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दो से 597 तक का सफर: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एकलव्य स्कूलों ने बदली आदिवासी बच्चों की तकदीर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में आदिवासी बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए अनेक अभूतपूर्व पहलें की गईं। इसी का नतीजा है कि देश के दूर-दराज के आदिवासी इलाकों से एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी सामने आई है जिसने यह साबित कर दिया है कि अगर अवसर और सही दिशा मिले, तो कोई सपना अधूरा नहीं रह जाता। देश के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (EMRS) के छात्रों ने वर्ष 2024–25 में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। इस साल इन स्कूलों के कुल 597 छात्रों ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं जेईई मेन, जेईई एडवांस और नीट को सफलता के साथ पार किया।

दो से 597 तक: आदिवासी शिक्षा का स्वर्ण अध्याय
जहां वर्ष 2022–23 में इन स्कूलों से सिर्फ दो छात्र देश की शीर्ष परीक्षाओं में सफल हुए थे, वहीं 2024–25 में यह संख्या बढ़कर 597 हो गई। यह छलांग प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के विजन की जीवंत मिसाल है। बारहवीं क्लास तक शिक्षा प्रदान करने वाले देश के कुल 230 एकलव्य विद्यालयों में से 101 स्कूलों के छात्रों ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया। कुल 219 छात्रों ने जेईई मेन, 34 ने जेईई एडवांस और 344 ने नीट परीक्षा पास की है।

मोदी सरकार की नीतियों से शिक्षा में क्रांति
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश भर में एकलव्य विद्यालयों का नेटवर्क तेजी से बढ़ा है। आज देश में 485 एकलव्य आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनमें 1.38 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वर्ष 2024-25 में सरकार ने इन स्कूलों के लिए 68,418 लाख रुपये का कोष जारी किया है, ताकि हर आदिवासी बच्चे को आधुनिक, गुणवत्तापूर्ण और निशुल्क शिक्षा मिल सके। इन स्कूलों की खासियत यह है कि यहां बच्चों को सीबीएसई पाठ्यक्रम, आवासीय सुविधा, आधुनिक शिक्षा, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और करियर गाइडेंस सब कुछ मुफ्त में मिलता है। इससे आदिवासी बच्चों को न सिर्फ शिक्षा मिली है, बल्कि आत्मविश्वास और पहचान भी मिली है।

शिक्षा में तकनीक और नवाचार का संगम
मोदी सरकार ने एकलव्य विद्यालयों में शिक्षा को डिजिटल और कौशल आधारित बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं-
• आईआईटी-नीट तैयारी के लिए हाई-एंड कोचिंग सेंटर भोपाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में स्थापित किए गए हैं।
• डिजिटल ट्यूशन प्रोग्राम के तहत PAC IIT और Navodayan Foundation जैसे संस्थानों के सहयोग से ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है।
• ‘आई-हब दिव्य संपर्क’ पहल के जरिए आईआईटी रुड़की और विज्ञान मंत्रालय ने विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं।
• स्मार्ट क्लासरूम, ई-लर्निंग और साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम से बच्चों को आधुनिक शिक्षा दी जा रही है।
• अटल टिंकरिंग लैब्स और सीबीएसई स्किल लैब्स के जरिए बच्चों को STEM (Science, Tech, Engineering, Math) शिक्षा से जोड़ा जा रहा है।
• ‘तलाश’ पोर्टल के माध्यम से छात्रों को करियर गाइडेंस और साइकोमेट्रिक टेस्ट की सुविधा दी जा रही है।

संवैधानिक सुरक्षा और मोदी सरकार की प्राथमिकता
भारत के संविधान में कमजोर वर्गों के शैक्षिक उत्थान को प्राथमिकता दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन संवैधानिक प्रावधानों को जमीनी हकीकत में बदलने का काम किया है- चाहे वह एकलव्य विद्यालयों का विस्तार हो, आरक्षण नीति का सशक्त कार्यान्वयन हो या आदिवासी समुदायों के लिए विशेष छात्रवृत्तियां।

शिक्षा से सशक्त हो रहा आदिवासी भारत
एकलव्य विद्यालय अब केवल स्कूल नहीं, बल्कि ‘सपनों की प्रयोगशाला’ बन चुके हैं। यहां से निकलने वाले बच्चे न सिर्फ आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों तक पहुंच रहे हैं, बल्कि अपने समुदायों में परिवर्तन के वाहक भी बन रहे हैं। अब जब 2 से बढ़कर 597 छात्र देश की कठिनतम परीक्षाओं को पार कर चुके हैं, तो यह साफ है कि भारत के आदिवासी अंचलों में बदलाव की नींव शिक्षा से रखी जा रही है।

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