता है कि किसी भी सरकारी कार्यालय के नक्शों में धार्मिक स्थल का प्रावधान नहीं है, लेकिन सभी कार्यालयों के मंदिरों में पूजा हो रही है।पहले के बने हजारों मंदिर ‘अवैध’ हो जाएंगे ?
यदि एडीजी की माने कि पुलिस परिसरों में धार्मिक स्थल का प्रावधान नहीं है तो पहले के बने हजारों धार्मिक स्थल ‘अवैध’ हो जाएंगे ? ऐसे में क्या पुलिस आवास विभाग थानों के कथित अवैध मंदिरों को हटवाएगा ? या वह इन ‘अवैध’ मंदिरों में पूजा-पाठ रुकवाएगा ? क्योंकि आदेश में पहले के बने मंदिरों के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।

पोल : धार्मिक आस्था पर चोट और बेतुका फैसला
अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) ए. पोन्नूचामी के इस आदेश पर एक डिजीटल वेबसाइट ने पोल कराया है। वेबसाइट ने तीन ऑप्शन के साथ पूछा है कि लोग इस निर्णय को कैसा मानते हैं ? 60 प्रतिशत   लोगों ने इसे धार्मिक आस्था पर चोट और बेतुका फैसला बताया है।इस निर्णय से कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा उजागर
प्रदेश के थानों-पुलिस कार्यालयों में मंदिर निर्माण पर रोक के आदेश पर बवाल मच गया है। बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने इसे हिंदू विरोधी फरमान बताते हुए आदेश पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए किरोड़ी ने आरोप लगाया कि इससे कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा सामने आ गया है। मीणा ने आरोप लगाया कि प्रदेश में बेपटरी हो चुकी कानून व्यवस्था को संभालने की बजाय राजस्थान पुलिस इस प्रकार के बेमतलब के आदेश निकालने में अपनी ऊर्जा और समय नष्ट कर रही है। राजस्थान पुलिस के इस निर्णय से कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा उजागर हो गया है।

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