प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिलाओं को उनका हक और न्याय दिलाने का काम कर रही है। दुष्कर्म और यौन शोषण जैसे मामलों में अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो रही है। उन्हें जल्द फांसी जैसी कठोरतम सजा मिल रही है। वहीं महिलाओं को कानूनी सुरक्षा और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं, ताकि वे सुरक्षित माहौल में गरिमापूर्ण जीवन बिता सकें। प्रधानमंत्री मोदी महिलाओं को यह यकीन दिलाने में भी सफल रहे हैं कि वे नारी शक्ति के साथ खड़े हैं। इससे महिलाओं का भरोसा और आत्मविश्वास बढ़ा है। आइए देखते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ठोस पहल से किस तरह महिलाओं का विश्वास जीतने में सफलता पायी है।
मोदी सरकार में पहली बार
- पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप मामले में फांसी की सज़ा का प्रावधान किया गया।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत एक नया प्रभाग (डिवीजन) बनाया गया, जो महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मामलों को देखता है।
- मोदी सरकार में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक जैसी कुप्रथा से मुक्ति मिली।
- देश के हर पुलिस स्टेशन में महिला सहायता डेस्क बनाने का निर्णय लिया गया।
- मोदी सरकार ने रेप पीड़िता की मदद के लिए महिला पुलिस वालंटियर योजना को मंजूरी दी।
- देश के हर जिले में मानव तस्करी विरोधी इकाइयां गठित करने की पहल की गई।
- 2017 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों के लिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग और शिकायत प्रबंधन प्रणाली शुरू की गई।
- जून 2019 में शिक्षा मंत्रालय ने सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया।
- दुष्कर्म की फारेंसिक जांच के लिए सभी पुलिस स्टेशनों और अस्पतालों को विशेष किट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई।
- मोदी सरकार ने पीड़ित महिलाओं को तुरंत सहायता मिले, इसके लिए 2015 में “वन स्टॉप सेंटर्स” शुरू किया।
- मोदी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 8 शहरों में ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ को मंजूरी दी।
- बेटियों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा के लिए मोदी सरकार ने बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना की शुरुआत की।
नारी का सम्मान और सुरक्षा
दुष्कर्म जैसे मामालों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “किसी छोटी बालिका के साथ बलात्कार होता है। कितनी दर्दनाक घटना है ये, लेकिन क्या हम ये कहेंगे कि तुम्हारी सरकार में इतने होते थे, हमारी सरकार में इतने होते थे, बलात्कार बलात्कार होता है एक बेटी के साथ ये अत्याचार कैसे सहन कर सकते हैं।“
“उन माताओं और पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं कि आपके घर में बेटी 10-12 साल की होती है। बेटी से तो सैकड़ों सवाल पूछते हैं लेकिन क्या किसी ने अपने बेटों से पूछने की हिम्मत की है। बलात्कार करने वाला किसी न किसी का बेटा तो है।“
“मैं देश भर के राजनेताओं से प्राथना करना चाहता हूं। बलात्कार की घटनाओं को मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करें। ये शोभा नहीं देती। इस प्रकार की बयानबाजी करना शोभा देती है क्या? क्या हम मौन नहीं रह सकते। नारी का सम्मान और सुरक्षा 125 करोड़ देशवासियों की प्राथमिकता होनी चाहिए।“
हर बेटी को न्याय, हर अपराधी को सजा
30 जनवरी, 2019 को सूरत में न्यू इंडिया यूथ कॉन्क्लेव में युवाओं के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने बलात्कार के खिलाफ त्वरित कार्रावाई को लेकर कहा, “इस देश में बलात्कार पहले भी होते थे, समाज की इस बुराई, कलंक ऐसा है कि आज भी उस घटनाओं को सुनने को मिलता है, माथा शर्म से झुक जाता है, दर्द होता है। लेकिन आज 3 दिन में फांसी, 7 दिन में फांसी, 11 दिन में फांसी, 1 महीने में फांसी। लगातार उन बेटियों को न्याय दिलाने के लिए एक के बाद एक क़दम उठाये जा रहे हैं, और नतीजे नज़र आ रहे हैं, लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि बलात्कार की घटना तो सात दिन तक टीवी पर चलाई जाती है, लेकिन फांसी की सज़ा की ख़बर आकर के चली जाती है, फांसी की ख़बर जितनी ज़्यादा फैलेगी, उतनी बलात्कार करने की विकृति लेकर के बैठा हुआ आदमी भी डरेगा, पचास बार सोचेगा।”
फांसी की सजा
- अगस्त 2018 में मध्य प्रदेश के दतिया में बच्ची से रेप के मामले में 3 दिन में मृत्यु तक उम्र कैद की सजा सुनायी गई।
- जुलाई 2018 में मध्य प्रदेश के कटनी में बच्ची से रेप के मामले में पांच दिन के अंदर फांसी की सजा सुनाई गई।
- इंदौर में 4 माह की बच्ची के साथ रेप और हत्या के आरोप में दोषी को 22 दिन में सजा सुनाई गयी।
- ग्वालियर में 6 साल की बच्ची के साथ रेप और हत्या के आरोपी को 36 दिनों में फांसी की सजा सुनाई गई।
- मध्य प्रदेश के मंदसौर में दो महीने में नाबालिग से बलात्कार मामले में दो आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई।
बुराई से मिलकर लड़ने की जरूरत
13 अप्रैल, 2018 को उन्नाव और कठुआ रेप कांड पर संवेदना जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जिस तरह की घटनाएं हमने बीते दिनों में देखी हैं, वो सामाजिक न्याय की अवधारणा को चुनौती देती हैं। पिछले 2 दिनों से जो घटनाएं चर्चा में हैं, वो निश्चित रूप से किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक हैं। एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में, हम सब इसके लिए शर्मसार है।“
“देश के किसी भी राज्य में, किसी भी क्षेत्र में होने वाली ऐसी वारदातें, हमारी मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देती हैं। मैं देश को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि कोई अपराधी बचेगा नहीं, न्याय होगा और पूरा होगा। उन बेटियों के साथ जो जुल्म हुआ है, उन बेटियों को न्याय मिलकर रहेगा। हमारे समाज की इस आंतरिक बुराई को खत्म करने का काम हम सभी को मिलकर करना होगा।“
19 अप्रैल, 2018 को लंदन में ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में बेटे और बेटियों में फर्क नहीं करने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैंने लाल किले से नए तरीके से इस विषय को प्रस्तुत किया। मैंने कहा अगर बेटी शाम को देर से आती है तो हर मां-बाप पूछते हैं कि कहा गयी थी? क्यों गयी थी? किससे मिली थी? बेटियों से सब पूछ रहे हो, कभी बेटों से पूछो की कहा गए थे।“
“मैं मानता हूं कि ये बुराई समाज की है, व्यक्ति की है, विकृति है। सब होने के बावजूद भी देश के लिए चिंता का विषय है। ये पाप करने वाला किसी का बेटा तो है। उसके घर में भी तो मां है।“
राक्षसी मनोवृत्ति पर प्रहार
15 अगस्त, 2018 को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने दुष्कर्म जैसी राक्षसी मनोवृति पर सीधा प्रहार करते हुए कहा, “बलात्कार पीड़ादायक है, लेकिन बलात्कार की शिकार उस बेटी को जितनी पीड़ा होती है, उससे लाखों गुणा पीड़ा हम देशवासियों को, देश को, जनता को, हर एक को लाखों गुणा पीड़ा होनी चाहिए। ये राक्षसी मनोवृत्ति से समाज को मुक्त कराना होगा। देश को मुक्त कराना होगा। कानून अपना काम कर रहा है।“
“पिछले दिनों मध्य प्रदेश में पांच दिन के अंदर कटनी में बलात्कारियों का केस पांच दिन चला और पांच दिन में फांसी की सजा सुना दी गई। आज ये फांसी की खबरें जितनी ज्यादा प्रचारित होगी, इन राक्षसी मनोवृत्ति के लोगों में भय पैदा होगा। हमें इन खबरों को प्रचारित करना चाहिए।“
“अब फांसी पर लटकना तय हो रहा है। ये अब लोगों को पता चलना चाहिए। और राक्षसी वृत्ति की मानसिकता वालों को भय होना चाहिए। हमें इस मानसिकता पर प्रहार करने की आवश्यकता है, इस सोच पर प्रहार करने की आवश्यकता है, इस विकृति पर प्रहार करने की आवश्यकता है। यही सोच और विकृति अक्षम्य अपराधों को जन्म देती है। हमारे लिए सुप्रीम है रूल ऑफ लॉ। उसमें कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं हो सकता। किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं दिया जा सकता है।“
“हमारी नई पीढ़ी, फूल जैसे नादान बच्चों की परविश ऐसे हो ताकि उसकी रगों में संस्कार हो। महिलाओं का गौरव करने का, उसके दिल-दिमाग में भरा हो। महिलाओं का सम्मान ये जीवन जीने का सही तरीका होता है। नारी का गौरव ये जीने का सही रास्ता हो सकता है। ये हमें अब परिवारों में भी ये संस्कार देने होंगे।“
जल्द फैसला, कठोरतम सज़ा
23 अगस्त, 2018 को गांधीनगर ने गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के चौथे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “रेप जैसे जघन्य अपराधों में हमारी अदालतें तेज गति से फैसले लें इसके लिए फॉरेंसिक साइंस और आप जैसे एक्स्पर्ट बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। बहुत बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं। सरकार ने कानून को कड़ा किया, पुलिस ने जांच की, लेकिन फॉरेंसिक साइंस ने अदालत को जल्द फैसला लेने का एक मजबूत साइन्टिफिक सपोर्ट सिस्टम दिया। न्यायिक प्रक्रियाओं में इस तरह की तेजी और अपराधियों को बचने का कोई भी मौक न दें।“
26 अगस्त, 2018 को ‘मन की बात’ की 47वीं कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी ने बलात्कार जैसी बुराई को खत्म करने के करने के लिए कठोरतम सजा का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “देश की नारी शक्ति के खिलाफ़ कोई भी सभ्य समाज किसी भी प्रकार के अन्याय को बर्दाश्त नहीं कर सकता। बलात्कार के दोषियों को देश सहन करने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए संसद ने आपराधिक कानून संशोधन विधेयक को पास कर कठोरतम सज़ा का प्रावधान किया है। दुष्कर्म के दोषियों को कम से कम दस वर्ष की सजा होती है, वहीं 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से रेप करने वालों को फांसी की सजा होती है।“
बेटे-बेटियों में अंतर नहीं
15 अगस्त, 2014 को लाल किले के प्राचीर से बेटे-बेटियों में फर्क नहीं करने की अपील की। उन्होंने माता-पिता को उनकी जिम्मेदारी से अवगत कराते हुए कहा, “आज जब हम बलात्कार की घटनाओं की खबरें सुनते हैं तो हमारा माथा शर्म से झुक जाता है। लोग अलग-अलग तर्क देते हैं। हर कोई मनोवैज्ञानिक बनकर अपना बयान देता है। मैं उन माताओं और उनके पिताओं से पूछना चाहता हूं, हर मां-बाप से पूछना चाहता हूँ कि आपके घर में बेटी 10-12 साल की होती है। मां-बाप चौकने रहते हैं। पूछते हैं कहां जा रही हो? कब आओंगी? पहुंचने के बाद फोन करना। बेटी को तो सैकड़ों सवाल मां-बाप पूछते हैं। लेकिन क्या कभी मां-बाप ने अपने बेटों से पूछने की हिम्मत की है। कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कौन दोस्त है? बलात्कार करने वाला किसी का बेटा तो है । बेटियों पर जितने बंधन डाले हैं। कभी बेटों पर डालकर देखे तो सही। कानून कठोरता के साथ काम करेगा। लेकिन मां-बाप होने के नाते हमारा भी दायित्व है।“
08 अप्रैल, 2013 को दिल्ली में फिक्की के लेडिज विंग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने कहा, “ये दर्द, ये पीड़ा, क्या 21वीं सदी में हमें सर उठाने की ताकत देती है। हमें आधुनिक हिन्दुस्तान बनाना है, तो उसकी पहली शर्त है कि हमारी मातृ शक्ति का गौरव, मां-बहनों की इज्जत, Diginty of the women, समाज – जीवन में स्थितियों को बदलना पड़ेगा। एक तरफ हम बुराइयों में फंसे हैं, बड़ी कठोरता के साथ उससे मुक्ति के लिए हम सबको प्रयास करना होगा।
बेटियों की सुरक्षा सर्वोपरि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। मोदी सरकार ने 6 अगस्त, 2018 को ‘आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2018’ को संसद से पारित करवा कर एक महत्वपूर्ण पहल की। इस विधेयक में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।
- 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया।
- दुष्कर्म के मामलों में सात वर्ष के सश्रम कारावास की न्यूनतम सज़ा को बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया।
- 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म मामले में न्यूनतम सज़ा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष किया गया।
- 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म मामले में अग्रिम ज़मानत नहीं देने का प्रावधान किया गया।
- दुष्कर्म के मामले में जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने के लिए दो महीने के अंदर जांच पूरी करने का नियम बनाया गया।
- नए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने और समयबद्ध जांच के लिए विशेष कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया।
- अस्पताल को पीड़िता का मुफ्त में प्राथमिक उपचार करने और पुलिस को तत्काल सूचित करने की जिम्मेदारी दी गई।
- पेज-8 रेप के मामले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च अदालत में अपील की समय सीमा 6 महीने होगी।
महिला सुरक्षा के लिए नया प्रभाग
- 29 मई, 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा के मुद्दे से निपटने के लिए नया प्रभाग (डिवीजन) बनाया।
- प्रभाग संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर महिला सुरक्षा के सभी पहलुओं को देखता है।
- प्रभाग रेप मामलों से निपटने के लिए प्रशासनिक, जांच, न्यायिक तंत्र की क्षमता बढ़ाने के साथ चिकित्सा और पुनर्वास के लिए काम करता है।
- यह प्रभाग महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध की रोकथाम के लिए उत्तरदायी है।
- यह प्रभाग निर्भया फंड के इस्तेमाल और इसके तहत आने वाली सभी योजनाओं की देखभाल करता है।
कार्यस्थलों पर सुरक्षा
- अक्टूबर 2018 में कार्यस्थल पर यौन शोषण रोकने और सुझाव देने के लिए राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्री समूह का गठन किया गया।
- निजी कंपनियों के लिए वार्षिक रिपोर्ट में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून-2013 के अनुपालन का ब्यौरा देना अनिवार्य किया गया।
- ब्यौरा नहीं देने पर निजी कंपनियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान किया गया।
- कंपनी मामलों के मंत्रालय ने इसके लिए कंपनी (लेखा) नियम 2014 में संशोधन किया।
- केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों व उनसे जुड़े संगठनों के लिए आंतरिक शिकायत सुनवाई समिति का गठन अनिवार्य बनाया गया।
- पीड़ित महिलाओं को सीधे अपनी शिकायत भेजने के लिए शी बॉक्स नाम की एक सुविधा भी उपलब्ध कराई गई।
- मोदी सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए 190 वर्किंग विमन हॉस्टल बनाने की मंजूरी दी।
- 27 मार्च, 2017 को मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह तक कर दिया गया।
तुरंत सुनवाई और कार्रवाई
- मोदी सरकार ने महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की तुरंत सुनवाई और कार्रवाई के लिए देशभर में दस हजार पुलिस थानों में महिला सहायता डेस्क स्थापित करने की मंजूरी दी।
- मोदी सरकार ने मदद के लिए महिला पुलिस वालंटियर को पुलिस और पीड़ित महिला के बीच में नियुक्त किया, जिससे पीड़िता के साथ प्रशासन संवेदना के साथ पेश आए। आज देश में करीब दस हजार ऐसे वालंटियर मदद कर रहे हैं।
- मोदी सरकार ने 2015 में पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए “वन स्टॉप सेटर्स” शुरू किया। आंकड़ों के मुताबिक देश भर में ऐसे सेंटर्स की संख्या 31 मार्च, 2020 तक 728 थी। 2 लाख 88 हजार 831 महिलाओं की तुरंत सहायता मिल चुकी है।
- मोदी सरकार ने तस्करों के अत्याचार से बचाई हुई पीड़ित महिलाओं के लिए 2015 में पुर्नवास की योजना को लागू कर दिया। 2015 से 31 मार्च, 2020 तक सरकार ने करीब 30 हजार महिलाओं को एक नया जीवन दिया।
- मोदी सरकार ने विधवा और महिलाओं के लिए 2015 में स्वधार गृह देने का फैसला किया। 2015 से इस गृह योजना में 75 हजार से भी अधिक महिलाओं को जीवन जीने का आधार मिला है।
- दुष्कर्म के मामलों में तेजी से मुकदमे के निपटारे के लिए अगस्त 2018 में देश भर में कुल 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें की स्थापना को मंजूरी दी गई।
- मोदी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 8 शहरों में ‘सेफ सिटी प्रोजेक्ट’ को मंजूरी दी। आठ चयनित शहरों में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बंगलूरू, हैदराबाद, अहमदाबाद और लखनऊ शामिल है।
- बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना का विस्तार देश के सभी 640 जिलों तक किया गया। शुरुआत उन ज़िलों से की गई जहां शिशु लिंगानुपात दर काफी कम थी।
तकनीक से बढ़ी सुरक्षा
- बच्चियों का यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों पर रोक लगाने और ऑनलाइन शिकायत के लिए POCSO e-box शुरू किया गया।
- महिला और बाल विकास मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के सहयोग से साइबर अपराध पोर्टल लॉन्च किया।
- महिलाएं साइबर धमकी, ऑनलाइन शर्मनाक हरकतों और ऑनलाइन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज करा सकती हैं।
- यौन अपराधों की जांच और निगरानी के लिए 20 सितंबर, 2018 को “यौन अपराधियों पर एक राष्ट्रीय डेटाबेस” लॉन्च किया गया।
- सभी यौन अपराधियों की डिजिटल सूची बन रही है, ताकि न्योक्ता कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच सकें।
- 2015 में महिला हेल्पलाइन की शुरुआत की गई। महिलाएं 181 टोल फ्री नंबर से मदद के लिए फोन कर सकती हैं।
- महिला सुरक्षा की दिशा में बड़ी पहल करते हुए ‘एक भारत-एक इमरजेंसी नंबर’112 की शुरुआत की गई।
- यौन हिंसा के मामलों की निगरानी और समयबद्ध जांच के लिए “यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली” लॉन्च किया गया।
- चंडीगढ़ में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण केन्द्र की स्थापना की गई।
- हटाना है- (महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध रोकने के लिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in) शुरू किया गया।)
- मोबाइल फोन में पैनिक बटन और जीपीएस सुविधा अनिवार्य किया गया।
- 2017 में नई टैक्सी नीति के तहत सभी टैक्सियों में जीपीएस पैनिक डिवाइस अनिवार्य किया गया।
- महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘निर्भया एप’ और ‘हिम्मत एप’ लॉन्च किया गया।
स्वच्छ भारत मिशन के जरिए सुरक्षा
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत घरेलू शौचालयों के निर्माण से महिलाओं के सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान में बढ़ोतरी हुई है।
- मार्च 2020 में यूनिसेफ और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रभाव का एक अध्ययन जारी किया।
- अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष है कि शौच करने के लिए खुले में न जाने से 93 प्रतिशत महिलाएं यौन हमले से सुरक्षित महसूस करती हैं।
- 91 प्रतिशत महिलाएं अपने दिन के एक घंटे तक समय बचाती हैं, जो पहले शौच स्थलों पर जाने में लगाती थीं।
- फरवरी 2020 में 5 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6,993 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया।
- कई दूसरे अध्ययन के मुताबिक महिलाओं से छेड़छाड़, यौन हिंसा और बलात्कार की घटनाओं में कमी आई है।
- कई अध्ययन के मुताबिक खुले में शौच के लिए निकलने वाली महिलाएं यौन हिंसा की ज़्यादा शिकार बनती हैं।
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय का निर्माण किया गया है।
- स्कूलों में शौचालयों के निर्माण से लड़कियों के ड्रॉप ऑउट में कमी आई है।
स्कूलों में आत्मरक्षा
- मोदी सरकार ने लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए आत्मरक्षा प्रशिक्षण की शुरुआत की।
- सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 में पढ़ने वाली छात्राओं को समग्र शिक्षा योजना के तहत आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है।
- तीन महीने के लिए प्रत्येक स्कूल को प्रतिमाह 3000 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं।
- आत्मरक्षा प्रशिक्षण कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूलों में दिए जा रहे हैं। यहां वंचित वर्गों की लड़कियां कक्षा 6 से 12 तक पढ़ती हैं।
- लड़कियों को जूड़ो, ताइक्वाड़ों और मुक्केबाजी इत्यादि में प्रशिक्षित किया जाता है।
तीन तलाक की कुप्रथा से आजादी
- मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर इस कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की।
- कानून के तहत तीन तलाक देने वालों को तीन साल तक जेल भेजने का प्रावधान किया गया है।
- पीड़ित महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतानों के लिए निर्वाह भत्ता पाने की हकदार है।
- तीन तलाक से प्रभावित 75 प्रतिशत गरीब मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है।
धोखेबाज एनआरआई पतियों पर शिकंजा
- मोदी कैबिनेट ने ‘प्रवासी भारतीय विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019’ को मंजूरी दी।
- प्रवासी भारतीय पुरुषों के लिए शादी के 30 दिन के भीतर विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने का प्रावधान किया गया।
- शादी के 30 दिनों के भीतर विवाह का पंजीकरण नहीं कराने पर पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेज को जब्त किया जा सकता है।
- एनआरआई वैवाहिक विवादों से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक ‘इंटीग्रेटेड नोडल एजेंसी’ का गठन किया गया है।
दिव्यांग महिलाओं की सुरक्षा
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समानता और भेदभाव न करने की गारंटी देता है।
- दिव्यांग महिलाओं के लिए यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य देखभाल का विशेष ध्यान दिया गया है।
- मान्यता पाप्त 21 दिव्यांगताओं में तेजाब हमले की वजह से आई विकृति को भी शामिल किया गया है।
महिला पर्यटकों की सुरक्षा
स्मारकों पर महिला पर्यटकों को सुरक्षित और सुविधाजनक अनुभव प्रदान करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कई प्रावधान किए हैं:-
- देश के के विभिन्न स्मारकों में बेबी फीडिंग रूम / चाइल्ड केयर सेंटर बनाया गया है।
- स्मारकों पर आने वाली महिलाओं के लिए स्वच्छ शौचालय की सुविधा मुहैया करायी गई है।
- महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला सुरक्षा गार्ड की तैनाती की व्यवस्था की गई है।
- लाल किला और ताजमहल जैसे कुछ प्रमुख स्मारकों में महिलाओं के लिए अलग प्रवेश और निकासी द्वार बनाया गया है।
- महिला यात्रियों की तलाशी के लिए प्रवेश द्वार पर महिला सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जा रही है।
महिलाओं के साथ खड़ी भाजपा सरकार
भाजपा सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह समर्पित है। इसलिए महिलाओं के साथ हुए बलत्कार के मामले में भाजपा और गैर-भाजपा सरकारों में अलग-अलग कार्रवाई देखने को मिलती है। जहां भाजपा सरकार में रेप मामले में त्वरित कार्रवाई और न्याय होता है, वहीं गैर-भाजपा सरकारों में बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है।
बलात्कार के मामलों में कार्रवाई में अंतर
भाजपा सरकार | गैर-भाजपा सरकार |
रेप मामले में तत्काल कार्रवाई | मामला भगवान भरोसे |
कार्रवाई में जाति-धर्म नहीं | जाति-धर्म के आधार पर कार्रवाई
|
आरोपियों को बच पाना मुश्किल | केस दर्ज हो पाना भी मुश्किल |
मुख्यमंत्री संवेदनशील | मुख्यमंत्री एकदम संवेदनहीन |
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई | दर-दर भटकता पीड़ित परिवार |
पीड़ित परिवार को हरसंभव सरकारी मदद | पीड़ित परिवार की सुध लेने वाला कोई नहीं |
मीडिया का दोहरा मानदंड
भाजपा शासित राज्य | गैर-भाजपा शासित राज्य |
मीडिया पूरे लाव लश्कर के साथ घटना स्थल पर पहुंचती है। | मीडिया सोयी रहती है। |
मामले को बढ़-चढ़ा कर पेश करती है। | गंभीर बातों को भी छोड़ देती है।
|
सरकार, प्रशासन और पुलिस को कठघऱे में खड़ा करती है। | राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बेतुकी बयानबाजी को भी दबा देती है। |
लोगों की भावनाओं को भड़काती है। | मीडिया संस्थान चुप्पी साधे रखते हैं। |
मनपसंद बयान देने के लिए दबाव बनाती है। | महत्वपूर्ण बयान को अनसुना कर देती है। |
मनगढ़ंत और झूठे सबूतों को आधार बनाती है। | महत्वपूर्ण सबूतों की अनदेखी करती है। |