केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला बड़ा खुलासा हुआ है। इसमें तथ्यों के आधार पर बताया गया है कि प्रसिद्ध अजमेर दरगार के इलाके को कई राष्ट्रविरोधी तत्व, अपराधी और अवैध बांग्लादेशी सुरक्षित ‘शरणगाह’ के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह रिपोर्ट इसलिए भी बेहद चिंताजनक है, क्योंकि पिछले एक दशक के ज्यादा समय से इस इलाके से कई बांग्लादेशी और अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। इतना ही नहीं अजमेर दरगाह में सालाना करीब 80 लाख जायरीन आते हैं। ऐसे में दरगाह परिसर और क्षेत्र में अतिक्रमणों, अनधिकृत दुकानों और रास्तों पर अस्थायी निर्माणों से उर्स के दौरान भगदड़ जैसे हालातों का खतरा है। दरअसल, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दरगार परिसर में 96 करोड़ रूपए के कामों के लिए व्यय विभाग से पैसा और अनुमति मांगी थी। गृह मंत्रालय ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि यहां पर पहले भी आपराधिक गतिविधियों के अलावा विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय को पहले इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसके बाद ही धनराशि देने की सिफारिश की जाएगी।
पहले हुए विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अजमेर दरगाह में विकास कार्यों के लिए प्रस्तावित 96 करोड़ की रकम जारी करने से पहले गहन जांच करने की सिफारिश की है। मंत्रालय ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट में प्रस्ताव पर आपत्ति करते हुए कहा कि यहां पहले हुए विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। यही नहीं, रिपोर्ट में दरगाह क्षेत्र के राष्ट्र-विरोधी तत्वों के लिए एक सुरक्षित शरणस्थली बनने पर चिंता जताई है। इसके अनुसार पुलिस ने क्षेत्र से अपराधी, राष्ट्र-विरोधी तत्व और अवैध बांग्लादेशी नागरिक पकड़े हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने दरगाह में 96 करोड़ रुपए के कामों के प्रस्ताव बनाए थे। वित्त मंत्रालय ने उसे गृह व पर्यटन मंत्रालयों से मशविरा करने को कहा था। इसी के तहत गृह मंत्रालय की आंतरिक रिपोर्ट बनी है। अब इसे वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को भेजा जाएगा, जो आगे निर्णय लेगा।

उर्स में इतने जायरीन, दरगाह में भगदड़ जैसे हालात का खतरा
अजमेर दरगाह में सालाना देश-विदेश के करीब 80 लाख जायरीन आते हैं। यह आंकड़ा ताजमहल देखने आने वालों से भी कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट में आगाह किया गया कि दरगाह में भगदड़ जैसे हालात का खतरा है, खासतौर पर सालाना उर्स के दौरान। इससे जायरीन को बचाने के लिए दरगाह के अंदर व बाहर अतिक्रमण हटाने होंगे। आवाजाही की बाधाएं दूर करते हुए नियंत्रित प्रवेश व्यवस्था लागू करनी होगी। जायरीन प्रतीक्षा क्षेत्र बनाए जा सकते हैं। जायरीन व सामान जांच व्यवस्था भी प्रभावी बनानी होगी। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी भी वित्तीय अनुदान को स्वीकृत करने से पहले बताए गए खर्च के अनुमान की गहन जांच होनी चाहिए। यहां फिलहाल चल रहे विकास कार्यों की निगरानी जरूरी है। दरगाह समिति के अधिकारियों के अलावा दूसरे अधिकारियों से भी इन पर निगरानी रखनी चाहिए।
बांग्लादेशी नागरिकों के लिए दरगार क्षेत्र सेफ शरणस्थली
गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा है कि दरगाह समिति के अलावा दूसरे अधिकारियों से भी यहां निगरानी कराई जानी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक दरगाह क्षेत्र में देश-विरोधी तत्वों के आने से हालात चिंताजनक हैं। देश-विदेश से आने वाले अधिकतर जायरीन इस क्षेत्र में बने होटलों में रुकते हैं। पुलिस ने यहां से कई बार अपराधियों, राष्ट्रविरोधी तत्वों और अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा है। अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के लिए दरगार क्षेत्र सेफ शरणस्थली बन गया है। इसलिए गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में यहां तैनात आरएसी कर्मियों को और अधिक सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

अल्पसंख्यक मंत्रालय से मांगे गए हैं स्पष्टीकरण
अजमेर दरगाह शरीफ में कई प्राचीन संरचनाएं हैं। यहां पर किसी भी तरह के सुधार या विकास कार्यों के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से परामर्श जरूरी है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दरगाह में 96 करोड़ रुपए के कामों के लिए पैसा और परमीशन मांगी है। ऐसे में विभाग ने जांच के बाद मंत्रालय से कई स्पष्टीकरण मांगे हैं। दरगाह परिसर में अतिक्रमण, अनधिकृत दुकानों, रास्तों पर अस्थायी निर्माण, भीड़ का उचित प्रबंधन न होने, जांच में कमी आदि से आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। कई पक्षों ने यह मुद्दे उठाए हैं। क्या इन्हें लेकर अल्पसंख्यक मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से कोई बात अब तक की ?

दरगाह क्षेत्र में किए गए खर्च की गहन जांच होनी चाहिए
रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी वित्तीय अनुदान की स्वीकृति करने से पहले बताए गए खर्च के अनुमान की गहन जांच होनी चाहिए। यहां पर फिलहाल चल रहे विकास कार्यों की निगरानी भी जरूरी है। क्या पर्यटन मंत्रालय से बात की गई, ताकि प्रस्तावित काम प्रसाद योजना तहत करवा सकें? दरगाह में अतिक्रमण व जन सुरक्षा पर खतरों की लगातार सूचनाएं मिली हैं, मानसून में परिसर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था। यहां मुगल व और भारतीय इस्लामी स्थापत्य के कई प्रतीक भी हैं। इसको देखते हुए क्या एएसआई से इस काम के बारे बात कर सहमति ली गई है? इसके अलावा 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह में बम विस्फोट हुआ था, उसी राजस्थान के मुख्य सचिव ने सुरक्षा पर बैठक की थी। तब तय हुआ था कि दरगाह के प्रवेश व निकास दरवाजों की सुरक्षा सीआरपीएफ या सीआइएसएफ को सौंपने का निवेदन केंद्र सरकार से किया जाएगा। क्या इस बारे में गृह मंत्रालय से सलाह ली गई?

बिना वीजा भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पार कर अजमेर पहुंचे
दरगाह अन्दर कोट क्षेत्र घुसपैठियों की ‘शरणस्थली’ बन चुका है। बिना वीजा भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पार कर अजमेर पहुंचे घुसपैठिए यहां अपनी पहचान छुपाकर वर्षों से जमे हैं। खानाबदोश जिन्दगी बसर कर रहे इन घुसपैठियों के डेरे आबाद होने की बड़ी वजह ‘मुफ्त का खाना’ और ‘मुफ्त की जमीन’ है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के मामले में संज्ञान लेने पर कुछ माह पहले डीआईजी (अजमेर रेंज) ओमप्रकाश व एसपी वंदिता राणा ने सीओ दरगाह के नेतृत्व में एसटीएफ का गठन किया। इससे पहले एसपी ने दरगाह व गंज थाना पुलिस के जरिए दरगाह अन्दर कोट, लाखन कोटड़ी, लौंगिया और नई सड़क के आसपास के क्षेत्र का डोर-टू-डोर सर्वे करवाया। सर्वे में 10 हजार लोगों का डेटा बेस तैयार करते हुए इलाके में 200 संदिग्धों को चिन्हित किया गया।

चार बड़ी वजह जिनके चलते घुसपैठियों की शरणस्थली
1. मुफ्त भोजन- दरगाह क्षेत्र में जायरीन लंगर का वितरण करते है। यहां खानाबदोश जीवन बसर करने वालों को मुफ्त में आसानी से भोजन मिल जाता है।
2. मुफ्त आवास-दरगाह अन्दर कोट इलाके में जालियान कब्रिस्तान, अम्बाबाव, नई सड़क, तारागढ़ पैदल मार्ग पर खाली पड़ी सरकारी जमीन पर बने झोपड़े अब मकान में तब्दील हो चुके हैं।
3.सस्ता रोजगार- बांग्लादेशी घुसपैठियों को दरगाह क्षेत्र में भिक्षावृत्ति के अलावा घरेलू कामकाज, टेंट व्यवसाय और लाइट डेकोरेशन का काम आसानी से मिल जाता है।
4. सेफ पनाह- अममेर दरगार शरीफ के आसपास के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय का जमावड़ा है। इसके चलते बाहर से आने वाले बांग्लादेशी घुसपैठिए, राष्ट्रविरोधी तत्व आसानी से इनमें घुल-मिल जाते हैं। इनके लिए यह क्षेत्र सुरक्षित पनाहगाह बना है।

दरगाह क्षेत्र में पकड़े गए हैं बड़े आतंकी और घुसपैठिए
अक्टूबर, 2010
बेंगलूरू आतंकी बम धमाके और तमिलनाडु में बस जलाने के मामले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी उमर फारूक और उसके तीन सहयोगियों को अजमेर से एटीएस ने गिरफ्तार किया था।
अक्टूबर, 2021
दिल्ली से गिरफ्तार पाक आतंकी मोहम्मद अशरफ 15 साल पहले भारत आया था, वह काफी समय अजमेर दरगाह क्षेत्र में छिपा रहा था। भारत में आतंकियों के लिए स्लीपर सेल चलाता था।
जनवरी, 2022
बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे व 12 साल से पहचान छिपाकर दरगाह क्षेत्र में रह रहे दो बांग्लादेशी मो. आलमगीर और शाहीन पुलिस ने पकड़े।
जुलाई, 2022
अजमेर दरगाह का एक खादिम गौहर चिश्ती को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया। उस पर भीड़ को मजहब के नाम भड़काने का आरोप था। वह उदयपुर में हुए 4 कन्हैयालाल हत्याकांड के मुख्य अभियुक्तों मोहम्मद और गौस मोहम्मद से भी मिला था।
जुलाई, 2022
भाजपा नेता रहीं नुपूर शर्मा की हत्या के लिए इनाम की घोषणा करने वाला हिस्ट्रीशीटर सलमान चिश्ती गिरफ्तार किया गया। वह दरगाह में खादिम भी था। इसे लेकर क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया था।
अक्टूबर, 2022
दरगाह से जुड़े एक सदस्य के बेटे तौसीफ चिश्ती को पंजाब पुलिस ने दरगाह क्षेत्र में एक कैफे से गिरफ्तार किया। उस पर मोहाली पुलिस मुख्यालय पर ग्रेनेड फेंकने वाले खालिस्तानी आतंकियों को शरण देने का आरोप लगा।
सितंबर, 2025
दरगाह परिसर में फूल उठाने का काम करने वाला सलीम शेख अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में घुसने के मामले में गिरफ्तार हुआ। वह और उसके जैसे 55 बांग्लादेशी कुछ माह में क्षेत्र से पकड़े गए।

साल——–धरपकड़
2010———58
2011———48
2012———64
2013———19
2014———03
2015———12
2016———02
2017———08
2018———07
2019———07
2020———02
2022———02
2023———01
2024———03
2025———18 और 2 बच्चे (कार्रवाई जारी)










