Home समाचार मोदी सरकार को मिला रहा किसानों का व्यापक समर्थन, उत्तराखंड के किसानों...

मोदी सरकार को मिला रहा किसानों का व्यापक समर्थन, उत्तराखंड के किसानों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग का किया विरोध

SHARE

नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच टकराव जारी है। एक तरफ जहां सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, वहीं किसान इसको रद्द करने की मांग पर अड़े हुए है। इसी बीच सरकार के लिए राहत की बात है कि अब किसान भी नए कृषि कानूनों के समर्थन में खुलकर सामने आने लगे हैं। हरियाणा के बाद उत्तराखंड के किसानों के एक प्रतिनिधमंडल ने रविवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया।

उत्तराखंड के किसानों का कहना है कि सितंबर में बने तीनों कानून कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे। किसानों ने दिल्ली में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठक की। कृषि मंत्री ने बैठक खत्म होने के बाद कहा कि उत्तराखंड से आए किसान भाई मुझसे मिले और उन्होंने कृषि सुधार को समझा और अपनी राय दी। केंद्र सरकार की ओर से भी सभी किसान भाइयों का आभार व्यक्त करता हूं। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं। 

उत्तराखंड के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री को बताया कि तीनों कानून सरकार ने किसानों के हित में बनाए हैं। सुधार भले हो सकते हैं, लेकिन कानून को वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। उत्तराखंड के किसानों ने सरकार से इस मामले पर दबाव में न आने की अपील की। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि विपक्षी दल आंदोलन की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। 


इससे पहले हरियाणा के किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पद्मश्री से सम्मानित सोनीपत के प्रगतिशील किसान क्लब के अध्यक्ष कंवल सिंह चौहान की अगुवाई में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से मुलाकात की और सितंबर में बने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन किया। कृषि मंत्री तोमर से मुलाकात के बाद कंवल सिंह चौहान ने कहा कि विरोध कर रहे किसानों को गुमराह किया जा रहा है। किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से कृषि कानून रद्द नहीं करने की मांग की। किसान संगठनों ने इस संबंध में कृषि मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा।

हरियाणा के किसानों ने कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों की मांग के अनुसार कानून में सुधार करना चाहे तो उसका स्वागत है, लेकिन अगर कानून निरस्त किए गए तो वो इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले और भी कुछ किसान संगठन कृषि कानूनों का समर्थन कर चुके हैं। जिसके बाद केंद्र सरकार ने कानून वापस न लेकर उनमें केवल संशोधन करने की हामी भरी है। 

Leave a Reply Cancel reply