कोरोना काल में मोदी सरकार और देश के किसानों के सामने अनेक चुनौतियां सामने आईं, लेकिन दोनों ने मिलकर चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया। मोदी सरकार ने संकट के समय किसान सम्मान निधि और अन्य किसान हितैषी नीतियां बनाकर और फैसले लेकर किसानों की पूरी मदद की। वहीं किसानों ने भी सरकार से मिली सुविधाओं का पूरा लाभ उठाया और कड़ी मेहनत की। इसका नतीजा है कि आज देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2020-21 के लिए मुख्य फसलों के उत्पादन का चौथा अग्रिम अनुमान जारी किया है। इसके मुताबिक देश का खाद्यान्न उत्पादन फसल वर्ष 2020-21 में 3.74 प्रतिशत बढ़कर 308.65 मिलियन टन के नए रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। यह 2019-20 के उत्पादन की तुलना में 11.14 मिलियन टन अधिक है।
वर्ष 2020-21 के दौरान खाद्यान्न उत्पादन विगत पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 29.77 मिलियन टन अधिक है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक चावल, गेहूं, मक्का, दलहन और तिलहन में रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। इनके अलावा मोटे अनाजों का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 3.40 मिलियन टन बढ़कर 51.15 मिलियन टन, गन्ने का उत्पादन पिछले वर्ष से 37.18 मिलियन टन बढ़कर 399.25 मिलियन टन होने का अनुमान है। इस तरह कोरोना काल में कृषि क्षेत्र ने भरपूर खाद्यान्न भंडार से देश के लोगों को भोजन की चिंता से मुक्त कराया। इससे मोदी सरकार ने जहां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और ‘अन्न उत्सव’ कार्यक्रम शुरू कर गरीबों की मदद की, वहीं अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली।
मोदी राज में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन
फसल | अनुमानित उत्पादन |
चावल | 122.27 मिलियन टन |
गेहूं | 109.52 मिलियन टन |
मक्का | 31.51 मिलियन टन |
दलहन | 25.72 मिलियन टन |
तिलहन | 36.10 मिलियन टन |
चना | 11.99 मिलियन टन |
मूंगफली | 10.21 मिलियन टन |
कोरोना काल में किसानों की मदद
- किसान सम्मान निधि के तहत 1.6 लाख करोड़ रुपये जारी
- 2 करोड़ से अधिक किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी किए गए
- दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कृषि ऋण दिया गया
- कृषि ऋण पर ब्याज दर में छूट का प्रावधान किया गया
- DAP खाद के लिए सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला
- फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी के साथ रिकॉर्ड खरीद हुई
- एमएसपी पर उपज खरीद का पैसा बैंक खातों में भेजा गया
- कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचा के लिए एक लाख करोड़ रुपये
- आवश्यक वस्तु कानून में बदलाव, फसल बेचने की आजादी
- फसल बीमा योजना का लाभ सभी फसलों व किसानों को मिला