करीब साढ़े चार दशक पूर्व एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया नामक संगठन की स्थापना प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा और संपादकीय नेतृत्व के मानकों को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। ‘पिक एंड चूज’ की नीति पर चलते हुए अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को सिर्फ उन मुद्दों, विचारों और पत्रकारों की चिंता है, जो उसकी ‘कम्युनिस्ट’ विचारधारा के अनुकूल हों। बीजेपी शासित राज्यों में पत्ता भी खड़कता है तो एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के कर्ता-धर्ताओं के पेट में बे-वजह मरोड़ उठने लगते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को अपने इको-सिस्टम के राज्यों में कभी-भी अभिव्यक्ति की आजादी की बात करने, उसकी पैरोकारी करने की याद नहीं आती।
अपने इको-सिस्टम के राज्यों में अभिव्यक्ति की आजादी याद नहीं आती
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ऐसे में तत्काल ही ट्वीट, चिठ्ठी और संगठन का बेजा इस्तेमाल कर ऐसा भौकाल मचाने की कोशिश करता है, जैसे लोकतंत्र तो मीडिया रूपी चौथा स्तंभ भरभराकर गिरने ही वाला हो। लेकिन पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र या किसी अन्य विपक्षी शासित राज्यों में पत्रकारिता या पत्रकारों पर आंच आए तो कुछ भी बोलने में इनको नानी याद आ जाती है। यकीन न हो तो एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पिछले कुछ सालों के ट्वीट उठाकर देख लीजिए, इन राज्यों के लिए उसने एक भी ट्वीट करने की जरूरत नहीं समझी है।
Editors Guild of India is shocked by the manner in which police arrested, stripped, and humiliated a local journalist in Sidhi, MP, as well as chained another journalist in Balasore, Odisha. Urges Home ministry to act immediately and take strict actions. pic.twitter.com/wSMjCesLR6
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) April 8, 2022
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया गृह मंत्रालय तक से कर डाली तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की मनमानी कार्यशैली का ताजा उदाहरण मध्यप्रदेश का है। चूंकि यहां उसके इको-सिस्टम से बाहर बीजेपी की सरकार है, इसलिए यहां जूं भी रेंगती है तो एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पेट में दर्द मचल उठता है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ट्वीट करके मध्य प्रदेश के सीधी जिले के स्थानीय ‘पत्रकार’ को गिरफ्तार करने और अपमानित करने पर हैरानी जताई है और गृह मंत्रालय से तत्काल सख्त कार्रवाई करने के लिए कहा है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के कर्णधारों ने जिनकी पैरवी की है, पहले उनकी कहानी सुन लीजिए।
मध्य प्रदेश इको-सिस्टम से बाहर का राज्य इसलिए बिना असलियत समझे किया ट्वीट
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया जिस फोटो को लेकर इतनी हायतौबा मचाई है, दरअसल उसकी असल कहानी के पीछे जाने, सच्चाई को जानने की उसने जरूरत ही नहीं समझी। क्योंकि इस समय मध्य प्रदेश उसके इको सिस्टम से बाहर का राज्य है, इसलिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बिना सोचे-विचारे सीधी के बारे में सीधा ट्वीट ही कर दिया। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को असल में पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी थी और उसने जिनकी पैरवी की वो असल में ‘पत्रकार’ ही नहीं है। वो एक यू-ट्यूबर हैं और आरोप है कि स्थानीय कांग्रेसियों के साथ मिलकर दूसरी तरह की पत्रकारिता में लिप्त हैं, जिसे मध्य प्रदेश में अड़ीबाजी के नाम से जानते हैं। फोटो खींचा, वीडियो बनाया, धमकाया, माल बनाया…और हो गई पत्रकारिता।
खुद को पत्रकार बताने वाला व्यक्ति असलियत में केवल यू-ट्यूबर है
इस फ़ोटो को लेकर काफ़ी अफ़वाह फैलाई जा रही हैं। इस फ़ोटो में सबसे आगे खड़ा व्यक्ति जो खुद को पत्रकार बताता है, वह असल में यूट्यूब चैनल चलाता है। वह किसी अखबार या चैनल से सम्बद्ध नहीं है। फिर भी एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को वह पत्रकार नजर आता है। उनके साथ खड़े दो लोग लोकल स्तर के कांग्रेस नेता बताए जाते हैं और बाकी रंगकर्मी हैं। तस्वीर मध्य प्रदेश के सीधी जिले के कोतवाली पुलिस स्टेशन की है।
फर्जी फेसबुक अकाउंट चलाने के आरोप में किया रंगकर्मी को गिरफ्तार
कोतवाली पुलिस के मुताबिक दो अप्रैल को पुलिस ने सीधी के रंगकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता नीरज कूंदेर को फर्जी फेसबुक अकाउंट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि इस अकाउंट से नेताओं, व्यापारियों, रसूखदारों को ऐसे ही पोल खोलने की धमकी दी जाती है। कई बार उनके खिलाफ़ अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल होता था। इसकी शिकायत सीधी विधायक और उनके पुत्र ने पुलिस से की थी। जब पुलिस को फर्ज़ी अकाउंट के आईपी एड्रेस के तार नीरज तक पहुंचे, तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
ऐसे मक्कार रंगकर्मी के समर्थन में जो आएगा, उसके बारे में सहज ही अंदाजा हो जाएगा। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया तो अब उसकी पैरवी में उतरा है। इससे पहले फर्जी फेसबुक अकाउंट चलाकर धमकाने वाले के समर्थन में यू-ट्यूबर कम कथित पत्रकार (फ़ोटो में) आ गए। कुछ कांग्रेस नेता और साथी रंगकर्मियों विरोध करने गए। जिसपर पुलिस ने 12 से ज्यादा लोगों पर 151 में FIR दर्ज़ कर ली है। फिलहाल नीरज जेल में हैं और बाकियों को छोड़ दिया गया है।
एडिटर्स गिल्ड मोहल्ले की वो आंटी का किट्टी ग्रुप है जिनके अपने बच्चे पूरा मोहल्ला गंधवाए रहते हैं..लेकिन इनके सामने कोई और parle g का पैकेट गिरा दे तो पूरा बवाल मचा देती हैं मोहल्ले में
— मुन्ना भइया (@karaaarajawab) April 8, 2022
ऐसे कथित पत्रकार, पैसे के लिए धमकाने वाले और पत्रकारिता के पेशे को अपमानित करने वाले के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया पैरवी कर रहा है, तो इसके कर्णधारों की मानसिकता को समझा जा सकता है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को उसके ट्वीट के लिए जबरदस्त ट्रोल किया जा रहा है।
Go and check the timeline of @IndEditorsGuild. You will find tweets related to MP, UP, Uttarakhand, Kashmir.
You will not find a single tweet related to Maharashtra, Rajasthan, Chhattisgarh, Jharkhand, WB, TN, AP, Telangana or any other opposition-ruled states. pic.twitter.com/RjKdFtvy5a
— Modi Bharosa (@ModiBharosa) April 8, 2022
एक ट्वीटर हैंडल से कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया कुछ खंडित पत्रकारों का एक मंच है, जो केवल उनके लिए आवाज उठाता है, जो उनके इको-सिस्टम में आते हैं। ये उदारवादी केवल अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए तभी रूदाली-रूदन करते हैं, जबकि मामला भाजपा शासित राज्यों का हो।
The Editors Guild of India is a bunch of Lutyens media. They only propagate those stories which suit their ‘Communist’ idealogy. They dnt concerned about the issue. You won’t find any tweet on WB, Chhatisgarh, Rajasthan, Mah or any other opposition ruled states. @IndEditorsGuild pic.twitter.com/ttFvs1Febi
— Lutyens Watch (@LutyensWatch) April 8, 2022
एक अन्य यूजर ने कहा है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया लुटियंस मीडिया का एक समूह है। वे केवल उन्हीं कहानियों का प्रचार करते हैं जो उनकी ‘कम्युनिस्ट’ विचारधारा के अनुकूल हों। उन्हें असल मुद्दे की चिंता नहीं है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र या किसी अन्य विपक्षी शासित राज्यों में ऐसा कोई मामला नजर नहीं आता।
जैसलमेर में पत्रकार पर जानलेवा हमले पर भी चुप्पी साधे रहा एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया
राजस्थान : कांग्रेस सरकार के राज में कुछ समय पहले जैसलमेर जिले की पोकरण विधानसभा के पत्रकार सांवलदान रतनू पर दो गाड़ियों में सवार लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया। जिसमें पत्रकार को गंभीर चोटें आई हैं। चूंकि यह मामला एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के खुद के इको-सिस्टम से जुड़ा था, इसलिए पत्रकार के पक्ष में, अभिव्यक्ति की आजादी के लिए उसका एक भी ट्वीट तक नहीं आया। अलबत्ता, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री एवं बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कैलाश चौधरी ने पत्रकार सांवलदान रतनू पर हुए जानलेवा हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के खिलाफ है और यह वास्तव में विडंबना है। चौधरी ने कहा कि जनता की आवाज बनकर सच को सबके सामने लाने वाले पत्रकार पर इस तरह का हमला कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाना है।
The same @IndEditorsGuild went on a silent mode when recently Chattisgarh govt arrested a local journalist in Raipur on the complaint of a local Congressman for daring to write a satire on the working of state govt! There has to be a limit to hypocrisy and double standards!
— Avijit Saxena (@avijitsaxena87) April 8, 2022
छत्तीसगढ़ : वह वही एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया है, जो उस समय साइलेंट मोड पर चला गया, जबकि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक स्थानीय कांग्रेसी की शिकायत पर रायपुर में एक स्थानीय पत्रकार को राज्य सरकार के कामकाज पर व्यंग्य लिखने की हिम्मत के लिए गिरफ्तार किया! दरअसल, पक्षधरता, पाखंड और दोहरे मापदंड की भी कोई तो सीमा होनी चाहिए!